किरण मजूमदार शॉ (Kiran Mazumdar Shaw) को भला कौन नहीं जानता। बायोकॉन लिमिटेड की संस्थापक व अध्यक्ष और एक सफल Business Woman जिनकी दुनिया भर में एक पहचान है। उन्हें 1989 में पद्म श्री और साल 2005 में पद्मभूषण से नवाजा जा चुका है। वह अपनी सफलता (Success Story) का श्रेय अपनी माँ यामिनी मजूमदार (Kiran Mazumdar Shaw ‘s Mother) को देती हैं, जिन्होंने जीवन के उन मूल्यों को उनके अंदर पिरोया, जिसकी वजह से वह आज इस मुकाम पर हैं।
पति की मौत के बाद शुरु किया बिजनेस
लेकिन आज हम उनके बारे में नहीं, बल्कि उनकी मां यामिनी मजूमदार (Kiran Mazumdar Shaw ‘s Mother) शॉ के बारे में बताने जा रहे हैं। वह एक सफल महिला उद्यमी (Successful Indian Business Woman) हैं, जिनके बारे में कम ही बात की जाती है। यामिनी की उम्र 90 साल है। उन्होंने अपनी जिंदगी के दूसरे सफर की शुरुआत 68 साल की उम्र में की थी। पति की मौत के बाद अपना सबकुछ दांव पर लगाकर उन्होंने एक बिजनेस शुरु किया ताकि वह आत्मनिर्भर बन सकें।
यामिनी ने उम्र के उस पड़ाव पर भी दिन में रोजाना 12 घंटे काम किया। बस किसी तरह वह अपने बिजनेस को आगे बढ़ाना चाहती थीं और फिर उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें बेहतरीन सफलता मिली। आज 20 साल बाद भी वह उतनी ही शिद्दत के साथ अपने बिज़नेस को संभाल रही हैं। यामिनी ने साबित कर दिया है कि अगर कुछ करने का जज्बा हो, तो उम्र मायने नहीं रखती। उम्र सिर्फ एक नंबर है।

गृहणी से बनीं बिजनेसवुमन
यामिनी ( Kiran Mazumdar Shaw ‘s Mother ) की कहानी एक आम घरेलू लड़की जैसी ही रही है। ग्रेजुएशन पूरा होने से पहले ही उनकी शादी हो गई और फिर वह घर परिवार में ही पूरी तरह से रच-बस गईं।
लेकिन पति की मौत के बाद यामिनी ने अपने जीवन में आगे बढ़ने का फैसला किया। वह आत्मनिर्भर बनना चाहती थीं। उन्होंने 1990 में एक ड्राई क्लीनिंग और लॉन्डरी बिज़नेस ‘जीव्स’ की शुरूआत की। इसके लिए उन्होंने अपना घर गिरवी रख दिया और अपने पति से मिले शेयर तक बेच दिए थे। उनके पास बिज़नेस चलाने या प्रबंधन का कोई पुराना अनुभव भी नहीं था। लेकिन उन्हें खुद पर पूरा भरोसा था, जिसके बलबूते वह आगे बढ़ती रहीं। उन्होंने कंपनी को चलाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।
किरण मजूमदार ( Kiran Mazumdar Shaw ‘s Mother ) अपनी मां को बहुत साहसी महिला मानती हैं, उनकी नजर में यह एक साहसिक कदम था, जिसका निर्णय लेना आसान नहीं था।
“आप मेरे लिए आगे बढ़ने की प्रेरणा हैं”
एक रिपोर्ट के अनुसार, किरण ने कुछ सालों पहले अपनी मां के लिए कहा था, “हर किसी को इस बात पर गर्व करने का मौका नहीं मिलता कि 87 साल की उनकी मां एक सफल उद्यमी हैं। आत्मनिर्भर बनने की चाह मुझे आपसे ही विरासत में मिली है। आप मेरे लिए मजबूती के साथ खड़े रहने और आगे बढ़ने की प्रेरणा हैं।”
यामिनी (Yamini Mazumdar) ने 1990 में हाई एंड और इम्पोर्टेड ड्राई क्लीनिंग मशीनों से लैस अपनी तरह की पहली ड्राई क्लीनिंग यूनिट की स्थापना की थी। इसके साथ ही उन्होंने एक लॉन्ड्री यूनिट भी लगाई जो उन दिनों आम नहीं थी। यह एक नया कदम था। पांच लोगों की अपनी टीम के साथ वह हर दिन 12 घंटे से ज्यादा काम करती थीं। बिज़नेस को सफल होने में थोड़ा समय जरूर लगा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वह जुटी रहीं और एक दशक में उन्होंने अपने सभी कर्ज उतार दिए थे।

“अभी तो मैं जवान हूं”
करीब 2 साल पहले दिए गए अपने पहले इंटरव्यू में यामिनी ( Kiran Mazumdar Shaw ‘s Mother ) ने कहा था, “मैं खाली नहीं बैठना चाहती थी। इसलिए मैंने अपना काम शुरू करने का फैसला किया। मैं रोज़ ऑफिस जाती हूं और 4 घंटे काम करती हूं। अभी मेरी उम्र ही क्या है, सिर्फ 88 साल की तो हूं।”
किरण कहती हैं, “मेरे अंदर उद्यमी बनने के जींस मां से आए हैं। आज में जो कुछ भी हूं, उन्हीं की वजह से हूं।” आज उनके इस बिज़नेस से 40 से ज्यादा कर्मचारी जुड़े हैं। कोविड के समय में जब लोगों की नौकरियां जा रही थीं और कंपनियां हाथ बांधकर खड़ी हो गईं। ऐसे समय में भी यामिनी ने अपने कर्मचारियों का साथ नहीं छोड़ा।
लॉकडाउन में काम बंद होने के बावजूद, वह अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देती रहीं। किरण बताती हैं, “वास्तव में उन्होंने अपने सभी कर्मचारियों को एक कोविड भत्ता दिया और यह सुनिश्चित किया कि भले ही वे काम न कर रहे हों, लेकिन उनके वेतन से पैसा न काटा जाए।”
अपने एक वीडियो में किरण ने कहा है कि उनकी मां क्रिकेट की फैन हैं और अपने आसपास होने वाली हर घटना की जानकारी रखती हैं। उन्होंने कहा, “उनसे ही मुझे अक्सर ब्रेकिंग न्यूज़ मिलती है। वे अपने दिमाग को हमेशा यंग और जागरूक बनाए रखती हैं।”
बैंगलोर से है खास लगाव
बैंगलोर से यामिनी ( Kiran Mazumdar Shaw ‘s Mother ) को खास लगाव है। एक इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि बैंगलोर शब्द बोलते ही उनके दिमाग में क्या आता है? तो यामिनी ने तुरंत जवाब दिया, “मैं यहां दुल्हन बनकर आई थी।”
वह जितना अपने काम के प्रति लगाव रखती हैं, उतना ही अपने अधिकारों के प्रति भी जागरूक हैं। न्यूज़ मिनट की वरिष्ठ संपादक गीतिका मंत्री ने एक बार साल 2018 कर्नाटक राज्य विधानमंडल चुनाव में अपना वोट डालने के बाद, कार में बैठी यामिनी की एक दुर्लभ तस्वीर को ट्वीट किया था। उसमें उन्होंने कहा था, “मैं वोट देती हूं क्योंकि यह मेरा अधिकार है। अगर लोग वोट नहीं देना चाहते हैं, तो चुनाव का क्या मतलब है? वे किसी को भी नियुक्त कर सकते हैं! सभी को मतदान करना चाहिए।”
एक सवाल अक्सर यामिनी से पूछा जाता रहा है कि उम्र के इस पड़ाव पर आकर भी उन्हें काम क्यों करना पड़ा? इसके लिए सालों से उनके पास भी बस एक ही जवाब रहा है, “अगर वाजपेयी (जो भारत के उस समय प्रधानमंत्री थे) 75 साल की उम्र में देश पर राज़ कर सकते थे, तो मैं निश्चित रूप से 68 साल की उम्र में काम कर सकती हूं।”
यामिनी ( Kiran Mazumdar Shaw ‘s Mother ) जैसी उन सभी महिलाओं को सलाम, जो उम्र की बेड़ियों को तोड़ते हुए लगातार आगे बढ़ रही हैं और हमें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करती हैं।
मूल लेखः विद्या राजा
संपादनः अर्चना दुबे
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