द बेटर इंडिया की कहानी का असर, वर्मीकम्पोस्ट का काम 200 बेड्स से बढ़कर पहुंचा 1100 तक

dr-organic-vermicompost-1-165116

Ph.d. की पढ़ाई करने के बाद वर्मीकम्पोस्ट का काम शुरू करने वाले जयपुर के डॉ. श्रवण यादव को लोगों ने कहा- डॉक्टर होकर खाद बेचोगे। आज वह हजारों युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं और खुद भी लाखों रुपये कमा रहे हैं। अपनी सफलता का श्रेय वह द बेटर इंडिया को देते हैं।

31 वर्षीय डॉ. श्रवण यादव, जयपुर (राजस्थान) के सुंदरपुरा गांव में ‘डॉ. ऑर्गेनिक वर्मीकम्पोस्ट’ नाम से वर्मीकम्पोस्ट बिजनेस बिज़नेस चलाते हैं। वह जैविक खेती में इतनी रुचि रखते हैं कि बड़ी-बड़ी डिग्री हासिल करने के बाद भी उन्होंने नौकरी करने के बजाय खाद बेचने का काम शुरू किया। 

किसान परिवार से ताल्लुक रखने के कारण, उन्हें हमेशा से खेती में रुचि थी। इसलिए उन्होंने खेती की बारीकियों को जानने के लिए इसी से जुड़े विषयों की पढ़ाई भी की है। साल 2012 में उन्होंने JRF की स्कॉलरशिप के साथ, कर्नाटक से ऑर्गेनिक फार्मिंग विषय में एमएससी की पढ़ाई की और कर्नाटक की ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम भी करने लगे।

यहाँ उन्हें कीटनाशक दवाइयों का प्रमोशन करना पड़ता था। जैविक खेती से लगाव होने कारण, उन्हें इस नौकरी में बिल्कुल मज़ा नहीं आ रहा था और केवल छह महीने में ही उन्होंने MNC की नौकरी छोड़ दी।  

नौकरी छोड़ने के बाद, वह ‘उदयपुर महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी’ से जैविक खेती की पढ़ाई के साथ ही पीएचडी भी करने लगे।  

Vermicompost Business by Dr. Shravan
Vermicompost Business by Dr. Shravan

पिता को हुई हार्ट प्रॉब्लम तो बदल दिया खेती का तरीका

इसी दौरान उनके पिता कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के शिकार हो गए। श्रवण कहते हैं, “मेरे पिता एक किसान हैं, उन्हें कोई बुरी आदत भी नहीं थी। इसके बावजूद, उन्हें कैंसर की बीमारी हुई, जिसके बाद हमें लगा कि ये सब कुछ केमिकल वाला खाना खाने से हुआ है। साल 2016 में मेरे पिता ने भी केमिकल वाली खेती छोड़कर, जैविक खेती से जुड़ने का फैसला किया।”

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए, लॉकडाउन के समय श्रवण ने मात्र 17 बेड के साथ वर्मीकम्पोस्ट का एक छोटा सा यूनिट डाला और नए काम की शुरुआत की। उन्होंने यूट्यूब पर भी अपना चैनल बनाकर जैविक खेती और वर्मीकम्पोस्ट के बारे में जागरूकता फैलाना शुरू किया।  

उस दौरान नौकरी छोड़कर वर्मीकम्पोस्ट बिजनेस करने पर उन्हें कई बार ताना भी सुनने को मिलता था।  

Dr. shravan sharing impact from the better india story

द बेटर इंडिया के लेख से मिली वर्मीकम्पोस्ट बिजनेस को पहचान 

लेकिन जैविक खेती के लिए उनके प्रयासों को सराहते हुए द बेटर इंडिया ने उनके स्टार्टअप का एक लेख प्रकाशित किया था। श्रवण बताते हैं कि वह लेख उनके लिए काफी  मददगार साबित हुआ। उन्हें 50 से ज़्यादा राष्ट्रीय और लोकल मीडिया हाउस की ओर से कवर किया गया। 

साथ ही देश भर से युवाओं ने उनके यूट्यूब चैनल से जुड़ना शुरू किया। कई लोग उनके पास ट्रेनिंग के लिए भी आए। वहीं, देशभर से उन्हें वर्मीकम्पोस्ट का ऑर्डर मिलना शुरू हुआ। आज वह 1100 बेड में वर्मीकम्पोस्ट बनाकर बेच रहे हैं, साथ ही अब तक हजार युवाओं की वर्मीकम्पोस्ट बिजनेस शुरू करने में मदद कर चुके हैं। आप उनसे जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें।  

संपादन- अर्चना दुबे

यह भी पढ़ें: ‘द बेटर इंडिया’ की कहानी का असर, रोड से शुरू हुए बैम्बू बिज़नेस को देशभर से मिले ऑर्डर्स

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X