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गाँव में पानी न होने के चलते छोड़नी पड़ी थी खेती, आज किसानों के लिए बना रहे हैं कम लागत की मशीनें!

राजस्थान में सीकर जिले के गिरधारीपुरा गाँव के निवासी श्रवण कुमार बाज्या को हाल ही में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन- इंडिया द्वारा सम्मानित किया है। उन्हें यह सम्मान उनके द्वारा बनाई गयी एक मशीन 'अनियन हार्वेस्टर' के लिए मिला है।

राजस्थान में सीकर जिले के गिरधारीपुरा गाँव के निवासी श्रवण कुमार बाज्या को हाल ही में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन- इंडिया द्वारा सम्मानित किया है। उन्हें यह सम्मान उनके द्वारा बनाई गयी एक मशीन ‘अनियन हार्वेस्टर’ के लिए मिला है। इस मशीन की मदद से किसान प्याज की फसल हाथ लगाये बगैर ही आसानी से इकट्ठा कर सकते हैं।

43 वर्षीय श्रवण ने खेती से संबंधित कई आविष्कार किये हैं, जिनकी मदद से किसानों की बहुत-सी समस्याएं कम की जा सकती हैं।

एक साधारण से परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्रवण ने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने पढ़ाई छोड़कर खेती करना शुरू किया। लगभग 10 साल तक वे खेती ही करते थे, लेकिन देश के बहुत से और गांवों की तरह उनके गाँव में भी पानी की भारी समस्या है।

श्रवण कुमार बाज्या

श्रवण ने द बेटर इंडिया से बातचीत के दौरान बताया कि उनके गाँव में पानी बिल्कुल ही खत्म हो चुका था, जिसके चलते खेतों की सिंचाई तो बहुत दूर की बात है बल्कि रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी पानी की कमी हो गयी। सरकार और प्रशासन की तरफ से भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

पानी की कमी के कारण खेती में कोई बचत नहीं हो रही थी, इसलिए खेती के साथ कोई और काम करना भी बहुत जरूरी हो गया था। उन्होंने आस-पास के इलाकों में कुएं की खुदाई का काम शुरू किया। लेकिन जब एक बार काम के दौरान उनके एक साथी की मौत हो गयी, तो उन्हें इस काम को भी छोड़ना पड़ा। पर घर चलाने के लिए कमाना तो था ही।

जैसे-तैसे कर श्रवण ने मैकेनिक का काम शुरू किया। एक साल तक मैकेनिक का काम अच्छे से सीखने के बाद उन्होंने उन्होंने अपनी वर्कशॉप शुरू की। कुछ समय वे वर्कशॉप में काम करते और फिर उन्हें खेतों में जाकर फसल की बुवाई, सिंचाई आदि भी देखनी पड़ती थी।

श्रवण बताते हैं, “खेती के काम में बहुत मेहनत और वक़्त चला जाता था। खेतों में से खरपतवार हटाने के लिए जाना पड़ता था। ज्यादातर खेती के काम खुद करने पड़ते हैं और उनमें बहुत वक़्त लग जाता है। ऐसे में मैं अपनी वर्कशॉप पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पा रहा था। तब मैंने सोचा कि क्यों न कोई ऐसी मशीन बनाई जाये जिससे कि किसानों की ये सब परेशानियाँ दूर हो सकें।”

अनियन हार्वेस्टर

श्रवण मैकेनिक के काम में माहिर हो गये थे। साल 2014 से उन्होंने अपने आविष्कार पर काम करना शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने खरपतवार हटाने वाली मशीन का प्रोटोटाइप बनाया और फिर धीरे-धीरे उसे बनाने का काम करने लगे। वे अपनी मशीन के लिए बाइक, ट्रेक्टर आदि के पुराने पार्ट्स या फिर किसी इंजन का प्रयोग करते थे।

श्रवण एक किसान हैं और उन्हें मशीनों का भी अच्छा ज्ञान है, ऐसे में उन्हें पता था कि किसानों को खेती करते समय क्या छोटी-बड़ी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपनी मशीन पर काम किया और इसे सफलतापूर्वक बनाया।

खरपतवार हटाने की मशीन के अलावा उन्होंने और भी कई मशीनें बनाई हैं। जिनमें शामिल हैं अनियन हार्वेस्टर, साल्ट टर्निंग डिवाइस, केबल इंस्टालेशन डिवाइस और नर्सरी प्लांटेशन डिवाइस आदि।

साल्ट टर्निंग मशीन और अन्य कुछ मशीनों के बारे में

हालांकि, अपनी मशीनों को इस्तेमाल में लाने के लिए श्रवण को काफी परेशानियाँ झेलनी पड़ीं। श्रवण कहते हैं कि उन्हें अपनी मशीन का परीक्षण करने के लिए मीलों दूर जाना पड़ता था। उनके अपने गाँव में पानी की कमी के कारण सिर्फ एक ही फसल मुश्किल से हो पाती है और फिर कोई किसान भी अपने खेत में परीक्षण नहीं करने देता क्योंकि उसे फसल के बर्बाद होने का डर रहता है।

इसके लिए श्रवण को बहुत बार किसी दुसरे गाँव में या फिर अपने रिश्तेदारों के यहाँ जाकर मशीन का परीक्षण करना पड़ा। जब श्रवण की कई मशीनें किसानों के लिए कारगर साबित होने लगी तो उनके ही गाँव से एनआईएफ में कार्यरत एक व्यक्ति ने उनके बारे में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन- इंडिया को बताया।

उसकी रिपोर्ट के बाद एनआईएफ से अधिकारियों ने आकर श्रवण की मशीनों का परीक्षण किया। जिसके बाद पिछले साल उन्हें नेशनल ग्रासरूट्स इनोवेशन अवॉर्ड से नवाज़ा गया। इस पुरस्कार राशि ने श्रवण की आर्थिक तौर पर काफी मदद की।

श्रवण कुमार को अपने इनोवेशन के लिए कई पुरुस्कार मिले हैं

इस सम्मान के बाद श्रवण का हौंसला काफी बढ़ गया और अन्य राज्यों के किसान भी उनके यंत्रों के बारे में जानने लगे हैं। श्रवण बताते हैं कि उन्हें अलग-अलग राज्यों के किसान अपने यहाँ बुलाकर अपनी फसल और समस्याओं के हिसाब से उनसे मशीन बनवाना चाहते हैं।

हाल ही में उन्होंने उदयपुर के किसानों के लिए जीरे की बुवाई के लिए एक मशीन बनाकर दी है। इसे अभी परीक्षण के लिए भेजा गया है। पर श्रवण को पूरा विश्वास है कि उनकी यह मशीन भी सफल रहेगी। इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र के कई जिलों के दौरे किये हैं।

फ़िलहाल, श्रवण अपनी एक नयी मशीन पर काम कर रहे हैं। वे ऐसी मशीन बनाना चाहते हैं जिसकी मदद से आराम से कहीं भी झाड़ू आदि लगाकर साफ़-सफाई की जा सके। उनका उद्देश्य स्वच्छता अभियान में योगदान देना है। वे चाहते हैं कि सभी आस-पास के गांवों में ऐसी मशीन बनाकर दें।

स्वच्छता के साथ-साथ वे पर्यावरण के प्रति भी सचेत हैं। इसलिए उन्होंने इस मशीन में सोलर उर्जा से चलने वाले इंजन का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। श्रवण कहते हैं कि वे इस मशीन के प्रोटोटाइप पर काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही यह मशीन बन जाएगी।

मशीनों के मूल्यों के बारे में पूछने पर श्रवण कहते हैं कि बाकी बड़ी कंपनियों की मशीनों के मुकाबले में उनकी मशीनों की कीमत आधी है। खरपतवार हटाने के लिए यदि मेनस्ट्रीम मार्किट से मशीन ली जाये तो उसका मूल्य लगभग डेढ़ लाख रूपये से ज्यादा हो। जबकि, श्रवण ने अपनी मशीन 50,000 रूपये की कीमत से बेचीं हैं।

इसके अलावा कुछ समय पहले ही अपने एक दोस्त के साथ मिलकर उन्होंने ‘बाज्या किसान एग्रीकल्चर एक्युपमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर करवाई है।

देखिये कैसे काम करती है श्रवण कुमार की ‘अनियन हार्वेस्टर’ मशीन,

श्रवण कहते हैं कि भारत के अलग-अलग राज्यों में खेती करने का तरीका बहुत अलग है। इसलिए वे किसी भी एक राज्य या प्रान्त के लिए कोई मशीन बनाने से पहले वहां की जमीन, खेती करने के तरीके और सिंचाई का तरीका आदि का ब्यौरा करते हैं। उसके बाद ही वे उस मशीन पर काम करते हैं।

श्रवण का उद्देश्य आम किसानों की परेशानियों को समझकर उनके काम को कम समय में आसानी से करने के लिए कम लागत पर मशीनें बनाना है। श्रवण का सफ़र अभी शुरू ही हुआ है। उन्हें बहुत लम्बा रास्ता तय करना है। हमें उम्मीद है कि उनसे प्रेरित होकर आज के युवा भी कृषि सम्बन्धित परेशानियों को हल करने की दिशा में काम करेंगे।

श्रवण कुमार बाज्या से सम्पर्क करने के लिए आप उनके मोबाइल नंबर 9929515031 पर सम्पर्क कर सकते हैं।


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