मौली जॉय को बचपन से ही दुनिया घूमने का शौक था। लेकिन तिरुवंकुलम, एर्नाकुलम के एक कम आय वाले परिवार में जन्मीं, मौली कभी स्कूल ट्रिप के लिए भी नहीं जा सकी थीं। यहां तक कि दसवीं कक्षा के बाद, उन्हें अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी थी और फिर कुछ समय बाद, चित्रपुझा के रहनेवाले जॉय से उनकी शादी हो गई।
1996 में, दोनों ने अपना जीवन और घर चलाने के लिए एक किराने की दुकान खोली। मौली की तरह ही जॉय को भी घूमने-फिरने का काफी शौक़ था। इसलिए वे समय-समय पर, दक्षिण भारत में ही छोटी-छोटी यात्राएं कर लिया करते थे।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए मौली बताती हैं कि वह अक्सर उनकी दुकान पर बिकने वाली ट्रैवलॉग मैगजीन को पढ़ा करती थीं। वह कहती हैं, “इसने मेरी यात्रा करने की भावना को बनाए रखा और दूर के कई स्थानों के बारे में अच्छी जानकारियां प्रदान कीं।”
साल 2004 में अचानक ही जॉय की मौत हो गई और इसके बाद, मौली के लिए समय जैसे ठहर सा गया। उस समय उनका एक बच्चा 20 और दूसरे की उम्र 18 साल थी। दोनों बच्चे अभी पढ़ ही रहे थे। मौली अकेले ही दुकान की देखभाल करती थीं, ताकि परिवार का गुज़ारा हो सके। लेकिन एक बार जब उनके बेटे को विदेश में नौकरी मिल गई और बेटी की शादी हो गई, तो उन्हें अपने लिए और समय मिल गया।
10 सालों में मौली जॉय ने बचाए 10 लाख रुपये

यूरोप की अपनी पहली यात्रा से पहले, मौली और उनकी करीबी दोस्त मैरी ने पलानी, मदुरै, ऊटी, कोडाइकनाल, मैसूर और कोवलम सहित दक्षिण भारत में कई स्थानों की यात्रा की थी। मौली बताती हैं कि उनकी सहेली मैरी ने ही सबसे पहले उन्हें विदेश यात्रा के लिए आमंत्रित किया था।
मैरी ने उनसे यूरोप घूमने की बात की थी। मौली बताती हैं, “मैं खर्च को लेकर थोड़ी चिंतित थी, लेकिन यात्रा करने की इच्छा इससे ऊपर थी। मेरे बेटे और बेटी ने पूरा सहयोग दिया और मुझे यात्रा के लिए अपनी बचत राशि का उपयोग करने के लिए कहा। इसके बाद, मैंने 15 दिनों के भीतर इटली, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड और जर्मनी की यात्रा करने के लिए पासपोर्ट तैयार करा लिया।”
अलग-अलग राज्यों के बुजुर्ग दंपत्तियों के बीच मौली अकेली महिला बनकर खड़ी रहीं। वह बताती हैं कि उन्होंने यात्रा का पूरा आनंद लिया और नए दोस्त बनाए। उन्होंने कहा, “दोस्त बनाना किसी भी यात्रा का सबसे अच्छा हिस्सा है। अंग्रेजी में मेरे थोड़े से ज्ञान ने भी यात्रा के दौरान मदद की।” मौली ने पिछले दस सालों में 10 लाख रुपये बचाए हैं और 11 देशों की यात्रा की है।
मौली जॉय दो बार कर चुकी हैं युरोप टूर

मौली ने सबसे पहली यात्रा 2012 में की थी। इस ट्रिप में 1.5 लाख रुपये खर्च हुए। इसके बाद उन्होंने और पैसे जमा करने के लिए थोड़ा समय लिया। वह बताती हैं, “मैंने अतिरिक्त पैसे बनाने के लिए वीकेंड और छुट्टियों पर भी दुकान खोली। इसके अलावा, मैं चिट फंड में हिस्सा लेती हूं और कभी-कभी पैसे के लिए सोना गिरवी रखती हूं, जो यात्रा के बाद सेटल हो जाते हैं।”
2017 में उन्होंने मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा की। उसके अगले वर्ष, उन्होंने उत्तर भारत का दौरा किया। वह आगे कहती हैं, “भारत में ऐसे कई राज्य हैं, जिन्हें मुझे अभी कवर करना है, जैसे पंजाब और हिमाचल प्रदेश। मैं विदेश की यात्राओं के बीच में इन छोटी दूरियों को कवर करने की योजना बना रही हूं।”
साल 2019 में मौली दूसरी बार यूरोप गईं और यह उनकी सबसे पसंदीदा यात्रा रही। हालांकि, इस बार उन्होंने लंदन, नीदरलैंड, बेल्जियम और फ्रांस का दौरा भी किया। वह कहती हैं कि यूरोप की यात्रा से वह कभी बोर नहीं हो सकती और वह एक बार फिर वहां जाना चाहती हैं।
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“भले ही कम पैसे हैं, लेकिन अपनी खुशी के लिए करती हूं खर्च”

महामारी के कारण देश में लगे लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय यात्रा में प्रतिबंधों के कारण मौली जॉय को यात्राओं से एक और ब्रेक लेना पड़ा। पिछले साल उनका इंतजार खत्म हुआ और नवंबर में वह अमेरिका गईं। उन्होंने 15 दिनों के भीतर न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनिया और न्यू जर्सी का दौरा किया।
मौली कहती हैं, “मुझे लॉस वेगास में मंत्रमुग्ध कर देने वाले नियाग्रा फॉल और यूनिवर्सल स्टूडियो बहुत पसंद आए। लेकिन इसमें खर्च मेरी अपेक्षा से ज्यादा हुआ, इसलिए मुझे कुछ समय के लिए अपनी यात्रा रोकनी पड़ी है।”
वह याद करते हुए कहती हैं, “जब मैं स्कूल में थी, पैसे की कमी के कारण मेरे माता-पिता मुझे फील्ड ट्रिप पर नहीं भेज पाते थे। भले ही मेरे पास अभी भी एक बड़ी आय नहीं है। लेकिन मैंने जो कुछ भी कमाया है उसे मैंने उस चीज़ के लिए खर्च किया है, जिससे मुझे सबसे ज्यादा खुशी मिलती है।”
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“जीवन के अंत तक यात्रा करती रहूंगी”

अपनी सभी यात्राओं में, मौली जॉय सबसे सक्रिय प्रतिभागियों में से एक हैं। जहां ज्यादातर बुजुर्ग एडवेंचरस एक्टिविटीज़ से दूर रहते हैं, वहीं मौली बढ़-चढ़कर सभी में शामिल होती हैं। वह कहती हैं, “यात्रा मुझे स्वतंत्रता, साहस और आत्मनिर्भरता का एक अद्भुत एहसास देती है।
उनका कहना है कि हर यात्रा के बाद, मैं थकान महसूस करने के बजाय, पुनर्जन्म जैसा महसूस करती हूं। मैं बेसब्री से अगली यात्रा का इंतजार करती हूं। मेरे पास मेरे पसंदीदा सह-यात्रियों की तस्वीरों से भरा एक एल्बम है और हम एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से संपर्क में रहते हैं।
अपनी अगली यात्रा के बारे में पूछे जाने पर, मौली कहती हैं कि वह इस साल कुछ अनदेखे भारतीय राज्यों की यात्रा करने की सोच रही हैं। दरअसल, उन्होंने भारत के भीतर ही यात्रा करने की योजना कुछ वित्तीय बाधाओं के कारण भी बनाई है। लेकिन वह कहती हैं, “कोई भी कारण मुझे यात्रा करने से कभी नहीं रोक सकता। मैं अपनी मृत्यु तक यात्रा करती रहूंगी।”
मूल लेखः अनाघा आर मनोज
संपादनः अर्चना दुबे
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