कोलकाता में रहने वाले मनीष अग्रवाल ने लॉकडाउन के दौरान गार्डनिंग शुरू करने की योजना बनाई। शुरूआत में उन्होंने कई प्रयोग किए। मूल रूप से बिहार के रहने वाले मनीष को खेती और प्रकृति से काफी लगाव है। वह भविष्य में किसानी करना चाहते हैं। यही वजह है कि गार्डनिंग की शुरूआत उन्होंने सब्जी उगाने से की है। इन दिनों वह अपनी बालकनी में आलू उगा रहे हैं।
मनीष ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं लगातार खेती-किसानी से संबंधित रिपोर्ट को पढ़ता रहता हूँ। सोशल मीडिया पर कई किसान समूहों से जुड़ा भी हुआ हूँ क्योंकि मेरी भी इच्छा खेती शुरू करने की है। इसलिए जब लॉकडाउन में समय मिला तो सोचा कि खेती न सही पर घर में गार्डनिंग तो की ही जा सकती है और बस मैंने थोड़े-बहुत पेड़-पौधों जैसे एलोवेरा और कुछ पत्तेदार सब्ज़ियों से शुरुआत कर दी।”
मनीष गार्डनिंग में हर दिन कुछ नया प्रयोग करने लगे क्योंकि यह अनुभव नया था और उन्हें काफी मजा आ रहा था। यह सब करते हुए उन्होंने गार्डन में आलू उगाने की सोची। हमारे यहाँ आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है क्योंकि आप कोई भी सब्ज़ी इसके साथ मिलाकर बना सकते हैं। सब्ज़ी नहीं तो इसके पराठे बनाना बहुत ही आसान है। आलू की टिक्की, रायता, चाट, समोसे, हलवा न जाने कितनी ही डिश हैं जिनका नाम सुनते ही मुँह में पानी आ जाता है और मनीष ने वही आलू अपने घर की बालकनी में उगाए हैं, वह भी बिल्कुल जैविक तरीकों से।
मनीष बताते हैं कि उन्हें आलू उगाने के बारे में कोई बहुत ज्यादा ज्ञान नहीं था, उन्होंने बस एक बार ट्राई किया और उन्हें दूसरी बार में अच्छी सफलता मिली। आज मनीष हमें बता रहे हैं कि घर की बालकनी में ग्रो बैग या गमले में आलू कैसे उगाया जा सकता है।
क्या-क्या चाहिए:
- ग्रो बैग या फिर गमला (आप बाल्टी या ड्रम आदि को भी प्लांटर्स की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं)
- मिट्टी, रेत और खाद
- आलू, जिनमें बड निकली हुई हो
कैसे करें तैयारी:
मनीष ने पहले आलू को काटकर, दो हिस्सों में करके ग्रो बैग्स में लगाया था क्योंकि उन्होंने इंटरनेट पर ऐसा देखा था। लेकिन ये सभी खराब हो गए और इसके बाद, वह आलू उगाने के बारे में पढ़ने लगे। “मैंने 18 ग्रो बैग मंगवाए थे, जिनमें से 3 में काटकर आलू लगाए लेकिन वह खराब हो गए तो मैंने बाकी 15 ग्रो बैग्स में आलू को बिना काटे, साबुत लगाया,” उन्होंने आगे कहा।
आलू में बड निकल आएँ, इसके लिए भी मनीष ने एक अनोखी तरकीब लगाई। उन्होंने लगभग 80 आलू एक बाल्टी में भर कर फ्रिज के पास रख दिए और वह भी वहाँ जहाँ से फ्रिज से गर्म हवा आती है। इस गर्म हवा के चलते आलू में दो-चार दिन में ही बड निकल आईं। हालांकि, आलू को किसी एयरटाइट डिब्बे में रखने से भी जल्दी बड आ जाती हैं।
कैसे लगाएं:
- सबसे पहले मिट्टी तैयार करें, जिसमें आप सामान्य बगीचे की मिट्टी, रेत और कोई भी खाद-गोबर या वर्मी कंपोस्ट मिला लें और इसे ग्रो बैग या गमले में भर लें।

- अब अगर आपका ग्रो बैग चौड़ा है तो आप थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बड निकले साबुत आलू को मिट्टी में लगा दें। ध्यान रहे कि आलू में जो सबसे बड़ी बड है वह लगाते समय ऊपर की तरफ रहे।
मनीष कहते हैं कि उन्होंने 15 ग्रो बैग में 75 आलू लगाए यानी कि एक ग्रो बैग में 5 आलू उन्होंने लगाए और लगाते समय आलू की बड को उपर रखा और फिर इस पर ऊपर से मिट्टी डाल दी।
- अगर आप मिट्टी में नमी बनाए रखना चाहते हैं तो हल्का सा कोकोपीट भी ऊपर से डाल सकते हैं।
- अब इसमें पानी दें और साथ ही ध्यान रहे कि आप जो भी कंटेनर इस्तेमाल कर रहे हैं उसका ड्रेनेज सिस्टम अच्छा हो ताकि पानी मिट्टी में ठहरे नहीं क्योंकि इस आलू के सड़ने का खतरा रहता है। आलू एक कंद सब्ज़ी है और ऐसे सब्ज़ियों में पानी के ड्रेनेज का ख़ास ख्याल रखना होता है। अगर पानी मिट्टी में रुक जाए तो सब्ज़ी सड़ जाती है।

नियमित तौर पर आलू में ज़रूरत के हिसाब से पानी दें और 2-3 हफ्ते बाद अगर आप चाहें तो कोई पौष्टिक जैविक उर्वरक आदि भी दे सकते हैं। हालांकि, मनीष ने की अलग से उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि उन्हें इस बारे में ज्यादा नहीं पता था। उन्होंने बस नियमित तौर पर पानी दिया और बीच-बीच में खाद दी।
लगभग 3 महीने बाद, जब ऊपर से पौधे के पत्ते पीले पड़ जाए और यह सूखने लगे तो समझ लें कि आलू हार्वेस्टिंग के लिए तैयार है। आलू की फसल को दिन में लगभग 6 से 8 घंटे धूप मिलनी चाहिए। इसलिए ध्यान रहे कि आप जहाँ भी यह उगा रहे हैं, वहाँ अच्छी धूप आती हो।
मनीष ने 75 आलू से लगभग 14 किलो आलू की उपज ली है। उन्हें अभी तक भी यकीन नहीं हो रहा कि उनका पहला एक्सपेरिमेंट सफल रहा। अपनी सफलता से प्रेरित होकर अब उन्होंने फिर से और आलू बोए हैं। धीरे-धीरे वह अपने गार्डन में और भी सब्जी उगाने की कोशिश कर रहे हैं।
उनका कहना है कि जब तक कोशिश नहीं करेंगे तो सफल कैसे होंगे, इसलिए बस कोशिश पर ध्यान दीजिए।
हैप्पी गार्डनिंग!!!
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