Udan Crematorium: देश का पहला ऐसा ‘श्मशान’, जहां जाने से डरते नहीं लोग

udan crematorium

गुजरात के अमलसाड में सालों पुराने श्मशान को साल 2020 में एक नया रूप दिया गया। यहां की दो एकड़ जगह पर पहले मात्र श्मशान होने से इसका ज्यादा उपयोग नहीं हो पाता था, लेकिन अब यहां एक बेहतरीन गार्डन भी है जहां शहर के लोग समय बिताने आते हैं।

हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों को बहुत अहम माना जाता है। एक बच्चा जब अपनी माँ के गर्भ में होता है, तब से ये संस्कार शुरू होते हैं और जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव से होते हुए, अंतिम संस्कार यानी अंत्येष्टि पर खत्म होते हैं। लेकिन अंतिम संस्कार के प्रति हर व्यक्ति के मन में एक अलग तरह का डर होता है। यही वजह है कि हम सभी श्मशान में जाते समय डरते हैं। महिलाओं और बच्चों को तो वहां जाने की अनुमति भी नहीं होती। 

लेकिन साल 2020 में गुजरात के छोटे से शहर अमलसाड में बने ‘उड़ान श्मशान (Udan Crematorium)’ ने लोगों की श्मशान से जुड़ी निराशाजनक सोच को बदल दिया है। तकरीबन तीन साल पहले, शहर के अंधेश्वर महादेव ट्रस्ट ने इस सालों पुराने श्मशान की जगह को नया रूप देने का फैसला किया था। तब उन्होंने d6thD design studio के हिमांशु पटेल से सम्पर्क किया। 

हिमांशु पिछले पांच सालों से ईको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल बिल्डिंग्स से जुड़े प्रोजेक्ट्स कर रहे हैं। अंधेश्वर महादेव ट्रस्ट के सभी कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट से जुड़े प्रितेश सोनी कहते हैं, “हमारी ट्रस्ट की जगह पर बना यह श्मशान बेहद ही खस्ता हाल में था। ट्रस्ट के सभी लोग चाहते थे कि इसपर कुछ काम होना चाहिए। हमने डोनेशन के माध्यम से कुछ फण्ड जमा किए थे। हम चाहते थे कि कम बजट में एक अच्छा प्रोजेक्ट तैयार हो। हमें हिमांशु के बारे में पता था कि वह इस तरह के सस्टेनेबल प्रोजेक्ट बनाने में माहिर हैं। इसलिए हमने उनसे संपर्क किया।”

Architect Himanshu Patel
Architect Himanshu Patel

हिमांशु ने ट्रस्ट के प्रमुख निमेष वशी की सोच को समझते हुए,  उन्हें कुछ तीन डिज़ाइन दिए थे। द बेटर इंडिया से बात करते हुए हिमांशु कहते हैं, “निमेष चाहते थे कि इस पूरी जगह का सही इस्तेमाल किया जाए। अगर यहां सिर्फ श्मशान होता, तो आम जनता यहां कभी नहीं आती। तभी मैंने और निमेष ने मिलकर, उस जगह पर एक तरह का गार्डन बनाने का फैसला किया।”

चूंकि वह कम से कम बजट में इसे बनाना चाहते थे, इसलिए इसमें वहां के स्थानीय चिकली के काले पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। वहीं छत बनाने के लिए पत्थरों के साथ मिट्टी का उपयोग किया गया है, ताकि यह प्रोजक्ट पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली बनाया जा सके। 

sustainable construction

वास्तुकला का बेहतरीन नमूना 

उड़ान को कुल दो एकड़ ज़मीन पर बनाया गया है। उत्तर एवं पश्चिम दिशा की ओर इसके एंट्री गेट बनाए गए हैं। पश्चिम की ओर पांच मीटर की ढलान है, जो नीचे की ओर जाती है और इससे यह पूरी जगह दो हिस्सों में बट जाती है। ऊपरी स्तर में सार्वजनिक बाग बगीचे हैं, तथा निचले स्तर पर मुक्ति धाम बनाया हुआ है। दोनों ही स्तर एक दूसरे से ढलान युक्त मार्ग यानी रैंप से जुड़े हुए हैं। इस रैंप का नाम मुक्ति-मार्ग रखा गया है। 

udan crematorium ramp

उत्तर दिशा की ओर से प्रवेश करते समय श्मशान का कोई भी हिस्सा दिखाई नहीं देता। हालांकि, जब आप अंदर की ओर आते हैं, तब आपको दो चिमनियां, विशाल त्रिशूल और शिव की बड़ी मूर्ति दिखाई देती है। 

ऊपर गार्डन में हिमांशु ने लैंडस्केपिंग करके एक खूबसूरत बगीचा तैयार किया है। यहां वॉकिंग कॉरिडोर और बच्चों के लिए खेलने की जगह बनाई गई है। 

हिमांशु को यह काम फरवरी 2019 में मिला था, जिसे उन्होंने मार्च 2020 से पहले खत्म कर दिया था। इस गार्डन में भगवान की कई मूर्तियों और कुछ सुविचारों के साथ एक धार्मिक माहौल तैयार किया गया है। 15 फ़ीट नीचे के भाग में एक प्रार्थना सभा, लकड़ियों के लिए स्टोर रूम आदि बने हुए हैं। नीचे के भाग में वेंटिलेशन की अच्छी सुविधा देने के लिए रैंप की दीवारों पर खिड़कियां बनाई गई हैं। 

ख़ास बात यह है कि दो तरफ गेट बनाने के कारण, ऊपर गार्डन में आए लोगों की वजह से अंतिम संस्कार करने में किसी तरह का कोई खलल नहीं पड़ती। साथ ही, रैंप के पास भी एक वेटिंग एरिया बनाया हुआ है, जहां अंतिम संस्कार करने आए लोग बैठ सकते हैं और अपने प्रियजनों को शांत मन से विदा कर सकते हैं। 

udan Crematorium
Udan Crematorium

हिमांशु कहते हैं, “यह प्रोजक्ट मिलने के कुछ समय पहले ही, मेरे दादाजी का निधन हुआ था। तब श्मशान जाते समय मुझे लगा था कि हम अपने प्रियजनों को ऐसे निराशाजनक माहौल में क्यों छोड़कर आते हैं? इसलिए इस प्रोजेक्ट से मेरा खुद का निजी लगाव भी था। मैं चाहता था कि लोगों की श्मशान के प्रति निराशाजनक सोच में थोड़ा बदलाव आए।”

शहर को मिला पहला गार्डन 

यह प्रोजेक्ट कोरोना की शुरुआत के पहले ही बनकर तैयार हो गया था और कोरोनाकाल के दौरान, इसका बेहद उपयोग किया गया। हाल ही में यहां बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी वॉकिंग, एक्सरसाइज या योग करने आते हैं। अमलसाड की रहनेवाली पुष्पा पटेल कहती हैं, “इसे बहुत ही सुन्दर ढंग से बनाया गया है। हमने ऐसी किसी जगह के बारे में कभी कल्पना भी नहीं की थी। दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। हमारे घर में आए हर मेहमान को हम उड़ान गार्डन दिखाने जरूर ले जाते हैं।” 

public park at crematorium

हिमांशु ने बताया, “जब हम गार्डन के लिए शिव की बड़ी मूर्ति लाए थे। तब पूरा शहर देखने के लिए इकट्ठा हो गया था। तभी हमें अंदाजा हो गया था कि लोग इसे जरूर पसंद करेंगे। हमने इस गार्डन को धार्मिक सोच के साथ बनाया है, इसलिए लोग यहां गंदगी भी नहीं फैलाते हैं।”

प्रितेश कहते हैं, “दो एकड़ की यह विशाल जगह, आज आम जनता ख़ुशी-ख़ुशी इस्तेमाल कर रही है। वहीं इसकी बेहतरीन डिज़ाइन के कारण आपको पता भी नहीं चलता कि नीचे श्मशान है। इसलिए डर का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।”

उड़ान के ये दो भाग हमारे जीवन के दो पहलुओं को भी दर्शाते हैं, ऊपर का भाग हमारे सामाजिक जीवन से जुड़ा है, जबकि नीचे का हिस्सा हमारी आंतरिक सच्चाई का प्रतीक है। 

संपादन-अर्चना दुबे

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