Placeholder canvas

कभी एक हॉल में चलाये जा रहे इस स्कूल को गुजरात के इस आईपीएस अफ़सर ने तिमंजिली ईमारत में बदल दिया!

वडोदरा के विश्वामित्री के कवि दयाराम प्राइमरी स्कूल में पढ़ रहे सैंकड़ों गरीब बच्चों को अब प्राइवेट स्कूल के जैसे ही सुविधाएँ मिल रही हैं। यह स्कूल वड़ोदरा नगर निगम द्वारा चलाया जाता है। यह संभव हुआ आईपीएस जी. एस मालिक के प्रयासों से।

गुजरात के वडोदरा में विश्वामित्री के कवि दयाराम प्राइमरी स्कूल में पढ़ रहे सैंकड़ों गरीब बच्चों को अब प्राइवेट स्कूल के जैसे ही सुविधाएँ मिल रही हैं। यह स्कूल वडोदरा नगर निगम द्वारा चलाया जाता है।

आज से 8 साल पहले, साल 2010 में स्कूल के नाम पर केवल एक हॉल था। जिसमे क्लास 1 से क्लास 7 तक के लगभग 326 बच्चों को दो शिफ्ट में पढ़ाया जाता था। उस समय, ‘कन्या केलावानी और शाला प्रवेशोत्सव’ अभियान में भाग लेने के लिए वडोदरा शहर के तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त जी. एस मलिक को आमंत्रित किया गया था।

आईपीएस मलिक ने जब स्कूल की हालत देखी तो उन्होंने छात्रों के लिए कुछ करने का निर्णय किया।

उन्होंने बताया, “जब मैंने स्कूल का दौरा किया तो यह 50 वर्षीय ईमारत में किराये पर चल रहा था। यह केवल एक  650 वर्ग फुट क्षेत्र का हॉल था, जिसमें कक्षा 4, कक्षा 5, कक्षा 6 और कक्षा 7 के बच्चे चार अलग-अलग कोनों में बैठते थे। क्लास तो दूर यह शौचालय भी अच्छी स्थिति में नहीं थे।”

स्कूल की हालत देखने के बाद उन्होंने तत्कालीन मुख्य सचिव हसमुख आधिया को पत्र लिखा और मदद के लिए अपील की। स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल स्वर्गीय अब्दुल काडियावाला ने भी बहुत लोगों से स्कूल के बारे में मदद मांगी। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

आईपीएस मलिक के मुख्य सचिव से बात करने के बाद इस मामले में सचिव आर.पी गुप्ता ने भी मदद की।

मलिक ने कहा कि उन्हें बहुत संतुष्टि है कि अब बच्चों के पढ़ने के लिए अच्छी ईमारत है। स्वर्गीय काडियावाला की पत्नी साईंदा स्कूल में अभी भी कक्षा 1 को पढ़ाती हैं।

स्कूल के प्रिंसिपल संदीप पटेल ने बताया, “साल 2014 में बनी इस बिल्डिंग में 13 कक्षाएं हैं और लड़कों व लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं।”

हम आईपीएस मलिक द्वारा उठाये गए कदम की सराहना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि शिक्षा की दिशा में समय-समय पर इस तरह की पहल होती रहे।

कवर फोटो


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे।

 

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X