200 प्रकार के लिली, अडेनियम और भी बहुत कुछ! एक छत, जो देती है गर्मी में भी ठंडी का एहसास

How To Grow Water Lily At Home

गुजरात, वडोदरा के राजा चड्ढा ने गर्मियों में अपने घर को ठंडा रखने के लिए, अपनी छत पर वाटर लिली, ऐवलैंच लिली, पर्पल जॉय और अडेनियम जैसे 300 से ज़्यादा पौधे उगाये हैं।

गर्मियों के मौसम में बागवानी करना, काफी मेहनत भरा काम होता है। खासकर, टेरेस गार्डनिंग करने वाले लोगों को इस मौसम में अपने पेड़-पौधों का ज्यादा ख्याल रखना पड़ता है। धूप के कारण पौधों के मुरझाने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए, अक्सर गार्डनर अपने पौधों को सीधी धूप से बचाने के लिए, किसी छाया वाली जगह पर रख देते हैं। लेकिन वडोदरा, गुजरात के रहने वाले 51 वर्षीय राजा चड्ढा के टेरेस गार्डन के लिए, यह मौसम काफी अनुकूल है। क्योंकि, इस मौसम में उनके बगीचे में लगे एक्वाटिक प्लांट्स (जलीय पौधे) अच्छे से पनपते हैं। आइये राजा से जानते हैं कि उन्होंने अपने घर पर कैसे उगाईं (How To Grow Water Lily At Home) वॉटर लिली।

UK की एक कंपनी में इंस्पेक्शन इंजिनियर के रूप में कार्यरत राजा कहते हैं, “हमारे शहर में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है। इसलिए, मैं अपने आसपास के तापमान को कम करने के लिए, एक प्राकृतिक समाधान की तलाश में था। और मेरी तलाश एक्वाटिक प्लांट्स पर आकर पूरी हुई, जो मेरी छत को गर्म होने से बचाती हैं। इस बीच, मेरे माता-पिता भोपाल से हमारे साथ रहने के लिए वडोदरा आये। मैंने सोचा कि यहां अपनों और पेड़-पौधों के बीच रहकर, उनका भी मन लगा रहेगा।”

2017 में, उन्होंने अपनी 1500 वर्ग फुट की छत पर वॉटर लिली उगाने के लिए 10 गमलों से शुरुआत की। आज उनके 300 गमलों में, 200 किस्मों के एक्वाटिक प्लांट्स लगे हुए हैं। जिनमें वॉटर लिली, ऐवलैंच लिली, पर्पल जॉय, पैनमा पसिफ़िक लिली के साथ ही, कुछ सजावटी पौधे जैसे- वॉटर बैम्बू और जलकुंभी आदि शामिल हैं। वह अन्य 100 गमलों में, विभिन्न प्रकार के अडेनियम उगाते हैं।

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A full view of Raja’s rooftop garden

विदेश से मंगवाते हैं लिली

राजा अक्सर काम के सिलसिले में सिंगापुर, थाईलैंड और मलेशिया जैसे देशों की यात्रा करते रहते हैं। अपनी यात्राओं के दौरान, जब भी विदेश जाते हैं तो काम पूरा होने के बाद, अपना एक दिन वहां घूमने-फिरने में बिताते हैं। साथ ही, अपने परिवार के लिए, उस देश या जगह से जुड़े स्मृति चिन्ह जरूर लेकर आते हैं।

राजा कहते हैं, “मलेशिया की एक ट्रिप के दौरान, मैंने एक बोटैनिकल गार्डन देखा, जहां हजारों वॉटर लिली लगी हुई थीं। वहां लगी हरेक लिली बहुत सुन्दर और विशेष थी। यह पहली बार था, जब मैंने लिली की इतनी किस्में देखी थीं। जिन्हें देखकर मैं काफी हैरान और खुश भी था।”

इसलिए 2017 में, जब उन्होंने खुद एक्वाटिक प्लांट्स उगाने का फैसला किया, तो लिली ही उनकी पहली पसंद रही। उस वर्ष थाईलैंड की अपनी पहली यात्रा के दौरान कोई चीज़ लाने की बजाय, वह वॉटर लिली के 10 से ज़्यादा ट्यूबर (कंद) ले आये। पौधे लेते वक़्त, राजा ने स्थानीय रूप से उपलब्ध वॉटर प्लांट जैसे- कमल आदि को नहीं चुना, क्योंकि कमल के फूल तीन या चार महीने में एक बार ही खिलते हैं। जबकि, लिली हर दिन खिलती हैं।

कंद लगाने से पहले, राजा ने एक्वाटिक प्लांट्स की देखभाल पर कई ब्लॉग पढ़े और यूट्यूब पर कई वीडियो भी देखे। उन्होंने पौधे के लिए एक 24 इंच चौड़ा टब खरीदा, जिसे अक्सर मवेशियों को चारा देने के लिए उपयोग किया जाता है।

राजा बताते हैं, “मैंने वॉटर लिली लगाने के लिए जो जानकारियां इकट्ठा की थी, उसके आधार पर कंटेनर के अन्दर पहले वर्मीकम्पोस्ट की एक परत डाली। फिर चिकनी मिट्टी और छानी हुई महीन रेत को ऊपर से डाल दिया। अंत में मैंने उसमें कंद लगाकर, पानी भर दिया।” वॉटर लिली लगाने की शुरुआती कोशिशों में, उन्हें सफलता नहीं मिली। क्योंकि, राजा को उन पौधों की देखभाल का सही तरीका नहीं पता था, जिसकी वजह से उनके 40 कंद खराब हो गए।

हालांकि, 2017 के अंत तक लगातार प्रयास करते हुए, उन्होंने वॉटर लिली लगाने की प्रक्रिया को समझ ही लिया।

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A variety of lilies grown by Raja

वॉटर लिली की देखभाल

राजा कहते हैं कि उन्होंने वॉटर लिली लगाने की दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को समझा है। जिनका पालन लिली की देखभाल करते वक़्त किया जाना चाहिए।

किसी भी अन्य फूल के पौधे की तरह, लिली भी ज्यादा तापमान को सहन नहीं कर सकती है। वडोदरा में होने के कारण, पूरे साल सुहाने मौसम की उम्मीद करना तो सही नहीं था। इसलिए, गर्मियों के महीनों के दौरान तेज धूप से बचने के लिए, उन्होंने अपनी छत पर हरे रंग का शेडनेट लगाया।

वह कहते हैं, “लिली कंद या राइजोम (गांठ) लगाते समय, मैं कंटेनर में वर्मीकम्पोस्ट, पौधों को धीरे-धीरे पोषक तत्व देने वाले उर्वरक (Slow-release Fertilizer), चिकनी मिट्टी और महीन रेत की एक परत लगाता हूँ। मैंने यह सीखा है कि ये परतें पौधों को मजबूती से खड़े रखने, उनको बढ़ने और समय पर पोषण प्रदान करने में मदद करती हैं। जिससे हमें अलग से इनके रखरखाव या पोषक तत्व डालने की जरूरत नहीं पड़ती। मुझे जब भी पौधों में पानी की कमी महसूस होती है, मैं जरूरत के हिसाब से इनमें पानी भर देता हूँ।”

लिली की कुछ किस्मों को बड़े कंटेनरों में लगाया जाता है। क्योंकि, इनकी जड़ें काफी बड़ी और फैली रहती हैं। वहीं कुछ ऐसी किस्में भी हैं, जिनकी जड़ें सीधी और गहरी होती हैं। जिन्हें किसी रीसायकल्ड बाल्टी या किसी ड्रम में लगाया जा सकता है। राजा सुनिश्चित करते हैं कि पानी में मच्छरों का प्रजनन न हो, इसलिए वह हरेक गमले में गपी मछली(guppy fish) पालते हैं।

वह बताते हैं, “मछलियां लार्वा खाती हैं और रंग-बिरंगी होने के कारण बहुत सुन्दर दिखती हैं। मेरे बच्चे इन खूबसूरत मछलियों को लिली के कंटेनरों में तैरते हुए देखना बहुत पसंद करते हैं।”

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Raja tending to his plants

वह कहते हैं कि पौधे और पानी ज्यादातर गर्मी को सोख लेते हैं, जिससे घर में ठंडक बनी रहती है। लेकिन, जब दोपहर में गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती है, तब राजा के परिवार को एयर कंडीशनर पर निर्भर रहना पड़ता है। जब उनकी छत पर यह पौधे लगे हुए नहीं थे, तब आमतौर पर घर में इतनी ठंडक नहीं रहती थी। लेकिन टेरेस गार्डन के कारण, अब पहले की तुलना में सुबह और शाम में काफी ठंडक बनी रहती है।

सर्दियों के दौरान पौधों को गर्म रखने के लिए, राजा बहुत ही सावधानी से लिली के पौधों को एक्वैरियम में डाल देते हैं।

राजा कहते हैं, “एक्वैरियम, एक तरीके से मछलियों के लिए उनके घर जैसा ही है। हमारे यहाँ कुल पाँच बड़े एक्वैरियम हैं, जिनमें से दो एक्वैरियम लिली उगाने के लिए, एक्वापोनिक सिस्टम से जुड़े हैं।”

केवल 10-15 पौधों के साथ शुरू हुआ राजा के गार्डनिंग का सफ़र, आज धीरे-धीरे कुल 300 पौधों तक पहुँच गया है। उन्होंने बताया कि उनके पास ‘सनम चाई’ (Sanam Chai) नामक सबसे महंगी लिली भी है, जिसकी कीमत 15 हजार रुपये है।

यदि आप राजा से लिली के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो उन्हें rajachdha1@hotmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।

मूल लेख: रौशनी मुथुकुमार

संपादन- जी एन झा

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