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70 दिनों में इस किसान ने खरबूज़े की खेती से कमाये 21 लाख रुपए; जानिये कैसे!

गुजरात के बनासकांठा जिल्ले के छोटे से गाँव चंदाजी गोलिया में खेताजी का जन्म हुआ। खेताजी के पिता पारम्परिक खेती करते थे। वे आलू, बाजरा और मूंगफली उगाते थे। उन दिनों आलू के अच्छे-ख़ासे दाम मिलते थे और खेताजी के पिता के परिवार की ज़रूरत उनसे पूरी हो जाती थी।

खेताजी सोलंकी आजकल अपने गाँव के किसानों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं! इस 41 साल के किसान ने अपनी चार एकड़ ज़मीन में खरबूजे की खेती कर, 70 दिनों में 21 लाख रुपए कमाए हैं।

गुजरात के बनासकांठा जिल्ले के छोटे से गाँव चंदाजी गोलिया में खेताजी का जन्म हुआ। खेताजी के पिता पारम्परिक खेती करते थे। वे आलू, बाजरा और मूंगफली उगाते थे। उन दिनों आलू के अच्छे-ख़ासे दाम मिलते थे और खेताजी के पिता के परिवार की ज़रूरत उनसे पूरी हो जाती थी।

पर जैसे-जैसे समय बीतता चला गया हालात बदलने लगे। खेताजी पढ़ने-लिखने में होशियार होने के बावजूद अपनी आर्थिक स्थिति के कारण सातवी से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए।

खेताजी कहते है, “मुझे कुछ भी नया सीखने में बहुत मजा आता था। मैं टीवी पे कराटे देखता था और कराटे करने की कोशिश करता था। एक दिन मेरे टीचर ने मेरे पिताजी से कहा कि – एक दिन मैं कुछ तो अनोखा करूँगा। लेकिन हमारे गाँव का स्कूल सिर्फ सातवीं कक्षा तक ही था, और न ही हमारे पास उतने पैसे थे कि बाहर जाकर रह सके और पढ़ सके।”
पढ़ाई छुट जाने के बाद खेताजी अपने पिता को खेती में हाथ बंटाने लगे, और साथ ही किसानो की फसलों का भी मार्किट में लेन-देन करने लगे। हालाँकि, व्यापारियों और दलालों की मोनोपोली के चलते बाज़ार में टिक पाना मुश्किल रहा।
लेकिन, खेताजी हमेशा कुछ नया सीखने को उत्सुक रहते थे, तो उन दिनों खेताजी ने निर्यात के तरीके एवं मार्केटिंग के गुणों को जाना, समझा और सीखा। साथ ही एक निर्यात का लायसेंस बनवाया।

1995 में खेताजी के बड़े भाई ने अपने गाँव से दूर कुछ ज़मीन खरीदी और खेताजी के जिम्मे अपनी पैतृक जमीन की जिम्मेदारी आ गयी। 2014 तक खेताजी अपनी चार एकड़ पैतृक जमीन पर पारंपरिक खेती करते रहे, पर फिर आलू उगाने वाले किसान मुसीबतों से घिर गए।

“यह वो समय था जब हम अपने आलू रस्ते पर फेंक रहे थे।”

उस समय खेताजी ने अपनी मार्केटिंग की सुझबुझ से अपने आलू एक निर्यात डीलर को बेच दिए। उस डीलर ने खेताजी को सुझाव दिया कि‘आलू हर बार काम नहीं करते’ यानि वास्तव में कोई भी फसल हर समय काम नहीं करती (डिमांड में नहीं रहती)।

उस बात से उन्हें अलग-अलग फसलों की खेती का विचार मिला। वह नियमित रूप से किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का दौरा करने लगे। ऐसे ही एक कार्यक्रम में, भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (आईआईएफसीओ) के के. सी. पटेल ने उन्हें खरबूजे के बारे में बताया।

खेताजी तकनिकी रूप से समझदार थे। उन्होंने फसल और फसल को तैयार करने की प्रोसेस की जानकारी के लिए मोबाइल एप्प का उपयोग किया। सोलर पंप, ड्रिप इरीगेशन (टपक पद्धति) और मल्चिंग (एक ऐसी प्रक्रिया जिसके तहत प्लास्टिक या घास की मदद से मिट्टी को ढक कर मिट्टी की नमी को बचाया जाता हैं) जैसी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया। वह इन्टरनेट से जानकारियां प्राप्त करके जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशक का भी प्रयोग करते रहे।
इस तरह 2017 तक उनकी जमीन किसी भी तरह की जैविक खेती के लिए तैयार हो गयी। 12 फ़रवरी 2018 को उन्होंने अपने चार एकड़ के खेत में खरबूजे के बीज लगाये।

खेताजी ने बताया, “किसी ने भी हमारे गाँव में यह प्रयोग नहीं किया था, इसलिए लोगों ने मुझे सुझाव दिया कि मैं पहले जमीन के एक छोटे से टुकड़े में खरबूजे की फसल लगाऊ। लेकिन मैं जानता था कि अगर मैं इन्हें निर्यात करना चाहता हूँ, तो मुझे खरबूजे को थोक में उगाना होगा।”

पर इसके बाद जो हुआ, उससे सभी गाँववालों ने दांतों तले उँगलियाँ दबा ली!

बीज बोने के 70 दिनों में 140 टन खरबूजे की पैदावार हुयी। एक डीलर के माध्यम से खरबूजे को कश्मीर भेजा गया, जिसने इसके 21 लाख रुपए दिए।


इस सब में लागत लगभग 1.6 लाख रुपए थी, यानि की 4 एकड़ से 70 दिनों में 19.4 लाख रुपए का मुनाफ़ा!

खेताजी ने हमारे साथ खरबूजे की खेती की अपनी 70 दिनों की यात्रा कुछ इस तरह साझा की

Step-1 – जानें, सीखें और ज्यादा जानें

खेताजी बताते हैं कि हर किसान को सरकारी-गैर सरकारी, और स्वयंसेवी संस्थाओं या बीज कंपनियो के द्वारा आयोजित कार्यक्रमों का फायदा उठाकर मुफ्त तालीम लेनी चाहिए। साथ ही नजदीकी कृषि विश्वविध्यालय से कृषि सम्बन्धित नयी खोज और तकनीको के बारे में जानकारियां हासिल करनी चाहिए। इसके अलावा इन्टरनेट का उपयोग कर अपने सवालों के जवाब खोजने की कोशिश करनी चाहिए।

Step 2 सब्सिडी का फायदा लें

खेताजी के अनुसार, उन्होंने अपने खेत पर किए गए सबसे अच्छे निवेशों में से एक था – सोलर पंप लगवाना। सोलर पंप की लागत 8 से 10 लाख रुपए है, जबकि किसानों को सिर्फ 37,500 रुपये का निवेश करना है, बाकि शेष राशि का सरकार द्वारा भुगतान किया जाता है। इसी प्रकार, टपक सिंचाई पद्धति लगाने और मल्चिंग का उपयोग करने के लिए सब्सिडी उपलब्ध है, जो किसानों के लिए खेती आसान बनाती है।

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खेताजी कहते हैं कि “सोलर पंप पानी की असीमित आपूर्ति का आश्वासन देता है, नॉन-स्टॉप बिजली की वजह से किसान रात में तनाव मुक्त होकर आराम कर सकता है, बिजली बिल के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। इसके अलावा, टपक सिंचाई पद्धति से आपका समय भी बचता हैं, और आप किसी अन्य काम के लिए अपने समय का उपयोग कर सकते हैं। यह आपके मोबाइल फोन पर एक बटन दबाने जैसा है। बस आप समय निर्धारित करें, और आपका काम ख़त्म।”

Step 3 – तापमान के अनुसार बुआई की तारीख़ निर्धारित करें


खेताजी के अनुसार, सही मौसम के मुताबिक बीज बोने का समय निर्धारित करना चाहिए। जब तापमान 32-34 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा न हो तब खरबूजे को बोया जाना चाहिए, और तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के बाद कटाई होनी चाहिए।
खेताजी कहते हैं कि “सीधा सादा तर्क यह है कि जब तापमान चोटी पर होता है, तो लोग इन फलों को खरीदते हैं। इस प्रकार मार्केट में मांग बढ़ती है, और आपको अपनी फ़सल का सबसे अच्छा दाम मिलता है। ”
आप इंटरनेट, डीडी-किसान या विशेष रूप से किसानों के लिए डिज़ाइन किए गए विभिन्न ऐप्स से मौसम की जानकारी हासिल कर सकते हैं। खेताजी, जो कठिनाई से अंग्रेजी पढ़ पाते हैं, गुजराती ऐप का उपयोग करते हैं, और किसानों को अपनी स्थानीय भाषाओं में ऐप्स का उपयोग करने की सलाह देते है।

Step 4 – बीज का चुनाव

बीज चुनते समय सावधान रहना चाहिए, क्योंकि उपज की गुणवत्ता इस पर निर्धारित रहती हैं। उच्च गुणवत्ता वाले बीज प्रमाणित सर्टिफिकेट के साथ मौजूद रहते हैं। सही गुणवत्ता वाले बीज के बारे में अधिक जानने के लिए खेताजी ने नजदीकी कृषि विश्वविद्यालय का दौरा किया। वे व्हाट्सएप पर भारत भर के किसानों के कई समूहों में भी शामिल हैं।
खेताजी कहते हैं, “मैंने अपना पासपोर्ट भी बनवाया है। मैं खेती की तकनीकों का अध्ययन करने के लिए एक बार इज़राइल जाना चाहता हूँ। ज्ञान हासिल करने के रास्ते हमेंशा खुले रहने चाहिए।”

Step 5 – DIY आर्गेनिक खाद तथा कीटनाशक

खेताजी, एक खेल की तरह प्रयोगों और परीक्षणों से खाद (उर्वरक) और कीटनाशक तैयार करते है। वे बाजार से जैविक खाद खरीदते हैं और घर पर अलग-अलग प्रयोगो से उनमे शामिल तत्वों तथा गुणवत्ता की जांच करते है। वे संजीवनी समाधान में भरोसा रखते है, जिसे 20 लीटर गौमूत्र, 20 लीटर खट्टी छास (मट्ठा जो 4-5 दिन पुराना होना चाहिए), एक तांबे का टुकड़ा और 2-3 किलोग्राम नीम के पत्तों को मिलाकर बनाया जाता है। मिश्रण को 4-5 दिनों के लिए बंद रखा जाता हैं, फिर ड्रिप सिंचाई पद्धति द्वारा पौधों तक पहुँचाया जाता है।

Step 6 – बुआई के दौरान सावधानी बरतें

जमीन खेती के लिए तैयार हो जाने के बाद, बीज एक दूसरे से 4-5 फुट की दूरी पर बोए जाने चाहिए। खरबूजे के बीज बहुत नाजुक होते हैं, इसलिए इन्हें मिट्टी में 0.5 इंच से ज्यादा गहरे नहीं बोया जाना चाहिए।

Step 7 – फ़सल पर नज़र रखे !

शुरुआत से ही, किसी भी प्रकार के कीट या बीमारियों से सावधान रहना चाहिए, जो पौधों को नुकसान पहुँचाते हैं। जैसे ही एक भी पौधा कीट या बीमारी से प्रभावित दिखे, उसकी तस्वीरों को व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर करना चाहिए, जहां विशेषज्ञ आपको सही समाधान दे सके। एक पौधे पर घर के बने कीटनाशक को हिट-एंड-ट्रायल तरीके से प्रयोग करना भी आसान है। समय-समय पर खरबूजे के पौधों के बीच उगे खतपतवार की सफाई भी करनी चाहिए।

Step 8 – फल का ख्याल रखना

एक बार पौधे पर फल आने लगे तो उन्हें पानी से दूर रखना बहुत महत्वपूर्ण है। याद रखें कि खरबूजे के पौधों को पानी की ज़रूरत है लेकिन फल (खरबूजे) को नहीं। फल न तो मिट्टी को छूना चाहिए, न ही खेत के माध्यम से बहने वाले पानी को। कटाई के बाद फल को कवर करने के लिए जाल का प्रयोग करें

Step 9 – मार्केटिंग

अलग-अलग नेटवर्क के माध्यम से एक उपयुक्त डीलर की तलाश करें, और कटाई से पहले एक सौदा तैयार कर ले। अगर आर्डर एक दूर-दराज के इलाके से है, तो फ़सल को एक चरण में काट लें, जिससे इसे दो से तीन दिनों तक पकाया जा सके, जिससे फल अपनी जगह तक पहुँचने तक ख़राब न हो और नुकसान कम हो।
“और हाँ, आपके पास आपका निर्यात लाइसेंस जरुर होना चाहिए,” खेताजी कहते है

Step 10 – एक नई फसल की तलाश में रहें जो आपको और भी मुनाफा दिला सकती है!


खेताजी का मानना है कि नई फसलों के साथ हमेशा प्रयोग करते रहना चाहिए। बाज़ार में कौनसी फसल की डिमांड है, यह आपको पता होना चाहिए।

“न्यूनतम निवेश, अधिकतम उत्पादन, और बाज़ार की रणनीति ऐसी कुंजी है, जो निश्चित रूप से आपकी सफलता का ताला खोलेंगे।” – खेताजी

खेताजी इन दिनों पीले खरबूजे और काले टमाटर की खेती पर रणनीति बना रहे हैं, क्योंकि अभी वे डिमांड में हैं। खेताजी किसानों से तकनिकी में समझदार होने और डिजिटल दुनिया का पूरी तरह से फायदा उठाने का आग्रह करते हैं।

“मैं सिर्फ सातवीं पास हूँ, लेकिन मैं फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप पर मौजूद हूँ, और विशेष रूप से किसानों के लिए डिज़ाइन किए गए अधिकांश ऐप्स भी डाउनलोड किए हैं। मैं सरकार द्वारा आयोजित हर प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेता हूँ। मैं उन कृषि अधिकारियों द्वारा दिए गए निर्देशों का भी पालन करता हूँ, जो समय-समय पर हमसे मिलने आते हैं और किसानों के लिए दी जाने वाली कई सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठाता हूँ। यदि आप इन साधारण चीजों का पालन करते हैं, तो आप 70 दिनों में 20 लाख कमा सकते हैं। यह बिलकुल असंभव नहीं है, ” – खेताजी सोलंकी !

आप खेताजी से  FacebookTwitter या  WhatsApp 9714931674 पर संपर्क कर सकते हैं!

हिन्दी अनुवाद – आशीष पीठिया

अनुवादक के बारे में –

आशीष पीठिया का जन्म एक किसान परिवार में हुआ और इन्हें किसानो से लगाव हैं। अभी आशीष मुंबई में बतौर स्वतन्त्र फिल्म डायरेक्टर/ एडिटर काम कर रहे है। इन्हें कहानी और कवितायेँ  लिखने- पढ़ने का शौक हैं।


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