मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम के रहनेवाले किसान मान सिंह गुर्जर 12 सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और कमाल की बात तो यह है कि वह कृषि वैज्ञानिकों तक को ट्रेनिंग देते हैं। साथ ही वह धान, दलहन, तिलहन और कई तरह की सब्जियों के देसी बीज भी बचा रहे हैं।
देसी बीजों के रखवाले मान सिंह को जाने-माने कृषि विश्वविद्यालय अपने यहां बुलाते हैं, ताकि वह वैज्ञानिकों को ट्रेनिंग दे सकें। वह अपने खेतों में 7 फुट की लौकी और 30 किलो का तरबूज उगाते हैं। नेचुरल फॉर्मिंग को अपनाने और देसी बीजों को बचाने की प्रेरणा उन्हें अपने पुरखों से मिली।
देसी तरीके से खेती करने वाले मानसिंह ने द बेटर इंडिया से बात करते हुए बताया, “मैं प्राकृतिक खेती और देसी बीजों का संरक्षण करीब 12 सालों से भी ज्यादा समय से कर रहा हूं। मैं देसी बीज बचाने की यह कोशिश इसलिए कर रहा हूं कि देसी बीज बचेगा, तो किसान बचेगा।”
फ्री में देते हैं लोगों को देसी बीज
मान सिंह ने 600 से ज्यादा देसी बीजों को बचाकर रखा है। वह बताते हैं, “हमारे पास 230 प्रजातियां धान की, 160 वरायटी गेहूं की और 150 से ज्यादा सब्जियों के बीज हैं।” उनके पास लौकी की करीब 16 वरायटीज़ और मिर्च की करीब 27 प्रजातियां हैं। इसके अलावा उनके पास दलहन की भी 30 प्रजातियां हैं।
वह 17 एकड़ खेत में खेती करते हैं और उर्वरकता बढ़ाने के लिए सिर्फ प्राकृतिक चीज़ों का ही इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा वह 2 एकड़ में देसी बीज उगाते हैं। उनका मानना है, “घर का बीज, घर की खाद, सब कुछ घर का हो। देसी बीजों काफी अधिक फायदेमंद होते हैं- गुणवत्ता में भी और पोषण में भी। इसमें हमें ज्यादा खाद या कीटनाशक डालने की ज़रूरत नहीं होती।”
मानसिंह अब तक देशभर के हज़ारों किसानों को देसी बीज दे चुके हैं। वह अपने फार्म पर आने वाले लोगों को भी मुफ्त में देसी बीज देते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे उगाएं और खेती के पारंपरिक तरीकों को अपनाएं। मान सिंह की इन कोशिशों को देखते हुए गुजरात के गवर्नर उन्हें सम्मानित भी कर चुके हैं।
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