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कौन बनेगा करोड़पति के एक एपिसोड को देख कर मिली प्रेरणा; अब कर रहे है हज़ारो किसानों की मदद!

कौन बनेगा करोड़पति शो में आयी एक प्रतिभागी की संघर्ष की कहानी सुनी तो अभिजीत फाल्के ने विदर्भ के किसानो की मदद करने की ठानी। उन्हे कार्यशालाओं के माध्यम से न सिर्फ जैविक खेती के आधुनिक तरीके सिखाये, साथ ही बिचौलियों को समाप्त कर उन्हे सीधा ग्राहकों से जोड़ा, उनका खोया आत्मविश्वास लौटाया और आज ये किसान विदेशों में भी अपना उत्पाद बेच रहे हैं।

11 सितंबर, 2011 को महाराष्ट्र के यवतमाल जिले की अपर्णा मालिकर ने अमिताभ बच्चन के शो कौन बनेगा करोड़पति में 6,40,000 की राशि जीती।

इस शो के दौरान अपर्णा ने अपने जीवन में आई कठिनाइयों का भी जिक्र किया कि किस तरह 2008 में उन्होंने अपने पति, जो कि पेशे से किसान थे को खो दिया। अपर्णा के पति  ने कर्ज ना चुका पाने के कारण जहर खा कर आत्महत्या कर ली थी। उस समय अपर्णा की उम्र सिर्फ 25 साल थी और उन्हें इस क़र्ज़ के बारे में कुछ पता नहीं था। उनके पति की मृत्यु के बाद उनके ससुराल वालों ने उन्हें अपनाने से मना कर दिया और उन्हें अपनी दो बेटियों को पालने के लिए खेत में मजदूरी करनी पड़ी।

अपर्णा की कहानी सुनकर कई भारतीय भीतर तक हिल गए थे। अमिताभ बच्चन ने भी इस बारे में अपने ब्लॉग में लिखा था। 30 साल के आईटी पेशेवर, अभिजीत फाल्के ने भी यह एपिसोड देखा और इस वाकये ने अभिजीत को भीतर तक छुआ।

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अपर्णा मालिकर, कौन बनेगा करोड़पति शो मे।
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“मैं उस रात सो नहीं पाया। मैं भी विदर्भ क्षेत्र से हूँ और इन किसानो के लिए कुछ करना चाहता था,” अभिजीत ने कहा।

अगली सुबह का सूर्योदय अभिजीत के लिए नया मक़सद लेकर आया, और यह मक़सद था महाराष्ट्र में कृषि क्षेत्र में क्रांति लाना।

अपर्णा मालिकर की कहानी आंखें खोल देने वाली थी। उनके पति की मृत्यु के बाद जिस तरह से उन्होंने अपने बच्चों के लिए विषम परिस्थितियों का सामना किया था, वह बहुत प्रेरणादायी था। मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि इस तरह के परिवारों को मदद की जरूरत है, खास करके हम जैसे लोगों से जिनके पास आज सब कुछ है। हमें उनके साथ सहानुभूति होनी चाहिए, इसी तरह मेरे दिमाग में एनजीओ का नाम सुझा- ‘आपुलकी’ जिसका मराठी में अर्थ होता है ‘अपनेपन की भावना’,” अभिजीत कहते है।

अभिजीत ने यह विचार अपनी पत्नी और माता-पिता को बताया और उन्होंने अभिजीत का इसमे पूरा साथ दिया, फिर उन्होने अपने 15 से 20 सहकर्मियों से इस बारे में बात की जो बाद में उनकी मदद को आगे आए।

इस तरह जनवरी 2012 में आपुलकी सामाजिक संस्थान अस्तित्व में आया।

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अभिजीत फाल्के, आपुलकी सामाजिक संस्थान के संस्थापक

उत्साहित परंतु कृषि क्षेत्र से अनजान इन आईटी पेशेवरों के सामने सबसे बड़ी चुनौती, कृषि से संबन्धित मूल समस्या का पता लगाने की थी। शुरू के तीन महीने इसी का सर्वेक्षण कर डाटा जुटाया गया कि किसानों की मुख्य समस्या क्या है।

अंत में समूह ने इन तीन मुद्दों पर कार्य करने का निश्चित किया-

  • कम लागत पर अधिक उत्पादन
  • बिचोलियों को दूर कर बिक्री के समय किसानों को सीधे बाज़ार से जोड़ना।
  • किसानों को मानसिक संबल प्रदान करना।

अपने इस मिशन को सही रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में कृषि विशेषज्ञों से मिलकर एक वर्कशॉप तैयार किया जिसका नाम ‘उड़ान’ रखा गया।

उड़ान-आपुलकी संस्थान की किसानो के लिए वर्कशॉप

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उड़ान-आपुलकी संस्थान की किसानो के लिए वर्कशॉप

उड़ान दो दिवसीय आवासीय कार्यशाला है, जहां विशेषज्ञों द्वारा मिटटी के संरक्षण, जल प्रबंधन, मार्केटिंग की जानकारी, स्वदेशी बीजों का अधिक प्रयोग, जैविक खेती में उन्नत तकनीक का प्रयोग, सरकारी नीतियों की जानकारी के साथ ही किसानों को विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार किया जाता है।

 

इस समिति के मुख्य व सलाहकार सदस्य दो दिन किसानों के साथ बिताते है ताकि किसानों की मुख्य समस्या को समझा जा सके। एनजीओ की टीम ये पहचान करती है कि किन गांवों को उनकी जरूरत है इस पहचान के बाद उस गाँव में यह कार्यशाला आयोजित की जाती है। कार्यशाला के दौरान किसानों का रहना, खाना, व विशेषज्ञ की सलाह एकदम मुफ्त होती है।

“हमने मार्च 2012, में हमारी पहली कार्यशाला वर्धा जिले के पिंपरी गाँव में आयोजित की थी। लोगो ने हमे कहा कि किसानों को ऐसी कार्यशालाओं में कोई रुचि नहीं होती इसलिए हमे अधिक आशा नहीं करनी चाहिए, लेकिन हमारी पहली कार्यशाला को किसानों द्वारा जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इस कार्यशाला के दौरान करीब  650 किसान हमारे साथ दो दिन तक बने रहे,”अभिजीत बताते हैं।

इन सभी किसानों को एक फॉर्म दिया गया जिसमे उनसे उनकी मुख्य समस्या, चुनौतियाँ और ताकत के बारे में पूछा गया जिससे एक डेटाबेस तैयार हो सके ताकि आपुलकी समूह उस पर आगे कार्य कर सके।

अभी तक आपुलकी सामाजिक संस्थान द्वारा 9 कार्यशालाएँ आयोजित की जा चुकी है, जिसमे 6,900 किसानों ने हिस्सा लिया है और उनकी दी गयी जानकारी से एक डेटाबेस बनाया गया है।

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उड़ान को किसानों से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया

डेटाबेस के विश्लेषण के बाद टीम ने पाया कि किसानों को कम लागत पर मजदूर नहीं मिलते। जब उन्होंने जमीनी स्तर पर जांच की तो पाया कि छोटी ज़मीनों पर तकनीकीकरण सफल नहीं था इसलिए किसानों को अधिक मूल्यों पर मजदूर लेने पड़ते थे। इस समस्या से निपटने के लिए आपुलकी सामाजिक संस्थान ने ‘एग्रिकल्चर टूल बैंक’ की स्थापना की जो की ना लाभ ना हानि के सिद्धांत पर कार्य करता है।

पहला एग्रिकल्चर टूल बैंक महाराष्ट्र के वर्धा जिले के आर्वी में 25 मई 2013 को बनाया गया, संस्था से जुड़े एक खेल पत्रकार, सदानंद लेले ने इसके लिए सचिन तेंदुलकर से बात की और उन्हें इसकी सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली।    

बैंक के लिए पूरी आर्थिक मदद सचिन तेंदुलकर व युवराज सिंह द्वारा दी गयी व बैंक को 1 ट्रैक्टर आनंद महिंद्रा की तरफ से उपलब्ध कराया गया।

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सचिन तेंदुलकर व युवराज सिंह ने आपुलकी को पहला बैंक स्थापित करने मे मदद की।

IPL, 2013 में ‘सिक्सर फॉर कॉज़’ अभियान चलाया गया। इस अभियान में आपुलकी को पुणे वारीयर्स टीम द्वारा मारे गए हर सिक्स के लिए 6,000 रुपये का अनुदान मिला। इस बैंक द्वारा अब तक किसानो के करीब 13,00,000 बचाए जा चुके है, जिसका फायदा 500 किसानों को हुआ है। इस बैंक के द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले उपकरणों से पिछले 3 सालों में 950 एकड़ जमीन पर खेती की गयी है।

आपुलकी देशी बीज बैंक

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आपुलकी देशी बीज बैंक किसानों को देशी बीजों से खेती मे मदद करता है।

आपुलकी का अगला मिशन था उत्पादन लागत को कम करना। टीम ने कुछ कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाले कुछ देशी बीजों का चयन किया, और एक बीज बैंक नागपुर के कटारी स्वांगवा गाँव में स्थापित किया। यहाँ 300 देशी बीजों किस्में संग्रहीत की गयी है, जो किसानों को न्यूनतम मूल्यों पर उपलब्ध कराई जाती है।

टीम ने एक ‘देशी बीज अभियान’ भी चलाया जहां महीने भर तक किसानों को अपने देशी बीजों को उगाने के लिए प्रेरित किया गया व बाद में ये बीज भी सीड बैंक में शामिल किए गए।

बिचौलियों का खात्मा

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सीधे बिक्री से किसानों को तीन गुना अधिक मूल्य मिला

2013 के अंत तक आपुलकी टीम 200 आईटी पेशेवरों का समूह बन गया था। बिचौलियों के खात्मे का प्रथम प्रयास इन 200 लोगो द्वारा किसानों से ताज़े उत्पाद उनसे सीधे खरीदने से शुरू हुआ।

आपुलकी को एक बहुत बड़ा अवसर तब मिला जब अमरावती के सरकारी विभाग के रविन्द्र ठाकरे ने उनसे उनके उत्पाद पुणे में बेचने के लिए पूछा।

“रविन्द्र ने मुझे फोन पर कहा कि वे पुणे में 60 रुपये किलो संतरा खरीद रहे है, जबकि वह पूरी तरह शुद्ध संतरे  भी नहीं है, उन्हें किन्नू के साथ मिलकर बेचा जा रहा है। हमारे किसान उन्हे यहाँ 4 रुपये किलो में डीलर्स को बेच रहे थे,” अभिजीत ने बताया।

आपुलकी ने फिर पुणे के सभी आईटी कंपनियों को उनके प्रांगण में स्टॉल लगाने के प्रस्ताव के ईमेल भेजे, जिसमे 9 कंपनियों ने जिनमे विप्रो व केपजेमिनी शामिल थे, ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

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8 एक आईटी कंपनी मे आपुलकी द्वारा लगाई स्टाल

 

किसान उपभोक्ताओं को इस सीधी बिक्री से बहुत खुश थे, कुछ ही दिनों में 44 लाख रुपये की सेल हुयी थी इसमे किसानों ने 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक्री की, जिसमे किसानों को तीन गुना व ग्राहकों को 20 रुपये प्रति किलो का फायदा हुआ।

इसी तरह का अभियान कोंकण आम व अनार के लिए भी चलाया गया।

आपुलकी ने किसानों के उत्पाद विदेशो में भी प्रदर्शित किए।

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यूनाइटेड किंगडम मे लगाई गयी प्रदर्शनी

इन उत्पादों को लंदन के क्याड़ोगन हॉल में सुरमई शाम कार्यक्रम जिसमे विख्यात गायक सुरेश वाडेकर जी भी थे, में 800 अनिवासी भारतीयों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इसमे वायगांव और वर्धा के किसानों की जैविक हल्दी, यवतमाल के किसानों की तुअर दाल व कोंकण के किसानों का मैंगो पल्प बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया।

इससे किसानों को ना सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली बल्कि उन्हे सीधा बिक्री का अवसर भी मिला, इसका सारा श्रेय आपुलकी को जाता है।

किसानों व उनके परिवारों को मानसिक संबलन

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किसान विधवाओं को व्यवसाय के लिए मदद उपलब्ध कराई गयी।

आपुलकी किसानों के द्वारा की जा रही आत्महत्या को रोकने के लिए बना था पर वो पहले जिन किसानों ने आत्महत्या की थी, उन परिवार को अनदेखा नहीं करना चाहते थे।

15 अगस्त 2015 को आपुलकी सामाजिक संस्थान ने किसानों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए किसान आत्मविश्वास अभियान शुरू किया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य था मृतक किसान के परिवार को इतना तैयार करना कि वे अपनी आजीविका स्वयं कमा सके।

उनके परिवारों को नकद देने की बजाय आपुलकी ने उन्हे आटा चक्की, सिलाई मशीन, व पशुधन उपलब्ध कराया जिससे वो परिवार अपनी आजीविका हासिल कर सके।

139 किसान विधवाओं को आपुलकी द्वारा सिलाई मशीन, आटा चक्की उपलब्ध कराये गए है जिससे वे अपने सतत आजीविका कमा सकें।

आपुलकी ने 29 किसानों के कर्ज़ भी चुका दिये है।उनकी जमीनो के कागजात संबंधी प्रक्रिया पूरी करके उन्हे जमीन वापस दिलाई है। आज आपुलकी के पूरे विश्व में 7,000 सदस्य है जिनमे अधिकतर आईटी पेशेवर है।

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किसान आत्महत्या रोकने के लिए कर्ज़ चुकाए गए

हम ऐसे किसानों का पता लगाते है जिन्हें तुरंत मदद की जरूरत है, व लोगो की मदद से पैसा जुटाते हैं। इस तरह आईटी ने कृषि को बचाया और कृषि हम सभी को खाना उपलब्ध करा बचाती है,अभिजीत ने बताया।

“मुझे लगता है कि मेरा इन युवाओं से संबंध है इसलिए में इन्हे संबोधित करना पसंद करता हूँ, मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूँ के हमे सरकार के ऊपर सवाल उठाने की बजाय यह देखना चाहिए के हम हमारे देश के लिए क्या कर सकते हैं। हर रोज़ सिर्फ 10 मिनट अपने देश की बेहतरी के लिए कार्य कीजिये और फिर अंतर देखिये,” अभिजीत आगे जोड़ते हैं।

अगर आप आपुलकी सामाजिक संस्थान के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो आप उनकी वैबसाइट पर जा सकते है या फिर उनके फोन नंबर +918983357559 पर अभिजीत फाल्के से संपर्क कर सकते हैं।

आप अपना आर्थिक सहयोग इस खाते के माध्यम से उन तक पहुँचा सकते है-

अकाउंट नेम: आपुलकी सामाजिक संस्थान

अकाउंट नंबर: 6049939042

बैंक नेम : इंडियन बैंक

बैंक शाखा: कार्वी नगर, पुणे

IFSC code: IDIB000C137

मूल लेख मानबी कटोच

 


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