हमेशा से शहर में रहनेवाले राजीव कुमारवेल (Rajeev Kumarvel) के जीवन में बड़ा बदलाव तब आया, जब उन्होंने अपनी बेटी के जन्म के बाद शहर की भागदौड़ को छोड़कर गांव में बसने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने तमिल नाडु के होसुर के पास Denkanikotta नाम की एक छोटी सी जगह में एक ईको-फ्रेंडली घर (Eco friendly house) बनाया, जहां वह पिछले चार सालों से रह रहे हैं।
शहर छोड़कर गांव आने का एक कारण उनका कुत्तों के प्रति प्रेम भी था। वह कई सालों से सड़क पर घूमने वाले जख्मी कुत्तों को अपने घर पर लाकर देखभाल करते हैं।
वह कहते हैं, “शहर में इस तरह का सादगी भरा जीवन जीना बहुत मुश्किल है। आज मेरे घर में तक़रीबन 27 कुत्ते रह रहे हैं, शहर में रहकर मैं यह काम नहीं कर पता।”
पेशे से आर्किटेक्ट राजीव ने होसुर से ही पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने काफी समय तक बेंगलुरु में भी काम किया। वह हमेशा से पर्यावरण के अनुकूल घर बना रहे थे। शादी के बाद, उनकी पत्नी ने उन्हें अपने लिए भी एक ईको-फ्रेंडली घर (Eco friendly house) बनाने के लिए प्रेरित किया और राजीव ने अपने दोस्त विनोद के साथ मिलकर, करीब छह साल पहले यह घर बनाना शुरू किया।
विनोद और राजीव दोनों मिलकर साल 2014 से’ द मोनार्क आर्किटेक्ट (The Monarch Architects)’ नाम से एक फर्म चलाते हैं। उनका फर्म, ज्यादातर ईको-फ्रेंडली घर (Eco friendly house) ही बनाता है।
उन्होंने बताया, “पहले मैंने इस घर को एक फार्म हाउस या वीकेंड होम जैसा बनाया था। हम होसुर में रहते थे और छुट्टियों में यहां आया करते थे। लेकिन करीब एक साल बाद ही हमने यहां हमेशा के लिए शिफ्ट होने का फैसला किया।”
उनके Eco Friendly House की खासियत
राजीव के इस घर में सिर्फ ईको-फ्रेंडली चीज़ें ही नहीं हैं, बल्कि हवा और सूरज की दिशा को ध्यान में रखकर उन्होंने इस घर को डिज़ाइन किया, जिससे फ्रेश, नेचुरल हवा और रोशनी घर में आती रहती है। वह कहते हैं कि घर के कमरे बिल्कुल भी गर्म नहीं होते, क्योंकि इसे बनाने के लिए हमने सूरज की दिशा का विशेष ध्यान दिया है।
इस घर (Eco friendly house) की दीवारों को मिट्टी की ईटों से बनाया गया है और सीमेंट का उपयोग 50 प्रतिशत तक कम किया गया है। यहां किसी तरह का कोई प्लास्टर या पेंट का इस्तेमाल भी नहीं किया गया है, जिससे मिट्टी की ठंडक अंदर मिलती है। उन्होंने बताया कि मार्च महीने में भी उन्हें घर में पंखे की जरूरत महसूस नहीं होती है।
घर को क्रिस-क्रॉस वेंटिलेशन पैटर्न पर बनाया है।
राजीव कहते हैं कि इस इलाके में अच्छी बारिश होती है इसलिए हमने इसका अच्छा फायदा उठाने का सोचा। उन्होंने घर (Eco friendly house) में बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए, 10 हजार लीटर और 21 लीटर की क्षमता वाली दो टंकियां भी बनवाई हैं, जिससे उन्हें साल भर पीने और इस्तेमाल करने के लिए पानी मिलता रहता है।
घर के आस-पास की जगह में उन्होंने किचन गार्डन बनाया है और सब्जियों और फलों के कई पौधे भी लगाए हैं, जिससे उन्हें घर (Eco friendly house) की ऑर्गेनिक सब्जियां हमेशा खाने को मिलती हैं। इस गार्डन की देखभाल राजीव की पत्नी करती हैं। गार्डन के लिए घर के ग्रे वॉटर का उपयोग किया जाता है। इस किचन गार्डन की बदौलत उन्हें हर दिन घर की ताज़ी सब्जियां खाने को मिलती हैं।
न सिर्फ घर की बनावट, बल्कि उनके जीवन में भी कई अच्छे बदलाव आए हैं। उनका उद्देश्य अपनी चार साल की बेटी को प्रदूषणमुक्त जीवन देना था, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली है। उनकी बेटी इस छोटी उम्र में जानवरों, पक्षियों और पौधों के प्रति काफी सवेदनशील है।
संपादन-अर्चना दुबे
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