Placeholder canvas

डॉक्टर से जानें, कोविड मरीजों में ऑक्सीजन स्तर बढ़ाने का सही तरीका

Fortis अस्पताल, बसंत कुंज, दिल्ली के पल्मनॉलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. भरत गोपाल कोरोना मरीजों के ऑक्सीजन स्तर में सुधार लाने संबंधित सभी सवालों के जवाब दे रहे हैं।

यह लेख, द बेटर इंडिया द्वारा ‘कोविड-19 केयर’ के बारे में वेरिफाईड जानकारियां साझा करने की एक श्रृंखला का हिस्सा है। वैसे तो सोशल मीडिया पर, कोविड19 से जुड़ी कई तरह की जानकारियां साझा की जा रही हैं। लेकिन, आपसे अनुरोध है कि जानकारी को वेरीफाई जरूर कर लें। सही तथ्यों को आप तक पहुँचाने के लिए, हम कुछ डॉक्टर और विशेषज्ञों के वीडियो और उनके माध्यम से वैज्ञानिक शोध पर आधारित जानकारियां आपसे साझा कर रहे हैं।

ऐसा ही एक वायरल वीडियो है, जिसमें कोरोना मरीज़ के ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने की तकनीक दिखाई गयी है।

इस वीडियो में मरीज़ अपने पेट के बल लेट कर ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाते हुए दिखाता है। जब वह बैठा रहता है, तो ऑक्सीजन स्तर 92 दिखता है, लेकिन जैसे ही वह अपने पेट के बल लेटता है, ऑक्सीजन बढ़ कर 99 हो जाता है। वीडियो में दिखाई दे रहा व्यक्ति पेट के बल लेटते समय दो तकिये की सहायता लेता है, एक तकिये को वह अपनी छाती के नीचे रखता है और दूसरे को पैरों के नीचे। इस तकनीक को ‘ventilator breathing’ भी कहा जाता है।

इस प्रक्रिया को बेहतर तरीके से जानने के लिए, द बेटर इंडिया ने दिल्ली स्थित फोर्टिस अस्पताल, बसंत कुंज के पल्मनॉलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. भरत गोपाल

की मदद ली। उन्होंने हमे बताया कि इस तकनीक को कब और कैसे करना चाहिए। 

proning
डॉ. भरत गोपाल

वीडियो में दिखाई जा रही तकनीक ‘अवेक प्रोन पोजिशनिंग’ का एक रूप है। रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रोन पोजीशन का उपयोग सांस संबंधित बीमारियों यानि एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) वाले मरीजों में हमेशा से किया जाता रहा है। अवेक प्रोनिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल कोरोना के मरीजों में भी किया जा रहा है। बिना वेंटिलेटर का उपयोग किये, मरीजों के ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने में यह प्रभावी साबित हुआ है। 

डॉ. गोपाल ने बताया, “प्रोन पोजिशनिंग का उपयोग ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने में कई दशकों से होता आ रहा है। प्रोनिंग प्रक्रिया में काफी कम जोखिम होता है। साथ ही, इसे बिना किसी की सहायता के भी किया जा सकता है। मरीजों के ऑक्सीजन लेवल में सुधार लाने के लिए, इस प्रक्रिया को विश्व भर में अपनाया जा रहा है।”

क्या इस प्रोनिंग प्रक्रिया को सभी कोरोना मरीज कर सकते हैं ? इस सवाल का जवाब देते हुए, डॉ. गोपाल कहते हैं “जी हाँ, जिस भी कोरोना मरीज का ऑक्सीजन स्तर 95 के नीचे पहुँच गया हो, वह इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं।” 

साथ ही, उन्होंने कहा, “वैसे रोगी, जो स्वयं अपने पेट के बल नहीं लेट सकते हों, या जिनकी रीढ़ की हड्डी में दिक्क्त हो, पेल्विक की समस्या हो, छाती संबधित रोग वाले, ऐसे रोगी जिनकी हाल में कोई सर्जरी हुई हो, गर्भवती महिला जो अपने दूसरे और तीसरे ट्राईमिस्टर में हो, उन्हें ये नहीं करना चाहिए।”

इस प्रकिया को कब और कितनी देर तक करना चाहिए, इसके बारे में डॉ. गोपाल कहते हैं, “अगर किसी व्यक्ति का ऑक्सीजन स्तर 95 प्रतिशत से कम है, तो इस प्रक्रिया को 30 मिनट से दो घंटे तक के सत्र में किया जा सकता है। दिन में इसे कितनी बार किया जाए, इसकी कोई अधिकतम सीमा नहीं है।”

विशेष रूप से वीडियो पर बात करते हुए, वह कहते हैं, “ऑनलाइन ऐसे कई वीडियो हैं, जिनसे लोग इस प्रक्रिया को जान सकते हैं, लेकिन सही तकनीक के साथ की गयी प्रक्रिया को जानना जरूरी है।”

डॉ. गोपाल ने प्रोन पोज़िशनिंग तकनीक को बेहतर समझने के लिए इस वीडियो को देखने की सलाह दी है। 

डॉ. गोपाल कहते हैं, “कोविड -19 वाले सभी रोगियों को, विशेष रूप से, जिन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही हो उन्हें, प्रोन पोजीशन यानि पेट के बल लेटना चाहिए।  क्योंकि, यह कम लागत, कम जोखिम वाली भरोसेमंद तकनीक है।” 

सामान्य कोरोना मरीजों या हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) की शुरुआती दौर वाले व्यक्ति, अपने घर के सुरक्षित वातावरण में इस प्रक्रिया को कर सकते हैं।

साथ ही, डॉ गोपाल ने कहा कि “यह प्रक्रिया बहुत उपयोगी साबित हो रही है, आज जहाँ हमारे पास शहर में ऑक्सीजन बेड की कमी है, ऐसे में शुरुआती लक्षणों को दूर करने में इस प्रक्रिया से मदद मिलेगी। “

मूल लेख: विद्या राजा

संपादन- जी एन झा

यह भी पढ़ें: राजस्थान: घर में जगह नहीं तो क्या? सार्वजानिक स्थानों पर लगा दिए 15,000 पेड़-पौधे

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X