दिल्ली की रहनेवाली, 87 वर्षीया उषा के लिए कोविड की दूसरी लहर दुःख और दर्द का सबब बनकर आई। उस दौरान, उन्होंने अपने जीवनसाथी को खो दिया। 27 दिनों की लंबी लड़ाई के बाद, उनके पति राजकुमार का कोविड-19 से निधन हो गया। वह दिल्ली के बत्रा अस्पताल में भर्ती थे। छह दशकों का सफर, कुछ सेकेंड में खत्म हो गया। उनके लिए जिंदगी के अब कुछ मायने नहीं थे।
कोविड-19 की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पति-पत्नी दोनों को एक साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में रहते हुए, उषा ने देखा कि मरीज और उनके परिवारवाले किस तरह की लाचारी का सामना कर रहे थे।
जब हर कोई था दहशत में
उषा जब अस्पताल में थीं, तो दो बार ऑक्सीजन की कमी हुई और दुर्भाग्य से दूसरी बार में उनके पति की तबीयत बिगड़ गई। वह बताती हैं, “मैंने अपने चारों ओर बहुत दुःख देखा। ऑक्सीजन की कमी एक बात थी। लेकिन ऐसा लग रहा था, मानों हम किसी युद्ध के बीचो-बीच खड़े हैं। हर कोई दहशत में था।”

वह कहती हैं, “अपने पति को खोने के बाद तो जैसे मैंने खुद को ही खो दिया था। मैं गहरे दर्द और सदमे में थी।”
उन्होंने बताया, “जो लोग आर्थिक रूप से मजबूत नहीं थे, उन परिवारों को कोविड-19 बुरी तरह प्रभावित कर रहा था। अस्पताल में रहते हुए, मैंने उनकी पीड़ा को देखा और महसूस किया। मैं उनकी मदद करना चाहती थी।” फिर उन्होंने जरुरतमंदों की मदद के लिए वह किया, जो वह सबसे अच्छा कर सकती थीं। उन्होंने अपने हाथ से स्वादिष्ट अचार (Homemade Achar) बनाना शुरू किया।
कुछ यूं शुरू हुआ ‘पिकल्ड विद लव’ का सफर
उषा की नातिन, डॉ. राधिका बत्रा दिल्ली में एक बालरोग विशेषज्ञ हैं। राधिका ने ही उन्हें कोविड-19 पीड़ित परिवारों के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया। राधिका बताती हैं, “नानी के हाथ से बना स्वादिष्ट खाना खाकर ही मैं बड़ी हुई हूं। मुझे मालूम था कि य़ही वो काम है, जिससे वह व्यस्त रहेंगी और जरुरतमंदों की मदद भी कर पाएंगी।” और इस तरह, जुलाई 2021 में Pickled With Love यानि अचार (Homemade Achar) और चटनी के बिजनेस की शुरुआत हुई।
अचार और चटनी को मार्केट में लाने का आइडिया डॉक्टर राधिका का था। इसकी शुरुआत करने के लिए सामान कहां से मिलेगा, यानी बोतल कहां से आएगी, कहां से लेबल प्रिंट करवाए जाएंगे और यहां तक कि अचार और चटनी के लिए ताजी सामग्री कहां से मिलेगी, इसकी सारी जानकारी राधिका ने फोन से ही जुटा ली।

दो दिनों के अंदर एक नाम और लोगो के साथ मुख्य शेफ नानी, अचार (Homemade Achar) और चटनी बनाने के लिए पूरी तरह तैयार थीं। शुरुआती ऑर्डर, दोस्तों और परिवारवालों की तरफ से आए। इससे पहले कि वे समझ पाते, अचार और चटनी की 180 बोतलें बिक चुकी थीं।
आमों को काटने और तैयार करने में नानी की मदद की जाती है। बाकी का सारा काम, वह खुद करती हैं। वह बताती हैं, “एक बार में, मैं 10 किलो आम की चटनी और अचार बनाती हूं। जब एक बार यह काम पूरा हो जाता है, तो फिर से 10 किलो आम लेकर चटनी और अचार् बनाने में लग जाती हूं। इस काम से मुझे कुछ करने की प्रेरणा मिली है।”
कुछ अलग करने की खुशी
वह कहती हैं, “एक-एक पैसा मायने रखता है। मुझे खुशी है कि छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन मैं कुछ अलग कर पा रही हूं।” 200 ग्राम अचार या चटनी की एक बोतल की कीमत 150 रुपये है। इस छोटे से काम से उन्होंने लगभग 20,000 रुपये जमा कर लिए हैं।
अचार के बारे में उषा बताती हैं, “मैंने तीन स्वादों के साथ शुरुआत की- खट्टा आम, कद्दूकस की हुई आम की चटनी और गुलाबी मीठा अचार। एक बार लोगों ने इसे चखा और जब उन्हें अच्छा लगा तो उनके पास चटनी और अचार के ऑर्डर आने शुरू हो गए।” डॉक्टर राधिका बताती हैं, “मिक्स अचार और इमली की चटनी सबसे ज्यादा बिक रही है। लोग इन्हें काफी पसंद कर रहे हैं।”
अचार (Homemade Achar) और चटनी की हर बोतल के साथ, एक सुंदर सा रिबन और उषा के हाथ से लिखा हुआ एक नोट भेजा जाता है। सबसे अच्छी बात है कि उषा को अपनी पसंद के इस काम को करने में खुशी मिलती है।

आसानी से बनायी जाने वाली रेसिपी
उषा ने ‘भारतीय शाकाहारी व्यंजन’ नामक एक किताब भी लिखी है। इसमें बेहद आसानी से बनायी जाने वाली रेसिपी है। जो कोई भी खाना बनाने में हाथ आजमाना चाहता है, उनके लिए तो यह एक बेहतरीन रेडी रेकनर है।
राधिका कहती हैं, “उनके पास एक ऐसी रेसिपी भी है, जिससे लोगों को अच्छी चाय बनाने और बेहतर तरीके से चावल उबालने में मदद मिलेगी।”
वह आगे कहती हैं, “अगर प्यार कोविड को ठीक कर पाता, तो वह (नाना) बहुत पहले ही ठीक हो जाते।”
अस्पताल में भर्ती होने के बाद एक पल भी ऐसा नहीं था, जब नानी ने उन्हें अकेला छोड़ा हो। और यह सब तब हुआ जब वह खुद कोविड से ठीक हो रही थीं।
यदि आप उषा से संपर्क करना चाहते हैं और उनके बने अचार या उनकी किताब का ऑर्डर देना चाहते हैं, तो यहां क्लिक करें या 91 9873643639 पर कॉल करें।
मूल लेख- विद्या राजा
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