1.5k Views in "साहित्य के पन्नो से", मैथिलीशरण गुप्त किसान : मैथिलीशरण गुप्त ! बाहर निकलना मौत है, आधी अँधेरी रात है, है शीत कैसा पड़ रहा, औ’ थरथराता गात है. तो भी कृषक ईंधन जलाकर, खेत पर हैं जागते, यह लाभ कैसा है, न जिसका मोह अब भी त्यागते More