यह जानकारी मदद के लिए दी जा रही है। सटीक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से सलाह लें।
Disclaimer
भारत में लगभग 10 प्रतिशत मृत्यु अचानक हार्ट अटैक के कारण होती हैं।
चेन्नई की वेंकटेश्वर अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुभाष चंधार (एमडी) (डीएम) से जानें इसके पीछे का कारण।
डॉ सुभाष कहते हैं, "कार्डियक अरेस्ट तब होता है, जब दिल काम करना बंद कर देता है। डॉक्टर से आसान शब्दों में समझे तो जब दिल रुक जाता है तो कोई भी व्यक्ति जीना बंद कर देगा।"
क्या हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट दोनों एक ही है?
नहीं! डॉ. सुभाष की मानें तो दिल के दौरे के दौरान, रोगी का दिल केवल आंशिक रूप से रक्त पंप करने की क्षमता खो देता है। और पहले एक दो घंटे में मदद मिलने पर इसे आसानी से टाला जा सकता है।
जबकि कार्डियक अरेस्ट के कई कारण होते हैं- जिसमें हृदय की अंदुरुनी समस्याओं के कारण दिल काम करना बंद कर देता है, जिससे दिल के पंप करने की क्षमता ख़त्म हो जाती है।
इससे कुछ मुख्य लक्षण हैं- अत्यधिक थकान, सांस लेने में कठिनाई, उच्च गति से दिल का धड़कना, उल्टी करना, जी मिचलाना, चक्कर आना, पसीना आना।
आमतौर दोनों ही समय के मुख्य लक्षण एक जैसे होते हैं। केवल कार्डियक अरेस्ट के समय बेहोशी, सांस की कमी और पल्स भी कम हो जाती है।
डॉ. के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट होता है और वह गिर जाता है, तो सबसे पहले आपको तुरंत मदद के लिए फोन करना चाहिए और उनकी नब्ज की जांच करनी चाहिए।
समय-समय पर सांस लेने के साथ सीपीआर शुरू करें, बशर्ते आपके पास बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) हो। ऐसा तब तक करते रहें जब तक कि कोई एंबुलेंस आप तक न पहुंच जाए।
लेकिन डॉक्टर के मुताबिक दिल से जुड़ीं इन परेशानियों को लाइफस्टाइल में थोड़े बहुत बदलाव से कम किया जा सकता है। इसलिए इलाज से ज़्यादा बचाव पर ध्यान दें।
नियमित एक्सरसाइज, अच्छी नींद, डॉक्टर से समय समय पर सलाह लेते रहने जैसे उपाय आजमाकर, आप अचानक हार्ट अटैक से खुद को बचा सकते हैं।