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कोविड में बंद हुआ डायमंड का काम, तो डेयरी बिज़नेस से जुड़कर सलाना 25 लाख कमाता है यह परिवार

Magan bhai dairy business

सूरत के मगन भाई का पूरा परिवार सालों से डायमंड बिज़नेस से जुड़ा था। लेकिन खेती और पशुपालन के अपने शौक़ के कारण, उन्होंने पांच साल पहले थोड़ी जमीन और दो गायें भी खरीदी थीं। कोरोना के कठिन दौर में पशुपालन ही उनके काम आया, चार भाइयों का पूरा परिवार आज डेयरी बिज़नेस से सालाना एक करोड़ का टर्नओवर कमा रहा है।

मेहसाणा (गुजरात) के मगन भाई नकुम,  साल 2005 में अच्छा काम करने और ज्यादा पैसे कमाने के लिए गांव में छोटा से तबेला छोड़कर, सूरत में डायमंड का काम करने आ गए थे। उनके पीछे-पीछे उनके तीनों भाई भी सूरत आकर बस गए। लेकिन मगन भाई और उनकी पत्नी, पशुपालन में अपनी विशेष रुचि के कारण ज्यादा समय तक इससे दूर नहीं रहा सके।  

मगन भाई कहते हैं, “मैंने और मेरी पत्नी ने पार्ट टाइम बिज़नेस के तौर पर बहुत छोटी सी शुरुआत की थी। आज से पांच साल पहले, हमने तकरीबन नौ बीघा जमीन और दो गायें खरीदी थीं। लेकिन आज हमारे पास 80 गायें हैं और हमारा  सालाना टर्नओवर एक करोड़ का  है।”

jamuna nakum working in farm
Jamuna Nakum

साल 2005 में शहर आने के बाद,  मगन भाई और उनके चारों भाई डायमंड फैक्ट्री में पहले काम किया करते थे। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने खुद का बिज़नेस शुरू कर दिया। 

जब उन्होंने जमीन और गाय खरीदी, तब खेती का और गाय की देखभाल का काम,  मगन भाई की पत्नी जमुना बेन संभालती थीं और धीरे-धीरे डेयरी बिज़नेस उनका पार्ट टाइम काम बन गया। फिर  अपने इस बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए जमुना बेन और मगन भाई ने कुछ और गायें भी खरीदीं। । लेकिन उस समय उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि एक दिन  उनका यही पार्ट टाइम काम, बुरे वक़्त में फिर से आगे बढ़ने में उनकी मदद करेगा।  

पशुपालन और खेती में काफी मेहनत लगती है, जिसके कारण वह पूरी तरह से इससे नहीं जुड़े  थे। साल 2020 तक डायमंड बिज़नेस से उन्हें अच्छा  मुनाफा भी हो रहा था। लेकिन  वक़्त को बदलते देर थोड़े ही लगती है, पुरे विश्व में छाए कोरोना संकट में,  उनके डायमंड बिज़नेस पर भी असर पड़ा। 

Nakum brothers running a dairy farm  after the closure of Diamond Business

लॉकडाउन में डेयरी बिज़नेस से जुड़ा पूरा परिवार  

लॉकडाउन में परिवार के सभी सदस्य डेयरी फार्मिंग से जुड़ गए। उनके पास मौजूद जमीन में से,  एक बीघा हिस्सा गौशाला के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

बाकि की जमीन में जैविक तरिके से गायों के लिए चारा उगाया जाता है। खेती के लिए गाय के गोबर और गौमूत्र का ही उपयोग किया जाता है। यानीजैविक चारे और जैविक दूध के लिए वह बाजार पर निर्भर नहीं हैं।  

इसके लिए उनका पूरा परिवार रात-दिन मेहनत करता है। उनके पास आज कुल 80 गिर गायें हैं। गाय का दूध लेने के लिए आस-पास के तक़रीबन 150 ग्राहक नियमित रूप से उनके पास आते हैं,  जिन्हे वे 90 रुपये लीटर के हिसाब से दुध देते हैं।  

इसके अलावा, जमुना बेन गाय के गोबर से महीने के 200 बैग्स जैविक खाद बनाकर बेचती हैं। उनके एक बैग जैविक खाद की कीमत 250 रुपये है। जैविक खेती के लिए वे किसानों को गौमूत्र भी बेचते हैं।  

nakum dairy farm

पूरा परिवार साथ मिलकर देसी गाय का घी भी तैयार करता है, जिसे वे 1800 रुपये किलो बेचते हैं। उनके घर पर ही पनीर और पेड़ा सहित कई और प्रोडक्ट्स भी तैयार किए जाते हैं। पिछले साल अपनी कड़ी मेहनत से नकुम परिवार ने इस डेयरी से  25 लाख का शुद्ध मुनाफा कमाया।  

मगन नकुम कहते हैं, “सुबह तीन बजे से शाम सात बजे तक हम सभी मिल-जुलकर  काम करते हैं और करीब नौ बजे हम सो भी  जाते हैं। हमारे सभी ग्राहक भी हमसे खुश हैं और मेरा पूरा परिवार साथ है,  इससे ज्यादा सफलता और क्या हो सकती हैं? कोरोना में कई लोगों के काम बंद हो गए, ऐसे सभी लोगों को मैं कहना चाहता हूँ कि कड़ी मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। कोशिश  कभी नहीं छोड़नी चाहिए।”

आप डेयरी बिज़नेस से जुड़ी कोई भी सलाह लेने के लिए मगन भाई को 9925716660 पर संपर्क कर सकते हैं। 

संपादनः अर्चना दुबे

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