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Best Gardeners 2021: 10 गार्डनिंग हीरोज़, जिनकी बागवानी ने जीता आप सबका दिल

best gardeners of 2021

साल 2021 के हमारे इन 10 Best Gardeners की बागवानी को आपने खुूब पसंद किया। चाहे छोटी सी बालकनी में खूबसूरत गार्डनिंग हो या घर की छत पर पूरा बागीचा बनाना, देश के कोने-कोने से हम ऐसी कहानियां लेकर आए, जिन्हें पढ़कर हमारे कई पाठकों को आश्चर्य हुआ, तो कई ने गार्डनिंग करना शुरू किया।

साल 2021 के हमारे 10 Best Gardeners की बागवानी को आपने खुूब पसंद किया। चाहे छोटी सी बालकनी में खूबसूरत गार्डनिंग हो या घर की छत पर पूरा बागीचा बनाना, देश के कोने-कोने से हम ऐसी कहानियां लेकर आए, जिन्हें पढ़कर हमारे कई पाठकों को आश्चर्य हुआ, तो कई ने गार्डनिंग करना शुरू किया।

इसी सकारात्मक सफर को आगे बढ़ाते हुए हम लाए हैं, आपके लिए साल 2021 की वे टॉप 10 बेहतरीन गार्डनिंग कहानियां, जिन्हें आपने सबसे ज्यादा पढ़ा और सराहा। हमें पूरी उम्मीद है कि साल 2022 में भी हमें आपका साथ और हमारी कहानियों को आपका प्यार यूं ही मिलता रहेगा।

1. संजय मधुकर पुंड, महाराष्ट्र

One of the Best gardeners of 2021, Sanjay Madhukar Pund & his Garden in Maharashtra
Sanjay Madhukar Pund & his Garden

महाराष्ट्र में नागपुर के रहनेवाले, 57 वर्षीय संजय मधुकर पुंड (best gardeners), नागपुर महानगर पालिका के लाल बहादुर शास्त्री हाई स्कूल के प्रिंसिपल हैं। साथ ही, पिछले 10 सालों से टेरेस गार्डनिंग कर रहे हैं। शुरुआत में तो उन्होंने कुछ गमलों में पौधे लगाए और कुछ पुरानी-बेकार चीजों से प्लांटर्स बनाए। फिर धीरे-धीरे उन्होंने और भी कई प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाना शुरू किया।

उनके गार्डन में साग-सब्जियों, फलों से लेकर फोलिएज प्लांट, फूल, कैक्टस और सक्यूलेंट पौधे हैं। 1500 वर्ग फ़ीट की जगह में फैला उनका गार्डन ‘बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट’ का भी अच्छा उदाहरण है। उन्होंने पौधे लगाने के लिए पुराना कूलर ट्रे, पुराने जूते, स्कूल बैग, प्लास्टिक के डिब्बों और बोतलों से लेकर, टायर और वॉशिंग मशीन तक का इस्तेमाल किया है। 

संजय के बगीचे में पुदीना, पालक, धनिया, बैंगन, पत्तागोभी, ककड़ी जैसी मौसमी सब्जियों के साथ, अनार, अमरुद, नींबू, मौसंबी, सीताफल जैसे 10 तरह के फलों के पेड़ भी हैं। कैक्टस और सक्यूलेंट पौधों की कई किस्मों के साथ, उनके गार्डन में 110 अडेनियम, 25 बोनसाई और कुछ ऑक्सीजन देने वाले पौधे, जैसे स्नेक प्लांट और पीपल भी हैं। वह, गार्डन के लिए जैविक खाद भी खुद ही बनाते हैं।

संजय मधुकर पुंड (best gardeners) की पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

2. पुष्पा साहू, छत्तीसगढ़

Hariyali Didi Pushpa Sahu growing mango on terrace
Pushpa Sahu & her Garden

छत्तीसगढ़ में रायपुर की रहनेवाली 56 वर्षीया पुष्पा साहू (best gardeners) को लोग ‘हरियाली दीदी’ के नाम से जानते हैं। गार्डनिंग से खास लगाव रखनेवाली पुष्पा साहू ने अपने घर की छत को सुंदर से बगीचे में बदलकर, साबित किया है कि बिना खेती की जमीन के भी लोग कैसे अपनी छतों पर जैविक फल-सब्जियां उगा सकते हैं।

उनके बगीचे में मौसमी सब्जियों के साथ-साथ लगभग 12 तरह के फल लगे हैं, जिनमें अमरुद, कीनू, मौसम्बी, आम, नींबू, कमरक (स्टार फ्रूट), चीकू, सेब, पपीता, ड्रैगन फ्रूट, एप्पल बेर, और करौंदा शामिल हैं। इसके अलावा, लगभग 10 तरह के औषधीय पेड़-पौधे हैं, जिनमें काली तुलसी, एलोवेरा, अडूसा, अश्वगंधा, पत्थरचट्टा, शतावर आदि शामिल हैं। पुष्पा, साल 2013 से बागवानी कर रही हैं। वह अपने बगीचे की देखभाल जैविक तरीकों से करती हैं। उनके इस काम के लिए उन्हें सम्मान भी मिला है।

वह, पौधों में किसी भी तरह का रसायन इस्तेमाल नहीं करती हैं। कीट प्रतिरोधक भी नीम के पत्तों या प्याज, अदरक का इस्तेमाल करके घर पर बना लिया जाता है।

पुष्पा साहू (best gardeners) की पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

3. विजय राय, बिहार

Vijay Rai is growing fruits on his terrace garden in Bihar
Vijay Rai

पटना में रहनेवाले विजय राय (best gardeners), लगभग पिछले 20 वर्षों से अपनी छत पर बागवानी कर रहे हैं। उनके बगीचे में सजावटी पौधे, बोनसाई, मौसमी सब्जियों से लेकर कई तरह के फूल और फलों के पेड़ भी लगे हुए हैं। घर में बगीचे के कारण फल-सब्जियों के लिए बाजार पर उनकी निर्भरता काफी कम है। उनकी रसोई की लगभग 90% जरूरतें उनके अपने बगीचे से पूरी हो रही हैं। 

विजय राय ने अपनी छत को एक्सपर्ट सिविल इंजीनियर के मार्गदर्शन में बनवाया, ताकि आगे चलकर छत पर मिट्टी डालकर बागवानी की जा सके। साथ ही, एक छोटा-सा तालाब भी बनवाया, जिसमें फ़िलहाल वह मछली पालन कर रहे हैं। उन्होंने अपने घर की छत पर सीधा मिट्टी डालकर बेड बनाए हैं।

इसके अलावा, 200 से ज्यादा छोटे-बड़े गमले भी उनके बगीचे में लगे हुए हैं। उनकी छत पर केले, अमरुद, अनार, नींबू, सीताफल, जामुन, आंवला, आम, एप्पल बेर, करोंदा, पपीता, सहजन, मौसंबी और चीकू जैसे फलों के पेड़ों के अलावा, बरगद और पीपल के भी पेड़ हैं। उन्हें अपनी छत पर लगे पेड़ों से हर साल लगभग 10 किलो अमरूद, आठ किलो आम, चार-पांच किलो एप्पल बेर और लगभग 300 केले मिलते हैं।

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4. मनोरंजन सहाय, बिहार

Manoranjan Sahay, doing terrace vegetable farming, one of the Best gardeners of 2021
Manoranjan Sahay

बिहार में पटना के रहनेवाले 64 वर्षीय मनोरंजन सहाय (best gardeners), पिछले कई सालों से छत पर सब्जी की खेती कर रहे हैं। साल 2015 में बैंक की नौकरी से रिटायर होने के बाद, उनका पूरा समय बगीचे में ही बीतता है। अपनी छत को उन्होंने खूबसूरत बगीचे का रूप दिया हुआ है। अलग-अलग तरह की किस्मों के सैकड़ों पेड़-पौधे उनके बगीचे की शान हैं। फल-फूल, मौसमी सब्जियां, औषधीय पौधों के साथ-साथ कुछ बोनसाई भी उनके बगीचे में लगे हुए हैं। 

बागवानी की शुरुआत उन्होंने 1990 में की थी। शुरुआत में उन्होंने छत पर गमले में पीपल, बरगद, पाकर, नीम जैसे पौधों को लगाया और फिर इनकी छंटाई करते रहे। आज भी उनके बगीचे में ये सभी पौधे हैं और इनकी लम्बाई एक-डेढ़ फ़ीट से ज्यादा नहीं है। मनोरंजन की छत पर आज ब्रह्मकमल और कल्पवृक्ष जैसे पेड़ भी हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने अलग-अलग जगहों से पौधे मंगवाकर अपनी छत पर लगाए हैं। 

उनकी छत पर अनार, जामुन, चीकू, अमरुद, नींबू, अंगूर, बादाम, अखरोट जैसे पेड़ हैं। उनके बगीचे में करी पत्ता, पुदीना, गिलोय, अपराजिता जैसे औषधीय पौधे भी हैं।

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5. रजिंदर सिंह, पंजाब

Rajinder Singh, doing gardening, composting & growing ladyfinger
Rajinder Singh

पंजाब के लुधियाना में रहनेवाले रजिंदर सिंह (best gardeners), 72 की उम्र में भी खुद को यंग फील करते हैं। उन्हें इस उम्र में भी सीढ़ी से ऊपर चढ़ने-उतरने में कोई परेशानी नहीं होती है। वह खुद बागवानी करते हैं और गमले लाना, मिट्टी लाना, पौधों की देखभाल करना, ये सभी काम खुद ही कर लेते हैं। रजिंदर सिंह, नियमित गार्डनिंग और कम्पोस्टिंग के साथ-साथ, व्यवसाय में अपने बच्चों की मदद भी करते हैं। 

उनके घर के बाहर, आंगन से लेकर उनकी छत तक, सभी जगह पेड़-पौधे लगे हुए हैं। साथ ही, इन पेड़-पौधों की देखभाल के लिए वह खुद ही तरह-तरह की खाद भी तैयार करते हैं। आज उनकी छत पर 500 गमले हैं, जिनमें फूलों के साथ-साथ वह भिंडी, करेला, लौकी, टमाटर, बैंगन जैसी मौसमी सब्जियां भी उगा रहे हैं। इस बार उनके बगीचे में इतनी ज्यादा लौकी और करेले हुए कि उन्हें इसे लोगों में बांटना पड़ा। 

बागवानी के कारण अब उनके घर से किसी भी तरह का गीला और जैविक कचरा बाहर नहीं जाता है। बल्कि कई बार वह सड़क किनारे पड़े पत्तों को भी खाद बनाने के लिए ले आते हैं। अब वह 10 तरह के कम्पोस्ट तैयार कर लेते हैं। उन्हें देखकर अब उनके पड़ोसी भी कचरा प्रबंधन करने लगे हैं। उनकी कॉलोनी को अब कचरा प्रबंधन के मामले में मॉडल कॉलोनी कहा जाता है। नगर निगम के कर्मचारियों के साथ मिलकर रजिंदर दूसरे लोगों को भी खाद बनाना सिखाते हैं।

रजिंदर सिंह (best gardeners) की पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

6. जॉन शेरी, केरल

Jon Sheri doing garding in grow bags
Jon Sheri

एर्नाकुलम, केरल के कृषि फार्म इनोवेशन ब्यूरो के असिस्टेंट डायरेक्टर, जॉन शेरी (best gardeners) ने चावल की भूसी का इस्तेमाल करके, मिट्टी के बिना एक पॉटिंग मिक्स (potting mix) तैयार किया है। इस पॉटिंग मिक्स से मिट्टी की उपजाऊ परत को खराब होने से रोकने में मदद मिल सकेगी। इसी पॉटिंग मिक्स में वह अपनी छत पर 30 प्रकार की सब्जियां उगाते हैं।

अप्रैल 2020 में, जब जॉन के पास लॉकडाउन के कारण काफी खाली समय था, तब उन्होंने ग्रो बैग में सब्जियां उगाने का फैसला किया। वह बागवानी में लाल मिट्टी का इस्तेमाल नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने चावल की भूसी के साथ प्रयोग किया, जिसे आमतौर पर कचरा समझ कर फेंक दिया जाता है। भूसी से छुटकारा पाने के लिए, किसान अक्सर इसे जला देते हैं।

इसमें सिलिका, कार्बन, कैल्शियम और मैग्नीशियम ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। भूसी के इन्हीं गुणों के कारण, उन्होंने इसका इस्तेमाल बागवानी में करने का फैसला किया। यह, ग्रो बैग को सख्त बनाती है। इसकी वजह से, पॉटिंग मिक्स (potting mix) को अच्छे से हवा मिलती रहती है और इसमें कीड़े भी नहीं लगते। इस तरीके को अपनाने से अच्छी उपज भी मिलती है। फ़िलहाल, जॉन अपनी 140 वर्ग फुट की छत पर टमाटर, लोबिया, भिंडी, करेला, लौकी, मिर्च, बैंगन जैसी 30 सब्जियां उगाते हैं। 

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7. सुमिता सिंह, मेरठ

Sumita Singh in her garden in Meeruth
Sumita Singh

मेरठ की 36 वर्षीया सुमिता (best gardeners), स्वामी विवेकानंद सुभारती यूनिवर्सिटी में फार्मेसी की प्रोफेसर हैं। उन्हें पौधों का इतना शौक़ है कि कई रुकावटों के बावजूद, वह पिछले 6 सालों से अपनी छोटी-सी बालकनी को हरा-भरा बनाने का काम कर रही हैं। उनका बचपन असम में तिनसुकिया के पास एक छोटे से शहर में गुजरा, जहां काफी हरियाली हुआ करती थी।

सुमिता, पिछले 5 सालों से मेरठ स्थित अपने फ्लैट की बालकनी में बागवानी कर रही हैं। उनके घर में 7 से 8 फ़ीट की दो बालकनियां हैं, जिसमें उन्होंने 120 किस्मों के 300 से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वह, इनडोर प्लांट्स ज्यादा लगाती हैं, क्योंकि इससे घर की हवा ताज़ी रहती है, साथ ही ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ती है। उनके पास इनडोर प्लांट्स की कई वरायटी मौजूद हैं, जिसमें स्नेक प्लांट की 5, रबर प्लांट की 3, ड्रेसीना (Dracaena) की 7 किस्में हैं।

इसके अलावा बेबी सन रोज़, स्वीट पोटैटो वाइन, इंग्लिश आइवी, Z Z प्लांट जैसे कई और पौधे भी हैं। आपको उनके घर की बालकनी में गिलोय, अजवाइन, लेमन ग्रास, बेसिल, पुदीना, करी पत्ता जैसे हर्ब्स काफी मात्रा में मिलेंगे। वह रसोई से निकले कचरे जैसे- सब्जियों और फलों के कचरे से कम्पोस्ट बनाती हैं और सब्जियों, दाल और चावल को धोने के बाद बचे पानी को पौधों में डालती हैं। ऐसा करने से पौधों को सही पोषण तो मिलता ही है, साथ ही पानी की भी बचत होती है।

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8. दलीप कुमार, पंजाब

Daleep Kumar in his home Garden, one of the Best gardeners of 2021
Daleep Kumar

पंजाब में पटियाला के रहनेवाले 52 वर्षीय दलीप कुमार (best gardeners) ने एमएससी हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई की और पटियाला नगर निगम के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में बतौर ‘एग्जीक्यूटिव इंजीनियर’ नियुक्त हैं। उन्होंने अपने घर की छत को भी बहुत ही सुंदर गार्डन का रूप दिया हुआ है। उनकी छत पर आपको तरह-तरह की प्रजाति के लगभग 1,250 पेड़-पौधे मिलेंगे। वह अपने छत पर सजावटी पौधों, सक्युलेंट, बेल से लेकर फल, फूल, जड़ी-बूटी और सब्जियां उगाते हैं। 

उन्होंने अपने गार्डन को इस तरह तैयार किया है कि उनके घर का तापमान बाहर के तापमान से कम ही रहता है। दलीप के बगीचे में क्रोटॉन, ड्रसीना रेड, ड्रसीना केदारनाथ, ज़िज़ी प्लांट, ब्लैक रबर प्लांट, हाइब्रिड कनेर, चांदनी, एरेका पाम, लिपस्टिक प्लांट, स्पाइडर प्लांट जैसे कई ऑर्नामेंटल (सजावटी) पौधे हैं। इनके आलावा, उनके गार्डन में आपको रंगून, चमेली, मिनिएचर रोज जैसे फूलों की बेल भी दिख जाएंगी। 

फलों की बात की जाए, तो उन्होंने आम, चीकू, नींबू, बारहमासी नींबू, नारंगी, अंजीर, कीनू, अंगूर के पौधे लगाए हैं। इनके अलावा, वह मौसमी सब्जियां और तुलसी, हींग, लेमन ग्रास, स्टीविया, कपूर, रुद्राक्ष, इन्सुलिन प्लांट, अजवाइन, ओलिविया, एलोवेरा जैसे पेड़-पौधे भी उगा रहे हैं।उनकी गार्डनिंग की सबसे दिलचस्प बात यह है कि पौधों को लगाने के लिए, वह मिट्टी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। उनके सभी पेड़-पौधे गीले कचरे से बनी खाद में पनप रहे हैं।

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9. जागृति पटेल, गुजरात 

vegetable garden ideas by Jagriti Patel
Jagriti Patel

सूरत की जागृति पटेल (best gardeners) ने तीन साल पहले सब्जियां उगाना शुरू किया था।  हालांकि, उन्हें गार्डनिंग का शौक़ तो बहुत पहले से था। लेकिन पहले किराए के अपार्टमेंट में उन्हें, पौधे लगाने की जगह ही नहीं मिल पाती थी। लेकिन तीन साल पहले जब उन्होंने अपना घर ख़रीदा, तो उन्हें 20 फुट की छत मिल गई। शुरुआती कुछ महीने उन्होंने बोनसाई और ऑर्नामेंटल प्लांट्स लगाए।

फिर उन्होंने सूरत ‘कृषि विज्ञान केंद्र’ में ऑर्गेनिक टेरेस गार्डनिंग की ट्रेनिंग ली। इसके बाद, वह एक के बाद एक सब्जियां लगाने लगीं। पहले ही साल उनके गार्डन में कुंदरू और हरी तुवर दाल इतनी ज्यादा हुई थी कि उन्होंने इसे अपने कई रिश्तेदारों के घर भी भिजवाया था। जागृति ने अपने छत पर मौजूद जगह का बड़े सुन्दर तरीके से इस्तेमाल किया है।

वह छोटे-छोटे कंटेनर्स और बेकार डिब्बों में भी कुछ न कुछ उगा देती हैं। वहीं बड़े पॉट में लगे फलों के पौधों में भी वह कुछ हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे धनिया, मेथी, पुदीना आदि उगाकर इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने छत पर चीकू, आंवला, अनार, आम, सीताफल के पेड़ भी लगाए हैं, जिसमें जल्द ही फल आने की उम्मीद है। उन्होंने घर की पार्किंग में भी एक छोटी सी क्यारी बनवाई है, जिसमें उन्होंने आलू, प्याज, लहसुन और शकरकंद उगाया है।

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10. मंगत सिंह ठाकुर, दिल्ली

Mangat Singh Thakur grows Bonsai in Delhi
Mangat Singh Thakur

दिल्ली के रोहिणी में रहनेवाले 79 वर्षीय, मंगत सिंह ठाकुर, साल 2001 से लगातार बोनसाई बना रहे हैं। इस सफर में, उन्होंने न सिर्फ अपनी कला को निखारा है, बल्कि दूसरे लोगों को भी बोनसाई बनाना सिखाया है। उन्हेंने पहला बोनसाई 1978 में बनाया था, यह बरगद का पेड़ है और आज भी उनके पास है। पिछले 20 सालों से वह लगातार बोनसाई पर काम कर रहे हैं। उनके घर की छत पर लगभग 550 बोनसाई हैं।

बोनसाई के लिए मोटी मिट्टी की ज़रुरत होती है। अगर इसकी मिट्टी को पॉलिथीन में रखते हैं, तो इसमें नमी हो जाएगी और यह मिट्टी टूटने लगेगी, जो सही नहीं है। इसके अलावा, बोनसाई की मिट्टी में किसी भी तरह का केमिकल मिलाने से बचें, क्योंकि केमिकल के इस्तेमाल से बोनसाई की उम्र कम होती है।

वह, बोनसाई कला पर एक किताब भी लिख रहे हैं, जिसमें वह बोनसाई से जुड़ी सभी जरूरी जानकरियां देंगे।

मंगत सिंह ठाकुर (best gardeners) की पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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