IIT कैंपस में कैसी होती है जिंदगी? एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ या फिर एडवेंचर

College life in IIT, students shared their experience

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में पढ़ना एक सपने के सच हो जाने जैसा होता है। लेकिन क्या यहां जिंदगी सचमुच इतनी बेहतरीन होती है? आईआईटी के तीन छात्रों ने बताया कैंपस में कैसी होती है जिंदगी।

आईआईटी (IIT) में एडमिशन मिल जाना, इंजीनियरिंग के उम्मीदवारों के लिए एक सपने के सच हो जाने जैसा होता है और हो भी क्यों न? आखिर यह देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है। यहां मिलने वाली हर सुविधा, चाहे वह हॉस्टल हो, स्टडी मटेरियल हो या फिर लोगों का आपको देखने का नज़रिया, एक बार यहां प्रवेश मिल जाए, तो सबकुछ बदला-बदला और शानदार हो जाता है। पढ़ाई से लेकर तकनीकी सहायता, खेल गतिविधियों से लेकर आर्ट एंड कल्चर और प्लेसमेंट तक, सब कुछ यहां मिलता है। लेकिन कैंपस की जिंदगी (College Life in IIT) बाकी संस्थानों जैसी ही है या कुछ अलग? यह एक ऐसा सवाल है, जो अक्सर हमारे दिल और दिमाग में घूमता रहता है। 

तीन IITians ने Quora पोस्ट के माध्यम से साझा किया कि इस परिसर में पढ़ना और यहां चीज़ों को सीखना (College Life in IIT) उनके लिए कैसा अनुभव रहा।

“सीखने, जीने, प्यार करने, लोगों के साथ अटूट बंधन बनाने का होता है समय”

आईआईटी वाराणसी (IIT Varanasi) से बीटेक करने वाले दीपक सिंघनवाल, कॉलेज में बिताए गए पलों (College Life in IIT) को एक शब्द में कहते हैं- ‘जिंदगी।’ वह लिखते हैं, “कहने के लिए तो कॉलेज में बिताया गया वह समय, महज़ चार या पांच साल हैं। लेकिन वे जीवन भर आपके साथ रहते हैं।”

उन्होंने आगे लिखा, “ज्यादातर छात्र आईआईटी हॉस्टल में रहते हैं, जिसका अपना ही मज़ा है। आप अपनी उम्र के सैकड़ों टीनएजर्स के साथ रहते हैं, वे आपके जैसा व्यवहार करते हैं (हालांकि हर तरह से नहीं) और आपके साथ रहते हैं। आपको अपने बैचमेट्स, रूममेट्स और हॉस्टल के अन्य साथियों के बीच से दोस्त भी मिलते हैं। यहां न तो आपके माता-पिता होते हैं, न कोई रिश्तेदार और न कोई और जानने वाला। बस आप और आपके दोस्त।”

“ग्रेड के चलते क्लास में रहती है आगे निकलने की होड़”

आकाश तिवारी आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) से कंप्यूटर साइंस में बीटेक कर रहे हैं। कॉलेज में उनका यह तीसरा साल है। वह लिखते हैं, “हमारी कम्पाइलर लैब में साल 2010 से एक समान कोड चलता आ रहा है। हर साल एक जैसी मुश्किलें सामने आती हैं। छात्र हर साल अपने-अपने उन सीनियर्स की कॉपी करते हैं, जिन्होंने पहले अपने सीनियर की कॉपी की थी।”

उनके अनुसार, आईआईटी में छात्रों के सामने तीन बड़ी मुश्किलें हमेशा खड़ी मिलती हैं- छात्रों के बीच टॉक्सिक कॉम्पिटिशन, प्रोफेसर की ‘और बेहतर’ वाली मानसिकता और ढेर सारे असाइनमेंट। वह लिखते हैं, “एक के बाद एक असाइनमेंट करने और उन्हें जमा करने का भार, हमें और कुछ करने लायक नहीं छोड़ता। इतना समय भी नहीं बच पाता कि हम अपनी पसंद का कोई काम कर सकें।”

उन्होंने लिखा, “यह छात्रों के बीच बढ़ते तनाव का कारण है। इसकी वजह से वे आत्महत्या और बुरी चीजों की तरफ बढ़ने लगते हैं। कुछ छात्र ड्रग्स लेते हैं या फिर अन्य बुरी आदतों में पड़ जाते हैं। उसी के कारण IITians में आत्महत्या की दर भी अधिक है। यहां मिलने वाली सुविधाओं और एक्सपोजर के अलावा आईआईटी के एक औसत छात्र का जीवन असाइनमेंट, घंटों तक चलने वाले लेक्चर और टॉक्सिक कॉम्पिटिशन से भरा होता है।

बहुत कुछ सिखा देते हैं ये संस्थान

“सबसे महत्वपूर्ण बात जो IIT जीवन (College Life in IIT) से आप सीखते हैं, वह यह है कि आप एक बेहतर निर्णय लेने वाले बनें, वास्तविकता का सामना करें, अधिक मेहनती बनें, समय का प्रबंधन करना सीखें। इसके अलावा और भी बहुत कुछ।”

आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक कर चुके आदित्य शर्मा कहते हैं, “आईआईटी के साथ मेरी यात्रा की शुरुआत इन दोंनों से थोड़ी अलग थी। शुरू में मुझे पता ही नहीं था कि एक IITian होने के नाते मुझे किस चीज़ पर ज्यादा ध्यान देना है। अपनी पढ़ाई पर, स्किल डेवलपमेंट पर या फिर अपने तरीके से जिंदगी जीने पर। मेरी सोच थी कि मुझे ग्रेड या प्लेसमेंट की परवाह नहीं करनी है। बस जिंदगी का भरपूर मज़ा लेना है।”

“कुछ पाने के लिए मेहनत तो करनी ही होगी, इसमें दुखी होने जैसी कोई बात नहीं”

आदित्य कहते हैं, “जेईई (JEE) पास करने के बाद भी क्या जीवन में कोई बदलाव नहीं आएगा? मैं यह सोचकर सदमे में था कि जो मेहनत मैंने अभी तक की थी, अगले चार साल तक फिर से वही मेहनत करनी पड़ेगी। क्या मैं पूरा जीवन यही सब करता रहूंगा?”

कॉलेज लाइफ (College Life in IIT) से मिली सीख के बारे में वह लिखते हैं, “मैं निर्णय लेने में बहुत बुरा था। लेकिन जब आपको ऐसा करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो आप गलतियां करते हो, लेकिन गलतियां करना मायने नहीं रखता, बल्कि उन गलतियों से सीखना महत्वपूर्ण है।” हालांकि आदित्य भी आईआईटी छात्रों के बीच बढ़ते तनाव की बात से इंकार नहीं करते। वह कहते हैं, “आपको कुछ पाने के लिए कड़ी मेहनत तो करनी ही होगी और इसमें दुखी होने जैसी कोई बात नहीं है।”

मूल लेखः अनाघा आर. मनोज

संपादनः अर्चना दुबे

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