कभी-कभी छोटे-छोटे जुगाड़ भी बड़े आविष्कार में बदल जाते हैं। इन जुगाड़ों से हम अपने काम को आसान बना देते हैं। लेकिन यकीन मानिए एक सही जुगाड़ करना और उसे आविष्कार में बदलना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए आपको सही तकनीक और तेज दिमाग की जरूरत होती है, जो हर किसी के पास नहीं होता। आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलाने वाले हैं, जिन्होंने एक या दो नहीं बल्कि 300 आविष्कार किए हैं। ये सारे ही आविष्कार एक मध्यम वर्गीय आदमी की समस्याओं और जरूरतों को ध्यान में रखकर किए गए हैं।
यहां बात हो रही है जूनागढ़ (गुजरात) के रहने वाले कनुभाई करकर की। कनुभाई वन विभाग में ग्रेड वन ऑफिसर हैं। वह एक सरल स्वभाव वाले व्यक्ति हैं। जितने वह सीधे हैं, उनका काम और दिमाग उतना ही अद्भुत है। उनके मन में हमेशा एक ही विचार रहता है कि कैसे किसी काम को और आसान बनाया जाए।
दिन-रात इस बारे में सोच-सोचकर कनुभाई एक के बाद एक नई खोज करते रहते हैं। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “यह सारे आविष्कार मेरी माइंड एक्सरसाइज की देन है। मैं कोशिश करता हूं कि अपने दिमाग का इस्तेमाल करके दूसरों की मदद कर सकूं। लोगों के लिए ऐसी चीजें तैयार करूं, जिससे रोजमर्रा का काम आसानी से किया जा सके।”
गुजरात के सोनम वांगचुक हैं कनुभाई
कनुभाई अगले 52 हफ्ते में रिटायर होने जा रहे हैं। इस दौरान वह 52 इनोवेशन लोगों के सामने रखकर, अपने रिटायरमेंट के पल को यादगार बनाना चाहते हैं। इस सूची को पूरा करने के लिए उन्होंने अब तक 15 नवाचार कर भी लिए हैं।
इन्हीं इनोवेशन में से उनका सबसे पसंदीदा प्रोडक्ट है, ‘थ्री इन वन बेड’। फ्लैट में रहने वाले लोगों, पेइंग गेस्ट या हॉस्टल चलाने वाले लोगों के लिए यह इनोवेशन बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। उनका मानना है कि किसी महंगी वस्तु के विकल्प के रूप में आम आदमी को बढ़िया वस्तु देना ही एक सच्चा इनोवेशन होता है, जैसा कि उनका यह बेड है।
खटिये की तरह बना यह बेड ‘सोफा कम बेड’ की तर्ज पर बना है। उन्होंने एक के अंदर एक करके तीन खटिया साथ में रखी हैं। जिसे समय और जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जा सकता है। इन तीनों खटियों को एक दूसरे एक अंदर रखा गया है, इसलिए आकार में तीनों अलग हैं। लेकिन एक आसान स्टैंड की मदद से इन तीनों खटियों की ऊंचाई को समान बनाया जा सकता है। जिसके बाद यह किंग साइज बेड के रूप में बदल जाता है।
खटिये में मच्छरदानी के लिए स्टैंड लगा है। वहीं इसके पायों पर नीचे व्हील्स लगे हुए हैं।
अपनी प्रतिभा और कुछ अलग करने के जुनून के साथ, कनुभाई ने सभी बारीकियों को ध्यान में रखकर इसे डिज़ाइन किया है। जो आज के मध्यम वर्गीय परिवार के लिए बेहत उपयोगी साबित हो सकता है। इस बेड की कीमत 3,500 रुपये है।
इसे उन्होंने लकड़ी के पलंग जैसा नहीं बल्कि खटिये जैसा बनाया है। हालांकि इसमें लकड़ी की फ्रेमिंग भी कराई जा सकती है। लेकिन उनका कहना है कि खटिये पर सोना स्वास्थ्य और कमर के लिए अच्छा होता है।
लोगों की मदद के लिए करते हैं प्रयोग
कनुभाई के आविष्कारों के बारे में बात की जाए तो उनके सभी इनोवेशन जुगाड़ से प्रेरित होते हैं। लेकिन उपयोगिता के मामले में सभी बड़े काम की चीज है। किसी एक लेख में उनके सभी आविष्कारों को शामिल नहीं किया जा सकता है। लेकिन यहां हम कुछ नवाचारों के बारे में थोड़ी बात जरूर करेंगे।
‘थ्री इन वन बेड’ के अलावा कनुभाई ने तीस हजार रुपये में एक ऐसा एक्सरसाइज मशीन बनाया है, जिसमें 25 से 30 लोग एक साथ व्यायाम कर सकते हैं। इस मशीन को देखने के लिए गुजरात के राज्यपाल खुद जूनागढ़ आए थे। उन्होंने कनुभाई की इस मशीन की जमकर तारीफ भी की थी।
कनुभाई के अधिकांश आविष्कार जुगाड़ पर आधारित होते हैं। ऐसे ही एक आविष्कार के बारे में वह कहते हैं, “साल 1986 में सौराष्ट्र में भयंकर तूफान आया था। तब हमारे गांव के हर घर की छत हवा से उड़ गई थी। उस समय मैंने सभी खपरे वाले घरों की छतों में एक छेद करके बांस से बांध दिया ताकि खपरे उड़ न सके।”
300 से अधिक इनोवेशन कर चुके कनुभाई अब तक लगभग 40 रिसर्च पेपर भी लिख चुके हैं। उनका खुद का यूट्यूब चैनल भी है, जहां वह अपने इनोवेशन के बारे में बात करते हैं।
कनुभाई ने वन विभाग में अलग-अलग पदों पर बेहतर प्रदर्शन किया है। 2011 में उन्होंने जीपीएससी परीक्षा पास की और फिलहाल वन विभाग के ग्रेड वन अधिकारी के रूप में उम्दा काम कर रहे हैं।
कनुभाई के आविष्कारों के बारे में ज्यादा जानने के लिए उनका यूट्यूब चैनल देख सकते हैं।
मूल लेख- किशन दवे
संपादन- जी एन झा
यह भी पढ़ें: किसान के बेटे का आविष्कार: यात्रा में कहीं भी, कभी भी, बैठने के लिए ‘बैग कम चेयर’
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: