शून्य से लेकर सर्जरी तक भारत की 16 महान खोजें, जिसने बदल दी दुनिया की तस्वीर

Indian Discoveries

भारत प्राचीन काल से ही वैज्ञानिक और गणितीय खोजों में अग्रणी रहा है। इन खोजों के बिना इंसानों के लिए मंगल और चाँद तक, पहुंचने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जानिए उन 16 महान खोजों के बारे में, जिसने मानव सभ्यता को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया।

वैज्ञानिक खोजों से पता चला है कि भारत के वैज्ञानिकों ने आधुनिक प्रयोगशालाओं के निर्माण के हजारों साल पहले ही बेहतरीन क्वालिटी के स्टील को बनाने से लेकर कई ऐसी गणितीय प्रणाली को विकसित कर लिया था, जिनके बिना आज चाँद या मंगल तक पहुंचना संभव नहीं था। हालांकि, कई जानकारों का मानना है कि भारत की सभी महान खोजें (Indian Discoveries) अभी तक सामने नहीं आ पाई हैं और कई खोजों के बारे में तो हमें पता भी नहीं है।

आज हम आपको 16 ऐसी भारतीय खोजों (Indian Discoveries) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बिना आज शायद दुनिया की कल्पना नहीं की जा सकती।

1. शून्य का आविष्कार

India added Zero to Maths
Aryabhatt added Zero to Maths (Photo Source)

शून्य के बारे में ज्यादा लिखने की जरूरत नहीं है। इस शब्द का अकेले तो कोई मान नहीं होता है, लेकिन अगर यह किसी अंक के आगे लग जाए, तो उसका मान कई गुना बढ़ा देता है। इस संख्या के बिना गणित की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। शून्य का आविष्कार महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने किया था।

2. दशमलव प्रणाली

Indian Discoveries
Aryabhatt (Photo Source Left/Right)

दुनिया को दशमलव प्रणाली की देन भी भारत की ही है। इसकी खोज भी आर्यभट्ट ने ही की थी। यह पूर्णांक और गैर-पूर्णांक संख्याओं को दर्शाने की एक मानक प्रणाली है। इस प्रणाली में दशमलव अंकों और संख्या 10 के आधार का इस्तेमाल किया जाता है। इसके तहत हर इकाई अपने से छोटी इकाई की दस गुनी बड़ी होती है।

3. अंक संकेतन (Numeral Notations)

Indian Discoveries, Numeral Notations
Numeral Notations (Photo Source)

भारत के गणितज्ञों ने ईसा से करीब 500 वर्ष पूर्व 1 से लेकर 9 तक के अंकों के लिए अलग-अलग संकेत खोजे। बाद में, इसे अरब लोगों ने अपनाते हुए ‘हिंद अंक’ नाम दिया। इसके बाद इस प्रणाली को पश्चिमी देशों ने अपनाया और अरबी अंक नाम दिया। पश्चिमी दुनिया तक यह प्रणाली अरबी व्यापारियों के जरिए पहुंची थी।

4. फाइबोनैचि संख्या (Fibbonacci Numbers)

Indian Discoveries, Fibbonacci Numbers
Fibbonacci Numbers Photo Source

फाइबोनैचि अनुक्रम संख्याओं का एक अनुक्रम है, जहां प्रत्येक संख्या 2 पिछली संख्याओं का योग है, पहले दो संख्याओं को छोड़कर जो 0 और 1 हैं। जैसे – 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21। इस प्रणाली को सामान्यतः F n के रूप में निरूपित किया जाता है। इस प्रणाली का नामकरण 13वीं सदी में इटली के गणितज्ञ लियोनार्डो फाइबोनैचि ने किया था। लेकिन उससे सदियों पहले इस प्रणाली का उल्लेख पिंगल के ‘छन्दःसूत्रम’ में ‘मात्रा मेरु’ के रूप में मिलता है। उसके बाद गणितज्ञ विरहंका, गोपाल और हेमचंद्र ने इस अनुक्रम के गठन के तरीके दिए थे।

5. बाइनरी संख्याएं (Binary Numbers)

Indian Discoveries, Binary Numbers
Binary Numbers (Photo Source)

इस प्रणाली के आधार पर कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग लिखी जाती है। बाइनरी में दो अंक होते हैं – 0 और 1। दोनों के संयोजन को बिट और बाइट कहते हैं। इस प्रणाली का पहला उल्लेख वैदिक विद्वान पिंगल के ‘चंद्रशास्त्र’ में मिलता है।

6. चक्रवाला विधि (Chakravala method of Algorithms)

Indian Discoveries, Chakravala method of Algorithms
Chakravala method of Algorithms (Photo Source Left/Right)

यह अनिश्चित द्विघातीय समीकरण (indeterminate quadratic equations) को हल करने के लिए एक चक्रीय (cyclic algorithm) समीकरण है। इसके द्वारा Pell Equation का भी हल निकाला जाता है। इस पद्धति को 7वीं सदी के महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त द्वारा विकसित किया गया था, जिसे बाद में जयदेव ने और अधिक सरल बनाया। इसके बाद, भास्कराचार्य ने इसे अपने बीजगणित में शामिल किया था।

7. रैखिक माप (Ruler Measurements)

Indian Discoveries, Ruler Measurements
Ruler Measurements (Photo Source)

रैखिक माप का इस्तेमाल लंबाई को दर्शाने के लिए किया जाता है। जिसे हम दूरी भी कह सकते हैं। इस प्रणाली के जनक हड़प्पावासी थे। इस काल में घरों को 1:2:4 के अनुपात में बने ईटों से बनाया जाता था। इसे अंगुल प्रणाली भी कहा जाता है। 

8. परमाणु की अवधारणा (A Theory of Atom)

A Theory of Atom
A Theory of Atom (Photo Source)

1808 में ब्रिटिश वैज्ञानिक जॉन डॉल्टन के परमाणु सिद्धांत का देने से हजारों साल पहले ही महर्षि कणाद ने इस सिद्धांत का अनुमान लगा लिया था। उन्होंने अणु या छोटे अविनाशी कणों के अस्तित्व का अनुमान लगाते हुए कहा था कि अणु में पूर्ण विश्राम और गति, दो अवस्थाएं हो सकती हैं। 

उन्होंने परमाणु को ही अंतिम तत्व माना और कहा कि द्वयणुक (Diatomic Molecule) और त्रयणुक (Triatomic Molecules) के उत्पादन के लिए एक ही पदार्थ के परमाणु, एक विशिष्ट और अनुक्रमिक तरीके से संयुक्त होते हैं।

9. हीलियोसेंट्रिक थ्योरी 

Heliocentric Theory by Aryabhatt
Heliocentric Theory (Photo Story)

खगोलीय विज्ञान के मामले में प्राचीन भारत सदियों आगे था। महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने अपनी किताब आर्यभट्टीयम् में बताया कि धरती गोल है और अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य का परिक्रमा करती है। उन्होंने सौर मंडल, चंद्र ग्रहण, दिन की अवधि और पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का भी अनुमान लगाया था।

10. वूट्ज स्टील

Wootz Steel
Wootz Steel (Photo Source)

यह, खास गुणों वाला एक इस्पात है। इसे भारत में 300 ईसा पूर्व ही विकसित किया जा चुका था। यह एक क्रूसिबल स्टील है, जो एक बैंड के पैटर्न पर आधारित होता है। पुरातन काल में इसे उक्कु, हिंदवानी और सेरिक आयरन नामों से जाना जाता था। 

इस स्टील का उपयोग दमिश्क तलवार बनाने के लिए भी किया जाता था। चेरा राजवंश के दौरान तमिलवासी चारकोल की भट्टी के अंदर मिट्टी के एक बंद बर्तन में ब्लैक मैग्नेटाइट को गर्म पिघलाकर सबसे बेहतरीन स्टील बनाते थे। 

11. जिंक को गलाना

जिंक को गलाने की विधि सबसे पहले भारत में खोजी गई। इसके लिए आसवन विधि (Distillation Process) को अपनाया गया। इस उन्नत तकनीक को प्राचीन रसायन विज्ञान के एक लंबे अनुभव के आधार पर विकसित किया गया था। 

Zinc Smelting in India
Zinc Smelting (Photo Source)

बाद में, पारसियों ने जिंक ऑक्साइड को एक खुली भट्टी में भी तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके। राजस्थान के तीरी घाटी स्थित जावर में दुनिया का सबसे पहला ज्ञात जिंक स्मेल्टिंग स्थल है। बता दें कि जस्ते (Zinc) का इस्तेमाल लोहे को जंगरोधी बनाने में किया जाता है।

12. सीमलेस मेटल ग्लोब

Seamless Metal Globe
Seamless Metal Globe (Photo Source Left/Right)

यह धातुकर्म (Metallurgy) की सबसे शानदार उपलब्धियों में से एक है। दुनिया के सबसे पहले सीमलेस मेटल ग्लोब का निर्माण बादशाह अकबर के शासनकाल के दौरान अली कश्मीरी इब्न लुकमान ने कश्मीर में किया था। इसे 1980 में प्राप्त किया गया था। इसके मिलने से पहले आधुनिक विशेषज्ञ मानते थे कि बिना किसी बाधा के मेटल ग्बोल को बनाना संभव नहीं है। 

13. प्लास्टिक सर्जरी

Indian physician and surgeon, Sushruta
Indian physician and surgeon, Sushruta (Photo Source)

प्राचीन भारत के महान शल्य चिकित्सक सुश्रुत ने 600 ईसा पूर्व ‘सुश्रुत संहिता’ की रचना की थी। इसमें उन्होंने कई साधनों और शस्त्रों के जरिए कई रोगों के इलाज की जानकारी दी थी। उन्हें शल्य चिकित्सा यानी सर्जरी का जनक माना जाता है। सुश्रुत संहिता में 125 तरह की सर्जरी के यंत्रों और 300 से अधिक तरह की सर्जरी के बारे में जिक्र किया गया है।

14. मोतियाबिंद का ऑपरेशन

Cataracts Surgery By Sushrut

Cataracts Surgery By Sushrut (Photo Source Left/Right)

कहा जाता है कि मोतियाबिंद की सबसे पहली सर्जरी 600 ईसा पूर्व सुश्रुत ने किया था। इसके लिए उन्होंने ‘जबामुखी सलका’ का इस्तेमाल किया था, जो एक घुमावदार सुई थी। ऑपरेशन के बाद, उन्होंने आंखों पर एक पट्टी बांध दी, ताकि यह पूरी तरह से ठीक हो जाए। सुश्रुत के इन चिकित्सकीय कार्यों का बाद में अरबों ने अपनी भाषा में अनुवाद किया और उनके जरिए यह पश्चिमी देशों तक पहुंची।

15. आयुर्वेद 

यूनान के प्राचीन चिकित्सक हिपोक्रेटिस से कहीं पहले चरक ने अपनी ‘चरक संहिता’ के तहत आयुर्वेद की नींव रख दी थी। चरक के अनुसार- कोई रोग पहले से तय नहीं होते हैं, बल्कि यह हमारी जीवनशैली से प्रभावित होती है। 

Ayurved By Charak
Ayurved By Charak (Photo Source)

उनका कहना था कि संयमित जीवन पद्धति से रोगों से दूर रहना आसान है। उन्होंने अपनी संहिता में पाचन, चयापचय और प्रतिरक्षा की संकल्पना पेश की थी। उनके ग्रंथ के 8 भाग हैं, जिसमें कुल 120 अध्याय हैं। चरक संहिता को बाद में अरबी और लैटिन जैसी कई विदेशी भाषाओं में अनुवादित किया गया।

16. लोहे के रॉकेट 

Iron Rockets
Iron Rockets (Photo Source)

युद्धों में रॉकेट के इस्तेमाल की रूपरेखा सबसे पहले टीपू सुल्तान ने तैयार की थी। उन्होंने 1780 के दौरान एंग्लो-मैसूर युद्ध के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लोहे के रॉकेट का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया था, जिसकी मारक क्षमता करीब 2 किमी थी। इस वजह से अंग्रेजों को युद्ध में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा।

मूल लेख – संचारी पाल

संपादन- जी एन झा

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