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IIT से बॉलीवुड तक! ट्यूशन टीचर से एक्टर तक! जीतू भैया उर्फ़ जितेंद्र कुमार की कहानी

Jitendra kumar

कैसे सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद, राजस्थान के जितेंद्र कुमार ने नौकरी छोड़ मुंबई में एक्टिंग करने का सपना देखा और उसे पूरा किया। पढ़ें इस IITian की एक्टर बनने की कहानी।

IIT जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थान से ग्रेजुएट होने के बावजूद, कई छात्र किसी अलग ही दिशा में अपना करियर बनाते हैं। इनमें से कई तो ऐसे होते हैं, जो डॉलर में सैलरी कमाने या किसी बड़ी कंपनी की बड़ी पोस्ट के सपने नहीं देखते। वे अपनी अलग पहचान बनाने के लिए, अपने करियर और हाई प्रोफाइल नौकरी छोड़कर, कुछ नया करने का रिस्क उठाते हैं।  

फिर चाहे वह कोई स्टार्टअप हो या कॉलेज की पढ़ाई से बिल्कुल अलग कुछ नया करने का जुनून। कई लोगों के पास तो, फेल होने पर अपने पारिवारिक बिज़नेस का बैकअप भी नहीं होता है। लेकिन बावजूद इसके, कुछ हटकर करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए, वे मेहनत करते हैं और यही जिद उनकी सफलता का कारण भी बनती है। 

ऐसी ही एक शख्सियत हैं, राजस्थान के अलवर जिले के छोटे से शहर खैरथल के 30 वर्षीय अभिनेता, जितेंद्र कुमार। कुछ समय पहले ही उन्हें उनकी अमेज़ॅन प्राइम सीरीज़ ‘पंचायत’ के लिए बेस्ट एक्टर कॉमेडी सीरीज़ (पुरुष) की श्रेणी में फिल्मफेयर OTT पुरस्कार मिला है। हालांकि, एक समय पर IIT-खड़गपुर के छात्र जितेंद्र, सिविल इंजीनियर बनना चाहते थे। 

साल 2010 में YouTube पर वायरल कॉमेडी स्केच से लेकर, आज एक लीड हीरो की पहचान बनाने तक, जितेंद्र ने एक लंबा सफर तय किया है। साल 2020 में वह आयुष्मान खुराना के साथ “शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ जैसी हिट फिल्म में मुख्य भूमिका में नज़र आए थे। 

बचपन से था एक्टिंग का कीड़ा 

Jitendra kumar Panchayat actor

खैरथल में पले-बढ़ें जितेंद्र, बचपन से ही अपने शहर की रामलीला में एक्टिंग किया करते थे। उस समय वह कई अलग-अलग किरदार निभाया करते थे। शायद तब उन्हें पता भी नहीं था कि एक दिन वह एक्टिंग में पहचान बनाएंगे। लेकिन IIT-खड़गपुर में पढ़ाई के दौरान ही, उन्होंने अभिनय को अधिक गंभीरता से लेना शुरू किया था। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए जितेंद्र कहते हैं, “सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक करने के दौरान, मैंने कॉलेज थिएटर में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू कर दिया था। तब मुझे पहली बार एक्टिंग के लिए उचित मंच, बेहतरीन पटकथा और लाइट्स, साउंड्स जैसी चीजें सिखने को मिलीं। कॉलेज के हिंदी ड्रामेटिक सोसाइटी से जुड़कर, मैंने विजय तेंदुलकर, रवींद्रनाथ टैगोर और महेश दत्तानी के नाटक किए। विजय तेंदुलकर साहब के एक नाटक ‘सखाराम बाइंडर’ में मुख्य नायक की भूमिका निभाना, मेरे सबसे पसंदीदा रोल में से एक था। कॉलेज के आखरी साल में, मैंने एक दोस्त और सीनियर, विश्वपति सरकार के नाटक में अभिनय किया था।”  

हालांकि, 2012 में ग्रेजुएशन करने के बाद तक जितेंद्र के मन में एक्टिंग में करियर बनाने का कोई ख्याल नहीं था। लेकिन कैंपस प्लेसमेंट से भी उन्हें कोई अच्छा काम नहीं मिल रहा था। उस समय वह अच्छी नौकरी पाने के लिए कोशिशों में लगे थे। उसी दौरान उनके सीनियर, विश्वपति सरकार, जिन्हें वे प्यार से ‘बिस्वा’ कहते हैं,  उन्होंने एक लेखक के रूप में ‘द वायरल फीवर’ (TVF) कॉमेडी फिल्म मेकिंग ग्रुप को ज्वाइन किया था। वह लगातार जितेंद्र को कंपनी के बारे में बताते थे कि कैसे वह यूट्यूब पर 5 से 10 मिनट के कॉमेडी स्केच बनाते हैं। साथ ही, वह इन वीडियोज़ में जिंतेंद्र को अभिनय करने के लिए प्रोत्साहित भी करते थे।

कैसे चुनी एक्टिंग की राह?

कॉलेज के दिनों को याद करते हुए जितेंद्र कहते हैं, “कॉलेज खत्म होते-होते, एक्टिंग करने की बात हो रही थी और मई 2012 तक, मैं मुंबई के लिए रवाना हो भी गया था। मुंबई आकर, मैं एक अभिनेता के रूप में TVF में शामिल हो गया। हालांकि, मुझे शुरुआती दिनों में एक्टिंग का कुछ काम नहीं मिल रहा था और तक़रीबन तीन महीने परेशान होने के बाद, मैंने कंस्ट्रक्शन कंपनी में नौकरी ढूंढने का फैसला किया।”

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आखिरकार उन्हें बेंगलुरु में जापानी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम मिल गया और वह भी अधिकांश IIT ग्रेजुएट्स की तरह ही, काम करने लगे। उनके जीवन में सब कुछ बदल चुका था, तभी TVF ने एक कॉमेडी स्केच, ‘मुन्ना जज्बाती’ को रिलीज करने का फैसला किया। उसमें जितेंद्र को एक इंटर्न की भूमिका निभाने का मौका मिला। यह उनका TVF में पहला कॉमेडी स्केच था। 

उन्होंने बताया, “शुरुआत में मेरा वह वीडियो उन्होंने यह सोचकर ऑनलाइन नहीं डाला कि स्केच काम नहीं करेगा। लेकिन कुछ महीने बाद, जब मैं अपनी कंपनी के काम से हैदराबाद गया था। उस दौरान ही मुझे मुन्ना जज्बाती की रिलीज के बारे में दोस्तों से पता चला। फिर मुझे कई लोगों के फ़ोन आए और कुछ समय बाद, वह वीडियो काफी वायरल हो गया। इसके बाद कई कास्टिंग कंपनियों ने भी मुझे फोन करना शुरू कर दिया था। तभी बिस्वा ने मुझे फिर से फोन किया और कहा, “अब बॉम्बे आजा”। यह मेरे लिए जीवन बदलने वाला क्षण था।”

जितेंद्र ने तकरीबन नौ महीने MNC में काम भी किया। बाद में उन्होंने नौकरी छोड़कर एक्टिंग में ही करियर बनाने का फैसला किया। उन्होंने एक्टिंग की प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेने के लिए दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) और पुणे के फिल्म एंड टेलिवीज़न इस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) में अप्लाई किया। लेकिन बड़ी कोशिशों के बाद भी उन्हें कहीं एडमिशन नहीं मिला।

जितेंद्र कहते हैं, “एनएसडी में जाने के लिए मैं पूरी तरह से तैयार नहीं था। वहां जाने के लिए, आपको अभिनय के अलावा, नृत्य और शास्त्रीय संगीत जैसे दूसरे कौशलों में भी माहिर होना चाहिए। वहां एक साक्षात्कारकर्ता ने, मेरे एक इंजीनियर होने के बावजूद एक्टिंग में करियर बनाने पर सवाल पूछा। मुझे उस समय समझ में नहीं आया कि मैं क्या जवाब दूँ। इसलिए, मैंने TVF में वापस जाने और वहीं अभिनय शुरू करने का फैसला किया।”

इसके बाद उन्हें कॉमेडी गिग्स में काम मिलने लगा। साल 2014-15 तक उन्होंने  YouTube पर ऑनलाइन काम किया। जितेंद्र के लिए उनका पहला बड़ा ब्रेक, ‘पिचर्स’ नामक एक मशहूर TVF शो में उनके काम के कारण मिला। 

बड़े ब्रेक से बड़ी शुरुआत 

सिविल इंजीनियरों के परिवार से आने वाले जितेंद्र से सबको बड़ी उम्मीदें थीं कि IIT से पढ़ने के बाद, उन्हें अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी मिल जाएगी। हालांकि, उनके माता-पिता इस बात से भी खुश थे कि उनका बेटा एनएसडी और एफटीआईआई जैसे संस्थानों में पढ़ने के लिए अप्लाई कर रहा है।  

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परिवारवालों की प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए वह कहते हैं, “मेरे माता-पिता मेरे मुंबई वापस आने के फैसले से खुश नहीं थे। वे इस बात से नाखुश थे कि मैंने अभिनय में एक और शॉट लेने के लिए एक अच्छी नौकरी छोड़ दी। मैं सिविल इंजीनियरों के परिवार से आता हूं। मेरे लिए उनकी अलग योजनाएं थीं। मेरे पिता और मेरे बीच कुछ दिनों तक बहस भी हुई। हमने दो दिन तक खाना भी नहीं खाया।”   

आख़िरकार जितेंद्र का अभिनय के प्रति लगाव देखकर माता-पिता मान गए। उन्होंने एक शर्त रखी कि कुछ सालों तक वे उनकी आर्थिक मदद करेंगे, जब तक कि वह अपनी पहचान नहीं बना लेते। साथ ही, कहा कि अगर वह अभिनय में अपनी पहचान नहीं बना पाते हैं, तो उन्हें एक्टिंग छोड़नी होगी और नौकरी ढूंढनी होगी। 

जितेंद्र ने बताया, “उनसे पैसे लेने के बजाय मैंने खुद ही एक्टिंग के साथ-साथ पार्ट टाइम काम करना शुरू किया। मुंबई में अपने शुरुआती दिनों के दौरान, मैंने कुछ पैसे कमाने के लिए JEE परीक्षा की तैयारी करवाने वाले कोचिंग में फिजिक्स पढ़ाना शुरू किया। दो साल तक मैंने वहां पढ़ाने का काम किया। हालांकि, TVF की ‘पिचर्स” के बाद, मेरा एक्टिंग करियर काफी अच्छा हो गया था।”

कई दिगज्जों के साथ काम करने का मिला मौका 

अपने शुरुआती दौर में ही, जितेंद्र को नीना गुप्ता (पंचायत और शुभ मंगल ज्यादा सावधान), रघुवीर यादव (पंचायत), आयुष्मान खुराना (शुभ मंगल ज्यादा सावधान), गजराज राव,  विपिन शर्मा (गॉन केश) और श्वेता त्रिपाठी (गॉन केश) जैसे  बेहतरीन कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला। 

वह कहते हैं, “मैं नीना मैम और रघुवीर सर जैसे कुछ अभिनेताओं को देखकर बड़ा हुआ हूं। उनके साथ काम करते हुए, उनके अनुभवों से ही मैंने सीखा कि अपने पात्रों के लिए कैसे तैयार होते हैं। ये सभी कलाकार कमर्शियल और आर्ट फिल्मों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने मुझे जो सिखाया है, वह यह है कि मुझे हमेशा अच्छी कहानियों पर काम करना चाहिए। फिर चाहे वह OTT  हो या फिल्म। उदाहरण के लिए, डिजिटल प्लेटफॉर्म और OTT नीना जी और रघुवीर सर के लिए काफी नया और अलग था। क्योंकि, वे पहले बड़ी फिल्मों का हिस्सा रहे चुके हैं। बावजूद इसके, उन्होंने OTT पर काम किया।”

ये सभी कलाकार अब ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म का हिस्सा बन चुके हैं। जितेंद्र का कहना है कि अब तो इंडस्ट्री के कई दिग्गज अभिनेता भी OTT का हिस्सा बनना चाहते हैं। 

Award winning actor Jitendra Kumar

उन्होंने बताया, “इन दिग्गज कलाकारों को नए प्रयोग करते देखकर, मुझे भी प्रेरणा मिलती है। मैं भी एक ऐसा अभिनेता बनने का प्रयास कर रहा हूँ, जिसे देखकर दूसरों को प्रेरणा मिले। सेट पर एक अच्छे अभिनेता के साथ काम करना, दूसरे साथी कलाकारों को भी ऊर्जा देता है। ये सभी दिल से काम करते हैं और उनकी ही तरह, मैं भी दिल से और पूरी ऊर्जा के साथ काम करना चाहता हूँ।” 

जितेंद्र के निभाए सभी किरदार रोजमर्रा के आम आदमी से प्रभावित होते हैं और वे सारे हिंदी भाषी राज्यों से जुड़े हुए किरदार हैं। जबकि, उनका कहना है कि मेरे सभी किरदार एक-दूसरे से अपने तरीके से काफी अलग भी हैं।  

अपने किरदारों के बारे में वह कहते हैं, “मैंने जो भी किरदार किए हैं, वे सभी आम आदमी के जीवन से जुड़े हुए हैं। इसलिए मेरी भूमिकाएं सभी में एक जैसी लगती हैं। हालांकि, भावनात्मक और सामाजिक दृष्टि से सभी अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए, पंचायत में मैंने एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट की भूमिका निभाई। जो बेहतर नौकरी के विकल्पों की कमी के कारण, उत्तर प्रदेश के एक सुदूर गांव फुलेरा में पंचायत सचिव बन जाता है। उसमें अभिषेक (चरित्र नाम) की गांववालों के लिए काम करने की कोई इच्छा नहीं होती, वह तो CAT पास करके MBA करना चाहता है और शहर में एक सामान्य 9 से 5 की नौकरी करना चाहता है। वहीं, ‘TVF पिचर्स’ में मेरा किरदार जीतू, सामान्य 9 से 5 की नौकरी बिल्कुल नहीं करना चाहता, बल्कि वह स्टार्टअप की दुनिया में बड़ा नाम बनना चाहता है। शुभ मंगल ज्यादा सावधान में मैं अमन त्रिपाठी बना हूँ। यह एक समलैंगिक व्यक्ति और उसके साथी कार्तिक की कहानी है, जिन्हें अपने रिश्ते के बारे में  माता-पिता को समझाने में परेशानी होती है।”

लेकिन ये सारे ही किरदार, विशेष रूप से पिचर्स या कोटा फैक्ट्री जैसे शो सामाजिक दृष्टि से कठिन है। ऐसे किरदार हमने 1990 या 2000 के दौर में किसी बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर में कभी नहीं देखे थे। जितेंद्र ने अब तक जो काम किया है, कई मायनों में वह उस बदलाव का दर्शाता है, जो आजकल के फिल्म निर्माताओं की ओर से किए जा रहे हैं। 

भविष्य में अपने काम के बारे में वह कहते हैं, “मैं सिर्फ अच्छी कहानियां करना चाहता हूं और कुछ नहीं। वहीं, अगर ऐसी कहानियां उन निर्देशकों की ओर से मिले, जिनके साथ मैं वास्तव में काम करना चाहता हूं, तो वह केक पर आइसिंग की तरह होगा। लेकिन सब मिलाकर अच्छी कहानी मेरे लिए सबसे अधिक मायने रखती है।” 

मूल लेख -Rinchen Norbu Wangchuk

संपादन- अर्चना दुबे

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