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5 आसान स्टेप्स में सीखें घर के कचरे से धूपबत्ती बनाना और शुरू करें अपना बिजनेस

Making dhoopbatti or incense cone of household waste

हैदराबाद की पद्मिनी ने किचन के कचरे से निपटने का एक अनोखा तरीका ढूंढ निकाला है। वह इससे सुगंधित व इको-फ्रेंडली धूपबत्ती बनाती हैं, वह भी बेहद कम खर्च में। आप भी सीखें, वह कैसे करती हैं यह कमाल।

पद्मिनी रंगराजन, काफी लंबे समय से पपेट (कठपुतली) शो के जरिए कई मुद्दों पर लोगों को जागरूक करने का काम करती आई हैं। अपनी इन छोटी-छोटी नटखट दोस्तों, यानी कठपुतलियों को वह खुद बनाती हैं और उनके साथ कहानियां गढ़ती हैं और फिर उन कहानियों के जरिए लोगों को प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से आगाह भी करती हैं। इसके अलावा, वह पर्यावरण से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर भी जागरूकता फैलाने का काम करती हैं। 

ऐसे ही एक शो के दौरान, एक बार उनसे पूछे गए एक सवाल ने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल दी। वह बताती हैं, “शो के दौरान एक बच्चे ने मुझसे पूछा कि मैं जो कुछ भी बता या सिखा रही हूं, क्या मैं खुद ऐसा करती हूं? उस बच्चे के इस सवाल ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था। उस समय तक मैं प्लास्टिक की बोतलों और नारियल के खोल जैसे कचरों से कठपुतलियां बनाती थी। पर्यावरण को बचाने के लिए, मेरा बस इतना भर ही प्रयास था।” वह याद करते हुए कहती हैं, “लेकिन उस सवाल के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि इतना काफी नहीं है। अगर मैं सचमुच कुछ करना चाहती हूं, तो मुझे और भी रास्ते तलाशने होंगे।” 

उसके बाद से पद्मिनी ने अपने घर के कचरे को कम करने की दिशा में काम करना शुरु कर दिया। शहर के लैंडफिल तक पहुंचकर, जो कचरा कूड़े के ढेर को और ज्यादा बढ़ा रहा था, वह उसे रीसाइकल करके खाद बनाने लगीं।

दादी के प्रयोग और दोस्त के बिजनेस से मिला आइडिया

हम रोजाना कितना बचा हुआ खाना कचरे में यूं ही फेंक देते हैं। अगर देखा जाए तो भारत में एक व्यक्ति साल में 50 किलो कचरा पैदा करने के लिए जिम्मेदार है। पद्मिनी के अनुसार, अगर इस समस्या का हल ढूंढना है और शहर को साफ-सुथरा बनाना है, तो नीतियों के बदलने और उनके लागू होने का इंतजार करने के बजाय, हमें खुद आगे आना होगा। घर के कचरे को कम करके, हम इस समस्या से काफी हद तक निपटने में सफल हो सकते हैं।

इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए पद्मिनी ने खाद बनाने के अलावा कुछ क्रिएटिव करने के बारे में भी सोचा। अब वह अपनी रसोई से निकलने वाले कचरे के साथ-साथ, चार और घरों के कचरे को इकट्ठा करके, घर पर ही जीरो वेस्ट धूपबत्तियां बना रही हैं।

पद्मिनी कहती हैं, “श्रीलंका में रहनेवाली मेरी एक दोस्त ने बताया कि वह घर पर ही क्रीम और कुमकुम जैसे प्रॉडक्ट बना रही हैं। बस मुझे वहीं से कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली। मेरी दादी त्योहारों पर इस्तेमाल किए जाने वाले नारियल के खोल को जलाकर अक्सर धूपबत्ती के लिए पाउडर और चारकोल बनाया करती थीं। मैंने उसी आइडिया पर काम करने का फैसला किया और थोड़ी रिसर्च करके धूपबत्ती बनाने का तरीका ढूंढ लिया।”

पद्मिनी ने रसोई के कचरे से घर पर ही धूपबत्ती बनाने के अपने इस तरीके को द बेटर इंडिया के साथ साझा किया:

कैसे बनाएं धूपबत्ती?

Dhoopbatti made of kitchen waste & dry flowers
Incense cones made out of kitchen waste
  1. धूपबत्ती बनाने के लिए रसोई के कचरे को इकट्ठा करना शुरू कर दें। इसके लिए आप किचन वेस्ट से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों के बाद बचे हुए फूलों तक का इस्तेमाल कर सकते हैं। पद्मिनी कहती हैं, “कचरे को इकट्ठा करने के लिए मैं आटे की खाली बोरियों का इस्तेमाल करती हूं। इसके लिए बाजार से कंटेनर खरीदने की जरूरत नहीं है।” 
  2. कचरे को तीन या चार दिन तक खुले में सूखने के लिए रखना होगा। कचरे को सुखाते समय ध्यान रखें कि उसमें फंगस न लगने पाए। इससे बचने के लिए कचरे को समय-समय पर उलटते- पलटते रहें। जब कचरा पूरी तरह से सूख जाए, तो ही अगला कदम उठाएं।
  3. इस सूखे हुए कचरे को मिक्सी में तब तक पीसें, जब तक कि ये पूरी तरह से पाउडर न बन जाए।
  4. अब इससे धूपबत्ती बनाने के लिए, तीन चम्मच सूखे पाउडर में तीन चम्मच लकड़ी का बुरादा, तीन चम्मच नारियल की भूसी और नारियल के तेल की कुछ बूंदें एक साथ मिला लें। ये सारी ज्वलनशील यानी जलने वाली चीजें हैं। वह बताती हैं, “ मेरे घर के आस-पास अगर कोई निर्माण कार्य चल रहा होता है, तो अपने इस प्रोजेक्ट के लिए मैं लकड़ी के छीलन का इस्तेमाल करती हूं। यह वह कचरा है, जिसे आमतौर पर कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता है।” पद्मिनी ने खुशबू बढ़ाने के लिए इसमें इसेन्शल ऑयल या ऑर्गेनिक लोबान को भी आजमाया और परखा है। यह अच्छा काम करता है।
  5. चूंकि इस मिश्रण में नारियल का तेल मिला है, तो ये आसानी से आटे की तरह मथ जाएगा। अब आप इस धूपबत्ती को मनचाहा आकार दे सकते हैं।

सरकार से मिली ‘स्वच्छता सारथी फेलोशिप’

छह सेंटीमीटर की एक धूपबत्ती को जलाने में एक मिनट से भी कम समय लगता है और यह औसतन दो घंटे तक जलती रहती है। पद्मिनी बड़े ही उत्साह से बताती हैं कि गुलाब की पंखुड़ियों से बनी धूपबत्ती पूरे घर को फूलों की सुगंध से भर देती है।

बाजार से खरीदी गई धूपबत्ती में ऐसे रसायन मिले होते हैं, जो पर्यावरण के साथ-साथ हमारे शरीर को भी नुकसान पहुंचाते हैं। पद्मिनी को उम्मीद है कि इस नुस्खे के बाद हर घर में इको-फ्रेंडली धूपबत्ती का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा।

महिला उद्यमी की इस वेस्ट मैनेजमेंट तकनीक को हाल ही में ‘स्वच्छता सारथी फेलोशिप’ दी गई है। सरकार के वेस्ट वेल्थ मिशन के तहत दी जाने वाली इस फैलोशिप में पद्मिनी जैसे लोगों के वेस्ट मैनेजमेंट आइडियाज़ को आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाने के लिए स्थान और अवसर प्रदान किए जाते हैं।

पद्मिनी कहती हैं, “मुझे उम्मीद है कि एसएचजी के तहत मैं इस प्रोजेक्ट को वंचित महिलाओं तक ले जा सकूंगीं। ताकि पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने के साथ-साथ, स्थाई रोजगार के विकल्पों को भी बढ़ावा दिया जा सके।” 

मूल लेखः- रिया गुप्ता

संपादनः अर्चना दुबे

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