पिता के आखरी वक़्त में साथ न होने के अफ़सोस में, आठ सालों से कर रहीं बेसहारों की देखभाल

Rajkot social worker Jalpa Patel

पिता को खोने के बाद, जल्पा ने सड़क के किनारे रह रहे बेसहारा लोगों की मदद करने की सोची। वह पिछले आठ सालों से जरूरतमंदों के लिए खाना, कपड़े और दवाइयों का इंतजाम कर रही हैं। पढ़ें एक बेटी के अपने पिता के प्रति समर्पण की कहानी!

अक्सर सड़क के किनारे ऐसे बेसहारा लोग दिख जाते हैं, जिनका न परिवार होता न पैसे कमाने के लिए कोई काम। इनमें से ज्यादातर लोग अकेले होते हैं और इधर-उधर से मिली मदद के भरोसे ही गुज़ारा चलाते हैं। उनका कोई स्थायी ठिकाना और दो वक़्त की रोटी का इंतजाम भी नहीं होता है। हममें से कई लोग रास्ते से गुजरते वक़्त, उनकी दयनीय दशा देखकर अफ़सोस करते हैं। कुछ लोग पैसों से उनकी मदद भी कर देते हैं। 

लेकिन क्या हम उनके लिए हर दिन कुछ करने की सोचते हैं? हम अपने जीवन की समस्याओं से ही इतने घिरे रहते हैं कि दूसरों के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिल पता। वहीं, समाज में कई ऐसे संस्थान हैं, जहां ऐसे लोगों को रखने और इनकी देखभाल के लिए काम किया जा रहा है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख़्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने खुद अपने दम पर इन बेसहारा लोगों की मदद करने का फैसला किया है। 

राजकोट की जल्पा पटेल, पिछले आठ सालों से सड़क के किनारे और स्टेशन के पास रहते लोगों के लिए भोजन, कपड़ा और स्वास्थ्य सबंधी जरूरतों का ध्यान रख रही हैं।  

सोशल मीडिया के माध्यम से गुजरात के कई लोग उनसे जुड़कर काम कर रहे हैं। चार महीने पहले ही उन्होंने, साथी ग्रुप नाम से अपना NGO भी रजिस्टर करवाया है। 

साथी ग्रुप का काम है, फुटपाथ पर रहने वाले बेसहारा लोगों को हर रोज पेट भर खाना, पहनने के लिए कपड़े और बीमार होने पर दवाइयां मुहैया कराना। इसके  अलावा फ़िलहाल, वह इन लोगों के रहने के लिए एक घर बनाने के प्रयास में लगी हैं।  

Jalpa Patel social worker from Rajkot
जल्पा पटेल

एक सोच के साथ शुरू हुआ काम 

जल्पा एक बिज़नेसवुमन हैं, वह राजकोट में एक सुपरमार्केट और रिधम कार जोन नाम का ऑटोमोबाइल शोरूम चलाती हैं। साल 2009 तक ऑटोमोबाइल कंपनी में काम करने के बाद, उन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत की थी। हालांकि वह पहले से ही जरूरतमंद लोगों की मदद का काम करना चाहती थीं। लेकिन अपने करियर और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच वह ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही थीं। 

लेकिन वह कहते हैं न कि कभी-कभी एक क्षण ही इंसान के जीवन में बड़े बदलाव ले आता है। ऐसा ही कुछ जल्पा के साथ भी हुआ। साल 2013 में दिल का दौरा पड़ने से उनके पिता का निधन हो गया था। उस समय जल्पा अपने ऑफिस में थीं और समय पर घर नहीं पहुंच पाई थीं। जिसका उन्हें बेहद अफ़सोस हुआ और इस घटना ने उनकी जिंदगी बदल दी।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहती हैं, “उस दिन मैं समय से अपने पिता के पास तो नहीं पहुंच पाई, लेकिन मैंने ठान लिया कि मैं जितना हो सके जरूरतमंद लोगों की मदद करुँगी।”

social worker feeding needy

वह कहती हैं कि पहले वह हफ्ते के पांच दिन काम करती थीं और दो दिन इनके लिए खाना और बाकि जरूरतों का सामान लेकर जाया करती थीं। लेकिन अब चूँकि वह अपना काम घर और फ़ोन से संभालती हैं, इसलिए वह ज्यादा से ज्यादा समय सेवा कार्यो के लिए दे रही हैं।

साथी सेवा

जल्पा शुरुआती आठ सालों तक अपने खुद के खर्च से सेवा कार्य करती थीं। जिसमें उनके कुछ दोस्त और परिवार के लोग उनका साथ देते थे। इस काम के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का भी सहारा लिया। कभी भी उन्हें पता चलता कि कहीं किसी को भोजन आदि की जरूरत है, तो वह वहां पहुंच जाती थीं। धीरे-धीरे राजकोट के कई लोग उनसे जुड़ने लगे। 

Sathi Seva group Rajkot
साथी सेवा ग्रुप

इस तरह, उनका साथी ग्रुप  राजकोट के अलग-अलग हिस्सों में काम करता है। अगर किसी को कोई समस्या है, तो उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाता है। 

इसके अलावा, वह दीपावली पर जरूरतमंदों को कपड़े व मिठाइयां देते हैं। वह, समय-समय पर लोगों को अनाज किट भी देते हैं। फ़िलहाल इन ग्रुप से लगभग 40 से 45 स्वयंसेवक जुड़कर काम कर रहे हैं, जो जल्पा की मदद करते हैं। इसी साल उन्होंने अपने साथी ग्रुप को NGO के रूप में रजिस्टर भी करवाया है।  

इस NGO के तहत, वह लोगों से पैसों के बजाय राशन, कपड़े और दवाइयां आदि की मदद लेते हैं। वहीं, अगर कोई दूसरे शहर से कुछ मदद करता है, तो पैसे दे सकता हैं। साथी ग्रुप हर दिन 400 से 500 लोगों के लिए भोजन तैयार करता है और भोजन बनाने के लिए भी किसी को काम पर नहीं रखा गया है। जल्पा और उनके स्वयंसेवी ही मिलकर रोज का भोजन बनाने का काम करते हैं। 

food for needy

वह बताती हैं, “सड़क किनारे रहने वाले ज्यादातर लोग अकेले और स्वास्थ्य से कमजोर होते हैं। वह हमसे बात भी नहीं करते, लेकिन हमारा ग्रुप इन लोगों की मदद करके, इनकी हालत में सुधार लाने का काम करता है। आने वाले दिनों में हम इनके रहने की व्यवस्था भी करने वाले हैं।”

आप जल्पा या उनके साथी सेवा ग्रुप के बारे में जानने या मदद के लिए उनके फेसबुक पेज पर संपर्क कर सकते हैं।

संपादनः अर्चना दुबे

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