अक्सर लोग कहते हैं कि बागवानी बहुत महंगा शौक है। लेकिन इस बात में कई पहलू हैं जैसे बहुत से लोग चाहते हैं कि उनके घर में सुंदर सा बगीचा हो लेकिन उन्हें खुद कोई मेहनत न करनी पड़े। दूसरी चीज है कि बहुत से लोगों को सिर्फ एग्जॉटिक पेड़-पौधे लगाने का शौक होता है तो उनके लिए भी बागवानी महंगी हो सकती है। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में हरियाली रहे और कुछ सामान्य पौधे हों तो आप कम से कम बजट में भी सुंदर का बगीचा तैयार कर सकते हैं। जैसा कि पटना की प्रभा कुमारी ने किया है।
52 वर्षीया प्रभा कुमारी पिछले दो सालों से नियमित बागवानी कर रही हैं। हालांकि, इससे पहले भी उनके घर में हमेशा पेड़-पौधे रहे लेकिन कुछ कारणवश वह अपना बगीचा तैयार नहीं कर पा रही थी। लेकिन दो साल पहले जब उनके घर का निर्माण कार्य पूरा हो गया और छत पर उनके पास अच्छी-खासी जगह हो गयी तो उन्होंने तुरंत बगीचा लगाने की शुरुआत कर दी। सबसे दिलचस्प बात है कि इस काम में उन्हें ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़े। कभी-कभी ही वह बगीचे के लिए पैसे खर्च करती है क्योकि उनका सीधा-सा फंडा है- ‘कबाड़ से जुगाड़’ और इसी से उन्होंने अपना बगीचा तैयार किया है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “मुझे बचपन से ही बागवानी का शौक रहा है। हमेशा पिताजी को बागवानी करते हुए देखती थी और इस तरह मुझे भी पेड़-पौधों से लगाव हो गया। लेकिन एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए अपनी जरूरतों को पूरा करते हुए महंगे पेड़-पौधे, गमले खरीद पाना हमेशा सम्भव नहीं हो पाता है। इसलिए मैंने पौधे खरीदने की बजाय, पौधों की कटिंग, बीज इधर-उधर से इकट्ठा करने लगी। बहुत से पौधे तो आटे-चावल की खाली थैलियों में रखकर मैं पिताजी के घर से पटना लेकर आई हूं। फिर उन्हीं से और पौधे तैयार कर लिए तो देखते ही देखते आज बगीचे में सैकड़ों पौधे हो गए हैं।”
थर्मोकॉल के डिब्बे, बाल्टी, बोतल में भी लगाए पौधे
प्रभा ने बताया कि उन्होंने दो अलग-अलग छतों पर बागवानी का सेटअप किया है। एक छत पर उन्होंने ‘किचन गार्डन’ तैयार है, जिसमें वह कई तरह की मौसमी सब्जियां और कुछ फलों के पौधे लगा रही हैं। दूसरी छत पर कई तरह के फूलों के पौधे और सजावटी पौधे हैं। उनकी छत पर कुछ औषधीय पौधे भी हैं। “सब्जियों के लिए मैंने सीमेंट से ही कुछ क्यारियां बनवाई थीं। इनके अलावा, थर्मोकॉल के डिब्बों को इस्तेमाल में लेती हूं। इनमें बैंगन, लौकी, तोरई, खीरा, भिंडी, शिमला मिर्च, करेला, अरबी, अदरक, पालक, पुदीना, चौलाई साग, टमाटर, मिर्च जैसी मौसमी सब्जियां अच्छे से हो जाती हैं,” उन्होंने बताया।
प्रभा कहती हैं कि किचन गार्डन की वजह से उन्हें बाजार से सब्जी नहीं खरीदनी पड़ती है। कई बार उपज ज्यादा हो जाती है तो वह अपने पड़ोसियों में भी सब्जी बांट देती हैं।
सब्जियों के अलावा, उन्होंने नीम्बू, अमरुद, अनार, आम, अंगूर, चीकू, केला जैसे फलों के भी कई पेड़ लगाए हुए हैं। उनके नीम्बू, अमरुद और अनार के पेड़ों में फल भी आने लगे हैं। दूसरे पेड़ों में अगले साल तक फल आने लगेंगे। उन्होंने बताया, “फलों के पेड़ों के लिए आपको बड़े गमले या ग्रो बैग की जरूरत होती है। मैंने ग्रो बैग खरीदने का सोचा लेकिन बाजार में पता किया तो मुझे यह महंगा लगा। इसलिए मैंने खुद ही मोटी वाली प्लास्टिक खरीदकर बगीचे के लिए ग्रो बैग बना लिया। इस तरह से एक ग्रो बैग की कीमत में मेरे दो-तीन ग्रो बैग तैयार हो गए।”
लगभग 12 तरह के फूलों के साथ लगाए सजावटी पौधे भी
अपनी दूसरी छत पर उन्होंने अलग-अलग तरह के फूलों के पौधे लगाए हुए हैं। जिनमें मधुकामिनी, टीकोमा, जूही, चमली, रात की रानी, जिनिया, आलमंडा, एक्जोरा, चांदनी, गरबेरा, हरसिंगर, गुलाब, कॉसमॉस आदि शामिल हैं। इनके साथ ही, छत पर छांव वाले हिस्से में उन्होंने कुछ साज-सज्जा वाले पौधे जैसे स्नेक प्लांट, ऐरेका पाम, एग्जोरा आदि लगाए हुए हैं। उनकी छत पर आपको इलायची, दालचीनी, काली मिर्च और अडेनियम के भी पौधे मिलेंगे। इन सबकी देखभाल प्रभा खुद ही करती हैं।
उन्होंने बताया, “बगीचे के रख-रखाव के लिए आपको हर दिन पौधों को समय देना चाहिए। जैसे मैं हर सुबह दो से तीन घंटे बगीचे में गुजारती हूं। फल-सब्जियों के अलावा ज्यादातर पौधे कटिंग से लगाए हुए हैं। अगर कभी नर्सरी से पौधा लाना भी हो तो मैं सिर्फ एक-दो पौधे ही लाती हूं। उन्हीं से फिर और पौधे तैयार कर लेती हैं। इससे बगीचे में पौधे बढ़ते हैं और ज्यादा खर्च भी नहीं होता है।”
पौधों के साथ-साथ गमलों पर भी वह पैसे की बचत कर लेती हैं। प्रभा ने कहा कि घर जब तैयार हुआ तो कुछ सीमेंट और पेंट बच गया था। इसे बेकार जाने देने की बजाय उन्होंने अपने काम में लेना शुरू कर दिया। प्रभा ने खुद कई छोटे-छोटे सीमेंट के गमले बनाए हैं। इसके अलावा, उन्होंने प्लास्टिक की बोतलों, डिब्बों, टूटे कप, कॉफ़ी मग, मशरूम के डिब्बों और तो और टूटे लाइट होल्डर से भी प्लांटर बनाए हुए हैं। वहीं, बात अगर पौधों की देखभाल की करें तो वह नीम के पत्ते और निम्बोली इकट्ठा करके नीम खली भी तैयार कर लेते हैं। उनके घर का सभी तरह का जैविक कचरा जैसे फल-सब्जियों के छिलके, पेड़ों के सूखे पत्ते आदि खाद बनाने के लिए प्रयोग में लिया जाता है।
उन्होंने कहा, “बाहर से कभी-कभी कुछ चीजें लेनी पड़ती है जैसे सरसों खली, गोबर की खाद या केंचुआ खाद आदि। लेकिन ये चीजें भी आप एक बार खरीदते हैं तो काफी समय के लिए काम आ जाती हैं। अगर आप खुद अपने हाथों से बागवानी करते हैं तो आपको अंदाजा होने लगता है कि आपके किस पौधे को क्या जरूरत है। लेकिन अगर आप किसी माली से गार्डनिंग करवाते हैं तो वे हर बार आपको नयी चीजें बताएंगे और आपका खर्च बढ़ता रहेगा। इसलिए अगर आप किफायती बागवानी करना चाहते हैं तो आपको खुद मेहनत करनी पड़ेगी।”
बागवानी को शरीर और मानसिक स्वास्थ्य के लिए थेरेपी मानने वाली प्रभा ने कुछ समय पहले अपना इंस्टाग्राम अकाउंट भी शुरू किया है। जिस पर अपने बगीचे से संबंधित तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करती हैं। साथ ही, अगर किसी को मार्गदर्शन चाहिए तो उन्हें टिप्स भी देती हैं। यदि आप भी किफायती बागवानी करना चाहते हैं तो प्रभा कुमारी से इंस्टाग्राम पर संपर्क कर सकते हैं।
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संपादन- जी एन झा
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