घर में बात अगर कढ़ाई-बुनाई या सिलाई सीखने की आती है तो अक्सर ये हुनर सबसे पहले बेटियों को सिखाए जाते हैं। इस तरह के हाथ के काम को हमेशा महिलाओं के साथ जोड़ा जाता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे युवक की कहानी सुना रहे हैं जो अनोखी और खूबसूरत Hand Embroidery करते हैं। साथ ही, अपने इस हुनर से वह धीरे-धीरे अपना बिज़नेस भी आगे बढ़ा रहे हैं।
महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले सौरभ देवढे पिछले लगभग दो साल से अपना बिज़नेस, ‘bespoke by saurabh’ चला रहे हैं। वह खूबसूरत और आकर्षक Hand Embroidery करके लोगों के पहनने और घर को सजाने के लिए तरह-तरह की चीजें बनाते हैं।
सौरभ ने द बेटर इंडिया को बताया कि उन्होंने अपने इस काम की शुरुआत पढ़ाई के दौरान ही कर दी थी। उन्होंने बहुत ही छोटे निवेश के साथ अपना काम शुरू किया था। पढ़ाई के दौरान इस काम से वह अपने लिए जेब खर्च निकाल रहे थे। लेकिन अपना कोर्स पूरा होने के बाद वह अब इसे बड़े स्तर पर ले जाना चाहते हैं।
सौरभ ने बताया, “मूल रूप से मैं अहमदनगर जिले के पाथर्डी तालुका के मोहोज देवढे (Mohoj Diodhe) गांव से हूं। मेरे माता-पिता किसानी करते हैं, लेकिन वे हमेशा से चाहते थे कि मैं खूब पढू-लिखूं। इसलिए स्कूल की पढ़ाई के बाद सबने इंजीनियरिंग करने की सलाह दी। लेकिन मेरा मन फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने का था। घरवालों को मनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी, क्योंकि लोगों को अभी भी लगता है कि डिजाइनिंग में अच्छा करियर नहीं है। लेकिन मैं मन बना चुका था इसलिए घरवाले भी मान गए।”
पहले सौरभ ने पुणे के एक डिजाइनिंग कॉलेज में दाखिला लिया। लेकिन एक साल में ही उन्होंने यह कॉलेज छोड़कर अहमदाबाद जाने का फैसला किया। इस बारे में उन्होंने बताया, “पहले कॉलेज में जो पढ़ा रहे थे, उसमें मुझे मजा नहीं आ रहा था। मुझे लगा कि यह वो चीज नहीं है जो मैं सीखना चाहता हूं। इसलिए मैंने फिर से रिसर्च की और मुझे अहमदाबाद के एक इंस्टिट्यूट के बारे में पता चला। मैंने वहां पर टेक्सटाइल डिजाइनिंग के डिप्लोमा कोर्स में दाखिला ले लिया। अपनी पढ़ाई के दौरान ही मैंने पहली बार कशीदाकारी भी सीखी।”
1500 रुपए से किया काम शुरू
उन्होंने आगे बताया कि कुछ ही दिनों में कशीदाकारी में उनका हाथ बैठ गया और समय के साथ उनकी यह कला निखरने लगी। हालांकि, तब तक भी उन्होंने अपना कोई काम शुरू करने के बारे में नहीं सोचा था। लेकिन कोर्स के दूसरे साल में उन्हें यह आईडिया आया कि अपने इस हुनर से कमाई कर सकते हैं इस आईडिया का श्रेय वह अपने एक दोस्त को देते हैं। सौरभ ने कहा, “अक्सर हम दोस्त बैठकर अपने कोर्स और करियर के बारे में बात किया करते थे। एक दिन बातों-बातों में उसने कहा कि अब हम कॉलेज में हैं तो हमें खुद कमाने के बारे में सोचना चाहिए।”
अपने दोस्त की बात सुनकर सौरभ को भी लगा कि उन्हें कम से कम अपना जेब खर्च तो खुद कमाना चाहिए। इससे उनके माता-पिता पर भी थोड़ा भार कम होगा। इसके बाद उन्होंने सोचना शुरू किया कि वह क्या काम कर सकते हैं।
“मुझे मेरे दोस्त ने बताया कि एक इवेंट होने वाला है और अगर मैं चाहूं तो उसमें अपने बनाए कोई प्रोडक्ट का स्टॉल लगा सकता हूं। तब मुझे विचार आया कि क्यों न कशीदाकारी का इस्तेमाल करके कुछ बनाया जाए। अपने काम के लिए मैंने मम्मी से 1500 रुपए लिए और सभी सामान लेकर आया जैसे सुई, धागा, सूती कपड़ा, हूप (लकड़ी के बड़े छल्ले, जिन्हें कढ़ाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है) आदि,” उन्होंने कहा।
स्टॉल के लिए उन्होंने अपने लाये हुए सामान में से मात्र 50% सामान का इस्तेमाल किया और कशीदाकारी से कानों के झुमके, गले के लिए पेंडेंट, घर में लगाने के लिए डिज़ाइनर हूप तैयार किए। उस इवेंट में मेरी कुल कमाई 3500 रुपए हुए। इसके बाद, मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया और फिर मैं इंस्टाग्राम के माध्यम से भी अपने काम को प्रोमोट करने लगा।
सूखे पत्तों पर कशीदाकारी
पहले सौरभ सिर्फ कपड़ों पर कशीदाकारी करते थे। लेकिन अब वह सूखे पत्तों को भी खूबसूरत चीजें बनाने के लिए इस्तेमाल में ले रहे हैं। पत्तों पर वह दंपति के नामों की, पोट्रैट आदि की कशीदाकारी करते हैं। पत्तों पर कशीदाकारी बहुत ही नयी चीज है और उनका काम लोगों को बहुत पसंद आ रहा है। उन्होंने बताया, “पत्तों पर कशीदाकारी करने का ख्याल कोरोना काल की देन है। दरअसल, पहले लॉकडाउन के दौरान मैं अहमदाबाद में था। लेकिन जब यात्रा शुरू हुई, तो मैं भी दूसरे छात्रों की तरह अपने कुछ सामान के साथ गांव लौट आया। लेकिन घर आने से पहले मुझे 14 दिन तालुका के क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया।”
इस दौरान उनके पास दूसरा कुछ करने को नहीं था। इसलिए उन्होंने सोचा कि कोई कशीदाकारी की जाए। लेकिन जब सामान में देखा तो उन्हें सिर्फ सुई और धागे ही मिले। उनके पास कपड़ा नहीं था जिस पर वह यह काम करते। “उस जगह पर एक पीपल का पेड़ था जिसके पत्ते गिर रहे थे। मैंने एक दिन कुछ पत्ते उठा लिए और देखा कि ये काफी अच्छे हैं और शायद इन पर सुई से कशीदाकारी हो सकती है। क्वारंटाइन के दौरान ही मैंने पत्तों पर कशीदाकारी का एक्सपेरिमेंट शुरू किया और कुछ ही दिनों में मुझे इसमें महारत हासिल हो गयी,” सौरभ ने बताया।
उन्होंने जब पत्तों पर की गयी अपनी कशीदाकारी की तस्वीरें इंस्टाग्राम पर पोस्ट की तो उन्हें लोगों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। उनके ऑर्डर बढ़ने लगे। उन्होंने बताया कि पहले वह महीने में सात-आठ हजार रुपए ही कमा पाते थे। लेकिन धीरे-धीरे उनकी आय बढ़ने लगी। इसी बीच, पिछले साल उनका कोर्स पूरा हो गया और उन्हें एक टेक्सटाइल कंपनी में नौकरी भी मिल गयी। लेकिन नौकरी में उन्हें मजा नहीं आ रहा था, क्योंकि वह जो काम करना चाहते हैं, उसके लिए उन्हें समय नहीं मिल पा रहा था। इसलिए उन्होंने तीन महीने में ही नौकरी छोड़ दी और पुणे आ गए।
प्रतिमाह 30 हजार रुपए तक की कमाई
फ़िलहाल, वह अपने भाई-बहन के साथ मिलकर अपने बिज़नेस को ही आगे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया, “मेरी बहन, प्राजक्ता पवार और भाई, अनिकेत पवार भी मेरे साथ जुड़ गए है। महीने में हमें 25 से 40 के बीच में ऑर्डर्स मिलते हैं और हमारे बनाए प्रोडक्ट्स की कीमत 400 रुपए से शुरू होती है।” सौरभ फ़िलहाल असम, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, गुजरात आदि में अपने प्रोडक्ट्स भेज रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें दूसरे देशों से भी लोग संपर्क करते हैं। लेकिन अभी एक्सपोर्ट करना उनके लिए मुमकिन नहीं है। लेकिन आने वाले समय में उन्हें उम्मीद है कि जैसे-जैसे उनका बिज़नेस बढ़ेगा वह दूसरे देशों में भी अपने प्रोडक्ट्स भेजेंगे। हालांकि, उनके बनाए प्रोडक्ट्स कई कलाकारों तक पहुंच चुके हैं। जिनमें मशहूर अभिनेत्री तापसी पन्नू का नाम भी शामिल है। उन्होंने तापसी के लिए एक खास हूप और इयररिंग भेजे थे और तापसी ने इस बारे में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी पोस्ट किया था।
सौरभ कहते हैं कि फ़िलहाल वह अपने काम से महीने में लगभग 30 हजार रुपए तक की कमाई कर पा रहे हैं। उन्हें ख़ुशी है कि हर महीने उनका काम बढ़ रहा है और लोगों से उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया और साथ मिल रहा है। बहुत से लोग शुरुआत में उन्हें कहते थे कि यह लड़कियों वाला काम है। कई बार लोग उन्हें इंस्टाग्राम पर ‘मैडम’ कहकर संबोधित करते हैं, क्योंकि सबको यही लगता है कि यह लड़कियों का काम है। लेकिन वहीं बहुत से लोग उनका हौसला बढ़ाते हैं और उनके काम की तारीफ कर रहे हैं।
सौरभ कहते हैं कि वह अपने इस काम को बड़े स्तर पर ले जाना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने लोगों को कशीदाकारी की ऑनलाइन वर्कशॉप देना भी शुरू किया है। अब तक वह लगभग 20 लोगों को दो वर्कशॉप में सिखा चुके हैं।
अगर कोई भी कशीदाकारी का हुनर सीखना चाहता है या त्यौहार, खास दिन या जन्मदिन के मौके पर कोई उपहार खरीदना चाहता है तो आप सौरभ को उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर संपर्क कर सकते हैं। आप उनके अकाउंट पर उनका काम भी देख सकते हैं। यक़ीनन उनकी कला को देखकर आपको ख़ुशी ही मिलेगी।
संपादन- जी एन झा
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