इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र, वडोदरा के विवेक पागे को हमेशा से ही इलेक्ट्रिक वाहनों से विशेष लगाव रहा है। उन्होंने अपने इसी लगाव को अब अपना काम भी बना लिया है। उनका स्टार्टअप, Odo Bikes इलेक्ट्रिक साइकिल बनाता है। बिल्कुल एक साधारण साइकिल की तरह दिखने वाली यह ई-साइकिल, आपकी जरूरत के हिसाब से एक स्कूटर में तब्दील हो जाती है। यानी अगर साइकिलिंग करते-करते थक गए, तो स्कूटर चला लो।
मौजूदा हालात के कारण, लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग हुए हैं, ऐसे में साइकिलिंग के प्रति भी लोगों का रुझान बढ़ा है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए विवेक बताते हैं, “कई लोग ऑफिस आने-जाने के लिए भी साइकिल का इस्तेमाल करना चाहते हैं। हालांकि जाते वक़्त तो वे आराम से साइकिलिंग करते हैं, वहीं वापस आते समय थक जाते हैं। ऐसे लोगों की समस्या को ध्यान में रखकर ही हमने Odo Bikes को डिज़ाइन किया है।”
EV से लगाव
EV के शौकीन विवेक ने साल 2017 में, अपने कॉलेज के फाइनल ईयर प्रोजेक्ट में एक इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल डिज़ाइन की थी। उनकी वह बाइक बाय-डायरेक्शनल थी, जो आगे और पीछे दोनों तरफ से चल सकती थी। विवेक बताते हैं, “जज पैनल ने मेरी उस बाइक को बेहद पसंद किया था। उन्होंने मुझे अपने डिज़ाइन को बाजार तक ले जाने का सुझाव भी दिया था।” चूँकि उस समय उनके पास बाजार की ज्यादा समझ और तजुर्बा नहीं था। इसलिए उन्होंने पहले नौकरी करने का फैसला किया। विवेक ने कॉलेज के बाद वडोदरा की कंपनी में डिज़ाइन इंजीनियर के तौर पर काम करना शुरू किया।
इसी दौरान, एक दिन उनके छोटे भाई ने, उनसे स्कूटर की मांग की। विवेक कहते हैं, “चूँकि उस समय मेरा भाई दसवीं में था, इसलिए हम उसे स्कूटर चलाने नहीं दे सकते थे। तभी मैंने उसके लिए ई-साइकिल बनाने के बारे में सोचा।”
विवेक ने अपने भाई की पुरानी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदल दिया। जिसे वह बिना लाइसेंस के स्कूटर की तरह इस्तेमाल कर सकता था। उनकी बनाई यह ई-साइकिल, दोस्तों और रिश्तेदारों को इतनी पसंद आई कि कई लोगों ने तो विवेक को ऐसी ही साइकिल बनाकर देने का अनुरोध भी किया। विवेक बताते हैं, “मेरे एक मामा, जो दुबई में काम करते हैं, उन्होंने मुझे अपनी कंपनी के लिए ऐसी साइकिल बनाने के लिए दुबई बुलाया। चूँकि, उनके ऑफिस और फैक्ट्री का कैंपस बड़ा था, इसलिए एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने के लिए वह ऐसी साइकिल चाहते थे।”
दुबई में 22 दिन रहकर, विवेक ने ई-साइकिल डिज़ाइन की और फिर भारत वापस आ गए।
स्टार्टअप की शुरुआत
भारत वापस आने के बाद, उन्होंने 2019 में, Odo Bikes नाम से स्टार्टअप शुरू किया। शुरुआती पूंजी के लिए विवेक ने, अपने पिता के क्रेडिट लिमिट पर बैंक से लोन लिया और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करना शुरू किया। उसी साल नवरात्री में उनको, वडोदरा में आयोजित एक बहुत बड़े गरबा इवेंट से दस ई-साइकिल का ऑर्डर मिला। जो उनके स्टार्टअप के लिए एक बड़ा बूस्ट था। विवेक कहते हैं, “उस ऑर्डर के बाद हमारे स्टार्टअप को एक नई पहचान मिली और हर दिन के दो-तीन साइकिल के ऑर्डर्स मिलने लगे।”
कोरोना का अच्छा और बुरा असर
साल 2020 में विवेक का बिज़नेस अभी ठीक से शुरू हुआ ही था कि कोरोना के कारण सब काम बंद करना पड़ा। जिससे उन्हें काफी नुकसान हुआ। लेकिन लॉकडाउन खुलते ही, उन्हें ऑडर्स मिलने फिर से शुरू हो गए। वह बताते हैं, “जो लोग पहले कभी साइकिल नहीं चलाते थे , ऐसे कई लोग कोरोना के बाद अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए, साइकिल चलाने लगे। यही कारण था कि पहले लॉकडाउन के बाद, हमें बहुत ऑर्डर मिले।” उन्होंने अमेज़न और दूसरे ई-कॉमर्स साइट के माध्यम से भी अपनी ई-साइकिल को बेचना शुरू किया। वह बताते हैं कि हमने जम्मू से लेकर केरल तक अपनी साइकिल भेजी है।
Odo की विशेषता
बैटरी को छोड़कर इसकी पूरी डिजाइनिंग विवेक ने ही की है। इस साइकिल में तकरीबन दो से ढाई किलो की एक रिमूवेबल बैटरी लगी है, जिसे आप आराम से अपने घर पर चार्ज कर सकते हैं। वहीं इसकी डिजाइनिंग, इस तरह की गई है कि आप अपनी जरूरत के हिसाब से इस साइकिल को ई-स्कूटर में बदल सकते हैं। जैसे ही आप इसमें पैडल मारना बंद करेंगे और Accelerate करेंगे, यह मोटर और बैटरी की मदद से चलने लगेगी। साथ ही, जब आप पैडल मारना शुरू करेंगे, तो मोटर की स्पीड धीरे-धीरे कम हो जाती है और आप साइकिलिंग का मज़ा ले सकते हैं।
विवेक का कहना हैं, “चूँकि यह एक ऐसा प्रोडक्ट है, जो लोग टेस्ट करके लेना पसंद करते हैं। इसलिए हम इसे अलग-अलग शहरों में डिस्ट्रीब्यूटर्स के माध्यम से शोरूम तक पहुंचाना चाहते हैं। जिसके लिए हमें कोरोना के प्रभाव के कम होने तक का इंतजार करना होगा।”
वह Odo Bikes की ऑनलाइन वेबसाइट पर भी काम कर रहे हैं, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा। फ़िलहाल आप उनके प्रोडक्ट्स के बारे में ज्यादा जानने के लिए उन्हें सोशल मीडिया पर सम्पर्क कर सकते हैं।
संपादन – अर्चना दुबे
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