बोतल, जूता या वॉशिंग मशीन! हर बेकार चीज़ में उगा देते हैं पौधे, 1000+ पौधे हैं छत पर

नागपुर, महाराष्ट्र के रहने वाले संजय पुंड, पिछले 10 सालों से हर बेकार चीज़ में पौधे लगाकर, छत पर बागवानी कर रहे हैं।

पिछले एक साल में लोगों के बीच टेरेस गार्डनिंग के प्रति जागरूकता और रूचि बढ़ी है। इन दिनों अधिकांश लोग अपने घर की छत, बालकनी या फिर किसी भी खाली जगह में गार्डनिंग कर रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही शिक्षक से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने डंपयार्ड में तब्दील अपनी छत को एक सुंदर से बगीचे में बदल दिया है। साथ ही, वह अन्य लोगों को भी गार्डनिंग शुरू करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। 

यह कहानी है महाराष्ट्र में नागपुर के रहने वाले, 57 वर्षीय संजय मधुकर पुंड की। संजय, नागपुर महानगर पालिका के लाल बहादुर शास्त्री हाई स्कूल के प्रिंसिपल हैं। साथ ही, पिछले 10 सालों से टेरेस गार्डनिंग कर रहे हैं। संजय ने द बेटर इंडिया को बताया, “ज्यादातर घरों में छत को ‘डंपयार्ड’ की तरह इस्तेमाल में लिया जाता है। हमारे घर का जो भी कबाड़ होता है, उसे हम छत पर रख देते हैं। पहले मेरे छत की भी यही कहानी थी। छत पर ढेर सारी पुरानी और बेकार चीजें रखी हुई थीं। लेकिन जब मैंने गार्डनिंग शुरू की, तो धीरे-धीरे छत बिल्कुल साफ हो गयी, क्योंकि बहुत सी पुरानी चीजों को मैंने प्लांटर की तरह इस्तेमाल में ले लिया था।” 

लगाए 1000 से ज्यादा पेड़-पौधे: 

Terrace Garden in Nagpur
पेड़ के टूटे तने से लेकर पुराने स्कूल बैग तक- सबकुछ है प्लांटर

संजय बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने कुछ गमलों में पौधे लगाएं, तो कुछ पुरानी-बेकार चीजों से प्लांटर बनाए। धीरे-धीरे उनका गार्डनिंग की तरफ रुझान बढ़ने लगा, तो उन्होंने और अलग-अलग प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाना शुरू किया। उनके गार्डन में साग-सब्जियों, फलों से लेकर फोलिएज प्लांट, फूल, कैक्टस और सक्यूलेंट पौधे भी हैं। 1500 वर्ग फ़ीट की जगह में फैला उनका गार्डन ‘बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट’ का भी अच्छा उदाहरण है। उन्होंने बताया कि पौधे लगाने के लिए उन्होंने पुराना कूलर ट्रे, पुराने जूते, स्कूल बैग, प्लास्टिक के डिब्बों और बोतलों से लेकर, टायर और वॉशिंग मशीन तक का इस्तेमाल किया है। 

“हमारे घर की पुरानी वॉशिंग मशीन खराब हो गयी थी। इसे कबाड़ में बेचने की बजाय, मैंने प्लांटर बनाने का सोचा। वॉशिंग मशीन में अंदर जो घूमने वाला कंटेनर होता है, उसे निकालकर, मैंने उसमें स्टार फ्रूट का पेड़ लगा दिया। इसके पेड़ से हमें अच्छे फल मिलते हैं। इसके बाद, मशीन का जो बाहर का कंटेनर बचा, उसमें पॉटिंग मिक्स भरकर, अलग-अलग तरह की लताएं लगा दी, जो बहुत ही खूबसूरत लगती हैं,” उन्होंने कहा। 

संजय के बगीचे में पुदीना, पालक, धनिया, बैंगन, पत्तागोभी, ककड़ी जैसी मौसमी सब्जियों के साथ, अनार, अमरुद, नींबू, मौसंबी, सीताफल जैसे 10 तरह के फलों के पेड़ भी हैं। उन्होंने पान की बेल भी लगायी हुई है। कैक्टस और सक्यूलेंट पौधों की कई किस्मों के साथ, उनके गार्डन में 110 अडेनियम, 25 बोनसाई और कुछ ऑक्सीजन देने वाले पौधे, जैसे स्नेक प्लांट और पीपल भी हैं। संजय ने बताया कि उन्होंने लगभग 100 अडेनियम के पौधों की ग्राफ्टिंग भी की है। बोनसाई भी वह खुद ही तैयार करते हैं। 

Terrace Garden in Nagpur
अडेनियम, बोनसाई, सक्यूलेंट से लेकर फल-सब्जियां तक

एक्सपेरिमेंट करने के शौक़ीन संजय ने एलोवेरा के पौधे के साथ भी एक अनोखा प्रयोग किया है। उन्होंने एलोवेरा पौधों को उल्टा लगाया है और वह भी हैंगिंग प्लांटर में। अपने इस एक्सपेरिमेंट के बारे में उन्होंने बताया, “मैंने एक प्लास्टिक की बोतल ली और नीचे की तरफ से इसमें एक-डेढ़ इंच का छेद किया। इस छेद में मैंने एलोवेरा की जड़ को लगाया और बोतल में ऊपर की तरफ से मिट्टी भरी। बोतल जब मिट्टी से आधी भर गयी, तो इसमें पानी डाला। इसके बाद, इसे कुछ समय तक अलग रख दिया। बोतल की मिट्टी, जब सूख गयी तो उसमें और मिट्टी डाली और फिर पानी डाला। इसके बाद, फिर से इसे सूखने के लिए रख दिया। दो-तीन बार ऐसा करने पर, एलोवेरा की जड़ मिट्टी में जम गयी। इसके बाद हमने इस बोतल को लटका दिया।” 

जैसा कि हम सब जानते हैं कि एलोवेरा को धूप पसंद होती है और इसलिए जिस दिशा से पौधे को धूप मिलती है, वे उस दिशा में बढ़ते हैं। इस कारण संजय के बगीचे में उलटे लटके हुए एलोवेरा बहुत ही खूबसूरत आकार ले रहे हैं। 

लगाया है उलटा एलोवेरा

बनाते हैं जैविक खाद 

संजय गार्डन के लिए जैविक खाद खुद ही बनाते हैं। इसके लिए, वह अपने घर की रसोई और गार्डन के जैविक कचरे का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही, उनके घर के बाहर भी कुछ पेड़ लगे हुए हैं, जिनसे गिरने वाली पत्तियों को इकट्ठा करके वह ‘लीफ कंपोस्ट’ बनाते हैं।

“मैं दो फूलवालों के स्टॉल से खराब और मुरझाए हुए फूल भी इकट्ठा करता हूँ और इनसे खाद बनाता हूँ। फूलों की खाद जल्दी भी बन जाती है। कुछ समय से मैंने केले, प्याज, आलू आदि के छिलकों से तरल खाद बनाना भी शुरू किया है। सामान्य पॉटिंग मिक्स बनाने के लिए मैं मिट्टी, धान की भूसी, पत्तियों की खाद और कभी-कभी पत्थर का चूरा भी मिलाता हूँ,” उन्होंने कहा। 

अपने घर में टेरेस गार्डन लगाने के साथ-साथ, उन्होंने अपने स्कूल में भी किचन गार्डन लगवाया है। स्कूल के बच्चों और शिक्षकों को भी उन्होंने गार्डनिंग से जोड़ा है। उन्होंने बताया कि स्कूल में पढ़ाई के साथ -साथ, बच्चों को प्रकृति से भी जोड़ा जा रहा है। वह खुद स्कूल के शिक्षकों को अलग-अलग साग-सब्जियों के बीज बांटते हैं। स्कूल में भी शिक्षकों और बच्चों को साथ लेकर, उन्होंने बहुत से साग-सब्जियों के पौधे लगाए हैं। वह बताते हैं, “पहले मैंने कुछ शिक्षकों को बीज और पौधे दिए और कहा कि आप अपने घरों में लगाएं। स्कूल में भी बच्चों के लिए अतिरिक्त गतिविधियों में गार्डनिंग को जोड़ा गया। धीरे-धीरे काफी सारे बच्चे और शिक्षक बागवानी से जुड़ने लगे।” 

Terrace Garden in Nagpur

फिलहाल, स्कूल बंद हैं और ऐसे में, स्कूल के गार्डन की देखभाल की जिम्मेदारी स्कूल के सिक्योरिटी गार्ड ने ली है। संजय कहते हैं कि छात्रों और शिक्षकों के साथ वह व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से जुड़े हुए हैं। इन ग्रुप्स में वह अपने गार्डन की फोटो साझा करते हैं और उन्हें देखकर दूसरे भी पेड़-पौधे लगाने के लिए प्रेरित होते हैं। इसलिए वह हमेशा लोगों को बीज और पौधे बांटते हैं, ताकि लोग छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन गार्डनिंग की शुरुआत कर सके। अंत में वह कहते हैं कि सभी परिवारों को अपने घर में पेड़-पौधे लगाने चाहिए, ताकि आपके आसपास का वातावरण शुद्ध रहे और हर जगह हरियाली नजर आए। 

संपादन- जी एन झा

यह भी पढ़ें: 22 तरह के गुड़हल, 9 तरह की चमेली, फल, फूल और सब्जियां, गंदे पानी से उगा दिये 2000 पौधे

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X