आज के जमाने में किसानों के लिए कृषि से जुड़ा अतिरिक्त आय का कोई साधन होना बहुत जरूरी है। ताकि, अगर किसी कारणवश उन्हें अपनी फसल से अच्छी कमाई न मिले, तो उनके पास आजीविका का कोई दूसरा रास्ता हो। किसानों की आय को बढ़ाने के लिए, कृषि विभाग द्वारा कई तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। किसानों को सौर ऊर्जा से लेकर तालाब खुदवाने के लिए भी सब्सिडी दी जा रही है।
लेकिन इन सबके साथ कुछ ऐसे काम भी हैं, जो किसान खुद कम से कम लागत में शुरू कर सकते हैं। कृषि से जुड़े कम लागत के व्यवसायों से किसान खेती के साथ-साथ अच्छी आमदनी कर सकते हैं। किसान अगर चाहें तो इन व्यवसायों को अपने खेतों पर ही शुरू कर सकते हैं। ठीक वैसे ही, जैसे हरियाणा के एक किसान सतबीर पूनिया करते हैं। सतबीर थाई एप्पल, बेर और अमरूद जैसे फलों की बागवानी करते हैं। लेकिन, जैविक तरीकों से उगे अपने फलों को मंडी में कम-ज्यादा दामों में बेचने की बजाय, वह इन्हें सीधा ग्राहकों तक पहुंचाते हैं।
इसके लिए, उन्होंने पांच स्टॉल बनवाए हुए हैं, जहां से उनके फलों की बिक्री होती है। एक स्टॉल उनके अपने खेत पर भी है। वह कहते हैं कि अगर कोई किसान फल-सब्जियों की खेती करता है, तो कोशिश करे कि खुद अपनी उपज को ग्राहकों को बेचे। इसके लिए, उसे अपने खेतों या कहीं आसपास जहां लोगों की आवाजाही हो, वहां पर अपना खुद का स्टॉल लगाना चाहिये। इसके अलावा, और भी कई ऐसे व्यवसाय हैं, जिन्हें किसान कृषि के साथ-साथ शुरू कर सकते हैं। जैसे- कई तरह की जैविक खाद बनाना, डेयरी लगाना या अपनी खुद की प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करना।
आज हम आपको पांच कृषि आधारित व्यवसायों के बारे में बता रहे हैं, जो किसान भाई अपने खेतों पर शुरू कर सकते हैं।
1. वर्मीकंपोस्टिंग यूनिट:
बढ़ते जैविक खेती और होम-गार्डनिंग के चलन से आज वर्मीकंपोस्ट (केंचुआ खाद) की बाजार में अच्छी मांग है। बहुत से किसान जैविक खेती से जुड़ना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें काफी ज्यादा मात्रा में केंचुआ खाद की जरूरत होती है। छोटे किसानों के लिए, अपनी जरूरत के हिसाब से केंचुआ खाद तैयार करना आसान है। लेकिन, बड़े किसान ज्यादातर बाजार से ही खाद खरीदते हैं। इसलिए अगर कोई किसान चाहे, तो अपने खेतों पर ही 15-20 हजार रुपए की लागत में, वर्मीकम्पोस्टिंग यूनिट शुरू कर सकते हैं।
करनाल के रहने वाले किसान निर्मल सिंह सिद्धू अपनी चार एकड़ जमीन पर खेती करते हुए, केंचुआ खाद का व्यवसाय भी चला रहे हैं। हमेशा से खेती करने की चाह रखने वाले, निर्मल सिंह ने जब अपनी नौकरी छोड़कर खेती शुरू करने का फैसला किया, तो उन्होंने साथ में एक अच्छी आमदनी वाले रोजगार करने के बारे में सोचा। वह कहते हैं, “अगर मैं सिर्फ खेती करता, तो इसमें पर्याप्त कमाई कर पाना मुश्किल था। खासकर, शुरुआत में आपको नुकसान झेलना पड़ता है। इसलिए मैंने कृषि के साथ-साथ, केंचुआ खाद बनाने की ट्रेनिंग ली। इसके बाद, मैंने छोटे स्तर पर अपनी वर्मीकम्पोस्टिंग यूनिट लगाई।”
निर्मल सिंह ने शुरुआत में चार-पाँच कम्पोस्टिंग बेड ही लगाए और धीरे-धीरे अपना काम बढ़ाया। आज उनके यहाँ 100 कम्पोस्टिंग बेड हैं, जिनसे उन्हें सालाना लगभग छह हजार क्विंटल जैविक खाद मिलती है। वह इस खाद को, करनाल के 15 किलोमीटर की सीमा में रह रहे किसानों को ही बेच रहे हैं। वह कहते हैं कि उन्हें खेती से सालभर में चाहे जितनी भी कमाई हो, लेकिन इस यूनिट से उन्हें सालाना 10 लाख रुपए से ज्यादा कमाई होती है। इसलिए अगर कोई किसान सही ट्रेनिंग लेकर, सही तरीके से वर्मीकम्पोस्टिंग यूनिट शुरू करता है, तो अच्छा मुनाफा कमा सकता है।
2. मशरूम:
मशरूम खाने में जितना स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर होता है, इसकी खेती करना भी उतना ही आसान होता है। मशरूम को किसान अपने खेतों पर या अपने घर में, कहीं भी छोटी-बड़ी शेड लगाकर उगा सकते हैं। सबसे अच्छी बात है कि मशरूम में जल्दी उत्पादन मिलता है और इसकी बाजार में काफी अच्छी मांग है।
किसान भाई, अपने आसपास किसी मशरूम की खेती करने वाले किसान या ‘कृषि विज्ञान केंद्र’ से मशरूम की खेती की ट्रेनिंग लें। क्योंकि, इस काम में सही ट्रेनिंग लेना बहुत जरूरी है। इसके बाद, आप अपनी सामान्य खेती के साथ-साथ, कम से कम लागत में मशरूम की खेती शुरू कर सकते हैं। मशरूम की खेती शुरुआत में, 1000-1500 रुपए की लागत में भी की जा सकती है। फिर जैसे-जैसे आपको इसमें सफलता मिलने लगे, आप अपना स्तर बढ़ा सकते हैं। उत्तराखंड के हिमरोल के किसान भरत सिंह राणा सामान्य खेती के साथ-साथ, मशरूम की खेती भी करते हैं। वह ओइस्टर और बटन मशरूम उगाते हैं।
उनका कहना है, “ओइस्टर मशरूम की खेती किसान कभी भी कर सकते हैं। इसे उगाना बहुत ही आसान है और अगर आपने सही जगह से ट्रेनिंग लेकर, एक-दो बार ट्रायल कर लिया है तो और भी अच्छा है। आप अपने खेतों पर या फिर घर में कहीं खाली जगह पर शेड बनाकर मशरूम उगाना शुरू कर दें।” मशरूम की खेती से किसान, महीने में 10 हजार रुपए से लेकर, लाख रुपए तक की कमा सकते हैं। बस ध्यान देना है कि आप किस स्तर पर मशरूम की खेती कर रहे हैं।
3. मोती पालन:
हम सब जानते हैं कि किसानों को अपने खेतों में तालाब खुदवाने के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी दी जा रही है। किसान इस योजना का फायदा उठाकर अपने खेतों पर ही सामान्य खेती के साथ-साथ, तालाब में मोती पालन भी शुरू कर सकते हैं। तालाब की क्षमता के हिसाब से इसमें सीप डाले जा सकते हैं। एक सीप से दो मोती निकलते हैं तथा इनकी गुणवत्ता के अनुसार, इनकी कीमत 100 से 250 रुपए तक मिल जाती है। इस तरह, छोटे से छोटे तालाब से भी किसान अच्छा मुनाफा ले सकते हैं।
बिहार के किसान नीतिल भारद्वाज कहते हैं, “मोती पालन की शुरुआत में लागत जरूर लगती है, लेकिन इस एक बार के निवेश से किसान सालों-साल अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मैं एक एकड़ के तालाब में 25 से 30 हजार सीपियाँ डालता हूँ और इससे मुझे लगभग 25 लाख रुपए की कमाई होती है।” जरूरी नहीं है कि हर किसान नीतिल की तरह बड़े स्तर पर मोती पालन करे। किसान अगर चाहें तो तालाब से लेकर, सीमेंट के बने टब या मछलियों वाले टैंक में भी मोती पालन कर सकते हैं।
उत्तर-प्रदेश के किसान जितेंद्र चौधरी ने अपने घर में, मात्र 20 हजार रुपए की लागत से मोती पालन शुरू किया था और आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। उनका कहना है कि किसानों को सबसे पहले, मोती पालन की ट्रेनिंग पर ध्यान देना चाहिए। किसान किसी अच्छी जगह से मोती पालन के अलग-अलग तरीकों की ट्रेनिंग लेकर, अपना काम शुरू कर सकते हैं।
4. नर्सरी:
अगर कोई किसान फल-सब्जियों की अच्छी पौध/सीडलिंग तैयार कर सकता है, तो उसे अपने खेतों पर नर्सरी का काम भी करना चाहिए। जिसके लिए किसानों को ज्यादा लागत निवेश करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने खेतों के लिए सब्जियों के पौधे तैयार करते समय ही, वे नर्सरी भी तैयार कर सकते हैं। और इन पौधों को आसपास के इलाके के किसानों को बेच सकते हैं। सब्जियों के अलावा, किसान फलों या फिर अन्य पेड़-पौधों जैसे चंदन, महोगनी आदि की नर्सरी भी शुरू कर सकते हैं।
महाराष्ट्र के किसान धनंजय राउत चंदन के साथ, सीता फल, चीकू, और हल्दी आदि उगाते हैं। खेती के साथ-साथ, वह अपनी हाई टेक नर्सरी भी चला रहे हैं। देश भर से किसान उनके यहां से चंदन के पौधे खरीदते हैं, जिससे उन्हें लाखों की कमाई होती है। इसी तरह, उत्तराखंड के कीवी किसान, भवान सिंह कीवी की खेती और नर्सरी से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। भवान सिंह कहते हैं, “अगर आपको अच्छी तरह से पौधे तैयार करना आता है और आपने जो पौधे तैयार किए हैं, उनके विकसित होने की दर अच्छी है, तो आपको नर्सरी के काम से अच्छी कमाई मिल सकती है। इसलिए, पहले आप अपने खेतों के लिए नर्सरी का एक ट्रायल ले लीजिए और फिर व्यवसायिक तौर पर, दूसरे किसानों और बागवानों को पौधे बेच सकते हैं।”
भवान सिंह कहते हैं कि अपनी कीवी की खेती से उनकी सलाना कमाई कम-ज्यादा हो जाती है, लेकिन इसकी पूरी भरपाई वह अपनी नर्सरी से कर लेते हैं। इसलिए खेती के साथ-साथ, नर्सरी चलाना भी आय बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।
5. प्रोसेसिंग:
प्रोसेसिंग ऐसा व्यवसाय है, जो छोटे-बड़े सभी किसानों को अपनाना चाहिए। जब किसान खुद अपनी उपज को प्रोसेस करके खाद्य उत्पाद बनाकर बाजार में बेचेंगे, तो उनकी कमाई अपने आप ही बढ़ जाएगी। सबसे अच्छी बात है कि इसके लिए, आपको एक साथ पूरा सेट-अप कराने की भी जरूरत नहीं है। जैसे हरियाणा की एक महिला किसान, नीलम आर्य करती हैं। वह अपने अनाज और बाजरे को घर पर ही हाथ की चक्की से पीसकर, आटा, दलिया और लड्डू जैसे खाद्य उत्पाद तैयार करती हैं।
नीलम कहती हैं, “अपनी कुछ उपज को हम सीधा ग्राहकों को बेचते हैं, तो कुछ उपज को प्रोसेसिंग करके इसके खाद्य उत्पाद तैयार करते हैं। इनकी अच्छे से पैकेजिंग करने के बाद, इन्हें ग्राहकों को बेचा जाता है। प्रोसेसिंग में काफी मेहनत लगती है, लेकिन इसमें मुनाफा भी ज्यादा है।” अगर आप घर पर हाथ से प्रोसेसिंग नहीं कर सकते हैं, तो आसपास के इलाकों में दाल मिल या आटा मिल खोजकर, वहां अपनी उपज को प्रोसेस करा सकते हैं। ऐसा करने से ज्यादा लागत भी नहीं आएगी और प्रोसेस की हुई चीजों को आप, अपने ब्रांड नाम से पैक करके ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं।
तो देर किस बात की! आज से ही किसान भाई अपने इलाकों में उपलब्ध मौकों को तलाशें और सही ट्रेनिंग लेकर, कृषि से संबंधित कुछ अतिरक्त व्यवसाय की शुरुआत पर ध्यान दें। ताकि आप अपनी आमदनी बढ़ाते हुए, कृषि के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना सकें।
संपादन – प्रीति महावर
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