द बेटर इंडिया ने एक प्लाज़्मा डोनर रजिस्ट्रेशन मुहिम शुरू की है। कोरोना महामारी से संक्रमित मरीजों की बढती संख्या को ध्यान में रखते हुए, यह मुहिम शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य, प्लाज़्मा डोनर्स को एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करना है, जहाँ वे प्लाज़्मा दान (Plasma Donations) करने के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
ब्लड प्लाज़्मा थेरेपी, कोरोना के मरीजों को वेंटिलेटर पर जाने से रोकने में मदद कर सकती है। अगर रोगियों को यह थेरेपी एक विशेष समय सीमा के अन्दर मिल जाती है, तो डॉक्टरों को उनके इलाज में भी काफी मदद मिलती है।
जो लोग इस मुहिम के लिए ऑनलाइन साइन-अप करेंगे, हम उनकी सारी जानकारियां वेरीफाई करेंगे। साथ ही, उनकी उपलब्धता और उनके क्षेत्र को हम आपके सामने रखेंगे। अगर आप या आपके कोई जान-पहचान वाले, जो नीचे दिए गए मापदंडों के अनुसार कोविड19 के संक्रमण से ठीक हो चुके हैं, तो कृपया प्लाज़्मा दान करने के लिए यहाँ साइन-अप ज़रूर करें।
आप किसी का जीवन बचाने में मदद कर सकते हैं। कृपया आज ही साइन-अप करें!
डॉक्टर क्या कहते हैं:
द बेटर इंडिया से बात करते हुए, राजकोट में लाइफ ब्लड सेंटर के डॉ. निशिथ वाच्छानी कहते हैं, “मध्यम लक्षणों (moderate symptoms) की शुरूआत के 7-10 दिनों के भीतर, चयनित रोगियों को प्लाज़्मा थेरेपी की सलाह दी जाती है या निर्धारित की जाती है। इस प्रक्रिया में, कोरोना से ठीक हो चुके मरीज की एंटीबॉडीज, संक्रमित मरीज के शरीर में डाली जाती है। इससे मरीज के शरीर में इम्यूनिटी तेजी से बढ़ने में मदद मिलती है।”
मेदांता अस्पताल के संस्थापक डॉ. नरेश त्रेहान ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि किसी मरीज में प्लाज़्मा का प्रभाव कैसा रहेगा, यह मुख्य रूप से उसे प्लाज़्मा देने के समय पर निर्भर करता है। वह आगे कहते हैं, “अगर किसी मरीज को साइटोकाइन स्टॉर्म के दूसरे या तीसरे स्टेज के बीच में यह थेरेपी दी जाती है, तो यह मरीज के लिए उपयोगी हो सकती है। लेकिन, यदि मरीज को अंतिम स्टेज पर यह थेरेपी दी जाये, तो यह काम नहीं करती।” जब शरीर का इम्यून सिस्टम अपने-आप ही, खुद को नुकसान पहुंचाने वाली प्रतिक्रियाएं करता है, इसे साइटोकाइन स्टॉर्म कहते हैं।
हालांकि, पुणे के जनकल्याण ब्लड बैंक के निदेशक और कृष्णा अस्पताल के डॉ. अतुल कुलकर्णी का मानना है कि ‘प्लाज़्मा थेरेपी’ रोगियों को गंभीर होने तथा वेंटिलेटर पर जाने से रोकने में मदद कर सकती है। डॉ. त्रेहान की बात से सहमत होकर वह कहते हैं, “प्लाज़्मा थेरेपी, रोग के शुरूआती स्टेज में बहुत मददगार है।”
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (ICMR) ने अपनी एक रिपोर्ट में, सामान्य तौर पर पूछे जाने वाले कुछ सवालों के जवाब दिए हैं:
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कौन प्लाज़्मा दान कर सकता है?
ऐसे मरीज जो कोविड19 से उबर चुके हैं, वे ठीक होने के 28-30 दिनों के बाद प्लाज़्मा दान कर सकते हैं।
प्लाज़्मा दान करने के लिए, डोनर को अस्पताल/प्लाज़्मा बैंक केंद्र पर जाना होगा। यहाँ उनके सीरम प्रोटीन, CBC (complete blood counts) और ABO RhD ब्लड ग्रुप की स्थिति की जांच करने के लिए, कुछ टेस्ट किये जायेंगे। इनमें हेपेटाइटिस बी वायरस, हेपेटाइटिस सी वायरस, एचआईवी, मलेरिया और सिफलिस की जाँच शामिल है। कोरोना से ठीक हुए दिनों/समय को ध्यान में रखते हुए, ‘ICMR किट विधि’ के अनुसार डोनर का एक ‘एंटीबॉडी स्क्रीनिंग टेस्ट’ भी किया जाता है।
योग्यता मापदंड:
- डोनर का वजन 50 किलो और उससे अधिक होना चाहिए।
- डोनर की उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- ऐसे मरीज, जिनमें कोरोना संक्रमण के दौरान बुखार, सर्दी, खांसी आदि जैसे लक्षण थे, उनमें एंटी-सार्स-कोव-2 आईजीजी (Anti-SARS-Cov-2 IgG) एंटीबॉडीज रहने की अधिक संभावना होती है। यही कारण है कि इन्हें एसिम्टोमेटिक (जिनमें लक्षण मौजूद नहीं होते) मरीजों के मुकाबले, अधिक प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा, एसिम्टोमेटिक मरीज भी एंटीबॉडीज मौजूद होने पर, प्लाज़्मा दान कर सकते हैं।
- प्लाज़्मा दान करने के 28 दिन पहले तक या डिस्चार्ज होने के 28 दिन बाद, डोनर में कोरोना के लक्षण नहीं होने चाहिये। इसमें आरटी पीसीआर (RT PCR) रिपोर्ट का नेगेटिव होना जरूरी नहीं है।
कौन नहीं कर सकते प्लाज़्मा का दान:
- जिनका वजन 50 किलो से कम है।
- वैसे मधुमेह के मरीज, जो इन्सुलिन पर हैं।
- जिनका बीपी 140 से अधिक और डायस्टोलिक 60 से कम या 90 से ज्यादा है।
- अनियंत्रित मधुमेह या हाई बीपी के ऐसे मरीज, जिनकी दवाइयों में पिछले 28 दिनों में कोई बदलाव हुआ है।
- कैंसर से ठीक हो चुके मरीज।
- जिन्हें क्रॉनिक किडनी/ हृदय/ फेफड़े या लीवर की बीमारी है।
- ऐसी महिलाएं, जो पहले गर्भवती रही हैं।
- ऐसे लोग, जिन्हें कोई अन्य बीमारी भी है।
- जिन लोगों को कोविड-19 की कोई भी वैक्सीन लग चुकी है, वे अपनी दूसरी खुराक की तारीख से 15 दिनों तक, प्लाज़्मा दान नहीं कर पाएंगे।
प्लाज़्मा किसे दिया जा सकता है?
- ऐसे मरीज, जो कोविड19 के शुरूआती स्टेज में हैं।
- कोविड के लक्षणों की शुरुआत के तीन से सात दिनों के भीतर, रोगी को प्लाज़्मा दे दिया जाना चाहिए। लेकिन, 10 से अधिक दिनों के बाद नहीं।
- जिनमें कोविड19 के खिलाफ कोई ‘IgG’ एंटीबॉडी नहीं है।
कितनी बार दान कर सकते हैं, और कितना:
ICMR दिशानिर्देशों के अनुसार, एक डोनर 15 दिनों के अंतराल पर अपने वजन के हिसाब से 500 मिलीलीटर प्लाज़्मा, एक से अधिक बार दान कर सकता है। 400 मिलीलीटर प्लाज़्मा दो लोगों का जीवन बचा सकता है। यह प्रक्रिया चार घंटे (टेस्ट से ट्रांसफ्यूज़न तक) तक चल सकती है। अगर डोनर को असुविधा महसूस होती है, तो मशीन को तुरंत अलग कर, प्रक्रिया रोकी जा सकती है।
एक प्लाज़्मा डोनर से कितने मरीजों को लाभ मिल सकता है?
एक प्लाज़्मा डोनर दो मरीजों की मदद कर सकता है। डोनर को महीने में दो बार से अधिक, प्लाज़्मा दान करने की सलाह नहीं दी जाती है।
मूल लेख: गोपी करेलिया
संपादन- जी एन झा
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