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“धान के लिए जितना पानी लेता हूँ, उसका 4 गुना जमीन को वापस देता हूँ”

करनाल, हरियाणा में रहने वाले 32 वर्षीय किसान, नरेन्द्र कम्बोज अपने खेत में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाकर, अपनी फसल और पानी, दोनों बचा रहे हैं।

किसानी एक ऐसा पेशा है, जिसमें इस बात का सबसे अधिक ध्यान रखा जाता है कि खेत की स्थिति कैसी है, वहाँ पानी का जमाव तो नहीं होता है? यदि खेत में पानी जमाव की समस्या होती है, तो बारिश के मौसम में पानी भर जाता है और अगर यह पानी जल्दी न निकाला जाए, तो किसान की पूरी फसल खराब हो सकती है। ऐसा ही कुछ, कई वर्षों तक हरियाणा के किसान नरेन्द्र कम्बोज के साथ होता रहा। 

हरियाणा के करनाल में रमाना रमानी गाँव के रहने वाले 32 वर्षीय किसान नरेन्द्र कम्बोज 12वीं पास हैं और पढ़ाई के बाद से ही अपनी पारिवारिक खेती को संभाल रहे हैं। वह बताते हैं कि उनके इलाके में गेहूं और धान की फसल सबसे ज्यादा होती है। लेकिन 2019 से पहले लगातार कई सालों तक उनकी धान की फसल लगभग पूरी ही खराब हो जाती थी, क्योंकि उनके खेतों में बारिश का पानी ठहरता था और इसे निकलने में लगभग 15 दिन लग जाते थे। लगातार इतने दिनों तक खेतों में पानी रहने से फसल खराब होने लगती थी। 

वह बताते हैं, “मेरे पास आठ एकड़ जमीन है और यह झील में है। इसलिए चाहे बारिश हो या अन्य किसी वजह से पानी आए, पास के सभी खेतों से होता हुआ पानी मेरे खेतों में इकट्ठा हो जाता था। बारिश के मौसम में तो हालात बिल्कुल ही खराब हो जाते थे। कई बार खेतों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए मिट्टी डलवाने का भी सोचा लेकिन इस काम में खर्च बहुत है और एक आम किसान के बस की यह बात नहीं।” लेकिन कहते हैं न कि जहाँ चाह वहाँ राह। 

नरेन्द्र ने ठान लिया था कि उन्हें इस समस्या को खत्म करना ही है, क्योंकि कब तक वह नुकसान झेलेंगे। इसलिए उन्होंने इस बारे में लोगों से विचार-विमर्श किया और उन्हें आईडिया आया कि क्यों न बारिश के पानी को बेकार करने की बजाय जमीन के अंदर भेजा जाए। इसी विचार के साथ, साल 2019 में उन्होंने अपने खेतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया। 

Rainwater Harvesting
उनके खेत

फसल संरक्षण के साथ जल-संरक्षण भी: 

नरेन्द्र आगे कहते हैं कि उनके रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की बोरिंग 175 फ़ीट गहरी है। साथ ही, इसमें फिल्टर भी लगे हैं ताकि पानी स्वच्छ होकर जमीन में पहुंचे। “रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होने से अब खेतों में बारिश का पानी मुश्किल से दो दिन रुकता है और इससे फसलों को कोई नुकसान नहीं होता है। पिछले दो सालों में हमारी फसल बिल्कुल भी खराब नहीं हुई है,” उन्होंने आगे कहा। 

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने में नरेन्द्र का खर्च 60 हजार रुपए आया। लेकिन उनका कहना है कि यह सिर्फ एक बार की लागत है। अब कम से कम वह अपनी लाखों की फसल को बचा पा रहे हैं। साथ ही, अगर वह आठ एकड़ जमीन में मिट्टी डलवाते तो भी खर्च लाखों में ही आता। अब कम से कम उनके इस कदम से न सिर्फ उनकी फसल बल्कि पानी भी संरक्षित हो रहा है। उनका कहना है, “मैंने कभी लीटर में तो पानी नहीं मापा है, क्योंकि मैं एक आम किसान हूँ। लेकिन इतना जरूर कह सकता हूँ कि अपनी धान की फसल के लिए जितना पानी मैं जमीन से लेता हूँ, उसका चार गुना पानी जमीन को वापस दे रहा हूँ।” 

दूसरे किसानों को मिली प्रेरणा: 

नरेन्द्र कंबोज से प्रेरित होकर उनके गाँव के और भी कई किसानों ने अपने खेतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया है। इसके अलावा, उनके इस कदम की तारीफ हरियाणा सरकार ने भी की और उन्हें 11 हजार रुपए सम्मान स्वरुप दिए गए। उन्होंने बताया, “हरियाणा ही नहीं पंजाब से भी कुछ किसान हमारे यहाँ यह सिस्टम देखने आये थे, क्योंकि दूसरी जगहों पर भी बहुत से ऐसे किसान हैं, जिनकी जमीन इस तरह से नीचे या झील वाले इलाकों में है। वे भी किसी न किसी सीजन में इस परेशानी से गुजरते हैं। लेकिन किसानों के लिए इस परेशानी का सबसे अच्छा हल रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है।” 

Rainwater Harvesting
खेतों में लगवाया रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

हरियाणा पोंड एंड वेस्टवाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य तेजिंदर सिंह तेजी (38) कहते हैं, “नरेन्द्र जैसे किसान सभी के लिए प्रेरणा हैं। जिस तरह से भूजल स्तर घट रहा है, ऐसे में अगर अब भी हम ठोस कदम नहीं उठाएंगे तो परिस्थितियां और बिगड़ जाएँगी। हमने नरेन्द्र के खेतों का दौरा किया और दूसरे किसानों को भी उनसे प्रेरणा लेने के लिए कहा। क्योंकि अगर हर एक किसान अपने खेतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवा ले, तो भूजल स्तर को व्यापक स्तर पर बढ़ाया जा सकता है। हम अपने संगठन के जरिए राज्य के सभी तालाबों को फिर से संरक्षित करने में जुटे हुए हैं। साथ ही, लोगों को जल-संरक्षण तकनीकें अपनाने की सलाह देते हैं।” 

इसके अलावा, अगर कोई किसान अपने खेतों में तालाब बनवाना चाहता है, तो उसके लिए भी हरियाणा सरकार द्वारा सब्सिडी दी जा रही है। तेजिंदर कहते हैं कि सरकार की बहुत-सी योजनाएं किसानों और पर्यावरण के हित में हैं। जरूरत है, तो बस नरेन्द्र कम्बोज जैसे किसानों की, जो कुछ अलग करके अपनी समस्याएं हल कर रहे हैं। 

नरेन्द्र कम्बोज से संर्पक करने के लिए आप उन्हें 99921 96856 पर व्हाट्सऐप मैसेज कर सकते हैं।

संपादन- जी एन झा

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