गृहिणी ने सरकारी अस्पताल में उगाई सब्ज़ियां, ताकि मरीज़ों को मिले पोषक भोजन

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में रहने वाली, अनुराधा पेरला ने अपने घर पर तो 1000 से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए ही हैं, साथ ही, उन्होंने एक अस्पताल में भी सब्ज़ियां उगाई हैं, जिनसे मरीजों के साथ आये परिजनों के लिए भी खाना बनाया जाता है।

आजकल लोग अपने-अपने घरों में गार्डनिंग करना ख़ासा पसंद कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान भी कई लोगों ने kitchen garden की शुरुआत की। लेकिन, इन नए गार्डनिंग प्रेमियों के साथ-साथ कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनके लिए गार्डनिंग हमेशा से ही उनके जीवन का हिस्सा रहा है। जैसे कि आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में रहने वाली 47 वर्षीया अनुराधा पेरला। अनुराधा का कहना है कि पेड़-पौधे लगाने का शौक, उन्हें बचपन से ही रहा है। पिछले 27 सालों से, वह एक व्यवस्थित ढंग से गार्डनिंग कर रही हैं। 

इतने सालों में अनु का बागवानी के प्रति प्यार सिर्फ बढ़ा है और उनके बाग़ में नई-नई चीजें शामिल होती गयी। जैसे- एक समय तक वह सिर्फ ऑर्नामेंटल और कैक्टस की किस्म के पेड़-पौधे ही उगाती थीं। फिर धीरे-धीरे, उन्होंने तरह-तरह के फूल और औषधीय पौधे उगाना शुरू किया। ऐसा करते हुए, आज उनके घर में हर तरह के पेड़-पौधे हैं। साथ ही, वह कई किस्म की फल-सब्जियां भी लगाती हैं। अनु कहती हैं कि अगर आप छोटी शुरुआत करते हैं तो लंबा सफर तय करते हैं और नुकसान का डर भी कम होता है। 

अनु कहती हैं, “मैं एक गृहिणी हूँ और मेरे परिवार में मेरे पति और दो बेटियां हैं। एक बेटी नौकरी कर रही और दूसरी अभी पढ़ रही है। परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ, मैंने अपने गार्डनिंग के शौक को भी जिंदा रखा। सबसे अच्छी बात है कि मेरा पूरा परिवार भी इसमें में मेरा सहयोग करता है। हमारे घर में ग्राउंड फ्लोर के साथ-साथ, पहले और दूसरे फ्लोर की छतों पर भी मैंने पेड़-पौधे लगाए हैं।” 

kitchen garden
अनुराधा

घर में लगाए 1000 से ज्यादा पेड़-पौधे: 

आंगन से लेकर छत तक, अनु ने अपने घर में हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए हुए हैं। वह बताती हैं कि उनके यहां चीकू, अमरूद, अनार, स्टार फ्रूट, आंवला, आम जैसे फलों के पेड़ हैं और इससे उन्हें फलों के सीजन में अच्छी उपज भी मिलती है। इसके अलावा, उन्होंने ड्रैगन फ्रूट भी लगाया है। लेकिन, अभी इसमें फल नहीं लगे हैं। 

उन्होंने बताया, “फलों के अलावा, मैं हर मौसम में 10-15 किस्म की सब्जियां उगाती हूँ। मेरी कोशिश यही रहती है कि मुझे बाहर से आलू, प्याज जैसी सब्जियां ही खरीदनी पड़े। मुझे बाकी सब्जियां मेरे बगीचे से ही मिल जाती हैं। पिछले एक-दो सालों से, मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। इसलिए, मैंने काम में मदद के लिए दो लोगों को रखा है। वे बगीचे की देखभाल में भी मदद करते हैं। मैं उन्हें अपने बगीचे से मिलने वाली उपज भी देती हूँ।” वह सब्जियों में पुदीना, धनिया, मेथी, टमाटर, मिर्च, करेला, शिमला मिर्च, लौकी, कद्दू, पेठा, टिंडा, तोरई, मूली, पालक, बीन्स, भिंडी, बैंगन, हल्दी, अरबी आदि उगाती हैं। 

फल-सब्जियां लगाने के साथ-साथ, अनु अपने घर के गीले कचरे से खाद भी बनाती हैं। साथ ही, वह हर बार अपने बगीचे में उगने वाली सब्जियों में से कुछ के बीजों को अगले सीजन के लिए सहेज कर रख लेती हैं। उनका कहना है कि वह पूरी तरह से, जैविक तरीकों से सब्जियां उगाती हैं। वह कोशिश करती हैं कि जितना हो सके, देसी किस्म के बीज ही इस्तेमाल करें। इसलिए, वह अपनी उपज से ही कुछ फूल और सब्जियों के बीज भी रखती हैं। इसके साथ-साथ, उन्हें तरह-तरह के प्रयोग करने का शौक भी है। जैसे- विदेशी किस्म के पेड़-पौधे या सब्जियां लगाने का भी वह प्रयास करती रहती हैं। 

vegetables from kitchen garden
अस्पताल के गार्डन में उगी सब्जियां

अपने घर में गार्डनिंग करने के साथ-साथ, अनु ने शहर के सरकारी अस्पताल में ही एक गार्डन लगाया है। वह बताती हैं, “इस गार्डन को लगाने के पीछे का उद्देश्य जरूरतमंदों तक खाना पहुँचाना है। मैं अपने शहर में एक ट्रस्ट से जुड़ी हुई हूँ। इस ट्रस्ट के माध्यम से, अस्पताल में मरीजों के साथ आने वाले उनके परिवारजनों को मुफ्त में खाना खिलाया जाता है। उनके सहयोग से ही अस्पताल में कुछ खाली जमीन पर, एक छोटा-सा किचन गार्डन लगाया है। जिसमें सहजन, बीन्स, टमाटर, मिर्च, हरी सब्जियां आदि उगाये जाते हैं। ये सभी सब्जियां लोगों के लिए खाना बनाने में इस्तेमाल होती हैं। यह सच है कि गार्डन की सब्जियों से जरूरत पूरी नहीं होती है। लेकिन, कुछ न करने से ज्यादा कुछ करने की तसल्ली रहती है। मुझे खुशी है कि हर रोज लगभग 300 लोगों को खाना खिलाने में मेरा भी कुछ योगदान है।” 

गार्डनिंग करने के लिए फॉलो करें अनु के कुछ टिप्स: 

कम से करें शुरुआत: गार्डनिंग की चाह रखने वाले लोगों को हमेशा छोटे-छोटे कदम बढ़ाने चाहिए। खासकर तब, जब आपको ज्यादा अनुभव न हो। आप चाहें तो कुछ ऑर्नामेंटल या कैक्टस के पौधों से शुरुआत कर सकते हैं। अगर आप किचन गार्डनिंग करना चाहता हैं तो सबसे पहले, माइक्रो ग्रीन्स उगाने से शुरुआत करें। इसे लगाना बहुत ही आसान है। अगर आप सब्जियां लगाना चाहते हैं तो पुदीना, मिर्च, और टमाटर जैसी सब्जियों से शुरुआत करें। 

जगह के हिसाब से करें सेटअप: गार्डनिंग की तैयारी करते समय, अपने घर में उपलब्ध जगह को हमेशा ध्यान में रखें। अगर जगह कम है तो ऐसे पौधे लगाएं जो कम जगह में भी अच्छे पनपते हैं। अगर आप छत पर गार्डनिंग कर रहे हैं तो कोशिश करें कि अपनी छत को वाटरप्रूफ करा लें। अगर वाटरप्रूफ कराने का विकल्प नहीं है तो गमलों का चयन समझदारी से करें। अनु कहती हैं, “छत पर ज्यादा वजन न हो इसके लिए, मैं भारी गमलों की बजाय ग्रो बैग इस्तेमाल करती हूँ। इसके अलावा, पुरानी-बेकार बाल्टियां, टब और ड्रम आदि भी मैं प्लांटर की तरह इस्तेमाल कर रही हूँ।” 

kitchen garden at home
उनकी छत पर लगे पेड़-पौधे

अगर आपके यहां धूप ज्यादा अच्छी नहीं आती है तो छांव में रखे जाने वाले पेड़-पौधे लगाएं। फल और सब्जियों को धूप की आवश्यकता होती है। इसलिए, अगर आपके यहां कम से कम पांच-छह घंटे अच्छी धूप आती हो तब ही आप फल और सब्जियां लगाएं। 

पॉटिंग मिक्स: आपके इलाके में उपलब्ध सामान्य बगीचे की मिट्टी में आप गोबर की खाद, घर के गीले कचरे से बनी खाद, केंचुआ खाद, नीम खली आदि मिला सकते हैं। जो भी चीजें आपको स्थानीय बाजार में मिल जाएं, उसे ही आप मिट्टी में मिलाकर पॉटिंग मिक्स तैयार कर सकते हैं। पॉटिंग मिक्स में जितनी कम मिट्टी रखेंगे, आपकी छत पर वजन उतना कम होगा। अनु बताती हैं कि वह हमेशा अपने ग्रो बैग तथा प्लांटर में नीचे सूखे पत्ते डालती हैं। इसके बाद, वह इनमें ऊपर से पॉटिंग मिक्स डालती हैं। प्लांटर में ही सूखे पत्तों की खाद आसानी से बन जाती है, जो पौधों को पोषण देती है। साथ ही, छत पर वजन भी नहीं बढ़ता है। 

मौसम: वैसे तो आप हर मौसम में गार्डनिंग की शुरुआत कर सकते हैं। बस आपको ध्यान देना है कि मौसम, किस तरह के पेड़-पौधे लगाने का है। गार्डनिंग की शुरुआत करने का सबसे अच्छा समय मार्च-अप्रैल का होता है। इन महीनों में लगभग सभी इलाकों में, मौसम न ज्यादा ठंडा होता है और न ही बहुत ज्यादा गर्म। इसलिए, आप मार्च और अप्रैल में नए पौधे लगा सकते हैं। 

Andhra Pradesh Woman

पानी और खाद: पौधों को नियमित रूप से पानी के साथ, बीच-बीच में खाद की भी जरूरत होती है। सर्दियों में पौधों को कम पानी की जरूरत होती है। वहीं, गर्मियों में कोशिश करें कि एक बार सुबह धूप निकलने से पहले और एक बार शाम को पौधों को पानी जरूर दें। हालांकि, इसमें भी हमेशा यह चेक करें कि आपके पौधों को पानी की जरूरत है या नहीं। आप हर 15 दिन में एक बार, पौधों में गोबर की खाद या केंचुआ खाद दे सकते हैं। इसके अलावा, गर्मियों में ज्यादा से ज्यादा तरल खाद दें। जैसे- केले के छिलकों को तीन-चार दिन पानी में भिगोकर रखें और फिर इस घोल को ताजा पानी में मिलाकर पौधों को दें। 

रसोई में दाल और चावल को धोने के बाद जो पानी बचता है, उस पानी को भी आप पौधों में डाल सकते हैं। यह काफी अच्छे पोषण का काम करता है। 

कीट प्रतिरोधक: अगर आपको लगता है कि आपके पौधों में कीट लग गए हैं तो रसायन इस्तेमाल करने की बजाय, घर पर ही जैविक चीजे बनाएं। जैसे- आप नीम के तेल को पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं। इसके अलावा, शैम्पू या बर्तन धोने के लिक्विड को पानी में मिलाकर पौधों पर स्प्रे कर सकते हैं। 

अनु कहती हैं, “आप जहाँ हैं और आपके पास जो साधन उपलब्ध हैं, उन्हीं से शुरुआत करें। क्योंकि पहला कदम उठाना सबसे अहम होता है। इसलिए बिना कुछ ज्यादा सोचे आज ही, अपने घर में कोई न कोई पौधा लगाने से शुरुआत करें। आप चाहें तो इसकी शुरुआत, तुलसी या पुदीना के पौधे लगाने से ही कर सकते हैं।”

अनु से संपर्क करने के लिए आप उन्हें इंस्टाग्राम पर फॉलो कर सकते हैं। 

संपादन – प्रीति महावर

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