IT की नौकरी छोड़, बेचना शुरु किया गन्ने का जूस, हर महीने कमाते हैं 7 लाख रुपये

Sugarcane Juice Startup

बिजनेस शुरु करने से पहले मिलिंद और कीर्ति दतार ने 13 साल तक IT क्षेत्र में नौकरी की। फिर उन्होंने अपना स्टार्टअप शुरु करने का फैसला किया। स्टार्टअप के जरिए अब वे पुणे और मुंबई में गन्ने का जूस बेच रहे हैं और लाखों की कमाई कर रहे हैं।

आज हम आपको एक ऐसी दंपति की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने गन्ने के जूस का एक स्टार्टअप (Sugarcane Juice Startup) शुरू किया है। तो, कहानी कुछ ऐसी है कि पुणे में रहने वाले मिलिंद और कीर्ति दतार ने 1997 से लेकर 2010 तक, करीब 13 साल IT क्षेत्र में काम किया। बड़े-बड़े आईटी पार्क के ऑफिसों में काम करते हुए, वे और उनके सहयोगी अक्सर चाय-कॉफी के लिए  कैफेटेरिया जाया करते थे, जहाँ कई तरह के खाने-पीने का सामान उपलब्ध हुआ करता था। लेकिन, जब भी मिलिंद की नजर ब्रांडेड कॉफी की दुकानों पर जाती, वे आश्चर्य से भर जाते थे। उनकी नजरें अक्सर इन फैंसी दुकानों की तुलना जूस काउंटर से किया करतीं, जहाँ न तो ज़्यादा भीड़ होती और न ही उन्हें कॉफी की दुकानों की तरह गरिमा और सम्मान दिया जाता।

उन्होंने यह भी महसूस किया कि गन्ने के रस जैसे देसी पेय भी इसी तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं। मिलिंद का कहना है कि गन्ने के जूस का कारोबार आज भी असंगठित है। साथ ही, वहाँ सफाई का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। कई लोग गन्ने का जूस लेने से कतराते थे, क्योंकि वे अपना स्वास्थ्य जोखिम में नहीं डालना चाहते थे। इसी विचार से उन्हें एक आईडिया आया और इसके बाद तो उनकी प्रोफेशनल ज़िंदगी ही बदल गई।

46 वर्षीय मिलिंद का कहना है कि गन्ने के जूस को लेकर 2010 में उनके मन में एक विचार आया, जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी के साथ इस पर चर्चा शुरू की। कुछ साल बाद, दोनों ने स्टार्टअप शुरु करने का सोचा और नौकरी छोड़ दी। उन्होंने कैनबोट नाम की कंपनी लॉन्च की, जहाँ उन्होंने गन्ने का जूस बेचने का फैसला किया।

कैसे मिली सफलता

Sugarcane Juice Startup

अपनी यात्रा के बारे में मिलिंद ने द बेटर इंडिया को बताया कि जब वह IT इंडस्ट्री में काम करते थे, तब वहाँ काम करने वाले लोग गन्ने के जूस के काउंटरों में नहीं जाते थे, क्योंकि वहाँ साफ-सफाई पर ध्यान कम रखा जाता था। उन्होंने बताया, “मैं सोचता था कि क्या इस प्राकृतिक और पौष्टिक पेय को बढ़ावा देने के लिए कुछ किया जा सकता है?”

मिलिंद और उनकी पत्नी, कीर्ति दोनों ही बिजनेस में प्रवेश करने के लिए तैयार थे, लेकिन उनके पास इसके लिए आवश्यक अनुभव और ज्ञान नहीं था। वह कहते हैं, “हमने बाजार, इस बिजनेस से संबंधित परेशानियों और उन्हें दूर करने के संभावित समाधानों पर रिसर्च किया। हमने पाया कि इस ड्रिंक को ना चुनने का एक मुख्य कारण स्वच्छता है। एक अन्य पहलू पारंपरिक गन्ना क्रशिंग मशीनें थीं, जो मुख्य रूप से लोहे की बनाई जाती हैं और धूल और अन्य प्रदूषकों के कारण असुरक्षित होती हैं।”

इन समस्याओं को दूर करने के लिए, उन्होंने एक नई क्रश मशीन डिजाइन करने का फैसला किया। मिलिंद का कहना है कि उन्होंने एक गन्ने की मशीन पर शोध करने, नवाचार करने और उत्पादन करने में बहुत समय बिताया, जिससे कई फायदे हुए। नई मशीन के बारे में वह बताते हैं कि इसमें क्रशिंग क्षमता बेहतर थी। वह कहते हैं, “गन्ने का रस निकालने के लिए बार-बार गन्ने को क्रश नहीं करना पड़ता था। एक बार में ही 95% रस निकल जाता था। इसके अलावा, मशीन छोटी थी, आसानी से चल सकती थी, और इसके ऊपर कवर भी था।”

मिलिंद कहते हैं कि मशीन को कवर करने से यह सुनिश्चित होता है कि जूस न तो फैलेगा और ना ही ये बाहरी प्रदूषकों के संपर्क में आएगा। साथ ही, इस पूरी प्रक्रिया में होने वाले शोर को भी कम कर दिया। क्रशिंग यूनिट को खाद्य-ग्रेड स्टेनलेस स्टील से बनाया गया था। पारंपरिक रूप से पहले इसे लोहे या अन्य सामग्रियों से बनाया जाता था। मिलिंद कहते हैं, “यह भोजन की सुरक्षा की गारंटी देता है और गंदगी से भी बचाता है। मशीन का स्ट्रक्चर ऐसे बनाया गया था कि इसे साफ रखने के लिए पानी की ज़रुरत नहीं होती है।”

इसके अलावा, मशीन में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) प्रति दिन निकाले गए गन्ने के रस की मात्रा की गणना कर सकता है। इंटरनेट के माध्यम से निगरानी ने, कार्यों को आसान बनाया। उन्होंने क्रश करने से पहले गन्ने को छीलने के लिए मशीन का भी आविष्कार किया।

मिलिंद कहते हैं, “एक पारंपरिक प्रक्रिया में गन्ने के छिलके को हाथों से छीलना पड़ता है। इसमें 1,500 किलो गन्ना छीलने के लिए दिन में आठ घंटे काम करने वाले 20 मजदूरों की ज़रूरतपड़ती है। वहीं, हमारी मशीन से एक घंटे में 1,000 किलो गन्ना छीला जा सकता है और मशीन चलाने के लिए केवल दो लोगों की जरुरत पड़ती है। इसने उत्पादन लागत को काफी कम कर दिया।”

इस दंपति ने महाराष्ट्र में उन किसानों की पहचान की, जो साल भर निरंतर गुणवत्ता वाले, सही मात्रा में गन्ने की सप्लाई का आश्वासन दे सकते थे। इतनी तैयारी के बाद, उन्होंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और बाद में उस साल, अक्टूबर में मालिकाना फर्म Canectar Foods Pvt Ltd को लॉन्च किया और IT कंपनियों से संपर्क किया।

समय के साथ, उन्होंने विभिन्न कंपनियों में 12 आउटलेट खोले, जहाँ वे महीने में करीब 45,000 ग्लास जूस बेचते थे, जिससे प्रति वर्ष लगभग 2 करोड़ रुपये की कमाई हुई। वह कहते हैं, “हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिली,  क्योंकि साल भर तक लगातार स्वाद और उच्च गुणवत्ता बनाए रखा गया था। हम बड़ी सावधानी से गन्ने की किस्म का चयन करते थे और हमारी गुणवत्ता बरकरार थी। ”

कठिन रास्ता

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हालाँकि, जैसे ही स्टार्टअप ने आगे बढ़ने का फैसला किया, COVID-19 महामारी का प्रकोपशुरू हो गया और उनकी सभी योजनाओं पर ताला लग गया।

उन दिनों को याद करते हुए कीर्ति बताती हैं, “हमारे सभी आउटलेट, IT कंपनियों में थे। महामारी ने हमें रातों-रात अपने आउटलेट्स को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया। हमें ऐसे संकट का सामना करना पड़ा जिसके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं था।”

43 वर्षीय कीर्ति कहती हैं कि कंपनी हमेशा आउटलेट्स पर ताजा जूस परोसने पर ध्यान केंद्रित करती है। वह कहती हैं, “गन्ने के जूस की काफी जल्दी खराब होने की संभावना होती है। लॉकडाउन से पहले कुछ वर्षों के लिए, हमने डिब्बाबंद गन्ने के जूस के साथ प्रयोग किया, लेकिन ये एक्सपेरिमेंट विफल रहा। इसकी शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए हम प्रिजर्वेटिव्स या अन्य प्रकार के शक्कर या केमिकल के इस्तेमाल से परहेज कर रहे थे और अपने इस निर्णय पर अड़े थे।”

कीर्ति कहती हैं कि उन्होंने आईटी क्षेत्र में वापस जाने के बारे में भी सोचा, लेकिन अब वे इस राह पर बहुत दूर आ चुके थे।

वह कहती हैं, “प्रिजर्वेटिव मिलाए बिना गन्ने के जूस की बॉट्लिंग करना संभव नहीं है। इसके लिए एक और प्राकृतिक एजेंट की आवश्यकता थी। कुछ शोधों से हमें पता चला कि कच्चे आम का रस, यानि आम पन्ना, अगर गन्ने के रस के साथ मिला दिया जाए, तो हमारा उद्देश्य पूरा हो सकता है।”

कीर्ति कहती हैं, “कच्चे आम का पन्ना भारत में एक लोकप्रिय पेय है। साथ ही यह हेल्दी है और यह प्राकृतिक पोषक तत्व से भरपूर भी है। हालांकि, कई लोग इसका सेवन करने से बचते हैं, क्योंकि इसे बनाने में काफी मात्रा में चीनी लगती है। इसलिए, हमने सोचा कि अगर इन दोनों को मिला दिया जाए तो मिश्रण गन्ने के रस से प्राकृतिक मिठास प्रदान करेगा और आम के स्वाद को बनाए रखेगा।”

नई शुरुआत

अगस्त 2020 में, यह स्टार्टअप एनर्जी ड्रिंक, ‘गन्ना पन्ना’ लेकर आया। यह गन्ने और कच्चे आम के रस का मिश्रण है, जिसे बिना किसी प्रिजर्वेटिव के डिब्बाबंद बेचा जा रहा है। वह कहती हैं, “हमने हल्दी, गन्ने के रस, काली मिर्च और अन्य तत्वों को मिलाकर एक इम्यूनिटी शॉट भी लॉन्च किया, जो एक मजबूत इम्यूनिटी सिस्टम बनाने में मदद करती है। चूंकि हम इसे महामारी और लॉजिस्टिक चुनौतियों के कारण आउटलेट्स में नहीं बेच सकते थे, इसलिए हम बिग बास्केट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर चले गए। 230 मिलीलीटर गन्ना पन्ना की बोतल 70 रुपये में मिलती है, जबकि 30 मिलीलीटर की मात्रा वाले इम्यूनिटी शॉट्स के दस यूनिट बॉक्स की कीमत 400 रुपये है।”

कीर्ति कहती हैं कि पुणे में रूबी अस्पताल और पोषण विशेषज्ञों द्वारा इम्यूनिटी ड्रिंक पीने की सिफारिश की गई है। ये दोनों ड्रिंक, Canebot ब्रांड के तहत बेचे जाते हैं।

न्यूट्रीशनिस्ट और न्यूट्रिग्नॉमिक्स काउंसलर अवंती देशपांडे कहती हैं, “मैं डाइट प्लान के साथ क्लाइंट को यह एनर्जी ड्रिंक लेने की सलाह देती हूँ, क्योंकि इसमें हल्दी होती है, जो अपनी इम्युनिटी बढ़ाने वाले गुणों के लिए जानी जाती है। काली मिर्च हल्दी को बेहतर तरीके से अवशोषित करने में मदद करती है और यह विशेष रूप से उन लोगों द्वारा लिए जा सकते हैं, जो हल्दी वाले दूध या अन्य विकल्पों का सेवन पसंद नहीं करते हैं।”

Sugarcane Juice Startup

हाल की तिमाही में, कारोबार में तेजी आई है और हर महीने 25-30% की वृद्धि देखी गई है। अब कीर्ति और मिलिंद की प्रति माह कमाई लगभग 7 लाख रुपये है। कीर्ति कहती हैं, “हम अब पुणे और मुंबई के बाजारों में उत्पाद बेच रहे हैं। बॉटलिंग की सफलता ने पुणे के बाहर के बाजारों तक पहुँचने में मदद की है।”

कीर्ति का कहना है कि COVID-19 और अन्य शोध चुनौतियों के अलावा, उन्हें उत्पाद के लिए बाजार बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। वह कहती हैं, “इस क्षेत्र में एक ब्रांड को स्थापित करना मुश्किल था। गन्ना वजन के मामले में भारी है, और एक मजबूत सप्लाई चेन स्थापित करना कठिन था। एक बेहतर बिजनेस मॉडल बनाने में रिसर्च और नवाचारों को जारी रखने में हमें आठ साल लग गए।”

वह कहती हैं कि कंपनी बिना लोन, फंडिंग या अन्य बाहरी वित्तीय सहायता के संचालित है। उन्होंने बताया, “हमने अपनी बचत का उपयोग किया और शुरुआत में सभी पैसों का निवेश किया। हमने इस स्टार्टअप में 1 करोड़ रुपये का निवेश किया है।”

यह उद्यम IIM-बैंगलोर, एनएसआरसीईएल और ‘एआईएम कैटलिस्ट’ के तहत अटल इनोवेशन मिशन के साथ जोड़ा गया है। ‘एआईएम कैटलिस्ट’ एक सरकारी कार्यक्रम है, जो प्रारंभिक चरण और स्थायी स्टार्टअप का समर्थन करता है।

मिलिंद का कहना है कि कंपनी आउटरीच बढ़ाने के लिए जूस डिस्पेंसिंग काउंटर स्थापित करने के लिए काम कर रही है। वह कहते हैं, “हम एटीएम जैसी मशीनें लाने की योजना बना रहे हैं, जो ग्राहकों तक जूस पहुंचाने में मदद कर सकती हैं। हवाई अड्डों, अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर ऐसी वितरण इकाइयाँ मांग में हो सकती हैं। हालांकि, प्राथमिक ध्यान बाजार को फिर से हासिल करने और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के माध्यम से ग्राहकों की पहुँच बढ़ाने के लिए बना हुआ है। मैं गन्ने के जूस को कॉफी की ही तरह प्रसिद्ध करना चाहता हूँ।”

Canectar के गन्ने के रस और इम्यूनिटी शॉट्स को उनकी वेबसाइट पर ऑर्डर किया जा सकता है।

मूल लेख- हिमांशु नित्नावरे      

संपादन – जी एन झा

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