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जानिए क्यों है ‘राजेंद्र नगर’ UPSC की तैयारी करने वाले छात्रों की पहली पसंद?

UPSC Aspirants

UPSC की परीक्षा में सफल रहे छात्रों से जानिए, दिल्ली के राजेंद्र नगर के उनके शानदार सफ़र के बारे में। उनका यह सफ़र कितना आसान और सुविधाजनक रहा बता रहे हैं - मनोज खर्डे, प्रियंका बर्वे और प्रसाद।

पश्चिमी दिल्ली का पुराना राजेंद्र नगर इलाका, दूर से देखें तो यह दिल्ली के किसी भीड़-भाड़ वाले मोहल्ले जैसा दिखता है। तंग गलियाँ, ग्राहकों से घिरे चाय वाले, होटलों से फुटपाथ पर निकलने वाला कचरा, चारों ओर रेडियो पर बजने वाले गाने की आवाज़ और पार्क की हुई गाड़ियों पर जमी हुई धूल। लेकिन, जैसे ही आप इलाके के अंदर कदम रखेंगे, आपको हर तरफ छात्र ही छात्र दिखाई देंगे। बीस से बाईस साल के उम्र वाले हजारों छात्र, कधें पर बैग टांगे, दर्जनों किताबें लिए या तो क्लास के लिए जा रहे हैं या क्लास से आ रहे हैं। इनमें से ज़्यादातर UPSC की तैयारी करने वाले छात्र (UPSC Aspirants) हैं, जिनकी मंज़िल है, उत्तराखंड का ‘लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी’। और, ये सभी इसके लिए जी-जान से तैयारी कर रहे हैं।

तो, आइये, पुराने राजेंद्र नगर (ORN) इलाके में आपका स्वागत है। यह एक ऐसी जगह है, जहां ‘संघ लोक सेवा आयोग’ (UPSC) की परीक्षा क्रैक करने का सपना लिए, देशभर से हजारों छात्र आते हैं। यह इलाका अपने आप में एक अलग दुनिया है, जहां का हरेक कोना कई आशाएं, टूटे हुए सपने, निराशा, रोमांस और देश को बदलने की इच्छा रखने वालों की कई कहानियां बयां करता है। ज़रा बारीकी से ध्यान दें, तो आप यहां रह रहे लोगों की छिपी हुई कमजोरियों को देख पाएंगे। उनके खामोश डर को सुन पाएंगे तथा उनकी दबी हुई भावनाओं को महसूस कर पाएंगे।

पश्चिमी दिल्ली इलाके के आसपास छात्रों के लिए, टॉप के कोचिंग सेंटर, 24 घंटे चलने वाली कई लाइब्रेरी, हर विषय की अध्ययन सामग्री और रहने के लिए पीजी उपलब्ध हैं। जहां आपकी सुबह एक अनुशासित माहौल में, समान विचारधारा वाले लोगों के साथ होती है।

इसके बावजूद, यूपीएससी की तैयारी करने वाले हजारों छात्रों के बीच, केवल मुट्ठी भर लोग ही ‘इंटरव्यू राउंड’ या यहां तक कि प्रीलिम्स क्रैक कर पाते हैं। लेकिन फिर भी यह इलाका, यहां रहने वाले छात्रों के दिल और दिमाग में एक विशेष स्थान रखता है।

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‘द वायरल फीवर’ ने हाल ही में ‘Aspirants’ नामक एक शो रिलीज़ किया है, जिसमें सिविल सेवा उम्मीदवारों के अनुभवों को कैद किया गया है। शो में नवीन कस्तूरिया, अभिलाष थपलियाल, सनी हिंदुजा और शिवांकित परिहार – इन तीन दोस्तों के बारे में बताया गया है। ये दोस्त UPSC परीक्षा की तैयारी खत्म होते-होते, अपनी-अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं।

द बेटर इंडिया ने भी ऐसे तीन उम्मीदवारों से बात की, जिन्होंने राजेंद्र नगर में जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में हमें बताया। उन्होंने यहाँ पर रहते हुए, तनाव से निपटने के तरीके बताएं। यहाँ रहने की जगह तलाशने के टिप्स दिए। कई स्टडी ग्रुप खोजने, अपने खर्चे संभालने और ऐसे ही कई ज़रूरी मुद्दों पर बात की। साथ ही, यह भी बताया कि यहाँ रहकर एक संतोषजनक और लाभदायक अनुभव कैसे पाया जा सकता है। तो आइये जानते हैं क्या है उनके सुझाव –

मनोज खर्डे

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मनोज 2018 में राजेंदर नगर आए थे। उन्होंने तीन बार UPSC की परीक्षा दी। उन्होंने एक बार मेन्स की परीक्षा दी और 2019 में यूपीएससी द्वारा आयोजित ‘CAPF’ में असिसटेंट कमांडेंट (AC) के पद के लिए क्वालफाइ किया। वर्तमान में, वह आधिकारिक रूप से अपनी नई पोस्टिंग का इंतज़ार कर रहे हैं। 25 वर्षीय मनोज का अहमदनगर (महाराष्ट्र) से पुराने राजेंद्र नगर, सिर्फ कोचिंग संस्थानों का ज़्यादा से ज़्यादा लाभ उठाने के लिए आये थे। जनरल स्टडीज और IMS गणित (वैकल्पिक) के लिए वह वाजीराम और रवि से जुड़े। छोटे शहर से आने वाले, इस सिविल इंजीनियर के मुताबिक यहाँ की सबसे अच्छी बात थी यहाँ का मददगार माहौल।

मनोज बताते हैं, “मेरा पहला साल पलक झपकते ही निकल गया। मैं कोचिंग क्लासेज में बहुत व्यस्त रहता था। इस परीक्षा में सफल होने के लिए, मैं काफी जोश और उत्साह के साथ आया था। लेकिन, सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण मैं भटका हुआ महसूस करने लगा। बिना किसी छुट्टी के हर दिन, कम से कम 7-10 घंटे पढ़ने के लिए काफी धैर्य चाहिए होता है। बिस्तर से उठने और लाइब्रेरी जाकर पढ़ने के लिए, आपको खुद को लगातार प्रेरित करते रहना पड़ता है। अगले साल, मैं जान-बूझकर इस इलाके के अलग-अलग होटलों और रेस्टोरेंट में जाता रहा, ताकि नए दोस्त बना सकू। मैंने कम से कम स्टडी मटेरियल और ज़्यादा से ज़्यादा रिविजन करने के मंत्र का पालन करना सीखा। एक किताब पढ़ने के बाद, मैं प्रीलिम्स और मेन्स से पहले कई टेस्ट सीरीज़ हल करता था।”

हमने मनोज से पूछा कि उम्मीदवारों को वह क्या सुझाव देना चाहते हैं। इस सवाल के जवाब में, मनोज ने उम्मीदवारों को संघर्ष को अपनी दिनचर्या का हिस्सा मानने की सलाह जोर दिया। उनका मानना है कि उम्मीदवार जितनी जल्दी ऐसा करेंगे, उनके लिए उतना ही अच्छा होगा।
वह आगे कहते हैं, “रिश्तेदारों और दूसरे छात्रों के दबाव के बारे में शिकायत करने से बचें, इससे कुछ हासिल नहीं होगा। एक और महत्वपूर्ण चीज़, रिश्तों से जुड़े किसी भी तनाव से बचें। जब तक आप यहां हैं, ब्रेकअप न करें या तो बाद में करें या यहाँ आने से पहले कर लें। एक भी क्लास न छोड़ें, क्योंकि आपके माता-पिता अपनी मेहनत की कमाई आपको इसलिए दे रहे हैं, ताकि आप सबसे अच्छी सेवाओं का लाभ उठा सके। अंत में, आप कुछ नयी चीज़ें पकाने या रेडियो पर गाने सुनने के साथ रिलैक्स हो कर, अपना दिन पूरा कर सकते हैं। अगर आप तीन-चार कोशिशों के बाद भी UPSC क्रैक नहीं करते हैं, तो आगे बढ़ें, क्योंकि ज़िन्दगी में इससे भी बढ़कर बहुत कुछ है।”

प्रियंका बर्वे

मुंबई की प्रियंका बर्वे कहती हैं कि राजेंद्र नगर जाने के पीछे के कारण की पहचान करना बहुत जरूरी है। 2015 में जब वह ग्रैजुएशन के बाद वहां गयीं, तो उसका कारण अनुशासन था। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से मास्टर्स करने से पहले, उन्होंने UPSC क्रैक करने के दो प्रयास किए। वह वर्तमान में एक एनजीओ में, सॉफ्ट स्किल्स में एक प्रोग्राम स्पेशलिस्ट के रूप में काम कर रही हैं।

वह कहती हैं, “मेरे सीनियर ने मुझे पुराने राजेंद्र नगर के वातावरण के बारे में सबकुछ स्पष्ट रूप से बताया था। उन्होंने पहले से ही यहाँ के उतार-चढ़ाव और यहाँ रहने के फायदों के बारे में चेतावनी दी थी। इसलिए, जब मैं पीजी पहुंची, तो मुझे ज़्यादा हैरानी नहीं हुई। मुझे ऐसे लोग मिले, जो मेरे जैसे ही गंभीर, जिम्मेदार और मिलनसार थे और इससे मेरा सफ़र बहुत आसान हो गया।”

वह कहती हैं, एक ऐसा घर ढूंढना, जो हाइजीनिक और बजट के अनुकूल भी हो, मुश्किल हो सकता है। लेकिन, अगर आप पहले से ही इसकी तलाश शुरु कर दें, तो आप 10 हजार-16 हजार रुपये के बीच ऐसी जगह पा सकते हैं।

जहां तक दिल्ली को ‘रेप कैपिटल ऑफ़ इंडिया’ कहने की बात है, तो उन्हें छात्रों को आधी रात के बाद घूमते हुए तथा चाय के स्टॉल्स पर देखकर राहत मिलती थी। उन्हें यह देखकर भी राहत मिलती थी कि लाइब्रेरी और स्टेशनरी की दुकानें चौबीसों घंटे खुली रहती थीं।

अपनी दिनचर्या को अपनी क्लास, पढ़ाई का समय और अपने रूममेट्स की सुविधा के अनुसार निर्धारित करने के लिए, उन्हें लगभग तीन महीने का समय लगा। इसके बाद, उनका दिन किसी मशीन की तरह शुरू होता था। तनाव दूर करने के लिए, वह 30 मिनट का ब्रेक लेती थीं।

प्रियंका कहती हैं कि मेंटर या ऐसे व्यक्ति से मिलने से, जिसे परीक्षा में बैठने का अनुभव हो, काफी मदद मिलती है। वह कहती हैं, “मुझे अपने दूसरे वर्ष में एक मेंटर मिलीं, जिन्होंने अपनी सीख और गलतियां भी मुझसे शेयर की। उन दिनों, जब मेरा विश्वास टूटने की कगार पर था, एक दोस्त के विश्वास और अन्य छात्रों की हंसी ने मेरी काफी मदद की। मैंने घर के बने स्वस्थ भोजन के लिए, एक टिफिन सर्विस (डब्बावाला) का विकल्प चुना। इस तरह, ये छोटी-छोटी चीजें मुझे आगे बढ़ाने में मददगार रहीं।”

प्रियंका कहती हैं, UPSC क्रैक करने के लिए यहाँ आना ज़रूरी तो नहीं है। लेकिन, यहाँ का माहौल, निश्चित रूप से आप में एक अटूट संकल्प, दृढ़ता और लचीलापन विकसित करने में मदद कर सकता है, जो इस परीक्षा को क्रैक करने के लिए बहुत जरूरी है।

प्रसाद

मनोज और प्रियंका के विपरीत, प्रसाद का कहना है कि कोचिंग क्लास से उन्हें ज्यादा मदद नहीं मिली। वह कहते हैं, “मैंने अपने पहले प्रयास से पहले कोचिंग क्लास ज्वॉइन की थी। लेकिन, मैंने जल्द ही महसूस किया कि मैं अपनी सोच का इस्तेमाल किए बिना, अपने शिक्षक द्वारा कही गई बातों का पालन कर रहा था। वे जो कहते थे, मैं वैसे ही नोट्स पढ़ रहा था। लेकिन, मैंने अपने लेखन अभ्यास पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, जो मेरे लिए नुकसानदायक साबित हुआ। सौभाग्य से, मेरे वैकल्पिक विषय के शिक्षक ने परीक्षा की तैयारी में मेरी मदद की।”

प्रसाद ने एक और गलती की, जो अक्सर कई लोग करते हैं। वह कहते हैं, तैयारी के अलग-अलग पड़ावों में, वह कई लोगों को सुन रहे थे। इस कारण वह उलझ गए। उन्होंने दूसरे छात्रों द्वारा पूरे किए गए सिलेबस और उनके स्कोर से खुद की तुलना शुरू कर दी। इसके अलावा, जब अन्य छात्र उनसे नोट्स या किसी और मदद के लिए कहते, तो वह उनकी मदद में जुट जाते, जिससे उनका कीमती समय बर्बाद होता था।

प्रसाद ने अपनी गलतियों से सीखा और दूसरे वर्ष में एक अलग तरीका अपनाया। सबसे पहले, उन्होंने खुलकर सवाल न पूछने के अपने डर से छुटकारा पाया। वह कहते हैं, “मुझे लगता था कि मेरे सवाल बेकार है और लोग मुझ पर हँसेंगे, लेकिन फिर मैंने बाद में महसूस किया कि दूसरों के सवाल भी मेरे सवालों जैसे ही थे। जब दूसरे लोग मेरे पास परेशानियों और सवालों का ढेर लेकर आते थे, तो मैंने उन्हें ‘ना’ बोलना भी सीखा। हालांकि, मेन्स को क्रैक करने वाले एक व्यक्ति से मिलना, मेरे लिए जीवन बदलने जैसा था। मैंने उनकी तैयारी की रणनीतियों से बहुत सी चीजें सीखीं।”

प्रसाद फिलहाल राजेंद्र नगर में अपने चौथे प्रयास के लिए तैयारी कर रहे हैं।

मूल लेख: गोपी करेलिया

संपादन – प्रीति महावर

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