Placeholder canvas

डिग्री वकालत की, काम आविष्कारक का, डॉ. कलाम से मिला ‘ड्रोन मैन ऑफ़ इंडिया’ नाम

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के रहने वाले 29 वर्षीय मिलिंद राज को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने 'ड्रोन मैन ऑफ़ इंडिया' का नाम दिया था। उन्होंने अब तक कई ड्रोन और रोबॉट बनाये हैं।

उत्तर प्रदेश में लखनऊ के रहने वाले 29 वर्षीय मिलिंद राज को बहुत से लोग ‘ड्रोन मैन ऑफ़ इंडिया‘ के नाम से भी जानते हैं। उन्हें यह नाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक स्व. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने दिया था। साल 2014 में, डॉ. कलाम ने उनका बनाया ड्रोन देखा और वह उनसे काफी प्रभावित हुए। उसी दौरान, उन्होंने मिलिंद को यह नाम दिया। क्योंकि, डॉ. कलाम मिलिंद की मेहनत और उनकी शानदार तरकीबों से बहुत प्रभावित हुए थे। 

इस नाम पर खरा उतरते हुए मिलिंद, पिछले कई सालों से लगातार अलग-अलग तरह के ड्रोन और रोबोट्स बना रहे हैं। उनके ड्रोन और रोबोट्स की मांग इंडस्ट्री में भी है और साथ ही, समय-समय पर उनके ड्रोन इंसानियत की मिसाल कायम करते हुए भी दिखते हैं। जी हाँ, मिलिंद का मानना है कि विज्ञान और तकनीक का इस्तेमाल, अगर सही जगह और सही तरीकों से किया जाए, तो ये हम सबके लिए वरदान साबित हो सकते हैं। जिसे मिलिंद ने कई बार साबित भी किया है। एक बार उन्होंने अपने ड्रोन की मदद से, गंदे नाले में फंसे कुत्ते को निकाला था। वहीं कोरोना महामारी के समय, उन्होंने कई ‘सैनिटाइज़ेशन ड्रोन’ बनाए थे। कुछ समय पहले, उन्होंने एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो उनकी दिव्यांग कुतिया का पूरा ख्याल रखता है। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए मिलिंद ने अपने पूरे सफर के बारे में विस्तार से बताया। 

मिलिंद राज

बचपन में बनाते थे थर्मोकॉल से हवाई जहाज: 

मिलिंद बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही तकनीक से प्यार है। बचपन में जो भी खिलौने उनके लिए आते थे, वे सभी को खोलकर और उनके कल-पुर्जे अलग-अलग करके, उनसे कुछ नया बनाने की कोशिश करते थे। वह कहते हैं कि वह छठी या सातवीं कक्षा में थे, जब उन्होंने थर्मोकॉल से जहाज बनाकर उड़ाया। इस तरह की चीजें बनाने की उम्मीद, उनके परिवार में किसी को नहीं थी। लेकिन मिलिंद की अलग सोच ने सबको हैरान कर दिया। अपने स्कूल-कॉलेज के दिनों में मिलिंद पढ़ाई के साथ-साथ, विज्ञान और तकनीक से जुड़ी किताबें, जर्नल और मैगज़ीन आदि पढ़ा करते थे। 

वह बताते हैं, “मैंने मैनेजमेंट साइंस और लीगल स्टडीज में पढ़ाई की और साथ में, अपने ड्रोन और रोबोट्स पर काम करता रहा। मेरी डिग्री 2015 में पूरी हुई लेकिन, इससे एक साल पहले ही मेरी मुलाकात कलाम सर से हो गयी। उन्होंने मेरे बनाए ड्रोन्स को देखा और लॉन्च किया। उसी दौरान उन्होंने मुझे ‘ड्रोन मैन ऑफ़ इंडिया’ का नाम दिया। सिर्फ यह नाम ही नहीं बल्कि मेरे जीवन का उद्देश्य भी मुझे कलाम सर से मिला। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर आपकी सोच आने वाले 10-20 वर्षों को लेकर है तो शिक्षा पर काम कीजिए। जो आपको आता है, उसे बच्चों को सिखाइए ताकि भविष्य में वे एक सकारात्मक बदलाव बनकर उभरें।” 

कलाम से की मुलाकात

इसलिए पढ़ाई के बाद, मिलिंद ने नौकरी नहीं की बल्कि अपनी खुद की कंपनी और रोबोटिक्स क्लब- ‘रोबोज़ वर्ल्ड‘ शुरू किया। वह कहते हैं, “मुझे मेरे आविष्कार के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से पाँच लाख रुपए का पुरस्कार मिला था। उसी पुरस्कार राशि से मैंने अपनी कंपनी की शुरूआत की। आज अपने कंपनी के जरिए, मैं तरह-तरह के ड्रोन और रोबोट्स बना रहा हूँ। जो भारत के साथ-साथ, विदेशी कंपनियों तक भी पहुँच रहे हैं।” मिलिंद की टीम में फिलहाल आठ लोग हैं और सबसे दिलचस्प बात यह है कि इनमें कई ऐसे भी हैं, जिन्होंने कोई तकनीकी पढ़ाई नहीं की है। 

उन्होंने हँसते हुए कहा, “कुछ लोग पढ़ाई करके इंजीनियर बनते हैं लेकिन, कुछ लोग इंजीनियर के रूप में ही जन्म लेते हैं। मैं और मेरे साथी, शायद दूसरे तरह के लोगों में से हैं।” उनके साथ पिछले पाँच सालों से काम कर रहे परवेज़ कदीर ने कोई स्कूली पढ़ाई नहीं की है। मिलिंद के साथ काम करने से पहले, वह थोड़ी-बहुत खेती करते थे। लेकिन आज वह कंपनी में बतौर कारीगर काम कर रहे हैं। वह सभी उत्पादों की डिजाइनिंग करते हैं। परवेज़ कहते हैं, “इस जगह काम करके मेरी ज़िन्दगी को एक नई दिशा मिली है। यह किसी सपने से कम नहीं है और मुझे ख़ुशी है कि मैं हर दिन दूसरों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए कुछ कर पा रहा हूँ।”

ड्रोन से कर रहे मदद: 

कंपनियों के लिए ड्रोन और रोबोट्स बनाने के अलावा, मिलिंद अपने आसपास की समस्याओं को हल करने के लिए भी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। साल 2018 में, उन्होंने एक 20 फ़ीट गहरे गंदे नाले में फंसे एक छोटे से कुत्ते की जान बचाई थी। वह बताते हैं कि जब उन्हें पता चला कि कोई कुत्ता गंदे नाले में गिर गया है तो उन्हें पहला ख्याल आया कि उस बेजुबान जानवर को बाहर कैसे निकाला जाए? गंदे नाले से उसे निकाल पाना काफी मुश्किल था। लेकिन, अगर उसे नहीं निकाला जाता तो उसकी जान भी जा सकती थी। ऐसे में मिलिंद ने वही किया, जिसमें वह एक्सपर्ट हैं। 

उन्होंने तकनीक की मदद ली और अपने एक ड्रोन में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ का उपयोग करके, मात्र छह-सात घंटों में एक ‘रोबोटिक आर्म’ बनाई। इसमें उन्होंने एक ‘हार्टबीट सेंसर’ भी लगाया। इसके बाद, वह अपनी इस तकनीक को लेकर नाले के पास पहुंचे और वहां ड्रोन और रोबोटिक आर्म की मदद से फंसे हुए कुत्ते को बाहर निकाला। वह बताते हैं, “हार्टबीट सेंसर होने से मुझे पता चलता रहा कि जब रोबोटिक आर्म ने कुत्ते को उठाया तो उसकी पकड़ बहुत ज्यादा मजबूत नहीं थी। क्योंकि, अगर ऐसा होता तो कुत्ते का दम घुट सकता था। मिलिंद की तकनीक से, कुछ मिनटों में ही कुत्ता बाहर आ गया और उसकी जान बच गई।” 

इसके बाद, 2020 में जब लॉकडाउन के दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए, सार्वजनिक जगहों को सैनिटाइज करने पर जोर दिया जा रहा था तब मिलिंद ने एक ऐसा ड्रोन तैयार किया, जो हवा में आठ किलोमीटर की दूरी तय कर निश्चित जगह को सैनिटाइज कर सकता है। वह कहते हैं, “इस ड्रोन को आप एक जगह बैठकर कंप्यूटर से संचालित कर सकते हैं और यह कुछ ही घंटों में काफी बड़े इलाके को सैनिटाइज कर सकता है। हमने अपने इलाके में इसकी मदद से कई जगहों और हजारों गाड़ियों को सैनिटाइज किया।”

इस ड्रोन को उन्होंने ‘सैनिटाइजर ड्रोन’ नाम दिया है। वह आगे बताते हैं कि ड्रोन से सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया के दौरान ही, उन्होंने एक घायल कुतिया को भी बचाया। इस कुतिया को उन्होंने ‘जोजो’ नाम दिया। उन्होंने कहा, “जब हम सैनिटाइजेशन कर रहे थे तो मैंने देखा कि ड्रोन के कैमरा में एक सफ़ेद रंग की चीज दिख रही है। मैं जब उस जगह गया तो देखा कि एक कुतिया लगभग अधमरी हालत में थी। उस समय गली-मोहल्ले में कोई निकलता भी नहीं था तो इस पर किसी का ध्यान भी नहीं गया। इसलिए, मैं इसे अपने साथ ले आया।” 

मिलिंद ने जोजो को अपनी लैब में ही एक कमरे में रखा। लेकिन, दो-तीन दिन में उन्हें समझ में आ गया कि जोजो उनसे बहुत ज्यादा डर रही है और वह उनकी बातें भी नहीं समझ पा रही है। इसलिए, वह जोजो को एक पशु चिकित्सक के पास लेकर गए। वहां डॉक्टर ने उन्हें बताया कि शायद जोजो को बहुत मारा गया है, जिस वजह से उसके देखने की और सुनने की शक्ति बहुत ही कम हो गई है और उसके दिमाग पर भी असर पड़ा है। साथ ही, जोजो के मन में इंसानों के प्रति बहुत ज्यादा डर बैठ गया है। 

उन्होंने आगे कहा, “मैंने पहले बहुत कोशिश की कि मैं उससे दोस्ती कर पाऊं और उसे अच्छे से खाना खिलाऊँ। लेकिन जोजो बहुत डरी हुई थी और उसे जैसे ही अपने पास किसी इंसान के होने का अहसास होता तो वह अजीब हरकतें करने लगती। इसलिए, मैंने एक कमरे में उसके रहने का इंतजाम किया। मैंने कमरे में एक कैमरा भी लगा दिया था ताकि उसे मॉनिटर किया जा सके। लेकिन, कई बार वह खाना ही नहीं खाती थी और चुपचाप पड़ी रहती थी। तब मुझे लगा कि कुछ तो करना पड़ेगा।” 

मिलिंद ने एक बार फिर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए, एक रोबोट बनाया। यह रोबोट जोजो का पूरा ख्याल रखता है, उसे खाना खिलाता है और लगातार जोजो को मॉनिटर करता है। मिलिंद बताते हैं, ” जोजो को रोबोट की आदत भी काफी दिनों में पड़ी। जब उसे यह अहसास हो गया कि उसे रोबोट से कोई खतरा नहीं है तो अब वह रोबोट के साथ सहज है। रोबोट उसे जब खाना देता है तो वह खा लेती है और अगर उसे कभी कोई खतरा लगता है तो रोबोट के पीछे आकर छिपती है। अब डॉक्टर का कहना है कि नियमित खाने-पीने और दवाइयों से जोजो की हालत में सुधार आ रहा है।” 

बच्चों के लिए शुरू किया रोबोटिक्स क्लब: 

अपनी कंपनी के साथ-साथ, वह बच्चों के लिए ‘रोबोटिक्स क्लब’ भी चला रहे हैं। यहां पर वह स्कूल के बच्चों को ‘रोबोटिक्स’ पढ़ाते हैं। मिलिंद कहते हैं कि उनके पास बच्चों के दो बैच हैं। एक बैच में समृद्ध परिवारों के बच्चे आते हैं, जो फीस दे सकते हैं। वहीं, दूसरे बैच में हम ऐसे बच्चों को पढ़ाते हैं जो जरूरतमंद परिवारों से हैं और फीस नहीं दे सकते हैं। उन्होंने बताया, “हमारे यहां गरीब और अमीर के बीच के भेद को सिर्फ शिक्षा से कम किया जा सकता है। इसलिए, हमें एक बैच की फीस से जो भी कमाई होती है, उसे हम दूसरे बैच के बच्चों की पढ़ाई में लगाते हैं ताकि हर स्तर के बच्चों की प्रतिभा को निखारा जा सके।” 

मिलिंद राज और भी कई तरह के अलग-अलग ड्रोन पर काम कर रहे हैं, जिससे दैनिक परेशानियों को हल किया जा सके। उन्हें 2017 में ‘यंग अचीवर’ अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। मिलिंद कहते है कि वह अपने कई रोबोट्स और ड्रोन का ट्रायल कर रहे हैं, जो शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में मददगार साबित हो सकें। बेशक, मिलिंद राज का काम और प्रतिभा सराहनीय है। उम्मीद है कि बहुत से लोग उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ेंगे। 

अगर आप मिलिंद राज से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें ट्विटर या फेसबुक पर फॉलो कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

यह भी पढ़ें: 13 साल के आयुष्मान का अविष्कार, वॉशिंग मशीन में साफ़ हो जायेगा गंदा पानी

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X