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प्रधानमंत्री के भाषण से प्रभावित इन दो दोस्तों ने उत्तर प्रदेश के तौधकपुर को बना दिया स्मार्ट गाँव!

उत्तर प्रदेश के राय बरेली ज़िले के तौधकपुर गांव को आप भारत का पहला 'स्मार्ट गांव' कह सकते हैं। इस गांव में सीसीटीवी कैमरा, स्ट्रीट लाइट्स, रेगुलर हेल्थ चेकअप, वाई-फाई जोन, 18-20 घंटे बिजली और सार्वजनिक उद्घोषणा सिस्टम भी है।

त्तर प्रदेश के एक गांव में सिर्फ 48 घंटे में 242 शौचालय बनाये गए। यह न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पुरे देश में एक रिकॉर्ड है शायद। तो स्वागत है आपका राय बरेली ज़िले के तौधकपुर गांव में, जिसे आप देश का पहला स्मार्टगांव कह सकते हैं।

इस गांव में सीसीटीवी कैमरा, स्ट्रीट लाइट्स, रेगुलर हेल्थ चेकअप, वाई-फाई जोन, 18-20 घंटे बिजली और सार्वजनिक उद्घोषणा सिस्टम भी है। “स्मार्टगांव,” एक मोबाइल एप्लीकेशन है, जिसे दो आईटी प्रोफेशनल योगेश शाहू और रजनीश बाजपई ने बनाया है।

यह एप गांववालों को आपस मे जोड़ने के साथ-साथ गांव को शहरी दुनिया से भी जोड़ती है। इसके साथ ही इस एप पर आपको गांव से संबंधित जानकारी मिलेगी और यह एप किसानों के लिए बाजार के रूप में भी काम करता है।

गांव में होने वाली हर एक पहल को इस एप पर अपडेट, रिकॉर्ड, ट्रैक और मॉनिटर किया जाता है।

फोटो: द इंडियन एक्सप्रेस

गांववालों की डायरेक्टरी, ख़बरें, कैलेंडर, स्वास्थ्य केंद्र और जानकारी केंद्र आदि इस एप की विशेषताएं हैं। इस एप को बनाने वालों के मुताबिक इसका उद्देश्य शहरों की तरह हैं गांव में भी लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना है।

इस एप के लिए प्रेरणा, बाजपई को साल 2015 में प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका में दिए गए एक भाषण से मिली। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा था, “मेरे देश में हम अक्सर लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि हमें लोगों में हो रहे ‘ब्रेन ड्रेन’ को रोकने के लिए कुछ करना चाहिए। भारत में बहुत से बुद्धिजीवी पैदा होते हैं। तो यह ‘ब्रेन ड्रेन’ ‘ब्रेन गेन’ में भी तब्दील हो सकता है।”

फोटो: द इंडियन एक्सप्रेस

इस भाषण से प्रेरित हो बाजपई ने अपने करीबी दोस्त साहू को अपना आईडिया बताया। योगेश साहू, एम-इंटेलेक्ट ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी चलाते हैं। उन्होंने बाजपई के साथ मिलकर ‘स्मार्टगांव’ एप के माध्यम से अपने गांववालों के लिए कुछ करने की सोची। हालाँकि, यह रास्ता तय करना उनके लिए आसान नहीं रहा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज भारत में कितनी भी समस्याएं हों, पर उस सबके बीच गांवों में मोबाइल इस्तेमाल करने वालों की संख्या हर साल 26% की दर से बढ़ रहे हैं।

साहू और बाजपाई ने अपने प्रोजेक्ट के लिए मोबाइल तकनीक का इस्तेमाल करने की सोची। आज तीन वर्षों की मेहनत और लगन के बाद वे तौधकपुर को यह तस्वीर दे पाए हैं। उनके इस कार्य में गांव के सरपंच, जिला अधिकारी, और गांव वालों ने भरपूर साथ दिया।

इसके साथ ही साहू और बाजपई, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के अन्य छह गांवों में भी विकास की नींव रख चुके हैं। हम उम्मीद करते हैं कि उनकी यह पहल जल्द ही पुरे भारत में रंग लाये।


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