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अमेरिका से लौट, हजारों देशवासियों के आँखों को दी नई रोशनी, मिला 3 मिलियन डॉलर का पुरस्कार

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हैदराबाद स्थित एलवीपीईआई के संस्थापक डॉ. गुलापल्ली नागेश्वर राव को द आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट अवार्ड श्रेणी के तहत, ‘End Blindness 2020’ पहल के लिए प्रतिष्ठित ग्रीनबर्ग पुरस्कार के लिए चुना गया है।

हैदराबाद स्थित एलवी प्रसाद नेत्र संस्थान (LVPEI), जो अंधापन की रोकथाम की दिशा में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ एक कोलैबोरेटिव सेंटर के रूप में कार्य करती है, हाल ही में, इसे प्रतिष्ठित ग्रीनबर्ग पुरस्कार के लिए चुना गया है। 

यह पुरस्कार एलवीपीईआई के संस्थापक डॉ. गुलापल्ली नागेश्वर राव को द आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट अवार्ड श्रेणी के तहत, ‘End Blindness 2020’ पहल के लिए दिया गया है।

बता दें कि ग्रीनबर्ग पुरस्कार का उद्देश्य, अंधेपन की रोकथाम के लिए पूरी दुनिया में रिसर्च कम्युनिटी का निर्माण करना है, ताकि सामूहिक कौशल और संसाधनों का उचित इस्तेमाल हो। 

इस पुरस्कार के लिए विजेताओं को उनके योगदानों के आधार पर चुना जाता है और उन्हें 3 मिलियन डॉलर की राशि से सम्मानित किया जाता है।

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डॉ. गुलापल्ली नागेश्वर राव

आज एलवीपीईआई के पूरे भारत में सैकड़ों चिकित्सा केन्द्र हैं और इसके तहत 15 मिलियन से अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है। 

डॉ. राव के बारे में कुछ खास बातों का उल्लेख नीचे है:

परिवार की विरासत

डॉ राव के पिता गोविंदप्पा वेंकटस्वामी एक महान नेत्र चिकित्सक थे और उन्होंने गरीबों के बेहतर इलाज के लिए चेन्नई में अरविंद नेत्र चिकित्सालय को स्थापित किया था। डॉ. राव ने भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चलते हुए, नेत्र विशेषज्ञ बनने का फैसला किया।

आंध्र प्रदेश के गुंटूर में बुनियादी चिकित्सा शिक्षा हासिल करने के बाद, डॉ. राव ने दिल्ली स्थित एम्स से ऑपथैल्मोलॉजी (नेत्र विज्ञान) में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया।

इसके बाद, साल 1974 में, वह अमेरिका गए, जहाँ उन्होंने बोस्टन स्थित टफ्ट्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन से ट्रेनिंग हासिल की और बाद में, वह रोचेस्टर स्कूल ऑफ मेडिसिन गए, जहाँ उन्होंने छात्रों को प्रशिक्षित भी किया।

विदेशों में प्रशिक्षण देने के लिए अलावा, डॉ. राव अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के कई विश्वविद्यालयों में एक विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर भी छात्रों से अपना अनुभव साझा करते हैं।

डॉ. राव कॉर्निया, आई बैंकिंग, कॉर्निया ट्रांसप्लांट, आई केयर पॉलिसी और प्लानिंग जैसे विषयों के विशेषज्ञ हैं।

इसके अलावा, उनका राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 300 से अधिक पत्र प्रकाशित हो चुका है और वह कई पत्रिकाओं के एडिटोरियल बोर्ड के साथ भी काम चुके हैं। 

एल.वी. प्रसाद नेत्र संस्थान की स्थापना

साल 1981 में, अपनी पत्नी के साथ भारत लौट आए। फैक्टर डेली को दिए एक इंटरव्यू के अनुसार, उन्होंने भारत लौटने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि वह हैदराबाद में एक नेत्र अस्पताल बनाना चाहते थे, ताकि मरीजों की देखभाल, शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा मिल सके।

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इसके बाद, उन्होंने अपनी सारी सेविंग्स आफ्थैल्मिक कारपोरेशन को दान कर दिया और राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री एनटी रामाराव से शैक्षणिक संस्थान बनाने के लिए जमीन प्रदान करने की अपील की। 

फिर, मुख्यमंत्री ने डॉ. राव को जमीन आवंटित कर दिया, जिस पर उन्होंने पब्लिक हेल्थ और ऑप्टोमेट्रिक एजुकेशन डिपार्टमेंट खोला।

इस तरह, साल 1985 में, उन्हें लोकप्रिय फिल्म निर्देशक एल.वी. प्रसाद के बेटे रमेश प्रसाद से 5 करोड़ रुपये और 5 एकड़ जमीन मिली, जिसके पश्चात् उन्होंने एलवी प्रसाद आई इंस्टिट्यूट को लॉन्च किया।

डॉ. राव की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ: 

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर प्रीवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस (IAPB) के पूर्व महासचिव और सीईओ रह चुके डॉ. राव ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर, अंधापन की रोकथाम के लिए वैश्विक पहल को विकसित करने और उसे बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

चिकित्सा कार्यों में उनके उल्लेखनीय योगदानों के लिए साल 2002 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है, जो देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है।

साल 2017 में, लॉस एंजिल्स में अमेरिकन सोसाइटी ऑफ कैटरैक्ट एंड रिफ्रैक्टिव सर्जरी (ASCRS) की मीटिंग में डॉ. राव को ऑपथैल्मोलॉजी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था। 

बता दें कि पिछले तीन सदी में, पूरी दुनिया के महज 57 नेत्र रोग विशेषज्ञ ही इसमें अपनी जगह बना पाएं हैं।

फोर्ब्स पत्रिका के साथ एक इंटव्यू के दौरान, डॉ. राव ने कहा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन को मोतियाबिंद हो गया था, उनके सेक्रेटरी गोपालकृष्ण गाँधी ने उनसे राय माँगी थी।

इसके बाद, डॉ. राव ने उन्हें सर्जरी करने का सुझाव दिया, लेकिन उन्होंने इस ऑपरेशन को खुद नहीं किया, क्योंकि 55 साल की उम्र के बाद उन्होंने ऑपरेशन करना बंद कर दिया था। जब गोपालकृष्ण गाँधी ने उनसे एक फेवर माँगते हुए, ऑपरेशन करने की अपील की, तो डॉ. राव ने कथित रूप से जवाब दिया, “मैं यह ऑपरेशन न कर, आपका ही फेवर कर रहा हूँ।”

हाल ही में, ग्रीनबर्ग पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद, डॉ. राव ने कहा है कि एलवीपीईआई के 3000 सदस्यों के साथ, उन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुने जाने के बाद, वह खुद को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। साल 2020 तक, टालने योग्य अंधेपन को खत्म करना, पिछले दो दशकों से अधिक समय से ग्लोबल कम्युनिटी के लिए एक बड़ी आकांक्षा रही है।

डॉ. राव को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार 15 दिसंबर 2020 को दिया गया था। आप सम्मान समारोह के वीडियो को यहाँ देख सकते हैं।

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संपादन – जी. एन झा

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