म हारष्ट्र में 1 जुलाई, 2018 की रात लगभग 11 बजे मुंबई के पास मालेगांव के पुलिस अधीक्षक, आईपीएस अफसर हर्ष ए. पोद्दार को मदद के लिए एक फ़ोन आया।
दरअसल, आज़ाद नगर के अली अकबर अस्पताल के पास एक भीड़ इकट्ठी हो रखी थी। यह भीड़ एक परिवार को मारने के लिए तैयार थी। क्योंकि भीड़ को संदेह था कि यह परिवार बच्चे उठाने वाले गिरोह में शामिल है। परिवार के सदस्यों में दो आदमी, दो औरत व एक दो साल का बच्चा था।
इस घटना के लगभग 12 घंटे पहले ही, मालेगांव से 40 मिनट दूर धुले में ऐसी ही एक भीड़ केवल अफवाह के आधार पर एक परिवार की जान ले चुकी थी।
Barely 12 hours after five people were lynched on suspicion of child lifting near Dhule, five others were detained by the locals on the suspicion of being child lifters in Malegaon. A police team led by Addl SP @Harssh_IPS rescued them. Situation under control. Probe begins .. pic.twitter.com/LHd8TqESlN
— Mateen Hafeez (@Mateen_Hafeez) July 1, 2018
लेकिन मालेगांव में ऐसा नहीं हो पाया। इसका श्रेय जाता है पुलिस डिपार्टमेंट को, जिनके समय रहते पहुंचने से इस परिवार की जान बच पायी।
एएसपी हर्ष ने द बेटर इंडिया को बताया कि पिछले कुछ 8-9 दिनों से मालेगांव में अपहरण की अफवाहें फ़ैल रहीं हैं।
हालाँकि, पुलिस अपनी तरफ से सख्त कार्यवाही कर रही है। पुलिस द्वारा इन अफवाहों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए वीडियो शेयर किया जा रहा है। इसके अलावा सार्वजानिक बैठकों में भी लोगों को समझाया जा रहा है। साथ ही अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 505 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
लेकिन 1 जुलाई की रात को क्या हुआ?
दरअसल, महाराष्ट्र के परभानी जिले में रहने वाला यह परिवार दैनिक मजदूरी खत्म करके अपने जिले लौट रहा था। लेकिन रास्ते में उनके पैसे खत्म हो गए। इसलिए वे मालेगांव रुक गए और यहां कुछ पैसे मिलने की उम्मीद में भीख मांगने लगे।
अफसर हर्ष ने बताया कि इसी सब में यह परिवार एक 14 वर्षीय बच्चे से बात रहा था।
हालाँकि, उनकी बातचीत किस बारे हुई, यह तो नहीं ज्ञात हुआ क्योंकि कार्यवाही अभी चल रही है। लेकिन इसके आधार पर कुछ उपद्रवियों को लगा कि ये लोग अपहरणकर्ता है। मालेगांव दो भागों में बंटा हुआ है। पश्चिमी भाग में हिन्दू व पूर्वी भाग में मुस्लिम रहते हैं। यह परिवार हिन्दू था और मुस्लिम इलाके में फंसा हुआ था।
वैसे, इस घटना में कोई भी सांप्रदायिक संबंध नहीं है। लेकिन इन लोगों का पहनावा अलग होने से ही पता चल गया था कि यह परिवार बाहर से है। बिना कुछ सोचे-समझे भीड़ ने इन लोगों को मरना शुरू कर दिया था।
जब अफसर हर्ष को मदद के लिए फ़ोन आया तो उन्होंने तुरंत स्थानीय पुलिस को घटना के बारे में आगाह किया। लगभग 10 मिनट में ही 1500 लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गयी थी।
स्थानीय पुलिस केवल 4 अफसरों के साथ आयी थी, उन्होंने पोद्दार से अतिरिक्त पुलिस फाॅर्स को भेजने के लिए अनुरोध किया। बिना समय बर्बाद किये एएसपी पोद्दार ने डीएसपी के साथ एक दंगा नियंत्रण प्लाटून को भेजा। पुलिस ने भीड़ को शांत करने की कोशिश की। लेकिन भीड़ केवल परिवार को मारने के लिए आमादी थी।
इसके चलते पुलिस ने परिवार को दो घरों में बंद करके रखा। लेकिन भीड़ पुलिस से परिवार को उनके हवाले करने के लिए चिल्लाती रही ताकि वे जन-न्याय कर सकें।
आईपीएस अफसर ने धार्मिक प्रतिनिधि जैसे इमामों से भी भीड़ को शांत करने की गुहार की। लेकिन इसका भी कोई परिणाम नहीं निकला। बदले में, भीड़ ने पुलिस और इमामों पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिया।
1500 की भीड़ के आगे 50 सदस्यों की पुलिस फाॅर्स इन्हें घरों में घुसने से रोक रही थी, जहां परिवार को रखा गया था। इसी बीच और अधिक पुलिस फाॅर्स बुलाने के लिए फ़ोन किया गया।
इसलिए स्वयं आईपीएस अधिकारी चार अन्य राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ) व एक और दंगा नियंत्रण बल के साथ मौके पर पहुंचे। भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू किया और भीड़ को पीछे की तरफ धकेलना शुरू किया।
“दो बुलेरो गाडी मंगवा कर परिवार को क्षेत्र के सबसे दूर पुलिस स्टेशन में भेजा गया। मेरे पहुंचने से पहले भीड़ ने एक पुलिस की गाडी को भी पलट दिया था। लेकिन अच्छी बात यह है कि किसी भी पुलिस कर्मचारी को कोई चोट नहीं आयी और साथ ही स्थिति को काबू में रखा गया ताकि पुलिस को भीड़ पर फायर न करना पड़े। भीड़ में भी कोई चोटिल नहीं हुआ। परिवार के एक पुरुष सदस्य को चोट आयी लेकिन बाकी सभी कुशलतापूर्वक वहां से निकाल लिए गए। यह पूरी कार्यवाही लगभग 3 घंटे चली।”
Five ppl (including a 2 yr old child) rescued from a violent mob of thousands wanting to lynch them in Malegaon. Proud of my team #MalegaonPolice that risked their own lives to save them today@Dev_Fadnavis @IPS_Association @LogicalIndians @thebetterindia @the_hindu @timesofindia https://t.co/ho6iWSDt3W
— Harssh A Poddar (@Harssh_IPS) July 1, 2018
झूठी खबरों के आधार पर होने वाली मौतों के बारे में आईपीएस पोद्दार ने कहा, “इस तरह की अफवाहों के मामले में लोग एक पल सोचने के लिए भी नहीं रुकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि परिवार 14 वर्षीय बच्चे का अपहरण कर रहा था लेकिन तथ्यों की जाँच नहीं की। यहाँ तक पुलिस की कार्यवाही के बाद भी वे शांत नहीं हुए। इस तरह की अफवाहें कुछ उपद्रवियों द्वारा फैलाई जाती हैं, जो केवल हिंसा चाहते हैं।”
“कुछ लोग यह सोचते हैं कि भीड़ का हिस्सा होने से वे बच जायेंगे, क्योंकि भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता। लेकिन कानून फिर भी ऐसे लोगों को पकड़ने की राह ढूंढ लेता है। हमारे पास शहर के सीसीटीवी कैमरा की रिकॉर्डिंग है। जो भी लोग इस कृत्य में शामिल थे उनके खिलाफ यह डिजिटल सबूत है,” उन्होंने आगे कहा।
पुलिस ने दंगें, सार्वजनिक सेवा की अनदेखी और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है। सीसीटीवी रिकॉर्डिंग के आधार पर शामिल लोगों की पहचान की जाएगी।
अपनी समय पर कार्यवाही और बहादुरी के चलते महाराष्ट्र पुलिस ने एक उदाहरण स्थापित कर दिया है। हम आईपीएस अधिकारी हर्ष पोद्दार और उनकी टीम को उनके साहसनीय कार्य के लिए बधाई देते हैं। अपनी जान को खतरे में डालकर भी उन्होंने उस परिवार की जान बचायी।
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