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घर की छत पर गमलों में लगाए लगभग 400 पेड़-पौधे, उगा रहे हैं 15 से भी ज्यादा किस्म के फल

ब्रह्मदेव कुमार अपनी छत पर फूल और मौसमी सब्जियों के अलावा थाईलैंड अमरुद, थाई एप्पल बेर, पान, ड्रैगन फ्रूट, आम, मौसम्बी, निम्बू, संतरा और अंजीर जैसे फल भी उगा रहे हैं!

हम अक्सर सुनते हैं कि समय के अभाव में कई लोग अपने जीवन में वह काम नहीं कर पाते हैं, जिनमें उनका मन सबसे अधिक लगता है। लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने व्यस्त समय में भी वह काम कर लेते हैं जो उनके मन के करीब होता है। आज गार्डनगिरी में हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति से मिलवाने जा रहे हैं जो वैसे तो पेशे से इलेक्ट्रिक टेक्निशियन हैं लेकिन उन्होंने अपने छत पर एक शानदार गार्डन तैयार किया है, साथ ही गार्डनिंग (Growing Fruits On Terrace) को लेकर अपना यूट्यूब चैनल भी चला रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रहने वाले 48 वर्षीय ब्रह्मदेव कुमार गोरखपुर यूनिवर्सिटी में बतौर इलेक्ट्रिक टेक्निशियन कार्यरत हैं। साथ ही, पिछले 20 सालों से वह गार्डनिंग कर रहे हैं। शुरूआत, मात्र 4-5 पौधों से हुई और वह भी फूलों के पेड़-पौधे। लेकिन आज उनकी बागवानी में 400 से अधिक पेड़-पौधे हैं।

ब्रह्मदेव ने द बेटर इंडिया को बताया, “गार्डनिंग का शौक मुझे बचपन से था। लेकिन बचपन में तरह-तरह के पेड़-पौधे लाने के या लगाने के साधन नहीं थे। घर में सबसे छोटा था, शायद इसलिए मेरी बात सभी सुनते भी नहीं थे। लेकिन जब नौकरी करने लगा तो मैंने अपने इस शौक को जीने की ठानी। मैंने पेड़-पौधे लगाना शुरू किया और साथ ही, उनके बारे में पढ़ने भी लगा।”

Growing Fruits On Terrace
Brahamdev Kumar

ब्रह्मदेव ने जब गार्डनिंग शुरू की तब इंटरनेट या यूट्यूब का जमाना नहीं था। इसलिए वह अक्सर कॉलेज की लाइब्रेरी या फिर पेड़-पौधों से संबंधित किताबों से जानकरी लेने की कोशिश करते थे। यह उनका पेड़-पौधों के प्रति लगाव ही था। जैसे-जैसे वक़्त बीता, उनकी गार्डनिंग भी बढ़ने लगी। कुछ सजावट और फूलों से शुरू हुआ उनका सफर फलों के पेड़-पौधों तक आ गया। अमरुद, अनार के पेड़ तो लगभग ज्यादातर घरों में मिल ही जाते हैं। लेकिन इनमें भी ब्रह्मदेव ने कोशिश की कि वह अलग-अलग वैरायटी लगाएं।

आज उनके यहाँ 15 से भी ज्यादा फलों के पेड़ हैं जिनमें थाईलैंड अमरुद, थाई एप्पल बेर, मौसम्बी, अंजीर, निम्बू, चीकू, आम जैसे फल शामिल हैं। इसके अलावा वह लौकी, करेला, मिर्च, शिमला मिर्च, हरी सब्ज़ियां भी उगा रहे हैं।

“अब शायद 400 से भी ज़्यादा पौधे होंगे घर में। ज़्यादातर पौधे हमारी छत पर हैं, वहीं हमने गमलों में सभी पेड़-पौधे लगाए हैं। एक-दो नयी चीज़ें भी की हैं जैसे वर्टिकल गार्डनिंग का भी एक्सपेरिमेंट किया है। जो कुछ भी है सभी अनुभव से आया है। इतना बड़ा बाग़ एक दिन में तो खड़ा नहीं हुआ है, जब आप धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं तब ही इतना आगे पहुँच पाते हैं,” उन्होंने आगे कहा।

Growing Fruits On Terrace
His Garden

ब्रह्मदेव अपने गार्डन की देखभाल स्वयं करते हैं। उनकी पत्नी भी काम करतीं हैं और बच्चे पढ़ाई में व्यस्त हैं। इसलिए वह गार्डन की ज़िम्मेदारी खुद ही पूरी करते हैं ताकि उनका परिवार ताजा, स्वादिष्ट और फल-सब्ज़ियां खाएं।

वह बताते हैं, “मैं मौसम के अनुसार सब्जियां उगाता हूँ। प्रयास रहता है कि बाजार से सब्जी खरीदना ना पड़े। कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि हमें फल आस-पड़ोस में बांटना पड़ता है।”

ब्रह्मदेव के गार्डन की सभी लोग सराहना करते हैं। लेकिन वह खुद लाइमलाइट से बचते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वह जो कर रहे हैं उनके अपने लिए हैं। अगर कोई उनसे प्रेरणा लेता है तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन वह अपनी ख़ुशी के लिए गार्डनिंग कर रहे हैं। इसलिए ही कई बार पौधों के खराब होने पर भी निराश नहीं होते हैं।

उनका कहना है, “प्रकृति को कोई बाँध नहीं सकता है। आप अपनी तरफ से मेहनत करें और बस प्रकृति से प्यार करें। अगर कभी कोई पौधा नहीं भी लगता है तो कोई नहीं, आप फिर से कोशिश करें।”

Gorakhpur Home Gardening
He has different varieties of plants

ब्रह्मदेव जैविक तरीकों से अपने पेड़-पौधों की देखभाल करते हैं। वह कहते हैं, “पौधे लगाने के लिए आजकल सिर्फ मिट्टी काफी नहीं है। आपको एक अच्छा ग्रोइंग मीडियम तैयार करना होगा। इसके लिए आप इसमें खाद, वर्मीकम्पोस्ट, सरसों खली, नीम खली, कोकोपीट और कई अन्य पोषक तत्व मिला सकते हैं। अगर आप चाहें तो आप बिना मिट्टी के भी अच्छा पॉटिंग मिक्स तैयार कर सकते हैं।”

ब्रह्मदेव बताते हैं कि पौधे लगाने के बाद भी पानी देने से लेकर पेस्ट अटैक का ध्यान रखने तक, आपको सभी चीज़ों के प्रति जागरूक रहना होगा। आप नियमित तौर पर पौधों को पानी दें, धूप का ध्यान रखें, महीने में कम से कम दो बार पोषक खाद या लिक्विड खाद पौधों को दें और गमलों की मिट्टी को ऊपर-नीचे करते रहें। अगर कहीं कोई पेस्ट दीखता है तो आप घर पर ही जैविक पेस्टिसाइड बना सकते हैं। पोषक लिक्विड खाद बनाने के लिए आप केले के छिलके या फिर प्याज के छिलकों का स्प्रे बना सकते हैं।

ब्रह्मदेव घर में ही खाद बनाते हैं। इसके बारे में वह कहते हैं, “आप किचन के गीले कचरे से खाद बना सकते हैं। घर की खाद पेड़-पौधों के लिए सबसे उत्तम होती है। पौधों को पेस्ट अटैक से बचाने के लिए आप नीम का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं।”

Gorakhpur University Technician

ब्रह्मदेव गार्डनिंग से संबंधित जानकारी अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से साझा करते हैं। लगभग 3 साल पहले उन्होंने ‘सिटी गार्डनिंग’ के नाम से अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया था। चैनल पर वह अपने गार्डन में अलग-अलग पौधे लगाने के तरीके, पॉटिंग मिक्स तैयार कैसे करें, जैविक स्प्रे बनाने की विधि जैसे विषयों पर वीडियो बनाकर डालते हैं। यूट्यूब चैनल पर उनके लगभग 2.5 लाख सब्सक्राइबर हैं।

ब्रह्मदेव ने अपने यूट्यूब चैनल के बारे में बताया, “वीडियो चैनल बनाने की प्रेरणा मुझे अपने एक पड़ोस के लड़के से मिली। उसने अपनी कुकिंग की वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डाली थीं और मुझे कहा कि मैं सब्सक्राइब करूँ। मैंने देखा तो मुझे लगा कि यह तो मैं भी कर सकता हूँ। इससे पहले मैंने कभी वीडियो बनाना या फिर यूट्यूब चैनल के बारे में नहीं सोचा था।”

यूट्यूब चैनल शुरू करने की एक वजह यह भी थी कि जब वह खुद गार्डनिंग से संबंधित जानकारी इंटरनेट पर ढूंढ़ते थे तो उन्हें आधी-अधूरी जानकारी मिलती थी। इसलिए उन्होंने ठाना कि वह एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करेंगे जहाँ गार्डनिंग के बारे में सभी जानकारी लोगों को मिलेगी।

Growing Fruits On Terrace

अंत में ब्रह्मदेव बस यही कहते हैं, “शहरों में लोगों को गार्डनिंग ज़रूर करनी चाहिए। क्योंकि शहरों में बढ़ती आबादी और प्रदूषण कहीं न कहीं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है। वहीं, मानसिक तनाव और अवसाद भी आजकल बहुत आम बात हो गयी है। मेरा अनुभव है कि गार्डनिंग आपको तनाव, चिंता और अवसाद से निकलने में मदद करता है। आप अपनी हर चिंता और तनाव को छोड़ कर पेड़-पौधों से मन लगाएं। यकीन मानिये आपको बहुत ख़ुशी और मन को शांति मिलेगी।”

अगर आप गार्डनिंग के अलग-अलग विषयों के बारे में जानना चाहते हैं तो ब्रह्मदेव का यूट्यूब चैनल देख सकते हैं!

आप ब्रह्मदेव से उनके फेसबुक पेज के जरिए भी जुड़ सकते हैं!

अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!

संपादन – जी. एन. झा

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