Placeholder canvas

कुल्हड़ से बनी छत और लकड़ी-पत्थर के शानदार मकान, ये आठ दोस्त बदल रहे हैं गाँवों की तस्वीर

Building With Stone

आर्किटेक्टचर कंपनी कंपार्टमेंट्स एस4 की शुरुआत सीईपीटी, अहमदाबाद के 8 दोस्तों ने मिलकर की। इसके तहत उनका इरादा सस्टेनेबल आर्किटेक्चर के जरिए सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना था और महज 3 वर्षों में ही उन्होंने इस दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं।

ऐसा माना जाता है कि वास्तुकला ही सभी कलाओं की जननी है। यह एक ऐसी कला है जिसमें हमें किसी भी समाज की जीवनशैली, तकनीक और प्रथाओं की झलक देखने को मिलती है। हालांकि समय के साथ इसमें भी ढेर सारे बदलाव आए हैं, जिस वजह से अब ऐसे घर बन रहे हैं जो प्रकृति के अनुरूप नहीं हैं। इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए आठ दोस्तों ने एक आर्किटेक्चर कंपनी की शुरूआत की, जिसका उदेश्य प्रकृति के अनुरूप निर्माण कार्य करना है।

सेंटर फॉर एनवायरमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी (CEPT), अहमदाबाद के 8 साथियों ने मिलकर कॉलेज के दिनों में ही कंपार्टमेंट्स एस4 (Compartments S4) नाम से एक आर्किटेक्चर कंपनी शुरू कर दी थी। इसके तहत उनका लक्ष्य सतत वास्तुकला के जरिए सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना है।

Building With Stone
कंपार्टमेंट्स एस4 की टीम

कंपार्टमेंट्स एस 4 के सह-संस्थापक मोनिक शाह बताते हैं, हमने इस कंपनी को कॉलेज के आठ दोस्तों के साथ मिलकर साल 2017 में बनाया था। तब हम अंतिम वर्ष में थे। हमें कॉलेज के दिनों में गाँव घूमने का मौका मिलता था। इससे हमें ग्रामीण वास्तुकला में काफी रुचि हुई और हमने इस दिशा में कुछ अपना शुरू करने का फैसला किया।

वह आगे बताते हैं, शुरूआत में हम अहमदाबाद अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (AUDA) के पास गए और उनसे कुछ प्रोजेक्ट की माँग की। इसके बाद, हमें अहमदाबाद-गाँधीनगर के बीच गाँवों में मामूली रूप से शौचालयों और सरोवरों में आर्किटेक्चरल सर्विस देना का मौका मिला।

कंपार्टमेंट्स एस4 में मोनिक शाह के अलावा, अमन, किशन, कृष्ण, वेदान्ती, निशिता, प्राशिक और मानुनी हैं और पिछले 3 वर्षों की संक्षिप्त अवधि में उन्होंने कई उल्लेखनीय परियोजनाओं को अंजाम दिया है, जिसके बारे में आप नीचे पढ़ सकते हैं।

ओटला पर गम्मत, दिसंबर 2017

ओटला पर गम्मत एक गुजराती शब्द है जिसका अर्थ है – ओटला यानी बरामदा और पर गम्मत यानी बातें करना।

Building With Stone
‘ओटला पर गम्मत’ पहला प्रोजेक्ट था कंपार्टमेंट्स एस 4 का

इस प्रोजेक्ट के बारे में मोनिक शाह बताते हैं, “यह हमारा पहला प्रोजेक्ट था, इसके तहत हमने गुजरात के गिर जिले के बादलपरा ग्राम पंचायत में एक आँगनबाड़ी केन्द्र बनाया। इस संरचना को हमने स्थानीय संसाधनों और कौशल के अनुसार बनाया।“

उन्होंने कहा, “इसकी छत को मिट्टी की कुल्हड़ों से बनाया गया है। इसके लिए हमने गाँव के 4-5 कुम्हारों को लगभग 3000 कुल्हड़ बनाने के लिए दिया। वहीं, दीवारों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध चूना पत्थर से बनाया गया है और सीमेंट का इस्तेमाल सिर्फ जोड़ों पर किया गया है।“

मोनिक शाह बताते हैं कि गिर में 45-50 डिग्री सेल्सियस तक गर्मी पड़ती है, लेकिन इस तकनीक से आँगनबाड़ी केन्द्र बनाने से यह काफी ठंडा रहता है। साथ ही, इससे स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिला। एस4 ने 12 दिनों में परियोजना पूरा करने के बाद, इसके मॉडल को ग्रामीणों को सौंप दिया, ताकि जरूरत पड़ने पर वे खुद भी इस तरह से संरचनाओं का निर्माण कर सकें। 

Building With Stone

उन्होंने कहा, “इस केन्द्र में हमने घर की बेकार वस्तुओं जैसे कैन, टायर आदि से बच्चों के लिए एक प्ले एरिया भी बनाया। इस तरह, संरचना को पूरा करने में मात्र 2.5 लाख रुपए खर्च हुए। सामान्यतः ऐसे केन्द्र बनाने में 5-6 लाख खर्च होते हैं। बाद में इस गाँव को गुजरात के सबसे स्वच्छ गाँव का पुरस्कार मिला।“

लकड़ी की काठी – मई, 2018

मोनिक शाह बताते हैं, “यह एक वर्कशॉप मॉड्यूल था, इसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से 40 से अधिक वालंटियर आए थे। इसके तहत हमने उत्तराखंड के नैनीताल जिले के घुग्गूखाम गाँव में एक स्कूल बनाया। इस स्कूल का निर्माण बिल्कुल सीमेंट रहित था। इसे मिट्टी, पत्थर, लकड़ी आदि से बनाया गया था। इस भूकंप रोधी संरचना को बनाने में महज 17 दिन लगे।“

Ahmedabad  Architects Are Making a Difference in Villages
प्रोजेक्ट लकड़ी की काठी

मोनिक शाह कहते हैं कि गाँव के लोगों के लिए छोटी-छोटी चीजों के भी बड़े मायने होते हैं। घुग्गूखाम गाँव के प्रवेश स्थल पर एक साइन बोर्ड लगा था, जो बेकार हो चुका था। इसलिए हमने वहाँ नया साइन बोर्ड लगाते हुए, उसमें एक स्पीकर लगा दिया। इसमें स्थानीय पक्षियों, लोक गीतों बारिश आदि की आवाज रिकार्डेड थी और जब भी वहाँ से कोई गुजरता, तो इसमें से काफी मीठी आवाज आती “घुग्गूखाम में आपका स्वागत है”, इससे ग्रामीणों को काफी खुशी हुई।

पिंक टॉयलेट – 2019

मोनिक शाह ने बताया कि उत्तराखंड में खुले में शौच की काफी समस्या है। इसी को देखते हुए उन्हें पौड़ी जिला प्रशासन की ओर से शौचालय का मॉडल विकसित करने का मौका मिला। 

उन्होंने कहा, “सामान्यतः शौचालय बनाने में 3500-4000 ईंट और 25-30 सीमेंट की बोरियां लगती है, लेकिन हमने इसे मात्र 2 हजार ईंट और 15 बैग सीमेंट में बना दिया। इससे घर को थर्मल इंसुलेशन भी मिल गया।“

Ahmedabad  Architects Are Making a Difference in Villages
प्रोजेक्ट पिंक टॉयलेट 2019

मोनिक शाह कहते हैं कि इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीणों को शौचालय के महत्व को बताना था। इसलिए उन्होंने स्थानीय लोगों की जरूरतों को समझते हुए इसमें वेंडिंग मशीन, ब्रेस्ट फीडिंग रूम, आदि की भी व्यवस्था की। इस तरह, 150 वर्ग फीट के इस शौचालय को बनाने में महज 2 लाख रुपए खर्च हुए।

यह शौचालय पूरी तरह से भूकंप रोधी है और बिजली की समस्याओं को देखते हुए इसमें 7 फीट की ऊंचाई पर वेंटिलेटर दिया गया है, ताकि शौचालय में प्राकृतिक रोशनी आ सके।

खास बात यह है कि अब पौड़ी प्रशासन इसी मॉडल के जरिए पूरे जिले में शौचालय का निर्माण करेगी। मोनिक शाह के अनुसार ऐसे दो और शौचालय बन भी चुके हैं।

अन्नेकी आँगनबाड़ी

मोनिक शाह बताते हैं कि हमें उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्पंदन केन्द्र बनाने का मौका मिला। मूल रूप से यहाँ एक आँगनबाड़ी केन्द्र था, लेकिन यहाँ काफी गंदगी थी और कार्यों को शुरू करने के लिए हमें 25 ट्रेक्टर कचरे को बाहर करना पड़ा। 

Ahmedabad  Architects Are Making a Difference in Villages
अन्नेकी आँगनबाड़ी

वह बताते हैं, “इसके तहत हमने आँगनबाड़ी केन्द्र के बाहर एक स्पंदन केन्द्र को इस तरीके से बनाया कि गाँव के लोग बड़े पैमाने पर जरूरी बैठकें कर सकते थे। यहाँ कवर्ड में किताब और फैम्पलेट आदि भी रखे गए थे, जिससे उन्हें सरकारी नीतियों के बारे में जानकारी मिल सकती थी। साथ ही, बच्चों के खेलने के लिए प्ले ग्राउंड भी बनाया गया था।“

बाद में, उन्हें आईसीडीएस की ओर से बुलाया गया और उत्तराखंड के हर जिले के मौसम के अनुसार दो डिजाइन तैयार करने का ऑफर मिला।

वासा – 2020

इसके बाद एस4 को पौड़ी जिले में एक और प्रोजेक्ट मिला- इस बार लोगों के जरिए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए। इसके बारे में मोनिक शाह बताते हैं, “इसके तहत हमने खिरशु गाँव में एक महीने तक शोध कर यह तय किया कि हमें क्या, क्यों और कैसे करना है। इसके बाद हमने एक टूरिज्म सेंटर को बनाया।“

Building With Stone
प्रोजेक्ट वासा

वह बताते हैं, “इसमें 4 कमरे हैं। इसके ग्राउंड फ्लोर पर गढ़वाली किचन है, तो ऊपरी मंजिल पर म्यूजियम। हमने पर्यटकों को गाँव के इतिहास, पर्यटन स्थल, जीवनशैली, खेती, पर्व-त्योहार आदि के बारे में बताने के लिए 12 पैनल बनाएं हैं, जहाँ वे गाँव के बारे में पूरी प्राप्त कर सकते हैं।“

मोनिक शाह कहते हैं, “इस केन्द्र को लकड़ी और पत्थर से बनाया गया है। इसकी देखभाल की जिम्मेदारी स्थानीय महिलाओं की है। यहाँ काफी पर्यटक आते हैं। साथ ही, इसमें हल्दी, मंडवे के आटे, पानी के बोतल आदि की पैकेजिंग भी होती है। इस तरह, खिरशु गाँव आज के ब्राँड के रूप में स्थापित हो चुका है।“

खिरशु गाँव के लोगों के लिए एक वरदान साबित हुआ प्रोजेक्ट वासा

इस लकड़ी, पत्थर और मिट्टी से केन्द्र को बनाने में 60 लाख रुपए खर्च हुए, लेकिन लगभग 10 महीने में इससे 8-10 लाख रुपए की कमाई हो चुकी है। इस तरह यह केन्द्र खिरशु गाँव के लोगों के लिए एक वरदान साबित हुआ है।

क्या है भविष्य की योजना

मोनिक शाह बताते हैं कि इस तरह से रूरल प्रोजेक्ट करने के बाद सबसे अधिक वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ता है। इससे निपटने के लिए हम जल्द ही, अपने फर्नीचर और पब्लिकेशन वेंचर को शुरू करने की योजना बना रहे हैं, ताकि हम खुद को अधिक सक्षम बना सकें।

क्या कहते हैं वर्तमान वास्तुकला शैली के बारे में

मोनिक शाह कहते हैं कि आज वास्तुकला की प्रमाणिकता खत्म हो रही है, इसका सबसे मुख्य कारण है कि आज घरों, स्कूलों, कॉलेजों आदि को इस तरीके से बनाया जा रहा है, जो व्यवहारिक ही नहीं है। इससे निपटने के लिए व्यवस्थाओं और वास्तुकारों को नए सिरे से सोचने की जरूरत है।

कंपार्टमेंट्स एस4 से बात करने के लिए 07506184837 पर संपर्क करें या आप उनसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं।

यह भी पढ़ें – मिट्टी-लकड़ी से बना चुकी हैं 250+ घर, देश-दुनिया के आर्किटेक्ट को जोड़ने के लिए शुरू की पहल

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X