1992 मुंबई दंगों में इस परिवार ने बचाई थी शेफ विकास खन्ना की जान, आज 26 साल बाद मिले दुबारा!

26 सालों बाद, हाल ही में शेफ विकास खन्ना फिर से उस मुस्लिम परिवार से मिल पाए हैं, जिन्होनें साल 1992 मुंबई दंगों ,में उनकी जान बचाई थी। उन्होंने ट्वीट कर अपनी ख़ुशी जाहिर की।

न्यूयॉर्क में बसे भारतीय मूल के मशहूर शेफ विकास खन्ना ने हाल ही में खुलासा किया है कि वे रमज़ान के पवित्र महीने में एक दिन का रोज़ा रखते हैं। वे ऐसा साल 1992 से कर रहे हैं, जिस साल मुंबई में भयानक दंगे हुए थे। उन्हीं दंगों में उनके साथ हुई एक घटना ने उन्हें भावनात्मक और व्यक्तिगत रूप में बहुत बदला है।

विकास मुंबई के सी रॉक शेरेटन होटल में अपनी शिफ्ट पूरी कर रहे थे, जब उन्हें शहर में फैले दंगों के बारे में पता चला इसके बाद, कर्मचारियों को होटल से बाहर जाने से भी रोक दिया गया था, क्योंकि उन्हें मेहमानों की देखभाल करनी थी और उस गंभीर परिस्थिति में होटल में बहार से कोई राहत कर्मचारी नहीं आ सकता था।

अनुपम खेर के साथ एक टीवी शो इंटरव्यू में विकास ने बताया था, “हमें सुनने में आया कि घाटकोपर में आग के चलते बहुत लोग मारे गए हैं। उस समय मेरा भाई घाटकोपर में रहता था।”

विकास ने बाहर जाकर अपने भाई को ढूंढने का निर्णय लिया। सड़कों पर हो रहे दंगें-फ़साद की भी उन्हें कोई परवाह नहीं थी। उनका ध्यान बस इस बात पर था कि उनके भाई को कुछ न हो।

“… मैंने घाटकोपर की तरफ बढ़ना शुरू किया। सड़कों पर हर तरफ भीड़ और दंगे हो रहे थे। थोड़ी दूर जाने पर एक मुस्लिम परिवार ने मुझे रोक कर पूछा कि यहां क्या कर रहे हो तो मैंने उन्हें बताया कि मुझे किसी भी तरह घाटकोपर पहुंचना है; मेरे भाई के पास। पर उन्होंने मुझे उनके घर के अंदर आने को कहा क्योंकि बाहर लोग हिंसक हुए जा रहे थे,” विकास ने बताया।

थोड़ी ही देर बाद एक भीड़ उस घर में आयी और पूछा कि विकास कौन है; तो परिवार के मुखिया ने जबाव दिया कि वो उनका बेटा है। जब भीड़ ने जोर दिया कि क्या सच में वह मुसलमान है तो उस परिवार ने विकास को बचाने के लिए उनसे कहा कि हाँ, वह मुसलमान है। इसके बाद वह भीड़ वहां से चली गयी।

उस दयालु परिवार के साथ विकास लगभग डेढ़ दिन तक रहे। इसके बाद उस परिवार ने कुछ व्यवस्था कर विकास के भाई का भी पता लगवाया। सौभाग्य से उनका भाई बिल्कुल ठीक था। दंगों के बाद, विकास का उस परिवार से सम्पर्क टूट गया। लेकिन, उस परिवार की इंसानियत के सम्मान में विकास ने हर रमज़ान में एक दिन का रोज़ा रखना शुरू कर दिया।

11 जून, 2018, सोमवार को विकास खन्ना ने एक ट्वीट में बहुत ख़ुशी से जाहिर किया कि 26 सालों बाद वे फिर से उस परिवार से मिल पाए हैं जिसने उनकी जान बचाई थी।

बेशक, इंसानियत से बड़ा कोई मज़हब नहीं होता।

( संपादन – मानबी कटोच )

मूल लेख: तन्वी पटेल


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X