रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) वॉटर सिस्टम पानी को पीने योग्य बनाता है। लेकिन, कई लोगों को RO का पानी पसंद नहीं आता है। दरअसल, आरओ का फिल्टरेशन सिस्टम पानी से आवश्यक मिनरल को बाहर निकाल देता है जिसके कारण फिल्टरेशन प्रक्रिया के दौरान पानी की अधिक बर्बादी होती है। इसके अलावा बहुत अधिक बिजली की खपत भी होती है।
हैदराबाद के 54 वर्षीय एमवी रामचंद्रुडु एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो पीने के पानी को फिल्टर करने के लिए टेक्नोलॉजी पर निर्भर नहीं हैं।
राम एक सिविल इंजीनियर और पर्यावरणविद् हैं। वह वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट की दिशा में काम करने वाली एक संस्था वासन में 20 सालों तक वॉलंटियर रह चुके हैं। इस दौरान वह आरओ वॉटर और कैन्ड वॉटर के प्यूरीफिकेशन से जुड़े कई शोधों का हिस्सा रहे हैं।
वह कहते हैं, “पीने के पानी को शुद्ध करने का मतलब है पानी से हानिकारक बैक्टीरिया हटाना न कि आवश्यक मिनरल को हटाना। जबकि आरओ पानी से इन हानिकारक बैक्टीरिया और रोगाणुओं को हटाने के साथ ही पानी में मौजूद जरूरी मिनरल को भी बाहर कर देता है। डिब्बाबंद पानी को कभी-कभी बहुत लापरवाही से शुद्ध किया जाता है जिससे कोई भी अशुद्धियाँ दूर नहीं होती हैं।”
अपने घर में, राम, उनके 26 वर्षीय बेटे और उनकी पत्नी मिट्टी के मटकों से फिल्टर पानी पीते हैं। इन मटकों में बजरी,कंकड़ और चारकोल रखा जाता है जिसके जरिए पानी फिल्टर होता है। यह एक ऐसा फिल्टरेशन सिस्टम है जो उन लोगों को काफी पसंद आता है जो साफ और शुद्ध पानी पीना चाहते हैं।
नैचुरल वाटर प्यूरीफिकेशन
राम को बचपन से ही नगरपालिका द्वारा सप्लाई किए जाने वाला पानी पीने की आदत थी। लेकिन 12 साल पहले जब वह नागोले में बस गए, तो उन्हें स्टोर से डिब्बाबंद पानी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि नगर निगम के पानी की उचित आपूर्ति नहीं थी। इसके अलावा, नगर निगम का पानी भी दूषित था क्योंकि पानी सप्लाई की पाइप काफी गंदी थी।
वह कहते हैं, “उस समय मुझे उन पाइपों में सीवेज लीक होने और उचित मेंटेनेंस के बिना पाइपों के गंदे होने की खबरें सुनने को मिलती थी। पीने के पानी की समस्या के समाधान के बारे में सोचते समय मुझे मटके के पानी का ख्याल आया और मैंने इसे सैंड फिल्टरेशन के जरिए शुद्ध करने का फैसला किया।”
अपने बेटे की मदद से (जो उस समय कक्षा 9 में था, और अब इंजीनियर है), राम ने थ्री-पॉट सैंड-बेस्ड वाटर फिल्टरेशन सिस्टम बनाया। राम कहते हैं, “इस सिस्टम में हम छत पर इकट्ठा किए गए बारिश के पानी या नल के पानी का इस्तेमाल करते हैं और 20 मिनट के भीतर शुद्ध पीने का पानी तैयार हो जाता है।“
यह कैसे काम करता है?
थ्री-पॉट फिल्टरेशन सिस्टम में पानी को शुद्ध करने के लिए रेत, बजरी और चारकोल से भरे दो मटके लगे होते हैं। राम कहते हैं कि रेत और बजरी का मिश्रण अशुद्ध पानी में मौजूद कीटाणुओं या हानिकारक जीवाणुओं से लड़ने में मदद करता है। मटके में रखा चारकोल पानी से दुर्गंध को दूर करने में मदद करता है।
यह सिस्टम बनाना आसान है और आप इसे आसानी से अपने घर पर बना सकते हैं।
सिस्टम बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
- एक ही आकार के 3 मिट्टी के बर्तन। एक ऐसा जिसमें नल जुड़ा हुआ हो (रेडीमेड)
- मोटे बालू ( जिसका इस्तेमाल घर के निर्माण में किया जाता है)
- कंकड़
- चारकोल (हर सामग्री की आवश्यक मात्रा मिट्टी के बर्तनों के आकार पर निर्भर करती है।)
फिल्टरेशन सिस्टम कैसे बनाएं
मिट्टी के मटके खरीदकर लाएं
स्टेप 1- मटकों को अच्छी तरह से धो लें।
स्टेप 2- दो मटकों में दो कप पानी भरें और इसे 15 मिनट तक छोड़ दें।
स्टेप 3- पानी को रिसने दें और मटके की पेंदी में नाखून से एक छेद करें।
(याद रखें)- छेद करने के लिए किसी नुकीले औजार का इस्तेमाल न करें अन्यथा मटका टूट सकता है।
फिल्टरेशन के लिए सामग्री तैयार करें
स्टेप 4- रेत, बजरी और चारकोल को कम से कम 3 – 4 बार अच्छी तरह धोएं।
स्टेप 5- इन सभी सामग्री को एक दिन के लिए धूप में सूखने दें। आप इस प्रक्रिया को लगातार 3 दिनों तक दोहरा सकते हैं जिससे सभी सामग्रयाँ अच्छी तरह साफ रहें। सभी फिल्टरेशन मैटेरियल को मटके में व्यवस्थित करें।
स्टेप 6– सबसे ऊपर वाले मटके में बराबर मात्रा में बजरी और कंकड़ डालें।
स्टेप 7- इसके ऊपर चारकोल के टुकड़े रखें।
याद रखें – मटका आधा या आधे से थोड़ा कम भरा होना चाहिए। यह पहला फिल्टरेशन प्वाइंट है और पानी को तेजी से रिसने देता है।
स्टेप 8- दूसरे मटके में बजरी और कंकड़ बराबर मात्रा में भरें।
स्टेप 9- बजरी के ऊपर अधिक चारकोल के टुकड़ों को एक समान तरीके से रखें।
दूसरे मटके में पहले मटके से अधिक रेत और बजरी डालें। आप इसे आधा या दो तिहाई भर सकते हैं।
स्टेप 10- मटकों को एक स्टैंड के ऊपर रखें। सबसे ऊपर के मटके में पर्याप्त पानी भरें और आखिरी मटके तक पहुंचने तक इंतजार करें। अब, यह पानी पीने के लिए सुरक्षित है।
सफाई से संबंधित टिप्स :
राम कहते हैं कि मिट्टी के बर्तनों को हर 6 महीने से एक साल में साफ करना चाहिए या बदल देना चाहिए। साथ ही इतने ही समय में अंदर रखी सभी सामग्रियों को भी बदल देना चाहिए।
यदि आपको थ्री-पॉट वाटर फिल्टरेशन के बारे में और भी जानकारी चाहिए तो आप duram123@yahoo.com पर ईमेल कर सकते हैं।
मूल लेख- ROSHINI MUTHUKUMAR
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