दिल्ली: व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे फूलों का सफल व्यवसाय चलातीं हैं यह 80 वर्षीया दादी

80 years old on wheel

“लॉकडाउन के पहले ही महीने से मुझे ग्राहकों के फोन आने लगे, उनमें से कुछ लोगों ने बताया कि उदासी भरे समय में फूल ही उन्हें खुशी देते हैं। लोगों के कॉल से मैं काफी उत्साहित हुई और मैंने अपने ग्राहकों को फूल बेचने के साथ ही डिलीवरी सर्विस देनी भी शुरू कर दी।” -स्वदेश चड्ढा

हमारी कोशिश रहती है कि हम आपके लिए ऐसे उद्यमियों की कहानियाँ लाएँ, जिन्होंने अपने अनोखे काम और इनोवेशन से पीढ़ियों से चलती आ रही सीमाओं और बंधनों को तोड़ा और लोगों के लिए एक मिसाल कायम की। आज हमारी कहानी की नायिका एक ऐसी ही उद्यमी हैं।

स्वदेश चड्ढा अपने घर पर ही फूलों की सजावट और डिलीवरी से संबंधित एक पेड सर्विस चलाती हैं, जिसे उन्होंने “फूलों की रानी” नाम दिया है।

successful business
स्वदेश चड्ढा

अधिक उम्र होने के कारण व्हीलचेयर का इस्तेमाल करनेवाली 80 साल की इस उद्यमी से बातचीत ने हमें प्रेरणा से भर दिया और हमें यकीन है कि इनकी कहानी आपको भी प्रेरित करेगी। उनकी अद्भुत ऊर्जा और सफल व्यवसाय पर उनकी उम्र का कोई असर नहीं दिखता है।

अपने सभी दोस्तों और परिवार के बीच वह रानी के नाम से जानी जाती हैं। इसलिए उन्होंने अपने बिज़नेस का नाम ‘फूलों की रानी’ रखा। आज Delhi-NCR के कई घर उनके भेजे फूलों से गुलज़ार हैं।

“फूल ही क्यों?” जब हमने उनसे पूछा तो वह बोलीं, “इसके लिए मैं आपको वहाँ ले चलती हूँ जहाँ से इसकी शुरूआत हुई थी।”

रावलपिंडी से झांसी तक का सफ़र 

successful business
ओरिएंटल लिलीज़

बंटवारे के बाद रानी का शरणार्थी परिवार रावलपिंडी, पाकिस्तान से आकर उत्तर प्रदेश के झांसी में बस गया। उन्होंने आगरा के सेंट जोसेफ कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 1965 में 25 वर्ष की उम्र में उनकी शादी हो गई।

एक आर्मी ऑफिसर से शादी होने के कारण उन्हें भारत के हर कोने में रहने का मौका मिला। इस दौरान उन्होंने हर जगह अलग-अलग तरह के फूलों को देखा।

वह बताती हैं, “मेरे पति की पोस्टिंग देहरादून में हुई थी। वहाँ हमें एक आर्मी हाउस मिला था जो एक एकड़ जमीन में फैला था। मैंने वहाँ बागवानी शुरू कर दी। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, लोग इसे ग्लैडियोली हाउस के नाम से पुकारने लगे। लोग अक्सर खिलते हुए फूलों को देखने के लिए आते थे।”

रानी की बेटी पुनीता ने भी हमसे बातचीत की, वह कहती हैं, “उनके हाथों में मानो जादू है। वह जो कुछ भी छू देती हैं, वह फलने-फूलने लगता है और मैं यह इसलिए कह रही हूँ कि मैंने कई बार ऐसा होते हुए देखा है।”

बेटी से मिली प्रेरणा

successful business
अपनी बेटी पुनीता के साथ

रानी 2019 में अपनी बेटी पुनीता के साथ नोएडा से गुरुग्राम रहने के लिए चली गई, जहाँ उनकी बेटी अपने परिवार के साथ रहती थी।

फूलों की रानी की शुरूआत तब हुई जब पुनीता ने गुरुग्राम में हर वीकेंड पर लगने वाले बाज़ार में फूलों की सजावट का काम शुरू किया। रानी एक दिन उनकी मदद करने के उद्देश्य से उनके साथ बाज़ार गईं।

पुनीता कहती हैं, “मेरी माँ बेहतरीन खाना बनाती हैं, लेकिन बहुत से लोगों के लिए उनसे खाना बनवाना अच्छा नहीं था, खासकर ऐसी स्थिति में जब वह व्हीलचेयर पर चलती हों। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इस साप्ताहिक बाज़ार में मैं उन्हें किस काम में लगाऊं, तभी माँ ने खुद ही कहा कि वह फूलों की सजावट वाले काम में हाथ बंटा सकती हैं।”

रानी कहती हैं, “यहाँ आने के बाद मैंने देखा कि दिल्ली की तरह यहाँ अच्छे फूल नहीं मिलते हैं। मैंने सोचा कि क्यों न इसे बदला जाए और इसी इच्छा के चलते ‘फूलों की रानी’ की शुरूआत हुई।”

sucessful business
घरों को महका रहा है फूलों की रानी

अक्टूबर 2019 में गुरुग्राम के होराइजन प्लाजा में लगने वाले साप्ताहिक बाज़ार में उनका पहला फ्लावर स्टॉल लगा। जिसमें रानी अपने छोटे मनीबॉक्स के साथ बैठीं। वह ग्राहकों से बातचीत कर रही थीं और पौधों को लंबे समय तक मेंटेन रखने के लिए उन्हें छोटे-छोटे टिप्स दे रही थी।

पुनीता कहती हैं, “ऐसा लगा जैसे वह अचानक से जिंदा हो गई हों। मैंने देखा वह अपने ग्राहकों से मानो किसी मकसद से बात कर रही हों। ”

कुछ महीने जब तक मार्केट खुले रहे उनका समय काफी अच्छा बीता। लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन के चलते रानी को अपना काम बंद करना पड़ा। उन्होंने सोचा कि यह समय जल्दी ही बीत जाएगा लेकिन वह बताती हैं, “लॉकडाउन के पहले ही महीने से मुझे ग्राहकों के फोन आने लगे और वह मुझसे पूछने लगे कि मैं उन्हें फूल भेजना कब शुरू कर सकती हूँ। उनमें से कुछ लोगों ने बताया कि उदासी भरे समय में फूल ही उन्हें खुशी देते हैं। लोगों के कॉल से मैं काफी उत्साहित हुई और मैंने अपने ग्राहकों को फूल बेचने के साथ ही डिलीवरी सर्विस देनी भी शुरू कर दी।”

फूलों की खरीदारी कैसे की जाती है?

sucessful business

इस प्रक्रिया के बारे में बताते हुए पुनीता कहती है, “माँ हमेशा सिर्फ बेहतर काम करने की जिद पर अड़ी रहती हैं। हमारे पास किसानों और थोक विक्रेताओं का एक नेटवर्क है, जिनसे हम फूलों को खरीदते हैं। कभी-कभी हमें काफी अच्छे और ताजे फूल मिलते हैं और कभी-कभी हमारे पास पहुँचने तक फूल मुरझा भी जाते हैं और फिर हम उन फूलों को उस हफ्ते बाहर नहीं भेज पाते हैं। ”

डिलीवरी के लिए भेजने से पहले रानी हर ऑर्डर को चेक करती हैं और ग्राहकों को व्हाट्सएप के जरिए फूलों की देखभाल करने से जुड़े विस्तृत निर्देश भी भेजती हैं। रानी कहती हैं, “इस आइडिया से ग्राहक न सिर्फ फूल खरीदने के लिए आते हैं बल्कि उन्हें भरोसा है कि वह जो कुछ भी मुझसे खरीदते हैं वे लंबे समय तक टिकते हैं और उन्हें इससे खुशी मिलती है।”

रानी की सबसे बड़ी यूएसपी है कि वह ग्राहकों तक सिर्फ उन्हीं फूलों को भेजती हैं जो मार्केट में आसानी से नहीं मिलते हैं।

‘फूलों की रानी’ से हर हफ्ते फूल मंगवाने वाली एक ग्राहक सपना खजुरिया कहती हैं,“फूल सही मायने में बहुत प्यारे हैं। रानी आंटी हर हफ्ते सेलेक्टेड और सीमित स्टॉक का ऑर्डर देती हैं लेकिन इनकी भारी मांग है। फूल काफी ताजे होते हैं और हफ्ते भर तक इसी तरह रहते हैं। मैं ऑर्गेनिक मार्केट में आंटी से मिली और उनके स्टॉल में फूलों की विस्तृत जानकारी ने मेरा ध्यान खींचा।”

फूलों के लिए रानी का जुनून

Successful Business
कौन सा फूल चुनेंगे आप?

एक घटना का जिक्र करते हुए पुनीता कहती है, “सालों पहले जब मैं छोटी थी तो हम श्रीनगर घूमने गए थे और डल झील में बोटिंग का आनंद ले रहे थे। तभी मेरी माँ ने एक सुंदर बैंगनी कमल देखा और उसे देहरादून ले जाने का फैसला किया।  इससे पहले कि किसी को कुछ समझ में आता, माँ ने पानी से जड़ सहित पौधे को बाहर खींच लिया। मुझे याद है कि मैं उन्हें रोकती रही क्योंकि मुझे डर था कि कहीं वह पानी में न गिर जाएँ। लेकिन वह हार मानने वाली नहीं थीं वह जूझती रहीं। आखिरकार उन्होंने जड़ सहित कमल के तने को पानी से बाहर खींच ही लिया। सालों बाद देहरादून में हमारे घर में कमल खिल गए थे।”

उनकी बेटी का कहना है कि पौधों को इकट्ठा करना और उनका पालन-पोषण करना रानी के स्वभाव में है।

रानी दिल की बहुत नेक हैं। 34 साल की उम्र में अर्थराइटिस होने पर 90 के दशक में हिप-रिप्लेसमेंट सर्जरी करवाने के बावजूद रानी का जुनून कम नहीं हुआ और उन्होंने हमेशा पॉजिटिव बने रहने का प्रयास किया। “उन्होंने हमेशा हमें चेहरे पर मुस्कान रखकर कठिन परिस्थितियों का सामना करना सिखाया है। सिर्फ मैंने ही नहीं बल्कि मेरे बच्चों ने भी उनसे सीखा है,” पुनीता कहती हैं।

रानी फूलों की रानी के अपने अनुभव से बेहद गहराई से जुड़ी हैं। अब वह व्हाट्सएप और फेसबुक पर लोगों के मैसेज का जवाब देने में बहुत समय बिताती हैं।

पैसा मायने रखता है

80 years old on wheel
अपने पति स्व. कर्नल खेमराज चड्ढा के साथ

जब मार्केट में फूलों के स्टॉल लगते थे तो कभी-कभी ऐसे दिन भी होते थे जब रानी लगभग 6,000 रुपये कमाती थीं, लेकिन कभी-कभी वह भी नहीं मिलता था। पुनीता कहती हैं, “बिना किसी इन्फ्रास्ट्रक्चर में पैसे लगाए भी हम थोड़ा और पैसा कमा रहे हैं। फिर भी यह कहना जल्दबाजी होगी कि हमें कितना फायदा होगा।”

रानी जो भी पैसा कमाती हैं वह उनके खाते में अलग रखा जाता है। वह कहती हैं कि यह उनके बच्चों के काम आएगा। पुनीता का स्टाफ हर ऑर्डर की  डिलीवरी अपने हाथ से करता है ताकि ग्राहकों तक फूल ताजे और अच्छी स्थिति में पहुंचें।

हर हफ्ते रानी Delhi-NCR के कई घरों में लगभग 100 गुच्छे फूल भेजती हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।

हम अपनी बातचीत खत्म करने के करीब आ गए थे। हमनें रानी से उनके पसंदीदा फूल के बारे में पूछा तो उन्होंने तुरंत कहा, “मुझे सभी फूल, खासतौर से रजनीगंधा, गैल्डिओली, नरगिस वगैरह पसंद है।” उनकी लिस्ट काफी लंबी थी। वह कहती हैं कि इतने सारे फूलों में से किसी एक या दो को चुनना बेहद मुश्किल है।

फूलों की रानी के इंस्टाग्राम पेज तक पहुँचने के लिए यहां क्लिक करें।

मूल लेख-VIDYA RAJA

यह भी पढ़ें- पति के गुजरने के बाद 10 हज़ार रूपए से शुरू किया अचार का बिज़नेस, अब लाखों में है कमाई

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X