कभी 316 रुपये में बेचते थे 1 क्विंटल गन्ना, अब उसी का सिरका बनाकर कमा रहे हैं 1000 रुपये

अपने उगाए गन्ने की प्रोसेसिंग पृथ्वी पाल ने अपने घर पर ही 4 ड्रम लगाकर शुरू की और अब वह जल्द ही, अपना प्लांट स्थापित करेंगे!

“नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती”

यह कहना है उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिला के बनियनपुरवा गाँव के रहने वाले किसान पृथ्वी पाल का। कक्षा आठवीं तक पढ़े पृथ्वी पाल ने साल 1990 से खेती की शुरूआत की। उनकी पढ़ाई भले ही कम हुई थी पर सीखने की ललक उनमें आज भी बरकरार है। हर जगह कुछ न कुछ सीखने के उद्देश्य से जाने वाले पृथ्वी ने पंतनगर में कृषि विश्वविद्यालय से पहली ट्रेनिंग ली और मशरूम उगाना सीखा। मशरूम की ट्रेनिंग के बाद उन्होंने मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग की।

पृथ्वी पाल ने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरे पास 4 एकड़ ज़मीन है, जिसमें 2 एकड़ में सब्जी और 2 एकड़ में गन्ना उगाता हूँ। कभी-कभी अलग-अलग ट्रेनिंग करके खेत में एक्सपेरिमेंट भी करता हूँ। काफी समय तक गन्ने का बीज बनाकर बेचने का काम किया।

समस्याएं बहुत थी, कभी फायदा होता, कभी लागत भी नहीं निकलती थी। कई सालों तक हमने सब्ज़ियों के उत्पादन पर ही जोर दिया। लेकिन फिर लगा कि हमें कुछ तो ऐसा करना होगा जिससे कमाई का आश्वासन हो। इसलिए मैंने तय किया कि अगर गन्ने की खेती करनी है तो हम उसे वैल्यू एडिशन करके ही बेचेंगे।”

Prithvi Pal Maurya

पृथ्वी पाल ने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से बात की। उन्होंने पूछा कि वह गन्ने में क्या वैल्यू एडिशन कर सकते हैं? उन्हें गन्ने का सिरका बनाने की सलाह मिली। पृथ्वी पाल ने गन्ने का सिरका बनाने की कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इस बारे में उन्होंने एक बार फिर वैज्ञानिकों से बात की। उन्हें पता चला कि इसका मुख्य कारण है खेती में इस्तेमाल होने वाले रसायन। रसायनों की वजह से गन्ने की गुणवत्ता खत्म होने लगती है। इसलिए अगर किसान अच्छे तरीके का सिरका बनाना चाहते हैं तो उन्हें जैविक तरीकों से गन्ना उगना होगा।

“हमने इस बात को समझा और फिर धीरे-धीरे जैविक तरीकों से खेती करना शुरू किया। मेरे घर में एक गाय है जिसके गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद और स्प्रे आदि बनाते हैं। हमने गन्ने की उपज ली और लगातार सिरका बनाने का प्रयास करते रहे,” उन्होंने आगे कहा।

उन्हें कई बार असफलता के बाद आखिरकार सफलता मिली। उन्होंने अपनी खुद की तकनीक विकसित की और पहले जो गन्ने का सिरका 6 महीने में बनता था, उसे वह एक महीना और 45 दिन में गन्ने का सिरका बना रहे हैं। इस तकनीक के लिए उन्होंने साल 2017 में पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी से एमओयु किया ताकि इस तकनीक पर उनका ही अधिकार रहे। तकनीक बनने के बाद अब वह गन्ने, करेला, जामुन आदि का सिरका बना रहे हैं।

His Farm

सिरका बनाने की यूनिट उन्होंने अपने घर पर ही लगाई। उन्होंने अपने घर के कमरे में ही 4 ड्रम सेट-अप कर लिए और इनमें ही वह तरह-तरह का सिरका बनाते हैं।

“सबसे पहले गन्ने का रस निकाला जाता है। उसे फर्मेंटेशन के लिए रखा जाता है। यह हमारी पहली प्रक्रिया है। 7-8 दिन में अच्छी फर्मेंटेशन के बाद, हम दूसरी प्रक्रिया करते हैं। यह वही तकनीक है जो काफी रिसर्च के बाद हमने तैयार की। इस तकनीक से हम एक महीने में अच्छा जैविक सिरका तैयार कर लेते हैं,” पृथ्वी पाल ने कहा।

उनके मुताबिक, एक क्विंटल गन्ने का वह 50 लीटर सिरका बनाते हैं और एक लीटर सिरका बनाने में उनकी लागत 50-60 रुपये की आती है। 2 एकड़ ज़मीन से उन्हें 1000-1200 क्विंटल गन्ना मिल जाता है। पृथ्वी कहते हैं कि पहले जब वह अपने गन्ने को चीनी मिल या फिर मंडी में बेचते थे तो उन्हें एक क्विंटल गन्ना की कीमत 316 रुपये मिलती थी।

वहीं आज उनका एक क्विंटल से 50 लीटर सिरका बन रहा है। एक लीटर सिरके की कीमत 80 रुपये उन्होंने रखी है, जिससे उन्हें 50 लीटर के 4000 हज़ार रुपये मिलते हैं। इस तरह से अगर उन्होंने 3000 रुपये लागत में भी खर्च किए तो भी 1000 रुपये उन्हें एक क्विंटल गन्ने की मिल रहे हैं।

“जब आप किसी भी फसल की वैल्यू एडिशन करते हैं तो यक़ीनन आपको फायदा ही होता है। हम जानते हैं कि मेहनत बहुत ज्यादा है लेकिन फायदा भी बहुत है। अक्सर किसान इस मेहनत से पीछे हट जाते हैं और फिर कहते हैं कि खेती में कुछ नहीं बचता। यह गलत है। अगर आप आज के जमाने के हिसाब से खुद को नहीं ढाल रहे हैं तो कैसे फायदा होगा,” उन्होंने कहा।

पृथ्वी ने गन्ने के सिरके में सफलता हासिल करने के बाद, दूसरी फसलों में भी अपना हाथ आजमाया है। उन्होंने 50 लीटर करेले का सिरका भी बनाया और इसके अलावा, जामुन और नीम के सिरके भी ट्राई किए। वह कहते हैं कि आगे उनका उद्देश्य दूसरे कई तरह के सिरके बाज़ारों में लाने का है। इसके अलावा, वह गुड़ बनाने और सिरके का अचार बनाने की योजना पर भी काम कर रहे हैं।

फ़िलहाल, उन्होंने एक सीजन में 1000 लीटर गन्ने का सिरका बनाया, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हुई है। अपने वैल्यू एडिशन प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए पृथ्वी पाल ने कंपनी का रजिस्ट्रेशन भी किया है। इसके अलावा, उन्हें एक कंपनी से टाई-अप करने का मौका भी मिला है। जिससे वह प्रोडक्शन करेंगे और प्रोडक्ट के पैकेजिंग और मार्केटिंग की ज़िम्मेदारी दूसरी कंपनी उठाएगी।

“मैं ज्यादा पढ़ नहीं पाया लेकिन मैंने अपने बेटे को अच्छा पढ़ाने पर जोर दिया। उसने इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री से ग्रैजुएशन की है। आज वही कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर है। किसान से कंपनी तक का सफर तय करने के पीछे एक उद्देश्य यह भी रहा कि आने वाली पीढ़ी कृषि से जुड़ी रहे। अगर हम अपने बच्चों से पारंपरिक खेती करने की मांग करेंगे तो यह सम्भव नहीं, हमें उनके हिसाब से अब कृषि को ढ़ालना होगा ताकि भावी पीढ़ी को खेती में नुकसान नहीं बल्कि व्यवसाय दिखे,” उन्होंने कहा।

उनके गाँव और आसपास के इलाकों से बहुत से किसान उनके पास आकर सलाह लेते हैं। उनसे सीखते हैं और उनके मार्गदर्शन में अलग-अलग एक्सपेरिमेंट करते हैं। पृथ्वी पाल कहते हैं कि उनकी कामयाबी के पीछे सिर्फ एक ही वजह है उनका आत्म-विश्वास। ऐसा नहीं था कि उनकी राह में चुनौतियाँ नहीं थीं या फिर सब कुछ बहुत आसानी से हो गया। कई बार उन्हें कर्ज भी लेना पड़ा, लोगों से तरह-तरह की बातें भी सुननी पड़ीं। पर उन्होंने अपना लक्ष्य निर्धारित किया हुआ था कि वह अपने जीवन में ऐसा कुछ करें जिससे उनके बच्चों के लिए व्यवसाय बने और दूसरों के लिए प्रेरणा की मिसाल।

अपने साथी किसानों से भी वह यही कहते हैं कि सबसे पहले यह सोचें कि उन्हें क्या करना है? अपना लक्ष्य तय करें और फिर बिना रुकें उस दिशा में काम करें। एक बार हारेंगे, दो बार असफलता मिलेगी, लेकिन अगर आप लगे रहेंगे तो यकीनन सफलता मिलेगी। दूसरा, किसान भाइयों से वह अनुरोध करते हैं कि उनके आसपास जो भी जैविक खेती या फिर प्रोसेसिंग आदि से संबंधित आयोजन हों, उनमें ज़रूर पहुंचे। आप जितनी जगह जाएंगे, उतनी जगह आपको नयी चीजें जानने-सिखने को मिलेंगी। इसलिए किसी और के भरोसे नहीं खुद के भरोसे काम कीजिये!

द बेटर इंडिया पृथ्वी पाल की सोच और मेहनत की सराहना करता है। उम्मीद है वह बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा बनेंगे। अगर आप पृथ्वीपाल से संपर्क करना चाहते हैं तो उनसे 8707731966 पर कॉल कर सकते हैं!


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