पर्यटकों की फेवरेट जगह है हिमाचल स्थित दुनिया का सबसे ऊँचा पोस्ट ऑफिस, कब जा रहे हैं आप?

हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले का हिक्किम पोस्ट ऑफिस न सिर्फ उंचाई पर बसे होने के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इस पोस्ट ऑफिस की चिट्ठियों और डाक टिकटों पर लगने वाली मुहर पर्यटकों के लिए खास होती है।

यदि आप ट्रैवलर हैं और आप पहाड़ों से खास लगाव रखते हैं तो चलिए आज आप को ले चलते हैं दुनिया के सबसे ऊंचे पोस्ट ऑफ़िस की सैर पर।

यह एक ऐसा अनोखा पोस्ट ऑफिस है, जहां लोग सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचते हैं। दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाई पर बना हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले का हिक्किम पोस्ट ऑफिस न सिर्फ उंचाई पर बसे होने के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इस पोस्ट ऑफिस की चिट्ठियों और डाक टिकटों पर लगने वाली मुहर पर्यटकों के लिए खास होती है। इस पोस्ट ऑफिस की मुहर में दुनिया के सबसे उंचाई पर बसे पोस्ट ऑफिस हिक्किम अंकित होता है। 

दुनिया का सबसे ऊँचा हिक्किम पोस्ट ऑफिस

छोटे तिब्बत के रूप में पहचानी जाने वाली स्पीति घाटी के 14567 फीट पर बसे हिक्किम गाँव और आस-पास के गाँवों लांगजा, चीचम, डेमूल और कौमिक के लोगों के लिए इस पोस्ट ऑफिस को 1983 में खोला गया था। भारतीय डाक विभाग ने इसे लोगों को पत्राचार की सुविधा मुहैया करवाने के लिए खोला था। लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे दुनिया के विभिन्न कोनों से आने वाले पर्यटकों को दुनिया के सबसे ऊंचाई पर बसे इस पोस्ट ऑफिस के बारे में पता चला तो हर साल यहाँ पहुँचने वाले पर्यटकों की संख्या में बढ़ने लगी।


छह माह बर्फ से ढका रहता है

साल में 6 महीने बर्फ से ढका रहता है यह पोस्ट ऑफिस

4440 मीटर की ऊँचाई पर होने की वजह से इस क्षेत्र में साल के छह माह तक बर्फ ही रहती है। जिसकी वजह से यह छह माह तक पूरी तरह बंद रहता है। हर साल जून से अक्टूबर माह तक खुले रहने वाला यह पोस्ट ऑफिस एक किराये के मकान पर चलता है। इस पोस्ट ऑफिस के पोस्ट मास्टर रिंछेन छेरिंग ने द बेटर इंडिया को बताया कि पोस्ट ऑफिस आने वाले पर्यटकों की संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है। वह कहते हैं, “यहाँ पर्यटक सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक आते रहते हैं। हमारे पोस्ट ऑफिस में पर्यटन सीजन के दौरान रोजाना 250 के करीब पोस्ट कार्ड और चिट्ठियां पोस्ट की जाती हैं। कई ऐसे पर्यटक होते हैं जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं, वह यहां से अपने घर पोस्ट कार्ड भेजते हैं।”

हिक्किम पोस्ट ऑफिस में पोस्ट कार्ड को मुहर लगाते पोस्ट मास्टर रिंच्छेन छेरिंग

हिक्किम पोस्ट ऑफिस में 250 से अधिक एफडी और 17 आरडी चल रहे हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में दूरसंचार की सुविधा न होने के चलते ई-पोस्ट और ई-मेल की सुविधा नहीं है। ऐसे में यदि यहाँ कोई इन सुविधाओं का उपयोग करना चाहता है तो उनके संदेश को सादे कागज में लिखकर हिक्किम से 30 किलोमीटर दूर काजा पोस्ट ऑफिस से सेवाएं प्रदान की जाती हैं। वहीं सर्दियों के दौरान छह माह तक बंद रहने के दौरान छह माह की पोस्ट को सर्दियों के बाद ही लोगों तक पहुँचाया जाता है।

काजा के सहायक लोक संपर्क अधिकारी अजय बन्याल ने बताया कि स्पीति वैली में पर्यटकों की संख्या में साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा, “ठंडा रेगिस्तान कहे जाने वाला यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। हिक्किम पोस्ट ऑफिस में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं और वे यहां से अपने रिश्तेदारों और खुद अपने घर के पते पर पोस्ट कार्ड भेजते हैं जो आज के डिजिटल युग में अनोखी घटना है।”

हिक्किम गाँव में घूमने के लिए आए पर्यटक विजय कुमार बताते हैं कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को यहाँ से पोस्टकार्ड भेजा है। कुमार कहते हैं, “हिक्किम पोस्ट ऑफिस की पोस्ट जब मेरे घर पहुँच जाएगी तो मैं इसे एक याद के तौर पर एक फ्रेम में सहेज कर रखूंगा। मेरी ही तरह कई अन्य पर्यटक भी ऐसा करते हैं।”

हिक्किम पोस्ट ऑफिस में घूमने आये पर्यटक


इतनी ऊँचाई और दुर्गम इलाके में बने इस पोस्ट ऑफिस तक पहुँचने के लिए पर्यटकों को शिमला से दो दिनों का सफर तय करना पड़ता है। इसके अलावा इस क्षेत्र में पहुंचने के लिए कच्ची-पक्की सर्पीली सड़कों के साथ मांउटेन सिकनेस और ऑक्सीजन की कमी से भी जूझना पड़ता है। इसलिए सांस की दिक्कत से जुझ रहे लोगों को इस क्षेत्र में आने से पहले मेडिकल जाँच और डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

यह भी पढ़ें- चाय के आशिकों को बुला रहे हैं ये बागान, चलिए हमारे साथ टी टूरिज्म के इस सफ़र पर

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X