Placeholder canvas

सोनू सूद और ज़रुरतमंदों के बीच की कड़ी है यह शख्स, लोगों को घर भिजवाने में अहम योगदान

सोनू के दिल जीत लेने वाले ट्वीट की प्रेरणा भी कई बार साधू बनते हैं। चूंकि साधू हिंदी बेल्ट से हैं और पूर्वांचल से काफी परिचित हैं। इसलिए उन्हें मालूम है कि कैसे लोगों से संवाद किया जाए।

कोरोना के प्रकोप ने जब भारत को अपनी गिरफ़्त में जकड़ा, तब लोग टूटने लगे। सभी कारोबार ठप हो गए। नौकरियाँ जाने लगी। कुछ लोगों को यह तसल्ली जरूर थी कि उन्हें अपने राज्य में सिर छुपाने के लिए ज़मीन तो है। लेकिन एक बड़ा समूह ऐसा भी था, जिन्हें हम प्रवासी मज़दूर कहते हैं, जिन्होंने बेहतर जिंदगी की चाह में अपनी ज़मीन और घर को छोड़ शहरों में काम किया और जब मुसीबत आई, तो सभी ने उन्हें अकेला छोड़ दिया।

जिस कोरोना काल में लोग घरों से निकलने से डर रहे थे। उस समय किसी भी तरह की मदद न मिलने के कारण, प्रवासी मज़दूरों को हजारों किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ा। कुछ लोगों ने सिर्फ अफसोस जाहिर किया पर कुछ ऐसे लोग थे जिन्होंने इन प्रवासी मज़दूरों की मदद करने की ठानी। उन नामों में से एक नाम है अभिनेता सोनू सूद का।

sonu soos team
प्रवासी मजदूरों को घर रवाना करते अभिनेता सोनू सूद

सोनू सूद ने मुंबई और महाराष्ट्र में रह रहे प्रवासी मज़दूरों को घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया, जिसमें से ज्यादातर पूर्वांचल के निवासी हैं। मीडिया में उनके काम की आज भी तारीफ़ हो रही है। घर पहुंचने वाले प्रवासी मज़दूर उनका धन्यवाद करते थक नहीं रहे हैं। उनके ट्वीट भी भोजपुरी और हिंदी में आ रहे हैं, लेकिन किसी भी काम को करने के लिए एक शानदार और मेहनती टीम का साथ होना बहुत जरूरी है।

सोनू की इस कोरोना वॉरियर टीम में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के साधू बैजनाथ हैं। साधू पेशे से वीडियो एडिटर हैं। सोनू सूद की तरफ से पूर्वांचल भेजी जा रही बसों के पीछे एक बड़ा प्रयास साधू की तरफ से हो रहा है। वह न सिर्फ सोनू को पूर्वांचली लोगों की दिक्कतों के बारे में बता रहे हैं बल्कि सोनू और जरूरतमंद लोगों के बीच की कड़ी भी बन रहे हैं। साथ ही सोनू के दिल जीत लेने वाले ट्वीट की प्रेरणा भी कई बार साधू बनते हैं। चूंकि साधू हिंदी बेल्ट से हैं और पूर्वांचल से काफी परिचित हैं। इसलिए उन्हें मालूम है कि कैसे लोगों से संवाद किया जाए।

sonu soos team
सोनू सूद के साथ साधू बैजनाथ

साधू ने द बेटर इंडिया को बताया, “हमारे पास दो ही विकल्प थे या तो हम टीवी और सोशल मीडिया में दिखाए जा रहे प्रवासी मजदूरों के हालात को देखकर अफसोस जताते या उनके घर पहुंचाने का बीड़ा उठाते, तो हमने दूसरा विकल्प चुना। शुरुआत में थोड़ी दिक्कतें आईं पर हमने हार नहीं मानी और अपनी कोशिश जारी रखी।”

सोनू सूद के नेतृत्व में उनकी कोरोना वॉरियर टीम अबतक 16-17 हजार प्रवासी मज़दूरों को घर पहुंचा चुकी है। उनका लक्ष्य एक लाख प्रवासी मज़दूरों को घर पहुंचाना है। जो लोग घर पहुंच जा रहे हैं, वो सोनू सूद को ट्वीट करके धन्यवाद देते थक नहीं रहे हैं। लोग मदद के लिए सोनू सूद और उनकी टीम से ट्विटर पर संपर्क कर रहें है। सभी ट्वीट का सोनू सूद खुद देर रात तक जवाब देते हैं। इसके साथ सोनू और उनकी टीम ने लोगों के लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया है, 18001213711 या 9321472118 पर कॉल कर या अपना नाम, पता भेज कर मदद की गुहार कर सकते हैं।

एक ऐसी ही कहानी बिहार के सहरसा जिले के मनीष की है। मनीष मुंबई एक्टर बनने का सपना लेकर आए थे। उन्होंने लॉकडाउन के कारण मुंबई में 15 दिनों से सड़क पर रात गुज़ारी थी। उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। सरकार से मदद मांग कर थक गए तो हार कर सोनू सूद को ट्वीट किया। एक भी पल न गंवाते हुए सोनू और साधू ने उसके ट्वीट का रिप्लाई किया और तुरंत मदद पहुंचाई। घर पहुंच कर मनीष ने सोनू सूद और उनकी टीम का धन्यवाद देते हुए कहा “बूढ़े बुजुर्गों ने सही कहा है भगवान के रूप में इंसान आता है और वह भैया आप हो @sonusood“। अपने ट्वीट में मनीष लिखते हैं “बसों में साफ सफाई का ध्यान रखा गया था, सबने मास्क पहना था और बस में बैठे लोग, सभी सुरक्षा बरत रहे थे।”

sonu soos team
साधू बैजनाथ खुद पूर्वांचल से हैं और सोनू सूद की टीम में काफी खास हैं

साधू बताते हैं, “हम साफ सफाई का खासा ध्यान रखते हैं। बस में बैठने से दो घंटे पहले बसों को अच्छे से सेनेटाइज़ किया जाता है। साथ ही बस में बैठे सभी लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की जाती है। सभी लोगों को हिदायत दी जाती है कि वो सभी सावधानी बरतें। साथ ही हम अपनी सुरक्षा का भी ख्याल रखते हैं। मास्क और ग्लव्स पहन कर ही निकलते हैं और घर पहुंचते ही खुद को सेनेटाइज़ करते हैं। ”

सोनू की कोरोना वॉरियर टीम किसी को निराश नहीं करती, कोशिश करती है ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मदद पहुंचे, साधू बताते हैं, “कभी-कभी अनुमान से ज्यादा लोग आ जाते हैं। किसी को हम वापस नहीं भेजते। उनके लिए अलग से बसों की व्यवस्था की जाती है। 600 से ज्यादा लोग होने पर उनके लिए ट्रेन की व्यवस्था की जाती है।”

सोनू की टीम सिर्फ पूवार्चंल ही नहीं दूसरे राज्यों में रहने वाले और मदद मांगने वाले सभी लोगों को घर पहुंचाने का प्रयास कर रही है। ओडिशा में फंसी 171 महिला कर्मचारी हों या असम के प्रवासी मजदूर, सभी तक मदद पहुंचाई गई।

sonu soos team
रेलवे स्टेशन पर भी साधू की मौजूदगी रहती थी

सोनू के साथ आप साधू को हर जगह पाएंगे। अपनी जान को जोखिम में डाल कर ये टीम ने जो कर दिखाया है, वह एक मिसाल है। इस दुनिया में बहुत ही कम लोग होते हैं जो निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं। ऐसे ही लोगों में हैं साधू बैजनाथ, जिन्होंने सोनू के साथ कंधे से कंधा मिला कर लोगों की मदद की और पूर्वांचल और सोनू के बीच का अहम ब्रिज बने। जिसके कारण आज हज़ारों लोग सुरक्षित अपने घर जा सके।

अगर आप भी मुंबई में हैं और किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जो लॉकडाउन कि वजह से मुंबई में फंसा हुआ है। तो सोनू  सूद को @SonuSood पर ट्वीट कर मदद मांग सकते हैं या 18001213711 या 9321472118 पर कॉल कर और अपना नाम, पता भेज कर मदद मांग गुहार करते सकते हैं। मदद आप तक तुरंत पहुंचेगी।

यह भी पढ़ें- कभी बाढ़ से पलायन करते थे ग्रामीण, महिला आईएएस ने अभियान चला मोबाइल से पहुंचाई मदद

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X