इसरो की नौकरी छोड़ किसानों के लिए बना रहे हैं मशीनें ताकि खेती हो सके आसान!

नितिन किसानों की आर्थिक स्थिति का ध्यान रखते हुए ऐसे उपकरण बनाते हैं जिससे किसान एक ही सीजन में उसकी कीमत निकाल लें।

भारत में किसान आगे तो बढ़ रहे हैं लेकिन वो अबतक हाईटेक नहीं बने हैं। खेती-किसानी में वैज्ञानिक उपकरणों को बहुत कम उपयोग किया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि हर किसान के पास महंगे उपकरण खरीदने के लिए पैसे नहीं होते हैं। किसानों की ऐसी ही समस्याओं का हल निकालने के लिए नितिन गुप्ता और उनकी कंपनी सिकल इनोवेशन ने कुछ उपकरण तैयार किए हैं जिससे फसल की हार्वेस्टिंग आसानी से हो जाती है और उपकरण की लागत भी एक ही सीजन में निकल आती है।


देश की 50% से ज्यादा आबादी खेती-किसानी के काम में जुटी है और ये लोग जीडीपी में करीब 17-18% की हिस्सेदारी रखते हैं। लेकिन किसानों की समस्या आज भी काफी बड़ी है। अक्सर आपने किसानों की समस्याओं के बारे में सुना होगा लेकिन उसके हल के बारे में बहुत कम सुना होगा।

किसानों की परेशानियों का हल निकालने के लिए साल 2014 में एक कंपनी आई जिसका नाम था सिकल इनोवेशन्स। इस कंपनी ने किसानों को ऐसे-ऐसे उपकरण दिए जिससे उनकी काफी समस्याएं हल हो गईं। कंपनी अब हेक्टेयर नाम से अपने ये उपकरण बेचती है। इसे राजस्थान के रहने वाले नितिन गुप्ता और आंध्र प्रदेश के विनय रेड्डी ने मिलकर शुरू किया।

नितिन पहले इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) में हाईटेक स्पेस इंजीनियर थे। उन्होंने तीन साल यहाँ काम करने के बाद इंडियन इंस्ट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु का रुख किया, जहाँ उन्होंने प्रोडक्ट डिजाइन और मैन्यूफैक्चरिंग का कोर्स किया। इस कोर्स में उनसे समस्या ढूंढने और उसका समाधान देने पर जोर दिया जाता था।

नितिन बताते हैं, ‘‘मैं श्री गंगानगर का रहने वाला हूँ। मैंने अपने दोस्तों से पूछा कि किसानों को किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि हमारा कोर्स सोसायटी की समस्या पर फोकस करता था। मुझे पता चला कॉटन की हार्वेस्टिंग बड़ी समस्या है, क्योंकि इस फसल का 20 से 30% खर्चा हार्वेस्ट पर ही लग जाता था। हमने इसके लिए एक हैंडहेल्ड डिवाइस बनाया जिससे एक इंसान दोगुनी तेजी से हार्वेस्ट कर पा रहा था। यहाँ लेबर कम हो गई और टाइम भी बचा।’’

ISFA कृषि मेला में नितिन और उनकी टीम

नितिन किसानों की समस्याओं का हल खोजना चाहते थे। उन्होंने अपने साथी के साथ मिलकर कॉटन के बाद आम के किसानों की समस्या हल की। उनकी कंपनी ने ऐसा उपकरण बनाया जिससे आम आराम से, जल्दी और बिना नुकसान के टूटे। इसके बाद सेब के किसानों ने भी उन्हें ऐसा ही उपकरण बनाने को कहा। कंपनी ने ये भी किया और जैसे जैसे वो किसानों की समस्या समझते गए वो उनके समाधान ढूंढ कर किसानों को देते गए।

नितिन बताते हैं कि उन्होंने अब तक दर्जन भर से ज्यादा खेती के उपकरण तैयार कर लिए हैं और 15 हजार से ज्यादा उपकरण बेच चुके हैं। वह बताते हैं कि किसानों की आर्थिक स्थिति का ध्यान रखते हुए ऐसे उपकरण बनाते हैं जिससे किसान एक ही सीजन में उसकी कीमत निकाल लें।

आम तोड़ने का उपकरण

DRDO भी सिकल इनोवेशन्स से ले चुका है मदद

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने भी सिकल इनोवेशन्स से एक कीमती फल को हार्वेस्ट करने के लिए कहा, जो कि लद्दाख में पाया जाता है। नितिन बताते हैं, ‘‘सीबकथॉर्न या लेह बेरी को हार्वेस्ट करना बहुत मुश्किल होता है। इसमें कांटें ही कांटे होते हैं। ये फल काफी मंहगा है और विटामिन से भरपूर होता है। इसकी डिवाइस भी हमने बनाकर दिया।’’

इसके अलावा उन्होंने टाटा कॉफी के लिए उपकरण, एक कंपनी के लिए नीम के फल को हार्वेस्ट करने के लिए, सोलर पैनल जिससे कीड़े भी मरते हैं, इस तरह कई प्रोडक्ट बनाकर दिए। कुछ लोगों ने कंपनी से बनवाए और कुछ सिकल इनोवेशन्स ने अपनी तरफ से बनाकर मार्केट में पेश कर दिए।

गुजरात के त्रासत में कॉटन हार्वेस्टिंग मशीन का डेमो

केसर उगाने वाले किसानों की समस्या का भी किया हल

नितिन बताते हैं कि केसर किसानों के लिए परेशानी ये थी कि केसर को वो खुले में सुखाते थे जिससे उसका रंग हल्का पड़ जाता था। लेकिन केसर का रंग जितना गाढ़ा होता है वो उतना ही महंगा बिकता है। उन्होंने बताया, ‘‘एक किलो केसर की कीमत ढाई लाख रुपये होती है और ऐसे में किसानों को अगर थोड़ा भी उनकी फसल में नुकसान हो तो ये बड़ा नुकसान होता है। हमने उनको फिर ऐसा ड्रायर बनाकर दिया जिसमें एक बटन दबाना है और कुछ नहीं करना। छोड़ दो। अपने आप ड्राय होकर मशीन बंद हो जाती है।’’

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पुलवामा में केसर के किसानों को डेमो देते हुए

किसान शौक से लेते हैं कंपनी के प्रोड्क्टस

नितिन से जब पूछा गया कि भारत जैसे देश मे जहां किसानों की बदहाली की खबरें आती हैं। वहां किसान कैसे आपके उपकरण लेने के लिए राजी होती हैं। इस पर नितिन कहते हैं कि वह किसानों को उनकी जरूरत के हिसाब से प्रोडक्ट बनाकर देते हैं जिसकी किसानों को असल में जरूरत है, इसलिए उन्हें किसानों को उनका प्रोडक्ट लेने के लिए अलग से राजी नहीं करना पड़ता।

किसानों तक ऐसे पहुंचे हैं प्रोडक्ट

सिकल इनोवेशन्स के सामान एक तो ऑनलाइन मिल जाते हैं। अगर जागरुक किसान है तो वो अमेजन जैसी साइट्स या इस कंपनी की साइट्स से सामान ले सकते हैं। इसके अलावा हर राज्य में कंपनी डीलर्स के जरिए किसानों तक अपने उपकरण पहुंचाती है।

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सेब तोड़ने के एक उपकरण का डेमो देते हुए

देश के बाहर के किसानों की भी समस्याएं कर रहे हैं हल

सिकल इनोवेशन्स के उपकरण आज नेपाल और भूटान तक जा चुके हैं। इसके अलावा भी उन्होंने कुछ देशों को अपने सैंपल भेजे हैं और नितिन को उम्मीद है कि उनकी समस्या भी इनकी कंपनी हल कर देगी।

सरकार से भी मिल चुका है अवार्ड

साल 2019 में सिकल इनोवेशंस सरकार की नजरों में भी आया। इनके अच्छे काम के लिए भारत सरकार के कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने सिकल इनोवेशंस को राष्ट्रीय उद्यमशील पुरस्कार से सम्मानित किया।

नितिन आज भी अपने 8 लोगों की कंपनी के साथ डटे हुए हैं और किसानों की जिंदगी दिन ब दिन आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इनकी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट गांधीनगर, गुजरात में है और चंडीगढ़ से अपना ऑफिस चलाते हैं। स्टार्टअप शुरुआत करते समय फंड को हर किसी के सामने समस्या रहती ही है लेकिन सबसे बड़ी समस्या थी लोगों के व्यवहार को समझना और उन्हें समझाना कि यह उनके भले के लिए ही है। लेकिन इस काम को भी आखिरकार नितिन और उनकी टीम ने पार पा लिया।

एक एंटरप्रन्यौर के तौर पर भी नए स्टार्टअप की नींव रखने वालों को नितिन यही कहना चाहते हैं कि आप एक छोटी सी ऐप भी शुरु करें तो उसमें किसी की समस्या का समाधान होना चाहिए। अगर एक बड़े तबके की परेशानी आप हल कर देते हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

बाकी अगर आप एक किसान हैं या उनकी समस्या दूर करने के लिए सिकल इनोवेशन्स के उपकरण देखना चाहते हैं वो उसका लिंक नीचे दिया गया है।

लिंक- https://hectare.in/

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