“हमारे घर में 17 साल पुराना एक नीम का पेड़ है, जिसे मैंने ही लगाया था। मैं जब भी उसे देखती हूँ तो बहुत ख़ुशी होती है। अच्छा लगता है कि जिस नन्हे से पौधे को मैंने सींचा, आज वह बड़ा होकर छाँव दे रहा है। उसे देखकर मुझे बहुत सुकून मिलता है,” यह कहना है उत्तर-प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में रहने वाली 29 वर्षीया सना ज़ैदी का।
लाइब्रेरी साइंस में पोस्ट-ग्रैजुएशन करने वाली सना शहर के एस. डी. फार्मेसी कॉलेज में बतौर अस्सिटेंट लाइब्रेरियन काम करती हैं। वह कहती हैं कि उन्हें बचपन से ही किताबों और पेड़ों के प्रति एक खास लगाव रहा है। घर में भी कभी उनके इस शौक पर किसी ने ऐतराज़ नहीं किया बल्कि हमेशा उन्हें सराहना ही मिली। अक्सर लोगों को लगता है कि पेड़-पौधे लगाना बहुत मेहनत-भरा काम है, आपको बहुत वक़्त देना होगा या फिर देख-भाल करना मुश्किल होगा और भी न जाने क्या-क्या।
लेकिन इसके जवाब में सना कहती हैं, “आपको बस एक पौधा लाकर लगाने की देर है। जब आप उस पौधे को बढ़ता देखेंगे तो आपको खुद प्रकृति से प्यार होने लगेगा। फिर आप दूसरा, तीसरा पौधा लगाने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। बस वो एक पौधे अपने किसी पड़ोसी से, किसी नर्सरी से या फिर खुद बीज, कलम आदि लेकर लगाइए।”
घर के साथ लाइब्रेरी तक भी पहुँचाई हरियाली:
सना ने अपने घर में तो पेड़-पौधों की बगिया लगा ही रखी है, साथ ही, उन्होंने अपने कॉलेज की लाइब्रेरी में भी पेड़-पौधे लगाए हुए हैं। उनके कॉलेज में सभी शिक्षक और बच्चे उनके इस शौक को जानते हैं। तभी तो मौका शिक्षक दिवस का हो या फिर उनके जन्मदिवस का, उन्हें उपहार में पेड़-पौधे ही मिलते हैं और वह खुद भी दूसरों को पेड़ तोहफे में देती हैं।
उन्होंने कहा, “किसी को उपहार में पेड़ देना बहुत ही अच्छा है। अब सोचिये जब वह पेड़ उनके घर में लगेगा और धीरे-धीरे बड़ा होगा तो उसे हर बार देखकर, उन्हें हमारी याद आएगी। पेड़-पौधों को देखकर हम सिर्फ मुस्कुराते हैं और इससे अच्छा क्या हो सकता है।”
बहुत से लोगों को यह गलतफहमी होती है कि लाइब्रेरी की नौकरी आसान है या फिर उन्हें बहुत ज्यादा काम नहीं करना पड़ता। सना कहती हैं कि ऐसा नहीं है क्योंकि बतौर लाइब्रेरियन उन्हें बहुत कुछ करना होता है। लाइब्रेरी की सभी किताबों की देख-रेख और सही मैनेजमेंट के साथ-साथ उन्हें सभी छात्रों के रिकॉर्ड्स भी रखने पड़ते हैं।
सना ने बताया, “हमारे कॉलेज में सभी छात्रों को लाइब्रेरी से ही किताबें मिलती हैं क्योंकि नर्सिंग की किताबें काफी महंगी आती हैं इसलिए बच्चे लाइब्रेरी पर ही निर्भर हैं। कहीं भी कोई चूक न हो जाए इसलिए सभी छात्रों के दो-तीन अलग-अलग कार्ड्स बनते हैं, जिनका ब्यौरा रखना हमारी ही ज़िम्मेदारी होती है। इसके अलावा, बच्चों को किताबें देना और फिर उनसे वापस लेकर सही जगह, सही कोड के हिसाब से रखना- इस सबमें भी काफी मेहनत है।”
हालांकि, बचपन से किताबें पढ़ने और सहेजने की शौक़ीन रही सना को अपनी नौकरी बहुत प्यारी लगती है। बहुत बार उनका दिन थकान भरा होता है लेकिन इसका असर वह बिल्कुल भी अपने मन और स्वभाव पर नहीं पड़ने देती हैं। उन्होंने लाइब्रेरी में भी पेड़-पौधे लगाए हुए हैं। इसलिए अगर कभी भी उन्हें तनाव होता है तो वह अपने इन हरे-भरे दोस्तों के पास पहुँच जाती हैं। इसके अलावा, लाइब्रेरी में हरियाली होने से छात्रों को भी अच्छा लगता है।
सना ने बताया, “मेरा अनुभव यही है कि जहां भी हरियाली होती है, वहां एक सकारात्मक ऊर्जा आपको खुद ही महसूस होने लगती है। पढ़ाई और परीक्षाओं के तनाव से ग्रस्त बच्चे लाइब्रेरी में बैठकर जब पढ़ते हैं तो पेड़-पौधों के देखकर उनके मन को शांति मिलती है।”
अपने जन्मदिन पर पौधारोपण
सना हर साल अपने जन्मदिन पर अपने कॉलेज में पौधारोपण करती हैं और फिर उनकी देखभाल भी करती हैं। उनके लगाए बहुत से पौधे, अब पेड़ों का रूप लेने लगे हैं। उन्हें फूलों और साज-सज्जा वाले पेड़-पौधे लगाने का शौक है। उनके इस शौक को देखते हुए अब उनके सहकर्मी भी उनसे पेड़ों के बारे में जानने और समझने लगे हैं।
“अक्सर मुझे दूसरे टीचर्स भी आकर पौधों के बारे में पूछते रहते हैं। कुछ दिन पहले मैंने अपना एक फेसबुक पेज भी बनाया ताकि मैं अपनी गार्डनिंग के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों से शेयर कर सकूं। मुझे लगता है कि अगर आप एक इंसान को एक पौधा लगाने के लिए भी प्रेरित करें तो क्या बुरा है? इससे उसके आस-पास हरियाली ही बढ़ेगी और यह हमारे पर्यावरण के हित में भी है।”
बहुत से लोग गार्डनिंग करना चाहते हैं, लेकिन अपनी जॉब, पढ़ाई या अन्य जिम्मेदारियों के बीच समय का सही मैनेजमेंट नहीं कर पाते हैं। लेकिन सना का मानना है कि ऐसे लोगों को बस एक शुरूआत की ज़रूरत है।
वह खुद शाम में 4 बजे के बाद कॉलेज से आती हैं लेकिन सबसे पहले वह अपने पेड़ों को देखने जाती हैं। पेड़ों की एक झलक उन्हें सारी थकान भुला देती हैं। वह कहतीं हैं कि चंद मिनटों का समय लगता है यह देखने में कि किसी पेड़ को पानी या खाद की ज़रूरत तो नहीं है। अगर उन्हें लगता है कि पानी देना चहिये तो वह उन्हें पानी देती हैं।
बहुत बार तो उन्हें रात के समय अपने बगीचे में जाने का मौका मिल पाता है। बाकी वह अपने छुट्टी वाले दिन को इसी काम के लिए रखती हैं।
गार्डनिंग ने बनाया क्रिएटिव:
सना के मुताबिक अब वह बहुत कुछ क्रिएटिव भी करती हैं जैसे पेड़ों को अनोखे और सुंदर ढंग से व्यवस्थित करना। उनके लिए तरह-तरह के प्लांटर्स बनाना। मैंने जब उन्हें इंटरव्यू के लिए फ़ोन किया तब भी वह बहुत खूबसूरत प्लांटर्स बनाने में व्यस्त थीं, जिनकी तस्वीर भी उन्होंने हमें भेजी है-
सना कहती हैं, “एक बार अगर आपका मन गार्डनिंग में रम गया तो आपको इससे जुडी हर एक्टिविटी में मजा आने लगता है। फिर चाहे अलग-अलग किस्म के पेड़-पौधे लाना हो या फिर घर में पुरानी पड़ी चीजों को नए रूप देकर प्लांटर्स बनाना। मैं अपनी छुट्टी वाले दिन कुछ न कुछ क्रिएटिव ज़रूर करतीं हूँ। कुछ न कुछ क्रिएटिव करते रहने से आपका तनाव दूर होता है। साथ ही, एक समान चल रही ज़िंदगी में थोड़ा बदलाव भी लगता है और इससे इंसान का मन और दिमाग काफी शांत होता है। आप बोरियत महसूस नहीं करते। ”
प्रकृति प्रेमी लोगों के लिए सना के कुछ #गार्डनिंग टिप्स:
1. आप बीज या फिर पेड़ की कुछ कटिंग से भी गार्डनिंग शुरू कर सकते हैं। शुरूआत में कम देखभाल वाले पौधे जैसे धनिया, मेथी या फिर चम्पा, मनी प्लांट आदि लगाएं।
2. मिट्टी तैयार करने के लिए आप एक भाग सादी मिट्टी, उसमें एक भाग रेत और एक भाग खाद मिलाएं- आपका मिक्सर तैयार है और अब आप इसे गमलों या फिर ग्रो बैग आदि में भर सकते हैं।
3. जगह का चुनाव आपको अपने हिसाब से करना है। शहरों में लोग ज़्यादातर छतों पर पेड़-पौधे लगाते हैं तो ध्यान रखें कि आप गमलों के नीचे कोई स्टैंड या फिर ईंट आदि लगा दें। इससे आपकी छत को कोई नुकसान नहीं होगा।
4. अगर आपके पास बीज नहीं है तो पौधों की कटिंग से आप पेड़ लगा सकते हैं। इनकी देखभाल करना भी आसान है, सुबह-शाम ज़रूरत के हिसाब से पानी दें और सीधे पाइप की बजाय किसी वाटर कैन या फिर बर्तन का प्रयोग करें। इसके अलावा, आप किचन में सब्ज़ी, दाल-चावल आदि धोने के बाद बचने वाले पानी को भी बगीचे के लिए रख सकते हैं। यह काफी उपयोगी रहेगा।
5. पानी देने से पहले मिट्टी को ऊँगली से चेक कर लें, अगर यह सूखी हुई है तो पानी दें और अगर नमी महसूस हो रही है तो आप एक दिन बाद पानी दे सकते हैं। अलग-अलग पौधों को अलग-अलग मात्रा में धूप की ज़रूरत होती है। अगर फूलों के पेड़ हैं तो उन्हें ज्यादा धूप चाहिए और अगर सिर्फ पत्तीदार पेड़ हैं तो उन्हें कम धूप और ज्यादा छांव की ज़रूरत होती है।
6. खाद के साथ-साथ आप अंडे के छिलके, उबली हुई चायपत्ती या फिर पेड़ के सूखे पत्तों को भी पेड़ों में डाल सकते हैं। ये सभी पेड़ों के विकास के लिए अच्छा पोषण देते हैं।
7. बाकी, अपने बगीचे के साथ थोड़ा क्रिएटिव रहें। इससे आपका मन भी लगा रहेगा। प्लास्टिक की बेकार पड़ी बोतलों या फिर अन्य चीजों से प्लांटर्स बनाने की कोशिश करें। इसमें कोई ज्यादा मेहनत नहीं है। साथ ही, आजकल आपको यूट्यूब और फेसबुक पर ढ़ेरों चैनल मिल जाएंगे, जहां आप यह सब देख और सीख सकते हैं।
अंत में सना, सभी पाठकों से सिर्फ यही कहतीं हैं कि शुरूआत करें! अपना पहला पौधा या बीज लगाएं और उसे अपने साथ बड़ा होता हुए देखें। इससे ज्यादा सुकून और शांति आपको शायद कहीं न मिले।
अगर आपको सना ज़ैदी की कहानी से प्रेरणा मिली है तो आप उनसे sanazaidi786@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं!
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