सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – खाप पंचायत का किसी भी शादी पर रोक लगाना अवैध!

अदालत ने कहा कि अगर कोई भी संगठन शादी को रोकने की कोशिश करता है, तो वह पूरी तरह से गैर कानूनी होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों की रोकथाम और सजा के लिए गाइडलाइन जारी की हैं। यह गाइडलाइन तब तक जारी रहेंगी जब तक कानून नहीं आ जाता। 

सुप्रीम कोर्ट ने ऑनर किलिंग मामले की सुनवाई करते हुए खाप पंचायत पर बड़ा फैसला (Supreme Court Decisions) सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि खाप पंचायत का किसी भी शादी पर रोक लगाना अवैध है। अदालत ने कहा कि अगर कोई भी संगठन शादी को रोकने की कोशिश करता है, तो वह पूरी तरह से गैर कानूनी होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों की रोकथाम और सजा के लिए गाइडलाइन जारी की हैं। यह गाइडलाइन तब तक जारी रहेंगी जब तक कानून नहीं आ जाता।

तीन जजों की बेंच ने सुनाया फैसला

– खाप पंचायत की याचिका पर तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण भी शामिल थे।

– बेंच ने कहा कि दो अलग समुदायों से आने वाले 2 वयस्क अपनी मर्जी से शादी करते हैं तो उनके किसी रिश्तेदार या तीसरे शख्स न तो उन्हें धमकाने या फिर उन पर हिंसा करने का अधिकार होगा।

– बेंच ने खाप पंचायतों के फैसलों को अवैध करार देते हुए कहा कि ऑनर किलिंग पर लॉ कमीशन की सिफारिशों पर विचार हो रहा है और जब तक नया कानून नहीं बन जाता तब तक मौजूदा गाइडलाइन के आधार पर ही कार्रवाई होगी।

अभी तक ऑनर किलिंग के मामलों में आईपीसी की धारा के तहत ही कार्रवाई होती है।

अभी छह राज्यों के विचार आने बाकी हैं। केंद्र ने कहा कि कोर्ट सभी राज्यों को हर जिले में ऑनर किलिंग को रोकने के लिए स्पेशल सेल बनाने के निर्देश जारी करे। अगर कोई युगल शादी करना चाहता है और उनकी जान को खतरा है, तो राज्य उनके बयान दर्ज कर कार्रवाई कर सकती है। केंद्र ने कहा कि वो खाप पंचायत शब्द का इस्तेमाल नहीं करेगा।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decisions) में शक्ति वाहिनी नाम की एक स्वयंसेवी-संस्था  ने खाप पंचायतों के खिलाफ याचिका दायर की थी। शक्ति-वाहिनी ने याचिका में मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को ऑनर किलिंग रोकने के मामलों पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश दे।

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों वाली बेंच की अध्यक्षता खुद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा कर रहे थे। इस बेंच में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी थे।

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