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तेजस एक्सप्रेस से एलसीडी स्क्रीन्स हटाने का फैसला; क्या आप ज़िम्मेदारी लेंगे?

हमे समझना होगा कि कई सालों की मेहनत के बाद हमारा देश इस स्तर तक पहुंचा है कि हम तेजस जैसी लक्ज़री ट्रेनों का अब आनंद ले सकते हैं।

चपन में हम अपनी स्कूल की मेज़ पर खुरच-खुरच कर अपना नाम लिख आते हैं, और बरसो बाद उसी स्कूल की ज़र्ज़र हालत पर अफ़सोस जताते हैं!

जवान होने पर हम अपने प्रेमी या प्रेयसी का नाम उसी तरह खुरच खुरच कर, ऐतिहासिक दीवारों पे लिख आते हैं, और चालीस तक पहुँचते-पहुँचते देश की धरोहर को न संभाल पाने का ताना सरकार को देते हैं!

यहीं हम, एक बार फिर अभिभावक बन जाने पर बच्चों को जहाँ-तहाँ शौच करने बिठा देते हैं और नगर पालिका पर गन्दगी साफ़ न कर पाने का दोष मढ़ देते हैं!

आपने किसी ऐसे बच्चे को देखा है जिसे महंगे से महंगा, मज़बूत से मज़बूत खिलौना दिए जाने पर भी वो उसे तोड़ कर ही दम लेता हैं… और उसके माता-पिता उससे तंग आकर खिलौना दिलाना ही बंद कर देते है? कुछ ऐसा ही हुआ है हमारे साथ!

हाल ही में रेलवे ने तेजस एक्सप्रेस (Tejas Express) की कोचों से एलसीडी स्क्रीन्स को हटाने का फैसला लिया है।

Tejas Express

photo – PTI

अहमदाबाद-मुंबई शताब्दी एक्सप्रेस में लगे अनुभूति कोचों में भी ऐसी एलसीडी स्क्रीन्स थीं, जिन्हें अब हटाने का फैसला लिया गया है। इसकी वजह रेलवे की कोई आंतरिक नीति नहीं है बल्कि यात्रियों की बदसलूकी है। यात्रियों की ओर से इन ट्रेनों में लगी एलसीडी स्क्रीनों को नुकसान पहुंचाए जाने के मामले लगातार सामने आ रहे थे। इसके बाद रेलवे ने तेजस और शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों से इन्हें हटाने का फैसला लिया।

तेजस एक्सप्रेस (Tejas Express) 20 डिब्बों वाली देश की पहली ट्रेन हैं, जिसके सभी डिब्बों में स्वचालित दरवाजे हैं। साथ ही हर डिब्बे में चाय व कॉफ़ी की वेंडिंग मशीन लगी है, हर सीट पर एलसीडी स्क्रीन और वाई-फाई की सुविधा है। तेजस में जाने-माने शेफ द्वारा तैयार मनपसंद खाना परोसा जाता हैं। ट्रेन में पानी की कम खपत वाले बायो-वैक्यूम शौचालय हैं। शौचालय में टचलेस पानी का नल, साबुन डिस्पेंसर और हाथ सुखाने की मशीन भी लगाईं गई है।

इससे पहले बीते वर्ष मई में तेजस के उद्घाटन से एक दिन पहले ही इसके शीशे तोड़ दिए जाने की खबर सामने आई थी। ऐसे में हम दोष किसे दे? जब आप घर का बजट बनाते हैं तो वर्षों तक पाई-पाई जोड़ कर कोई लक्ज़री वाला सामान बनवाते हैं मसलन कोई बहुत महंगा सोफा या कारपेट। ये चीज़ें ज़रूरत की तो नहीं होती पर आप अपने परिवार को खुश करने के लिए शौकिया ये सामान लेते हैं। फ़र्ज़ कीजिये कि ज़रूरत के सामानों में कटौती कर जोड़े पैसो से लिए आपके सोफे को कोई एक दिन में तोड़ दे! तो क्या आपका मन करेगा इस तरह के सामानों को फिर एक बार खरीदने का?

हमे समझना होगा कि कई सालों की मेहनत के बाद हमारा देश इस स्तर तक पहुंचा है कि हम तेजस (Tejas Express) जैसी लक्ज़री ट्रेनों का अब आनंद ले सकते हैं। और ये मेहनत किसी और की नहीं बल्कि हमारी ही हैं। हमारे ही टैक्स के पैसो से सरकार हमें ये सुविधाएँ मुहैया करवाती हैं। पर अगर हम ही इसकी कदर न करें तो बताएं कि सरकार की इसमें क्या गलती? हमारे घर के छोटे से बजट में अगर अचानक कोई मरम्मत या बिमारी का खर्च आ जाता है तो कैसे सब गड़बड़ हो जाता हैं! तो सोचिये इतने बड़े देश के बजट में इस तरह की गड़बड़ होने लगे तो आगे की नीतियाँ बनाने में कितनी मुश्किलें आएँगी!

आप कहेंगे “हम तो नहीं करते ये सब… वो कोई और गंवार होते होंगे”! पर मेरे भले मानस! आप उन गंवारों को रोकते भी तो नहीं! याद रखिये देश की हालत चंद मुठ्ठी भर लोगों के कुछ बिगाड़ने से नहीं बल्कि लाखों अच्छे लोगों के चुपचाप तमाशा देखने से बिगड़ती हैं!

तो अब जुट जाईये अपने देश को बचाने में! कसम खाईये कि इन असामाजिक तत्वों के खिलाफ वहीँ तुरंत आवाज़ उठाएंगे और देश की प्रगति में मौन का नहीं हिम्मत का योगदान देंगे।

आईये एक बेहतर भारत की ओर कदम उठायें, देश को सुन्दर एवं सफल बनायें!

Featured Image – IANS

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